‘कà¥à¤¯à¤¾ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का कोई बà¥à¤°à¤¾ करà¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° से छà¥à¤ª सकता व अदणà¥à¤¡à¥à¤¯ हो सकता है?
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Manmohan Kumar AryaDate
28-Nov-2016Category
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28-Nov-2016Download PDF
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‘अवशà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ हि à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤‚ कृतं करà¥à¤® शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤à¤‚।’ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने शà¥à¤ और अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों को अवशà¥à¤¯ ह
मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस संसार में अपने पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® व जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अवशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों को à¤à¥‹à¤—ने और नये करà¥à¤® करने के लिठआता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन à¤à¤° जो अचà¥à¤›à¥‡ व बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® करता है, उसका लेखा जोखा कौन रखता है? कैसे करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल मिलता है और कैसे हमारी अगले जनà¥à¤® की योनि निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ होती है? यह कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ हैं जिन पर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को विचार करना चाहिये और निरà¥à¤£à¤¯ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करना चाहिये। यदि उससे निरà¥à¤£à¤¯ न हो तो उसके लिठउसे वैदिक जीवन पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ और करà¥à¤® फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को जानने के लिठदरà¥à¤¶à¤¨ व मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ सहित ऋषियों व उचà¥à¤š कोटि के आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¤¾ चाहिये। हमें वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन मिला है, उसका कारण हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤® ही हैं। हमारा रूप, रंग, आकृति, कद, काठी, माता, पिता व सामाजिक वातावरण आदि परमातà¥à¤®à¤¾ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ही तय करता है। परमातà¥à¤®à¤¾ के अलावा कोई à¤à¤¸à¥€ सतà¥à¤¤à¤¾ है ही नहीं कि जो यह कारà¥à¤¯ करे। अतः यह सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है कि ईशà¥à¤µà¤° ही हमारे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन का कारण है और वही हमारे à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के जीवन व परजनà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ निमितà¥à¤¤ कारण होगा।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो अचà¥à¤›à¥‡ बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® करता है वह समय के साथ à¤à¥‚लता जाता है। अब à¤à¤¸à¥€ कौन सी सतà¥à¤¤à¤¾ व वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है जो सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को याद रख सकती है। इसका उतà¥à¤¤à¤° यह है कि जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के अलावा अनà¥à¤¯ चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ केवल à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° ही है जो सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥à¤ª, निराकार, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž व सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ आदि है। हम देखते हैं कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ ने à¤à¤• कमपà¥à¤¯à¥‚टर बनाया जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रख सकता हे। हम विगत अनेक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से जो लेख लिख रहे हैं वह हमारे कमà¥à¤¯à¥‚टर की हारà¥à¤¡à¤¡à¤¿à¤¸à¥à¤• में सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ हैं। हारà¥à¤¡ डिसà¥à¤• à¤à¤• जड़ पदारà¥à¤¥ है। यह जिन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से बनाई जाती है उसका रचयिता ईशà¥à¤µà¤° ही है। अतः चेतना सतà¥à¤¤à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का हम अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ नहीं लगा सकते। उसके बारे में तो नेति नेति ही कह सकते हैं। ईशà¥à¤µà¤° संसार के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ होता है और किसी के छोटे से छोटे करà¥à¤® को कà¤à¥€ नहीं à¤à¥‚लता। यदि वह कà¤à¥€ किंचित à¤à¥€ à¤à¥‚लता होता तो इस कारण से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में कमियां ही कमियां होती जबकि à¤à¤¸à¤¾ नहीं है। इसके लिठऋषियों ने कहा है कि ईशà¥à¤µà¤° का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ नà¥à¤¯à¥‚नाधिक कà¤à¥€ नहीं होता। यदि हमने कोई अचà¥à¤›à¤¾ व बà¥à¤°à¤¾ काम किया है तो उसका ईशà¥à¤µà¤° को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न तो नà¥à¤¯à¥‚न हो सकता है और किंचित अधिक। ईशà¥à¤µà¤° सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ होने से सà¤à¥€ अननà¥à¤¤ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ होता है। अतः वह अपने विधान जिसका कà¥à¤› दिगà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ उसने वेदों व साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¥ƒà¤¤ धरà¥à¤®à¤¾ ऋषियों ने मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ व दरà¥à¤¶à¤¨ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में किया है उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है। इसी कारण सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की नà¥à¤¯à¥‚नता से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ रहित होने के कारण ही ईशà¥à¤µà¤° के सब काम अपने विधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यथा समय हो रहे हैं जिसमें जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का यथावतॠफल दिया जाना à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है।
