‘ईशà¥à¤µà¤°, समाज में अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
28-Nov-2016Category
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‘ईशà¥à¤µà¤°, समाज में अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾â€™
ईशà¥à¤µà¤° किसे कहते हैं? à¤à¤• दशरà¥à¤¨à¤•à¤¾à¤° ने इसका उतà¥à¤¤à¤° दिया है कि जिससे यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनी है, जो इसका पालन करता है तथा जो इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की अवधि पूरी होने पर पà¥à¤°à¤²à¤¯ करता है, उसे ईशà¥à¤µà¤° कहते हैं। इस उतà¥à¤¤à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥à¤ª, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, निराकार, सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž ईशà¥à¤µà¤° नामी चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ है जिसने किसी उपादान कारण से इसे सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाया है। किसके लिठवा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनाया है, इसका उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ वैदिक साहितà¥à¤¯ वा दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। उपादान कारण उस पदारà¥à¤¥ वा सामगà¥à¤°à¥€ को कहते हैं जिससे कोई नया पदारà¥à¤¥ वा सामगà¥à¤°à¥€ बनाई जाती है जैसे कि आटे से रोटी वा à¤à¤µà¤¨ सामगà¥à¤°à¥€ से à¤à¤µà¤¨ आदि। ईशà¥à¤µà¤° ने किस उपादान कारण से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाया तो इसका उतà¥à¤¤à¤° है पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ नाम की जड़ व सतà¥à¤µ, रज और तम गà¥à¤£ वाली सूकà¥à¤·à¥à¤® अनादि, अविनाशी, नितà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ईशà¥à¤µà¤° ने इस संसार को रचा है। कैसे व किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° रचा, इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ जैसे किसी पदारà¥à¤¥ के रचने वाले निमितà¥à¤¤ कारण को होता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से ईशà¥à¤µà¤° को सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को रचने व चलाने का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ नितà¥à¤¯, अनादि व समय के बनà¥à¤§à¤¨ से रहित है व उसमें इस कारà¥à¤¯ को करने की पूरà¥à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿, बल व सामथà¥à¤°à¥à¤¯ है। वह ईशà¥à¤µà¤° हमेशा व सनातन काल से अपने कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करता चला आ रहा है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अलà¥à¤ª व नयून जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व शकà¥à¤¤à¤¿ वाला होता है, अतः वह ईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये जाने वाले सà¤à¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को समà¥à¤°à¤—ता या पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ से जान नहीं पाता। ईशà¥à¤µà¤° जितना जनायेगा उतना ही वह जान सकता है। हमें लगता है कि जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पहली से लेकर ककà¥à¤·à¤¾ दस या बारह तक का विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ उसे पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ वाले अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• वा आचारà¥à¤¯ से जो à¤à¤®.à¤., बी.à¤à¤¡. व अधिक पà¥à¥‡ होते हैं, उनके समान जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न तो रख सकता है और न ही उनके सब जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को जान व समठसकता है। यह उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय है कि अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में समान जीवातà¥à¤®à¤¾ होता है। यदि विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ अपने अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• के समान जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहे तो उसे उनकी ही तरह अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना होगा जिसमें विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ के तप के साथ समय व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ की समसà¥à¤¤ सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं का उपलबà¥à¤§ होना आवशà¥à¤¯à¤• है। अतः यदि हमें ईशà¥à¤µà¤° के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पूरा पूरा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व अनà¥à¤à¤µ नहीं है, तो इससे यह सिदà¥à¤§ नहीं हो जाता कि ईशà¥à¤µà¤° है ही नहीं और यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ उसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नहीं बनाई गयी है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ व किसी अनà¥à¤¯ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में यदि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बिना ईशà¥à¤µà¤° अपने आप बनी है तो उनका यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही सिदà¥à¤§ होता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि किसी करà¥à¤¤à¤¾ के बिना कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤µ रचना à¤à¤µà¤‚ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कदापि नहीं हो सकता। यह संसार अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हमारा सौर मणà¥à¤¡à¤² तो अति विशाल है और पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ पर विचार करें तो हम इसकी विशालता का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ नहीं कर सकते। यह सारा का सारा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के नियमों पर आधारित होकर ही चल रहा है। जब à¤à¤• छोटा सा à¤à¤µà¤¨ या कमरा अपने आप नहीं बन सकता, à¤à¤• रोटी, दाल या सबà¥à¤œà¥€ अपने आप नहीं बन सकती, कपड़े अपने आप धà¥à¤² नहीं सकते तो यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ तो बिना करà¥à¤¤à¤¾ के कदापि नहीं बन सकती, यही सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤·à¥à¤Ÿ होता है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• चाहें ईशà¥à¤µà¤° से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करें या न करें, इसमें कितनी à¤à¥€ कमियां निकालें, परनà¥à¤¤à¥ यह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सतà¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• है, à¤à¤¸à¤¾ हम मानते हैं और इसके लिठहमारी आतà¥à¤®à¤¾ हमसे सहमत हैं।
ईशà¥à¤µà¤° ने यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° व किस कà¥à¤°à¤® से बनाई, इसे जानने के लिठवेद, दरà¥à¤¶à¤¨, उपनिषद, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ और ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रचना विषयक पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£à¥‹à¤‚ को गमà¥à¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से पॠव समठकर जाना जा सकता है। ईशà¥à¤µà¤° ने यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ किसके लिठबनाई? इसका उतà¥à¤¤à¤° है कि ईशà¥à¤µà¤° ने अपने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ रचना व उसका पालन करने के अपने सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ, जà¥à¤žà¤¾à¤¨, सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ सहित जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के सà¥à¤– व उनके पूरà¥à¤µ कलà¥à¤ª वा सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के अवशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों का à¤à¥‹à¤— कराने के लिठबनाई है। हम सृषà¥à¤Ÿà¤¿ पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालते हैं तो हमें सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤–ों में संलिपà¥à¤¤ दीखते हैं। सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ सà¥à¤– के लिठही करà¥à¤® करते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होते हैं। हम à¤à¥‹à¤œà¤¨ करते हैं तो सà¥à¤– के लिà¤, अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं तो सà¥à¤– के लिà¤, धरà¥à¤® का पालन करते हैं तो वह à¤à¥€ अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ के लिठकरते हैं जो कि à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤– ही है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यह समसà¥à¤¤ संसार वा सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ में ही लगे हà¥à¤ हैं वा अगà¥à¤°à¤¸à¤° हैं। रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आती जाती रहती है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के बाद पà¥à¤°à¤²à¤¯ और पà¥à¤°à¤²à¤¯ के बाद ईशà¥à¤µà¤° सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना करता है और जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को उनके करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ योनियों में जनà¥à¤® देता है। हम सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¥€ के लिठतप व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करते हैं तो कà¤à¥€ सफल व कà¤à¥€ असफल हो जाते हैं। हम अपनी कमियां दूर कर पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करते हैं तो फिर कà¤à¥€ सफलता व किसी में असफलता दोनों ही मिलती हैं। हमने पà¥à¤¾ व सà¥à¤¨à¤¾ है कि कई वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• आविषà¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¤¸à¥‡ हà¥à¤ हैं जिसमें किसी वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• को सफलता 100 से 250 बार विफल होने के बाद पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ आज विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जिस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में आया है वह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤• बार पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने से नहीं हà¥à¤ˆ अपितॠआज हमें इसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाना à¤à¥€ कठिन है कि कितने लोगों ने कितनी कितनी बार इन छोटी छोटी सफलताओं के लिठपà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किये हैं? अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ को दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर अधीर नहीं होना चाहिये अपितॠà¤à¤•, दो, तीन, चार व अनेक बार पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करने चाहियें। बार बार पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करने पर सफलता अवशà¥à¤¯ मिलेगी। अतः à¤à¤• या दो बार विफलता मिलने पर अधीर होकर नासà¥à¤¤à¤¿à¤• बन जाना या ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शंकायें करना उचित नहीं है। जो à¤à¤¸à¤¾ करते हैं व जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¸à¤¾ किया है, वह हृदय से तो शà¥à¤¦à¥à¤§ होते हैं परनà¥à¤¤à¥ वह अपने पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚, पà¥à¤£à¥à¤¯ व पापों को न जानने के कारण कई बार ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में शंका करने लगते हैं और सà¥à¤– के आधार वैदिक करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ को à¤à¥€ छोड़ देते हैं। à¤à¤¸à¤¾ करना हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में उचित नहीं होता।
