‘महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ और असतà¥à¤¯ के तà¥à¤¯à¤¾à¤— के आदरà¥à¤¶ उदाहरण’
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Manmohan Kumar AryaDate
15-Oct-2016Category
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अविदà¥à¤¯à¤¾ व मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपनी शिकà¥à¤·à¤¾ वा विदà¥à¤¯à¤¾ पूरी होने पर वेद व सतà¥à¤¯ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया और इसके लिठअनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚, पाखणà¥à¤¡, फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· सहित सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की अविदà¥à¤¯à¤¾ व मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का खणà¥à¤¡à¤¨ किया। इसकी पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने विदà¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¥ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥ दणà¥à¤¡à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ विरजाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, मथà¥à¤°à¤¾ से मिली थी। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ देश à¤à¤° में घूम कर अविदà¥à¤¯à¤¾ का नाश करने और विदà¥à¤¯à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करने हेतॠवेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते थे। वह बंगाल पहà¥à¤‚चे तो वहां उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® समाज के नेता शà¥à¤°à¥€ केशव चनà¥à¤¦à¥à¤° सेन ने अपने उपदेशों और वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ को अपनाने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ की। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ इन दिनों वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण न कर कौपीन मातà¥à¤° धारण करते थे। शà¥à¤°à¥€ केशव चनà¥à¤¦à¥à¤° सेन जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ सहरà¥à¤· सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वसà¥à¤¤à¥à¤° धारण करने की इचà¥à¤›à¤¾ व आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं थी परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते हà¥à¤ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯-समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आना पड़ता था। समà¥à¤à¤µ था कि यदा-कदा वा अनजाने में कोई महिला à¤à¥€ उनसे वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ में आ सकतीं थीं। अतः मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤® नेता सेन महाशय का यह सà¥à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ ततà¥à¤•à¤¾à¤² सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया।
समय वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ होता रहा और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ काशी में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर रहे थे। वहां डिपà¥à¤Ÿà¥€ कलेकà¥à¤Ÿà¤° राजा जयकृषà¥à¤£ दास आपके à¤à¤•à¥à¤¤, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ व सहयोगी बन गये। आपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया कि आपके शà¥à¤°à¥€à¤®à¥à¤– से उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये जाते हैं। आपके विचारों वा पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ से वही लोग लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते व हो सकते हैं जो कि उसमें उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होते हैं। जो लोग लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होना चाहें परनà¥à¤¤à¥ किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों से वहां आ न सके, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आपके विचारों को जानने का लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं हो पाता। कालानà¥à¤¤à¤° में जब आप नहीं रहेंगे तब à¤à¥€ आपके विचार, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से समकालिक व आने वाली सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ वैदिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित रहेंगी। यदि आप अपने विचारों, मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का à¤à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिख दें तो इन सà¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का निदान हो जायेगा। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ इस उतà¥à¤¤à¤® पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ को सà¥à¤¨à¤•à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और उसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ततà¥à¤•à¤¾à¤² सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लिया। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ है कि उसके तीन माह के अनà¥à¤¦à¤° ही सनॠ1874 में आदिम सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ तैयार कर दिया। यह सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ था। आपने कà¥à¤› समय पहले ही आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ सीखना आरमà¥à¤ किया था अतः à¤à¤¾à¤·à¤¾ के परिमारà¥à¤œà¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने जिन लेखकों को बोलकर यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखाया था, वह पौराणिक विचारों के थे। अतः पौराणिक मनोवृतà¥à¤¤à¤¿ के कारण उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में आपके आशय के विपरीत कà¥à¤› वचन डाल दिये थे, जिनका सà¥à¤§à¤¾à¤° वा परिमारà¥à¤œà¤¨ अपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ था। अतः ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने मृतà¥à¤¯à¥ से पूरà¥à¤µ सनॠ1883 में सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का संशोधित संसà¥à¤•à¤°à¤£ तैयार कर दिया जो उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के समय मà¥à¤¦à¥à¤°à¤£à¤¾à¤§à¥€à¤¨ था। 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, 1883 को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाने पर यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤°à¤¤à¥à¤¨ सनॠ1884 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ अतः सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जैसे गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के लेखन की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने à¤à¤•à¥à¤¤ व पà¥à¤°à¤¶à¤‚सक राजा जयकृषà¥à¤£ दास, मà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ से वाराणसी में मिली थी जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सहरà¥à¤· व सधनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया था।
आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ व पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी को मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ में उनके अनेक à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से मिला था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को यह पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ पसनà¥à¤¦ आया था परनà¥à¤¤à¥ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने वहां के लोगों को सावधान कर दिया था कि यदि आप आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संचालन में सतरà¥à¤• व सावधान नहीं रहे तो आगे चलकर गड़बड़ घोटाला हो सकता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ में 10 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1875 को आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ तो कर दी और उसके बाद आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ ने अनेक अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ कारà¥à¤¯ à¤à¥€ किये। उनके आरमà¥à¤ किये गये कारà¥à¤¯ आज à¤à¥€ जारी हैं, परनà¥à¤¤à¥ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प होना था वह आज देखने को नहीं मिल रहा है। आज आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ में वह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ देखने को नहीं मिलती जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हम आदरà¥à¤¶ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कहते हैं जबकि अनà¥à¤¯ अनेक संसà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हमसे कहीं आगे चल रही हैं। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में अनà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ सोचते हैं, यह जानना तो कठिन हैं परनà¥à¤¤à¥ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सदसà¥à¤¯ व ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व इसकी सà¤à¤¾à¤“ं के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤•à¤²à¤¾à¤ªà¥‹à¤‚ से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ नहीं अपितॠदà¥à¤ƒà¤–ी अवशà¥à¤¯ हैं। लोकैषणा, सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ और पदलोलà¥à¤ªà¤¤à¤¾ के आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• शतà¥à¤°à¥à¤“ं ने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को à¤à¤¾à¤°à¥€ हानि पहà¥à¤‚चाई हैं और सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में à¤à¥€ दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। इससे लगता है कि ऋषि की आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के अवसर पर दी गई चेतावनी सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ हो रही है। यहां हमारा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ यह बताना था कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ ऋषि ने अपने सचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के आगà¥à¤°à¤¹ पर उनके सहयोग से की थी।
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की रचना के बाद महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका सहित यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¤µà¤‚ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ (सातवें मणà¥à¤¡à¤² के अनेक सूकà¥à¤¤à¥‹à¤‚ तक), संसà¥à¤•à¤¾à¤° विधि, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ व अनेक लघॠगà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचनायें की। यह लेखन कारà¥à¤¯ इनके महतà¥à¤µ व आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ को देखकर कà¥à¤› उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठसà¥à¤µ-विवेक से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किये गये। इसके लिठमहरà¥à¤·à¤¿ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सावधान थे अतः इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशेष का कोई à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ नहीं मिला जैसा कि सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के लेखन के लिठमिला था।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का à¤à¤• मà¥à¤–à¥à¤¯ कारà¥à¤¯ अपने सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ की उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤£à¥€ सà¤à¤¾, परोपकारिणी सà¤à¤¾, की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का था। इसे महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने अपनी मृतà¥à¤¯à¥ से कà¥à¤› समय पूरà¥à¤µ उदयपà¥à¤° में समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया था। यह उनकी अपनी मृतà¥à¤¯à¥ विषयक निजी अनà¥à¤à¥‚तियों का परिणाम था। à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह आà¤à¤¾à¤¸ हो गया था कि वह जो वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° और अनà¥à¤¯ मतों की मिथà¥à¤¯à¤¾ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं व अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ की समीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ खणà¥à¤¡à¤¨-मणà¥à¤¡à¤¨ करते हैं, उसका उनके अपने जीवन के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घातक परिणाम हो सकता है। