कया जल, पृथवी आदि भौतिक पदारथों में अशांति भरी हई हैं?

शंका- शांति पाठ के मंतर में ईशवर से जल, पृथवी, औषधि, वनसपति आदि को शांति परदान करने कि परारथना करी गई हैं।  à¤¶à¤‚का यह हैं कि कया जल, पृथवी आदि भौतिक पदारथों में अशांति भरी हई हैं?   समाधान- सतय यह हैं की  à¤œà¤², पृथवी, औषधि, वनसपति आदि सभी जड़ पदारथ हैं। शांति या अशांति हमारे मन के मानसिक भावों का परिणाम हैं।

संसार के सभी पदारथों में और मनषय में भोकता और भोग का समबनध हैं। ईशवर परदत सभी भौतिक पदारथ हमारे सख के लि हैं जिनका उददेशय हमें लाभ पहचाना हैं। परनत हम अपनी कलपनाओं से, अपनी शकतियों से इन पदारथों से सवारथ सिदधि करना चाहते हैं जिससे यह पदारथ सख के सथान पर दःख के साधन बन जाते हैं। शांति पाठ पते समय हमारे मन के अंदर विशेष भाव आने चाहि और उन भावों का परभाव हमारे करियातमक वं धारमिक जीवन पर पड़ना चाहि।

शांति पाठ पते समय हमारे मन के अंदर जीवन के वयवहारों को इस परकार से करने का संकलप आना चाहि जिससे हम अशांति से बच सके और शांति को परापत कर सके। इसके लि हमारे हृदय वं मसतिषक के विचार भी इसी परकार के होने चाहि। शांति पाठ का मखय उददेशय जगत के पदारथों को मालिक की दृषटि से नहीं अपित "इदं न मम" अरथात यह सब मेरा नहीं हैं की दृषटि से भोगने की परेरणा देना हैं जिससे यह सभी पदारथ सख वं शांति देने वाले हो।    

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