हम देख रहे हैं कि समाज में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ कम परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ अधिक है। इसी अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के कारण ही देश की सरकार ने नोट बनà¥à¤¦à¥€ का निरà¥à¤£à¤¯ à¤à¥€ लिया है जिससे निरà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ व वंचितों के हितों की रकà¥à¤·à¤¾ हो सके। हमें लगता है कि यह राजनीति से जà¥à¥œà¤¾ निरà¥à¤£à¤¯ होने के साथ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ के जीवन को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करने वाला निरà¥à¤£à¤¯ होने से à¤à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक उचित व शà¥à¤ कारà¥à¤¯ à¤à¥€ है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤° पशà¥à¤“ं आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ देखा जाता है कि बड़े बलवान पशॠछोटे कमजोर पशà¥à¤“ं को कषà¥à¤Ÿ देते हैं। बिलà¥à¤²à¥€ व सांप चूहे को खा जाते हैं जबकि चूहे का कोई अपराध नहीं होता। शेर व अनà¥à¤¯ हिंसक वनीय पशॠवनों में शाकाहारी पशà¥à¤“ं को अपना आहार बनाते हैं। यह सब करà¥à¤® फल सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के कारण होना ही समà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। यह पशà¥à¤“ं का पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° है जिनमें बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ ततà¥à¤µ पूरà¥à¤£ विकसित नहीं होता। उनकी सà¤à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आधार पर समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है। इनमें से किसी को दोषी और किसी को पीड़ित नहीं माना जा सकता। ईशà¥à¤µà¤° ने मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ सहित शà¥à¤ व अशà¥à¤ तथा पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रखने व कराने वाली विवेक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ दी हà¥à¤ˆ है। वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ दिया है जिसमें मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठविहित व निषिदà¥à¤§ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। अतः विवेक बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯ यदि अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ व परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ अपराध करता है तो वह ईशà¥à¤µà¤° व मानव समाज की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में अपराधी व पापी होता है। बलवान, अहंकारी व लोà¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण अनà¥à¤¯ निरà¥à¤¦à¥‹à¤· मनà¥à¤·à¥à¤¯, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ विपरीत अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ नकारातà¥à¤®à¤• रà¥à¤ª में पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं। अतः वेद व मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¸à¥‡ लोग दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ होते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž व बल, शकà¥à¤¤à¤¿, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि में ससीम होता है, अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का पूरा पूरा नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ तो ईशà¥à¤µà¤° की निरà¥à¤£à¤¯ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ से ही होता है जिसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤› कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤®à¤¾à¤£ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल इसी जनà¥à¤® में मिल जाता है और शेष अवशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल परजनà¥à¤® व बाद के जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ में मिलता है। इसी कारण देश, समाज व विशà¥à¤µ में छोटे-बड़े व अनेक à¤à¥€à¤·à¤£ अपराध होते हैं जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ पीड़ित ही नहीं होते अपितॠकई बार अपनी जान से à¤à¥€ हाथ धो बैठते हैं। कà¥à¤¯à¤¾ इस कारण किसी को नासà¥à¤¤à¤¿à¤• हो जाना चाहिये, हमें लगता है कि à¤à¤¸à¤¾ करना उस बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठउचित नहीं होगा। हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में तो उसे महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦, मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम और योगेशà¥à¤µà¤° कृषà¥à¤£ के जीवन व उनकी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ लेकर सतà¥à¤¯ के पकà¥à¤· में आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ व समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° के