‘महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की आकसà¥à¤®à¤¿à¤• मृतà¥à¤¯à¥ का कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ उनके किन à¤à¤¾à¤µà¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर हà¥à¤†?’
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Manmohan Kumar AryaDate
28-Nov-2016Category
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28-Nov-2016Download PDF
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ऋषि दयाननà¥à¤¦ मारवाड़ की जोधपà¥à¤° रियासत से आमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ मिलने पर वहां वैदिक धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठगये थे। उन दिनों वहां महाराजा जसवनà¥à¤¤ सिंह का शासन था और उनके अनà¥à¤œ कà¥à¤µà¤‚र पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह थे। उनके à¤à¤• अनà¥à¤¯ बनà¥à¤§à¥ रावराजा तेजा सिंह à¤à¥€ थे। कà¥à¤µà¤‚र पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह जी ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ को जोधपà¥à¤° आकर वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का आगà¥à¤°à¤¹ किया था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जोधपà¥à¤° जाने का निशà¥à¤šà¤¯ करने पर उनके अपने अंतरंग शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ महाराजा नाहर सिंह, शाहपà¥à¤°à¤¾ राजà¥à¤¯ व अजमेर के लोगों ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जोधपà¥à¤° न जाने या यदि वह जायें तो वहां खणà¥à¤¡à¤¨ में सावधानी बरतने की सलाह दी थी। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने उनको दी गई सलाह का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ कर असतà¥à¤¯ के खणà¥à¤¡à¤¨ को पूरी शकà¥à¤¤à¤¿ से करने की बात कही थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जोधपà¥à¤° जाकर à¤à¤• ओर जहां वैदिक धरà¥à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया वहीं उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाराजा जोधपà¥à¤° के चरितà¥à¤° विषयक अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ à¤à¥€ किया। कहते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था कि राजा तो सिंह वा शेर के समान होते हैं और वैशà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की उपमा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से दी थी। बताते हैं कि à¤à¤• ननà¥à¤¹à¥€ à¤à¤—तन नाम की सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ महाराजा की पà¥à¤°à¤¿à¤¯ दासी व वैशà¥à¤¯à¤¾ थी और अपनी राणियों की उपेकà¥à¤·à¤¾ व अनदेखी करते थे। महाराजा उस ननà¥à¤¹à¥€ à¤à¤—तन वैशà¥à¤¯à¤¾ पर मà¥à¤—à¥à¤§ थे और उसे राजà¥à¤¯ में अनेक अधिकार à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ थे जिसका विपरीत पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ राजà¥à¤¯ संचालन व राजà¥à¤¯ की जनता पर पड़ रहा था। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने देशी राजाओं की वैशà¥à¤¯à¤¾à¤“ं पर आसकà¥à¤¤à¤¿ का कड़े शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में खणà¥à¤¡à¤¨ किया था। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मत की अवैदिक व अविवेकपूरà¥à¤£ कà¥à¤› मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ व तरà¥à¤• से à¤à¥€ समीकà¥à¤·à¤¾ की थी जिससे जोधपà¥à¤° राजà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ मंतà¥à¤°à¥€ मियां फैजà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ खां कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ व लाल-पीले हो गये थे। उनके कà¥à¤°à¥‹à¤§ से यà¥à¤•à¥à¤¤ वचनों का महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ ने यथोचित पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¥€ किया था। कहते हैं कि मियां फैजà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ खां ने कहा था कि यदि जोधपà¥à¤° à¤à¤• मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® रियासत होती तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° व खणà¥à¤¡à¤¨-मणà¥à¤¡à¤¨ नहीं कर सकते थे। ऋषि का उतà¥à¤¤à¤° था कि यदि पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में कोई बाधा पहà¥à¤‚चाई जाती तो वह दो राजपूतों की पीठठोक देते। à¤à¤¸à¥€ कà¥à¤› बातें वहां हà¥à¤ˆà¤‚ थी। इससे अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है कि ननà¥à¤¹à¥€ à¤à¤—तन और फैजà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ खां, उनके निकटसà¥à¤¥ कृपा पातà¥à¤° व अपने लोगों सहित राज परिवार के कà¥à¤› लोग à¤à¥€ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के खणà¥à¤¡à¤¨ से खिनà¥à¤¨ व उगà¥à¤° हो गये थे जिसका परिणाम à¤à¤• गà¥à¤ªà¥à¤¤ षडयनà¥à¤¤à¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विषपान कराया गया। विषपान के उनके उपचार में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· और अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· लापरवाही की गई जिसका परिणाम 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, 2016 को दीपावली के दिन अजमेर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤¯ की कोठी में उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के रà¥à¤ª में सामने आया। देश और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ पर इसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ यह हà¥à¤† कि उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जा रहा वैदिक धरà¥à¤® का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° अवरà¥à¤¦à¥à¤§ हो गया और वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित नये नये विषयों का शंका समाधान, धरà¥à¤® विषय पर चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ तथा शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ आदि सà¤à¥€ दैननà¥à¤¦à¤¿à¤¨ कारà¥à¤¯ समापà¥à¤¤ हो गये। यदि विषपान न होता तो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की मृतà¥à¤¯à¥ à¤à¥€ न होती और तब देश और विशà¥à¤µ को चारों वेदों का पूरा à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ मिल सकता था। अनà¥à¤¯ à¤à¥€ कà¥à¤› नये गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ जिनका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ करना संà¤à¤µ नहीं है, वह à¤à¥€ अनेक विषयों पर उनसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते।
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ को जिस दिन विष दिया उस दिन व उससे पूरà¥à¤µ वह पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारà¥à¤¯ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के सपà¥à¤¤à¤® मणà¥à¤¡à¤² का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ कर रहे थे। विष के अगले दिन से उनका सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ इस योगà¥à¤¯ नहीं रहा कि वह सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठके अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ कोई कारà¥à¤¯ कर सकते। अतः यह कारà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ˆ रूप से अवरà¥à¤¦à¥à¤§ हो गया। यदि वह अवशिषà¥à¤Ÿ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ और उसके बाद सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ पूरा कर लेते तो यह विशà¥à¤µ के इतिहास और साहितà¥à¤¯ में बेजोड़ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता। शायद à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ व विशà¥à¤µ के मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ नहीं था कि वह ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वेदों के समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते। इसीलिठवह महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ कृत समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से वंचित रहे। ईशà¥à¤µà¤° की कृपा है कि ऋषि के अनेक अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने चारों वेदों का हिनà¥à¤¦à¥€ वा संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ दोनों à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं में à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पूरा कर दिया। न केवल वेदों का ही अपितॠसà¤à¥€ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ उपनिषदों à¤à¤µà¤‚ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ सहित मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ व मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤¦ सहित विशà¥à¤¦à¥à¤§ मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ वा ऋषि अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया व कराया है। ऋषि à¤à¤•à¥à¤¤ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ऋषि शैली व सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥à¤ª वेदों का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ करना असाधारण उपलबà¥à¤§à¤¿ है। अतः परमातà¥à¤®à¤¾ की दया व कृपा से ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी का जो कारà¥à¤¯ असामयिक मृतà¥à¤¯à¥ के कारण छूट गया था, वह à¤à¥€ ऋषि सà¥à¤¤à¤° का तो न हो सका परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¯ रूप में पूरा अवशà¥à¤¯ हो गया।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ को यदि विष न दिया जाता तो वह अपने अखणà¥à¤¡ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ और अचà¥à¤›à¥‡ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के कारण दीरà¥à¤˜ काल तक जीवित रहते। देश-विदेश का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर सकते थे। देश-विदेश के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से मिलकर संवाद कर सकते थे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वैदिक मत और सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ से सहमत करा सकते थे। वह जहा जहां जाते, वहां नये आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होते और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ जो उनकी मृतà¥à¤¯à¥ के समय था, उसमें काल कà¥à¤°à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बहà¥à¤µà¤¿à¤§ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व वृदà¥à¤§à¤¿ होती। हम यह