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का कोई विवाद न हो, और उनके बाद à¤à¥€ उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ वा आरमà¥à¤ वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ सà¥à¤šà¤¾à¤°à¥ रूप से चलता रहे, इस पर विचार कर ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने परोपकारिणी सà¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी की मृतà¥à¤¯à¥ वा महापà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ अजमेर में होने के कारण इस सà¤à¤¾ का मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ वहीं बनाया गया जो आज à¤à¥€ सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ रहकर अपने उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ में लगा हà¥à¤† है। यह कारà¥à¤¯ à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤• से किया जिससे आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को बहà¥à¤¤ लाठहà¥à¤†à¥¤ यदि परोपकारिणी सà¤à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ न हà¥à¤ˆ होती तो आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सामने कठिनाईयां आ सकती थीं।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी अपने वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व विचारों के पकà¥à¤•à¥‡ थे। यदि उनका कोई à¤à¤•à¥à¤¤ व अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ उनके हित का कोई पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ करता था जिससे उनके जीवन को हानि होने की आशंका होती थी तो वह अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ विशेष की यातà¥à¤°à¤¾ न करने के सà¥à¤à¤¾à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करते थे। à¤à¤¸à¤¾ ही जोधपà¥à¤° में वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठजाते समय हà¥à¤† था। उनके à¤à¤•à¥à¤¤ शाहपà¥à¤°à¤¾ रियासत के आरà¥à¤¯ नरेश नाहरसिंह जी व अनà¥à¤¯ कà¥à¤› à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के जोधपà¥à¤° जाने पर उनके जीवन को हानि होने की आशंका थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को यातà¥à¤°à¤¾ न करने वा वहां के लोगों से सावधान रहने व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में संयम बरतने का सà¥à¤à¤¾à¤µ दिया था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने यातà¥à¤°à¤¾ न करने का सà¥à¤à¤¾à¤µ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं किया और अपने अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को कहा कि यदि लोग उनकी उंगिलयों को बतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह जला à¤à¥€ दे तो à¤à¥€ वह सतà¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करने से न चूकेंगे। जोघपà¥à¤° पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¸ में जिस बात की आशंका थी वही हà¥à¤ˆà¥¤ जोधपà¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विष दिया गया जिसके परिणामसà¥à¤µà¤°à¥‚प वह रूगà¥à¤£ हो गये। उनके उपचार में à¤à¥€ अनियमिततायें हà¥à¤ˆà¥¤ à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ चिकितà¥à¤¸à¤• अलीमरà¥à¤¦à¤¾à¤¨ ने उनका उपचार किया जो अनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¤à¤ƒ उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दà¥à¤µà¥‡à¤· रखता था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को विष दिये जाने के पीछे किसी बड़े राजनीतिक षड़यनà¥à¤¤à¥à¤° होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से à¤à¥€ इनकार नहीं किया जा सकता। इसका कारण था कि वह देश की आजादी के समरà¥à¤¥à¤• थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में विदेशी सरकार के विरोध में विचार पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ किये थे। वह जोधपà¥à¤° महाराजा की वैशà¥à¤¯à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ आदि अनà¥à¤¯ मिथà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° के à¤à¥€ घोर आलोचक थे और उसका कठोर शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में खणà¥à¤¡à¤¨ करते थे। अतः उनके जीवन को नषà¥à¤Ÿ करने के किसी बड़े षडयनà¥à¤¤à¥à¤° की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से इनकार नहीं किया जा सकता। जो à¤à¥€ हो, जोधपà¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विष दिया गया, उपचार में गड़बड़ी हà¥à¤ˆ जिसके कारण 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, सनॠ1883 को अजमेर में दीपावली के दिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी इचà¥à¤›à¤¾ से ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• शà¥à¤µà¤¾à¤¸ छोड़ दिया और बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥‹à¤• वा मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो गये।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी उचà¥à¤š कोटि के योगी और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाद वेदों के असाधारण व अपूरà¥à¤µ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ थे। उनका जीवन सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने का सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® उदाहरण हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दिये जाने वाले किसी अचà¥à¤›à¥‡ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ की उपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं की अपितॠउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर सतà¥à¤¯ के गà¥à¤°à¤¹à¤£ का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¦ उदाहरण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया। उनका सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ अपनी आरमà¥à¤à¤¿à¤• व उसके कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद के यश व कीरà¥à¤¤à¤¿ को अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ नहीं रख पा रहा है। ईशà¥à¤µà¤° कृपा करें कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ का सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ देश व संसार की आदरà¥à¤¶ संसà¥à¤¥à¤¾ बन सके और उनके सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ साकार हों। इसके लिठऋषि के जीवन से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर निजी लोकैषणा व सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना होगा जो असमà¥à¤à¤µ तो नहीं परनà¥à¤¤à¥ कठिन अवशà¥à¤¯ है।
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
पताः 196 चà¥à¤•à¥à¤–ूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121
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