à¤à¤• उपनिषद में बताया गया है कि जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• सदà¥à¤¯à¥‹à¤œà¤¾à¤¤à¥ गाय की सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ गायों के बड़े से बड़े समूह में अपनी माता को ढूंढ लेती है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤® à¤à¥€ उसके करà¥à¤¤à¤¾ जीवातà¥à¤®à¤¾ को जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में à¤à¥€ ढूंढ कर ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से उनके फलों को à¤à¥‹à¤—ने पर ही पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¹à¥€à¤¨ वा समापà¥à¤¤ होते हैं। à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में यह à¤à¥€ बताया गया है कि संसार में नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की योनियों में जो जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं उसका कारण उनके पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤® ही हैं। हमारे सामने जो रोगी, दà¥à¤ƒà¤–ी व कृपण लोग तथा नीच योनि वाले पशà¥-पकà¥à¤·à¥€ आते हैं, वह यही सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ देते हैं कि हमने पिछले वा इस जनà¥à¤® में अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤® नहीं किये, इस कारण उनकायह हाल है। इसलिठहम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शà¥à¤ व अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤® ही करने चाहिये नहीं तो हमारी दशा à¤à¥€ उनके अनà¥à¤°à¥à¤ª ही होगी। इन सब उदाहरणों से यह निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ को बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ दणà¥à¤¡ से डरना चाहिये और वेद विहित पंच महायजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का ही अनà¥à¤·à¥à¤ ान व आचरण करना चाहिये जिससे वह दà¥à¤ƒà¤– से बच सके। इसीलिठईशà¥à¤µà¤° ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था जिसको धरà¥à¤® मानकर पालन करने से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है। मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम, योगेशà¥à¤µà¤° कृषà¥à¤£ और ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ ने वेदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं व आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पूरा पूरा पालन किया था जिसका कारण उनकी विदà¥à¤¯à¤¾ और विवेक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था।
ईशà¥à¤µà¤° के सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ तथा सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ होने से वह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जीवातà¥à¤®à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• करà¥à¤®, चाहे वह सूरà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में हो या तीवà¥à¤°à¤¤à¤® अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में, सब करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¥€ ईशà¥à¤µà¤° होता है। ईशà¥à¤µà¤° सब जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं का नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶ à¤à¥€ है। नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ उसे कहते हैं कि जो बिना अपराध के दणà¥à¤¡ न देना और अपराध की मातà¥à¤°à¤¾ व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤°à¥‚प यथोकà¥à¤¤ निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤·à¤°à¥‚प से दणà¥à¤¡ देना। दणà¥à¤¡ न देना व कà¥à¤·à¤®à¤¾ करना नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ नहीं कहलाता। यदि à¤à¤¸à¤¾ हो तो संसार में अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ इतने बॠजायें कि कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ धरà¥à¤® का पालन ही न करें। इसका कारण है कि अपराधी जीवातà¥à¤®à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° से कà¥à¤·à¤®à¤¾ मांग कर बच जाया करेंगे। इसलिठईशà¥à¤µà¤° से किसी को यह अपेकà¥à¤·à¤¾ नहीं रखनी चाहिये कि उसके बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® à¤à¥‚ला दिये जायेंगे या कà¥à¤·à¤®à¤¾ कर दिये जायेंगे और वह दणà¥à¤¡ से बच सकता है। यह कदापि समà¥à¤à¤µ नहीं है। संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो दान व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® करता है उससे हमारे पापों के फल à¤à¥‹à¤—ने पर कोई असर नहीं होता। पूरà¥à¤µ व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के करà¥à¤® पृथक करà¥à¤® हैं और दान व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® पृथक हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सबका पृथक पृथक फल à¤à¥‹à¤—ना होता है। पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का समायोजन नही होता। आप किसी को à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ व इषà¥à¤Ÿ बना लें, करà¥à¤® फल के à¤à¥‹à¤— में वह सहायता नहीं कर सकता। यदि à¤à¤¸à¤¾ कोई दावा करता है तो वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ अपने उस करà¥à¤® के कारण ईशà¥à¤µà¤° के दणà¥à¤¡ का à¤à¤¾à¤—ी होगा। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अशà¥à¤ करà¥à¤® करने से बचना चाहिये। अशà¥à¤ करà¥à¤® कà¥à¤¯à¤¾ हैं, इसके लिठवेद व सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया जाना उचित है। अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करना, किसी का शोषण करना, पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को दान न देना, परोपकार न करना, ईशà¥à¤µà¤° उपासना व यजà¥à¤ž न करना आदि कारà¥à¤¯ अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में आते हैं जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ को कालानà¥à¤¤à¤° में दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। अतः ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ सहित वेदों का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कर विवेक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहिये जिससे संसार के सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤ हà¥à¤† जा सके। यही वेद और वैदिक दरà¥à¤¶à¤¨ का मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ है। ‘अवशà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ हि à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤‚ कृतं करà¥à¤® शà¥à¤à¤¾à¤¶à¥à¤à¤‚।’ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपने शà¥à¤ और अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों को अवशà¥à¤¯ ही à¤à¥‹à¤—ना होगा। जब करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिपाक होगा तो न ईशà¥à¤µà¤° किसी जीवातà¥à¤®à¤¾ वा मनà¥à¤·à¥à¤¯ को छोड़ेगा और न कोई गà¥à¤°à¥, सनà¥à¤¤ व महातà¥à¤®à¤¾ ही काम आयेगा। तब केवल और केवल पूरà¥à¤µ कृत करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ही हमें फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होगा।
इसके साथ ही इस संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ चरà¥à¤šà¤¾ को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
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