कारà¥à¤¯ करने चाहये। हम यहां ऋषि दयाननà¥à¤¦ निरà¥à¤¦à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ à¤à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डाल लेते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में लिखा है कि ‘मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसी को कहना कि जो मननशील होकर सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¥à¤®à¤µà¤¤à¥ अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– और हानि-लाठको समà¤à¥‡à¥¤ अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€ बलवानॠसे à¤à¥€ न डरे और धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ निरà¥à¤¬à¤² से à¤à¥€ डरता रहे। इतना ही नहीं किनà¥à¤¤à¥ अपने सरà¥à¤µ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से धरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾à¤“ं की, कि चाहे वे महा अनाथ निरà¥à¤¬à¤² और गà¥à¤£à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हों, उनकी रकà¥à¤·à¤¾, उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ और अधरà¥à¤®à¥€ चाहे चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€, सनाथ, महाबलवानॠऔर गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ हो तथपि उनका नाश, अवनति और अपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ सदा किया करें अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जहां तक हो सके वहां तक अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की हानि और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बल की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ किया करें। इस काम में चाहे उसको कितना ही दारà¥à¤£ दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो, चाहे पà¥à¤°à¤¾à¤£ à¤à¥€ चले ही जावें, पनà¥à¤¤à¥ इस मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤ªà¤¨à¤°à¥‚प धरà¥à¤® से पृथक (कोई मनà¥à¤·à¥à¤¯) कà¤à¥€ न होवें।’ यदि à¤à¤¸à¤¾ होगा तो समाज में अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° कम होंगे जिससे ईशà¥à¤µà¤° के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में अविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¥€ कम होगा। तब लोग नासà¥à¤¤à¤¿à¤• न बन कर आसà¥à¤¤à¤¿à¤• ही होंगे। बलवान मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व शोषण ने ही संसार के लोगों को नासà¥à¤¤à¤¿à¤• बनाया है, à¤à¤¸à¤¾ हम अनà¥à¤à¤µ करते हैं।
हमें इस लेख को लिखने के कà¥à¤› ही समय बाद आरà¥à¤¯ जगत के देदीपà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ मेरजा जी, à¤à¤¡à¥‚च की महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆ है। पाठकों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤¨ हेतॠहम उसे साà¤à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहें हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा है कि "शà¥à¤°à¥€ मनमोहन जी ! आपने आसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के पकà¥à¤· में अनेक उपयोगी बातें इस लेख में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ की हैं । आज की नई पीà¥à¥€ की आसà¥à¤¤à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ धरà¥à¤®à¤§à¥à¤µà¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दमà¥à¤, अनाचार आदि को देखकर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होती है । अवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, अतारà¥à¤•à¤¿à¤•, अतिशयोकà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚रà¥à¤£ बातों पर खड़ा किठगठकई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ मत-समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ à¤à¥€ नई पीà¥à¥€ को नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की ओर à¤à¥à¤•à¤¾à¤¤à¥‡ हैं । परिवार में तथाकथित धारà¥à¤®à¤¿à¤• माता-पिता आदि के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• जीवन में यम-नियम या मानव मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का अà¤à¤¾à¤µ देखकर à¤à¥€ आसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से मन उठजाता है । वेदोकà¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ तारà¥à¤•à¤¿à¤• मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤•à¥‹à¤‚ को आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ करने में समरà¥à¤¥ है परनà¥à¤¤à¥ इसे अधिकाधिक समरà¥à¤¥ तथा समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¾à¤“ं, पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ तथा इसके साथ जीवन जीने वाले सचà¥à¤šà¥‡ धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है । इस विचार पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ लेख के लिठआपको बधाई।हमने ईशà¥à¤µà¤° तथा समाज में अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ पर अपने कà¥à¤› संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ विचार ही इस लेख में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये हैं। नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के कारणों पर पà¥à¤°à¤¸à¤‚गानà¥à¤¸à¤¾à¤° कà¥à¤› विचार किया à¤à¥€ है। हम आशा करते हैं कि पाठक इस चरà¥à¤šà¤¾ को पसनà¥à¤¦ करेंगे। ओ३मॠशमà¥à¥¤
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