बटवारे के अडà¥à¤¡à¥‡ बनते शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨
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Rajeev ChoudharyDate
28-Feb-2017Category
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सविंधान में अà¤à¤¿à¤µà¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आजादी है पर उनके लिठजो सविंधान में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते है à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤à¥à¤¸à¤¤à¥à¤¤à¤¾, ï¿
जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ बात नहीं है सब जानते हैं 1947 में देश के बटवारे की नींव अलीगढ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में रखी गयी थी। आज यह फसल जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में सिंचती नजर आ रही है। पिछले वरà¥à¤· उमर खालिद और कनà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤° की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ में जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ में हà¥à¤ˆ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° विरोधी गतिविधियों के खिलाफ दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ के ततà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤¨ में आरà¥à¤¯ समाज ने दिलà¥à¤²à¥€ में दरà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जगह धरना पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कर दोषी लोगों के खिलाफ कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¥€ की मांग की थी। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आरà¥à¤¯ समाज गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ की पीड़ा समà¤à¤¤à¤¾ है, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के साथ-साथ आरà¥à¤¯ समाज ने à¤à¥€ बंटवारे का दंश à¤à¥‡à¤²à¤¾ था। सैंकड़ों कà¥à¤°à¤¬à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ आरà¥à¤¯ समाज ने आजादी का वह मूलà¥à¤¯ चà¥à¤•à¤¾à¤¯à¤¾ था जिसे इतिहास कà¤à¥€ नहीं à¤à¥à¤²à¤¾ सकता पर कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ सà¤à¥€ मामलों में आरà¥à¤¯ समाज को हर बार धरना पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करना पड़ेगा? जब देश सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° है à¤à¤• लोकतानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• तरीकों से चà¥à¤¨à¥€ सरकार है तो सरकार अपने दायितà¥à¤µ की पूरà¥à¤¤à¤¿ करे कà¥à¤¯à¤¾ संविधान में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° विरोध के लिठकोई सजा का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ नहीं है? जो इस तरह खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® अà¤à¤¿à¤µà¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आजादी के नाम पर राजदà¥à¤°à¥‹à¤¹ हो रहा है।
विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन मानव जीवन का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ समय होता है। इस काल में विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जिन विषयों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करता है अथवा जिन नैतिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वह आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤à¥ करता है वही जीवन मूलà¥à¤¯ उसके और किसी राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का आधार बनते हैं। लेकिन आज के इन शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं में देखें तो कà¥à¤›à¥‡à¤• छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बाकि के छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ को किसी मोमबतà¥à¤¤à¥€ की तरह दोनों ओर से आग लगाने का कारà¥à¤¯ हो रहा है। फिर खबर है कि जवाहर लाल नेहरू विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¿à¤°à¥‹à¤§à¥€ गतिविधियों से ऊपजी असà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ के बाद अब डीयू में à¤à¥€ इस तरह की कोशिशें शà¥à¤°à¥‚ हो गई हैं। जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ के बाद अब विचारधारा की लड़ाई डीयू तक पहà¥à¤‚च गई है। रामजस कॉलेज विवाद अब पूरी तरह राजनीतिक रंग ले चà¥à¤•à¤¾ है और इसको लेकर अब डीयू के शिकà¥à¤·à¤• à¤à¥€ लामबंद हो गठहैं। कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥‡ में कोई बता सकता है कि देश के लोगों की मेहनत के टैकà¥à¤¸ से चलने वाले यह शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ के केंदà¥à¤° हैं या राजनीति और देशविरोधी गतिविधियों के अडà¥à¤¡à¥‡?
हालाà¤à¤•à¤¿ डीयू में à¤à¤¸à¤¾ पहली बार हà¥à¤† है कि छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के बीच की लड़ाई शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ की लड़ाई बन गई है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसमें à¤à¤• तरफ जहां वामपंथी शिकà¥à¤·à¤• संघ डेमोकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤• टीचरà¥à¤¸ फà¥à¤°à¤‚ट के कई पदाधिकारी लोगों को आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर रहे हैं वहीं à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ समरà¥à¤¥à¤¿à¤¤ शिकà¥à¤·à¤• संघ नेशनल डेमोकà¥à¤°à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤• टीचरà¥à¤¸ फà¥à¤°à¤‚ट सहित राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ शिकà¥à¤·à¤• संघ ने à¤à¥€ मोरà¥à¤šà¤¾ खोल दिया है। à¤à¤¸à¥‡ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के शà¥à¤à¤šà¤¿à¤‚तकों के सामने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ यह उपजता है कि डीयू हो या जेà¤à¤¨à¤¯à¥‚ या फिर अनà¥à¤¯ शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ इसमें पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ वाले शिकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ को वेतनमान किस कारà¥à¤¯ के लिठदिया जाता है और पने वाले छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को किस कारà¥à¤¯ के लिठछातà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की जा रही है? यदि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¿à¤°à¥‹à¤§à¥€ गतिविधियों में संलिपà¥à¤¤ रहने और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समरà¥à¤¥à¤¨ करने के लिठतो फिर आतंकवाद, नकà¥à¤¸à¤²à¤µà¤¾à¤¦ के अडà¥à¤¡à¥‹à¤‚ और इन शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में अंतर कà¥à¤¯à¤¾ है? आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ कà¥à¤› चà¥à¤¨à¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ और अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ को इन शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से बाहर का रासà¥à¤¤à¤¾ नहीं दिखाया जा रहा है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इस संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के टà¥à¤•à¥œà¥‡ करने और बंटवारे का पाठपढाया जा रहा है?
