जयचंद और मीरजाफर à¤à¥€ à¤à¤¸à¥‡ ही थे?
Author
Rajeev ChoudharyDate
08-Oct-2016Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
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Sandeep AryaUpload Date
08-Oct-2016Download PDF
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कà¥à¤¯à¤¾ मैं इनकी तà¥à¤²à¤¨à¤¾ जयचंद या मीरजाफर से कर सकता हूà¤?
इसे देश का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही कहा जायेगा कि देश के दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ को उनके घर में मात देने वाले वीरों के शोरà¥à¤¯ पर अपने देश के नेता ही राजनैतिक लाठके लिठपà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤‚ह उठा रहे है. यदि यह काम कोई दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ देश करता तो समठआता पर अपने देश के अनà¥à¤¦à¤° गरिमामयी पदों पर विराजमान लोग ही à¤à¤¸à¤¾ कर रहे है.यह बिलकà¥à¤² समठसे परे है! कà¥à¤¯à¤¾ मैं इनकी तà¥à¤²à¤¨à¤¾ जयचंद या मीरजाफर से कर सकता हूà¤? यदि नहीं! “तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं कर सकता?” यह सवाल à¤à¥€ अनिवारà¥à¤¯ सवालों की पंकà¥à¤¤à¤¿ में खड़ा है. नेताओ को जबाब देना चाहिठकि राजनीति बड़ी या देश? यदि पिछले कà¥à¤› सालों में देखा जाये तो राजनीति अपने मूल सà¥à¤¤à¤° से काफी नीचे गिरती दिखाई दी न अब इसके मूलà¥à¤¯ बचे न सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त.यदि कà¥à¤› बचा है तो सिरà¥à¤« आरोप पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤ª चाहें उसके लिठकितना à¤à¥€ नीचे कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न गिरना पड़े. पाक अधिकृत कशà¥à¤®à¥€à¤° में सेना दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सरà¥à¤œà¤¿à¤•à¤² सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤• कर देश के दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥‹à¤‚ को खतà¥à¤® करना अपने आप में अपने सैनिको दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शोरà¥à¤¯ की गाथा लिखना है. लेकिन उस गाथा पर वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ की बहस कहाठतक जायज है?
दिलà¥à¤²à¥€ के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अरविनà¥à¤¦ केजरीवाल जब राजनीति में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने वाले थे तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था कि राजनीति में बहà¥à¤¤ गंदगी है. गंदगी को साफ करने के लिठगटर में उतरना पड़ता है जी. उसे साफ करने के लिठइसमें उतर रहा हूठ, किनà¥à¤¤à¥ अब उनकी पारà¥à¤Ÿà¥€ की राजनीति देखे तो लगता है जो गंदगी राजनीति में थी वो तो थी लेकिन यह तो उसे हाथ में लेकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता के आंचल पर à¤à¥€ फेंकने लगे है. नीति, सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त और विचारधारा किसी राजनैतिक दल की जमीनी जड़ होती है. इसके बाद पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤° में चरà¥à¤šà¤¾ आलोचना होती है. पर इसका ये मतलब नहीं कि शतà¥à¤°à¥ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की सà¥à¤°à¥à¤–ियों में नायक बन जाये. हो सके तो सविंधान में नेताओं के लिठà¤à¥€ “लाइन आफ कंटà¥à¤°à¥‹à¤²” à¤à¤• नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ रेखा होनी चाहिठकि आप यहाठतक बॠसकते है इससे आगे बà¥à¤¨à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आपराधिक गदà¥à¤¦à¤¾à¤°à¥€ मानी जाà¤à¤—ी. जिसकी सजा आम नागरिक तरह ही à¤à¥à¤—तना पड़ेगी. à¤à¤• छोटा सा पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग बताना चाहूà¤à¤—ा जब में छोटा था तो शाम को घर के बाहर चबूतरे पर गाà¤à¤µ के कई बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— इकटà¥à¤ ा होते और देश पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की राजनीति पर चरà¥à¤šà¤¾ आलोचना करते. à¤à¤• दिन à¤à¤• बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— ने खड़े