à¤à¥€ बता चà¥à¤•à¥‡ हैं कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ अनेक अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की रचना à¤à¥€ करते जिसका हम अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ नहीं कर सकते। उनकी असामयिक मृतà¥à¤¯à¥ से हम उनके उन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ वंचित हो गये हैं। उनके à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन के अनेकानेक अवसरों के अनेक चितà¥à¤° à¤à¥€ हमारे पास होते जिससे हमें व à¤à¤¾à¤µà¥€ पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होती। मृतà¥à¤¯à¥ के समय सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी 58-59 वरà¥à¤· की आयॠके थे। अब उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस बात की चिनà¥à¤¤à¤¾ नहीं थी कि उनके माता-पिता व à¤à¤¾à¤ˆ बनà¥à¤§à¥ आकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने साथ उनकी जनà¥à¤® à¤à¥‚मि टकारा ले जाने का आगà¥à¤°à¤¹ कर सकते थे। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में मृतà¥à¤¯à¥ न होने पर उसके कà¥à¤› बाद वह अपने जनà¥à¤® के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, माता-पिता व बनà¥à¤§à¥à¤“ं के नाम व उनकी कà¥à¤› विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से जानकारी दे सकते थे जो उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व शोधारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठविशेष उपयोगी होती। हमें यह à¤à¥€ अनà¥à¤à¤µ होता है कि 30 अकà¥à¤¤à¥‚बर, 1883 के बाद के उनके जीवन में अनेक पौराणिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से संवाद होते और हो सकता है उनमें से कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤à¤¾à¤¶à¤¾à¤²à¥€ विशेष विà¤à¥‚तियां वैदिक मत को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर उनका शिषà¥à¤¯à¤¤à¥à¤µ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करती।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सचà¥à¤šà¥‡ और उचà¥à¤š कोटि के सिदà¥à¤§ योगी थे। यह समà¥à¤à¤µ था कि यदि उनका कोई à¤à¤•à¥à¤¤ योग साधना समाधि आदि के अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ पर गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिखने का आगà¥à¤°à¤¹ करता तो वह इस कारà¥à¤¯ को अवशà¥à¤¯ पूरा करते। इस कारà¥à¤¯ के समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने पर उनका यह कारà¥à¤¯ संसार के साहितà¥à¤¯ में à¤à¤• अपूरà¥à¤µ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हो सकता था। इससे à¤à¥€ हमारा देश व समाज वंचित हà¥à¤† है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में अनेक à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तथà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थे जिनको समगà¥à¤°à¤¤à¤¾ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का अवसर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जीवन में नहीं मिला। यदि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बाद में अवकाश मिलता तो वह यह कारà¥à¤¯ à¤à¥€ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर सकते थे जिससे देश को बहà¥à¤¤ लाठहोता। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का निधन अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के पराधीनता के काल में हà¥à¤† था। सनॠ1857 में वह 32 वरà¥à¤· के यà¥à¤µà¤¾ थे। देश की ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ परिचत व जागरूक थे। आशा की जाती है उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤— लिया था। यदि à¤à¤¾à¤— न à¤à¥€ लिया हो तो इससे जà¥à¥œà¥€ अनेक सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तो उनके मन व मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में थी हीं। यदि उनके जीवन काल में ही सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाती तो उतà¥à¤¤à¤° काल में वह बहà¥à¤¤ सी à¤à¤¸à¥€ बातों का उदà¥à¤¾à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ à¤à¥€ कर सकते थे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पराधीनता के कारण पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करना उनके लिठसमà¥à¤à¤µ नहीं था। इन व à¤à¤¸à¥‡ अनेकानेक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से देश व समाज वंचित हà¥à¤† है। हम इस लेख का और विसà¥à¤¤à¤¾à¤° न कर शेष बातों के लिठपाठकों के अपने अपने विवेक पर छोड़ते हैं। इतिहास में किनà¥à¤¤à¥ परनà¥à¤¤à¥ का कोई महतà¥à¤µ व सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं होता परनà¥à¤¤à¥ हानि व लाठका मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन तो कà¥à¤› कà¥à¤› किया ही जा सकता है व किया जाना चाहिये तà¤à¥€ हम à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सजग हो सकते है। जो गलà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ से उस समय हà¥à¤ˆà¤‚ हैं, उनसे शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर सकते हैं। इसी के साथ हम इस लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
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