यदि सतà¥à¤¤à¤¾ के शिखर बैठे लोग गलतियाठकरें तो विपकà¥à¤· को ईमानदारी से उन मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को उठाना चाहिठलेकिन देशदà¥à¤°à¥‹à¤¹ जैसे मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर सरकार और विपकà¥à¤· à¤à¤• मत होने के बजाय राजनीति करने लगे तो देश का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ ही कहलाया जायेगा। हो सकता है सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ राजनीति में जाने का रासà¥à¤¤à¤¾ सà¥à¤•à¥‚ल-कालेज से होकर जाता हो लेकिन जरूरी है कि दायरे में रह विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन में राजनीति करें, और यह राजनीति शिकà¥à¤·à¤¾ की कीमत पर नहीं होनी चाहिà¤à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¤• सामाजिक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है अतः जहाठवह निवास करता है उसके आस-पास होने वाली घटनाओं के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को अलग नहीं रख सकता है। उस राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की राजनीतिक, धारà¥à¤®à¤¿à¤• व आरà¥à¤¥à¤¿à¤• परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ उसके जीवन पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डालती हैं। सामानà¥à¤¯ तौर पर लोगों की यह धारणा है कि विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ जीवन में राजनीति का समावेश नहीं होना चाहिà¤à¥¤
अकà¥à¤¸à¤° देश के राजनेता देश-विदेश की कà¥à¤°à¤¾à¤‚तियों के उदाहरण देते हà¥à¤ कहते हैं कि राजनीतिक बदलाव के लिठजागरूक और पà¥à¥‡ लिखे यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को आगे आना होगा। उदहारण अपनी जगह सही à¤à¥€ है किनà¥à¤¤à¥ यहाठतो देश तोड़ने, बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ जैसे मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ लेकर यà¥à¤µà¤¾ आगे आ रहे हैं और विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ देखिये देश के उचà¥à¤š सà¥à¤¤à¤° के राजनेता इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इस कारà¥à¤¯ के लिठनमन कर रहे हैं हम मानते हैं कि à¤à¤• वकà¥à¤¤ था, जब देश में राम मनोहर लोहिया, जयपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ नारायण, वीपी सिंह आदि ने राषà¥à¤Ÿà¥à¤° हितों का हवाला देकर छातà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ को जागृत किया था और लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• अधिकारों के संरकà¥à¤·à¤£ के साथ-साथ सतà¥à¤¤à¤¾ परिवरà¥à¤¤à¤¨ और खराब वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं को बदलने का महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ काम किया था लेकिन उनके लिठसरà¥à¤µà¥‹à¤š राषà¥à¤Ÿà¥à¤° हित था न कि आधà¥à¤¨à¤¿à¤• छातà¥à¤° नेताओं की तरह राषà¥à¤Ÿà¥à¤° विखंडन।
यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को देश का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ कहा जाता है। परनà¥à¤¤à¥ जब वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में यà¥à¤µà¤¾ ही दिशाहीन और दशाहीन होंगे तो देश का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ कैसे सà¥à¤§à¤°à¥‡à¤—ा? धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से देखने पर हम यह à¤à¥€ पाते हैं कि सोशल मीडिया के जरिये खà¥à¤¦ को अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने वाली यह यà¥à¤µà¤¾ पीà¥à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ और रोजगार जैसे सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को लेकर नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ देश की नींव को बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ करने वाले मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तरजीह देती नजर आ रही है। शायद इसकी à¤à¤• बड़ी वजह यह है कि आज देश के जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में छातà¥à¤° नेता खà¥à¤¦ अराजकता के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• बन गठहैं और वे सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ राजनीतिक दलों के हाथों की कठपà¥à¤¤à¤²à¥€ की तरह काम कर रहे हैं। इस कारण विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ से बाहर आने पर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ दलों का चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ टिकट तो मिल जाता है, लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जनता का जरा à¤à¥€ समरà¥à¤¥à¤¨ हासिल नहीं हो पाता है। जरूरत छातà¥à¤°à¤¸à¤‚घों की राजनीति को रचनातà¥à¤®à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प देने की है न कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजनीतिक दलों के हाथों कठपà¥à¤¤à¤²à¥€ बनने की। साफ है कि छातà¥à¤°à¤¸à¤‚घ यदि सियासत के मोहरे बनना बंद कर दें तो वे देश और जनता के सामने à¤à¤• नया à¤à¤œà¥‡à¤‚डा और उमà¥à¤®à¥€à¤¦ पेश कर सकते हैं और तà¤à¥€ उनके नेताओं को लेकर जनता के मन में कोई समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और आस जग पाà¤à¤—ी। आज सरकार को देखना चाहिठकि यह आम छातà¥à¤° है या खास जाति के लोग à¤à¤¸à¤¾ कर रहे हैं या कà¥à¤› लोग उनको साधन बनाकर आगे बà¥à¤¾ रहे हैं। ये ततà¥à¤¤à¥à¤µ कौन से हैं इनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ है? ये घटनाà¤à¤‚ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और गंà¤à¥€à¤° हैं। इन पर सरकार को संजà¥à¤žà¤¾à¤¨ लेना आवशà¥à¤¯à¤• है।
-राजीव चौधरी
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