होकर कहा- कि “कहाठहै आजादी? गरीब को रोटी नहीं, किसान को उसकी फसल का उचित दाम नहीं, रोगी को दवाई नहीं, बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ के लिठमूलà¤à¥‚त सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ नहीं.” इसपर मैंने बीच में ही पूछ लिया – फिर आजादी का मतलब कà¥à¤¯à¤¾ है? तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा- “यही तो आजादी का मतलब है कि हम अपने यह मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ सरकार के सामने शिषà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में बे हिचक उठा लेते है.” किनà¥à¤¤à¥ अब में देखता हूठकि आजादी के नाम पर हमारे देश के नेता ही लोकतानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर राजनीति के बहाने हावी हो रहे है. शिषà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° और सà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤£ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में अपनी बात रखना जैसे नेता à¤à¥‚ल ही गये. कोई देश के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ को दरिंदा तो कोई मौत का सौदागर कह अपनी राजनैतिक शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कर रहा है. जैसे à¤à¥‚ल ही गये हो कि देश पहले होना चाहिठऔर बाद में निजहित, सरकार की आलोचना करने से पहले सोच लेना चाहिठकि कहीं आप देश की साख पर तो दाग नही लगा रहे है? इस कड़ी में अरविनà¥à¤¦ केजरीवाल, संजय निरà¥à¤ªà¤®, और दिगà¥à¤µà¤¿à¤œà¤¯ समेत कई नेता सरà¥à¤œà¤¿à¤•à¤² सà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤• पर सरकार को कमजोर करने के बहाने देश के रकà¥à¤·à¤•à¥‹ के आतà¥à¤®à¤¬à¤² पर हमला कर रहे है. राहà¥à¤² गाà¤à¤§à¥€ ने तो सेना के बलिदान को खून की दलाली तक जोड़ डाला. जो बेहद शरà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤• बयान है सरहद पर जवान है तो सब सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है हम सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है ये देश सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है.
पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बाजपेई जी ने à¤à¤• बार संसद में कहा था कि “सरकारे à¤à¥€ आती जाती रहेगी, पारà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¥€ बनती बिगडती रहेगी, पर यह देश रहना चाहिठइसका लोकतंतà¥à¤° रहना चाहिà¤.” à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अनेकों पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾ है जो विचारधाराओं में बंटी है, जो à¤à¤• देश की à¤à¤•à¤¤à¤¾ अखंडता के लिठजरूरी à¤à¥€ है. à¤à¤• सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ लोकतंतà¥à¤° की खà¥à¤¸à¤¬à¥‚ à¤à¥€ यही है कि सबका संगम राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ है. पर कà¥à¤›à¥‡à¤• लोग जो धरà¥à¤® के नाम पर हिंसा करते है मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धरà¥à¤® और वो पारà¥à¤Ÿà¥€ जिसकी विचारधारा राषà¥à¤Ÿà¥à¤° हित में न हो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पारà¥à¤Ÿà¥€ नहीं मानता. ‘यह सिरà¥à¤« à¤à¤• à¤à¥à¤£à¥à¤¡ है, जो अपने निज हित के लिठसमाज को गनà¥à¤¦à¤¾ कर रहे है.” राजनीति के नाम लेकर यह निरà¥à¤²à¤œà¤¤à¤¾ बंद होनी चाहिà¤. कहते है- जो जैसा होता है उसे सब कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही दिखाई देता है. यदि केजरीवाल को वीडियो फà¥à¤Ÿà¥‡à¤œ दिखा à¤à¥€ दे तो कà¥à¤¯à¤¾ गारंटी है कि वो उस पर सवाल न उठाये? और रहा पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का à¤à¥‚ठतो वीडियो देखने से पहले दोनों पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ शरीफों नवाज़ और राहिल के चेहरे देख लीजिये. à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना के दावे का सच सीमा पार राजनीतिक गलियारे में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दिखाई दे रहा है.
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