अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की परंपरा आज à¤à¥€ कायम है
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Rajeev ChoudharyDate
11-Apr-2017Category
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दरअसल, नरबलि का इतिहास बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है. दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पौराणिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में नरबलि का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨
पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल के पà¥à¤°à¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ जिले में à¤à¤• तांतà¥à¤°à¤¿à¤• ने देवी की पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ के सामने अपनी मां की कथित तौर पर बलि चà¥à¤¾ दी. हतà¥à¤¯à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ नारायण महतो ने पशà¥à¤“ं को मारने के लिठइसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² होने वाले à¤à¤• धारदार हथियार से अपनी मां फूली महतो का गला काट दिया. इस मामलें में पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने à¤à¤²à¥‡ ही अपराधी को गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लिया हो लेकिन सवाल अà¤à¥€ à¤à¥€ आजाद घूम रहे है कि 21 वीं सदी में à¤à¤¸à¥‡ अमनà¥à¤·à¤¿à¤• कृतà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अà¤à¥€ à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो रहे है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ अà¤à¥€ à¤à¥€ धरà¥à¤® पर अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ हावी है? यह कोई अकेली घटना नहीं है कि नजरंदाज किया जाये बलà¥à¤•à¤¿ कà¤à¥€ डायन के नाम पर तो कà¤à¥€ धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ के कà¥à¤› राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में यह घटना आम होती रहती है. अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ और अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ इन राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अà¤à¥€ à¤à¥€ अपनी गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ में जकड़े हà¥à¤ है. पिछले माह ही ओडिशा में बालनगीर में à¤à¤¾à¤ˆ ने देवी काली को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करने के लिठबहन का सिर काट दिया था. इससे पहले जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ 2016 में à¤à¤¾à¤°à¤–ंड के गोडà¥à¤¡à¤¾ जिले के सà¥à¤¦à¥‚र गांव में जादू-टोना सीखने आठयà¥à¤µà¤•à¥‹à¤‚ ने अपने गà¥à¤°à¥ की ही बलि चà¥à¤¾ दी थी. इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ लगा कि गà¥à¤°à¥ की ही बलि दे दी जाà¤, तो उनकी सारी विदà¥à¤¯à¤¾ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाà¤à¤—ी. इससे थोडा सा पीछे जाà¤à¤ तो पिछले साल ही à¤à¤¾à¤°à¤–ंड के पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ छिनà¥à¤¨à¤®à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ मंदिर में à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने पूजा के दौरान अपना गला काटकर जान दे थी.
à¤à¤¸à¥€ घटना अकेले à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही नही वरन पà¥à¤°à¥‡ विशà¥à¤µ में होती रही है हालाà¤à¤•à¤¿ मानव बलि के पीछे के तरà¥à¤• सामानà¥à¤¯ रूप से धारà¥à¤®à¤¿à¤• बलिदान के जैसे ही हैं. मानव बलि का अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ अचà¥à¤›à¥€ किसà¥à¤®à¤¤ लाना और देवताओं को शांत करने की लालसा आदि में होता है, पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ जापान में, किसी इमारत निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की नीव में, अथवा इसके निकट पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ के रूप में किसी कà¥à¤‚वारी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ को जीवित ही दफन कर दिया जाता था जिससे कि इमारत को किसी आपदा अथवा शतà¥à¤°à¥-आकà¥à¤°à¤®à¤£ से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ बनाया जा सके. दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अमेरिका में à¤à¥€ नरबलि का लंबा इतिहास रहा है. शासकों की मौत और तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ पर लोग उनके सेवकों की बलि दिया करते थे. पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ में उनà¥à¤¨à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी के आख़िर तक नरबलि दी जाती थी. या फिर चीन की महान दीवार के बारें में कहा जाता कि उसे अनगिनत लाशों पर खड़ा किया गया था. लेकिन वो पौराणिक काल था जिसमें मानव सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से दूर थी. हाठइसमें à¤à¤¾à¤°à¤¤ का वैदिक कालखंड समà¥à¤®à¤²à¤¿à¤¤ नहीं होता. वेदों में à¤à¤¸à¥‡ सैकड़ों मंतà¥à¤° और ऋचाà¤à¤‚ हैं जिससे यह सिदà¥à¤§ किया जा सकता है कि हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में बलि पà¥à¤°à¤¥à¤¾ निषेध है और यह पà¥à¤°à¤¥à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ नहीं है. जो बलि पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का समरà¥à¤¥à¤¨ करता है वह धरà¥à¤®à¤µà¤¿à¤°à¥à¤¦à¥à¤§ दानवी आचरण करता है.
विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ मानते हैं कि हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® में समय के साथ विकà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आती गयी लोक परंपरा की धाराà¤à¤‚ à¤à¥€ जà¥à¥œà¤¤à¥€ गईं और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ में लिपà¥à¤¤ समाज में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ माना जाने लगा. जैसे वट वरà¥à¤· से असंखà¥à¤¯ लताà¤à¤‚ लिपटकर अपना असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ बना लेती हैं लेकिन वे लताà¤à¤‚ वृकà¥à¤· नहीं होतीं उसी तरह वैदिक आरà¥à¤¯ धरà¥à¤® की छतà¥à¤°à¤›à¤¾à¤¯à¤¾ में अनà¥à¤¯ परंपराओं ने à¤à¥€ जड़ फैला ली. बलि पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤²à¤¨ हिंदà¥à¤“ं के शाकà¥à¤¤ और तांतà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ के संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ में ही देखने को मिलता है लेकिन इसका कोई धारà¥à¤®à¤¿à¤• आधार नहीं है. लेकिन आज à¤à¥€ इनका इसी रूप में जीवित रहना इस बात के जरà¥à¤° संकेत देता है कि अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ की जड़ें अà¤à¥€ à¤à¥€ देश में बहà¥à¤¤ गहराई तक समाई है.
हमारे देश में अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ पर बनने वाली फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ पसंद की जाती है लेकिन इन फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ का लेशमातà¥à¤° à¤à¥€ सकारातà¥à¤®à¤• असर समाज पर नहीं पड़ता हाठइसका नकारतà¥à¤®à¤• असर जरà¥à¤° दिखाई दे जाता है इसका जीता - जागता उदाहरण सदियों बाद à¤à¥€ समाज में बलि पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का कायम रहना है. थोड़े समय पहले ही à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आई बाहà¥à¤¬à¤²à¥€ फिलà¥à¤® में किस तरह ताकत व यà¥à¤¦à¥à¤§ की जीत के की पà¥à¤°à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठपशà¥à¤¬à¤²à¤¿ को दिखाया गया था. बहà¥à¤¤ से समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में लड़के के जनà¥à¤® होने या उसकी मान उतारने के नाम पर बलि दी जाती है तो कà¥à¤› समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में आज à¤à¥€ विवाह आदि समारोह में बलि दी जाती है. दो वरà¥à¤· पहले मेरे ही सामने की घटना है उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤–ंड के चकरोता जिले में à¤à¤• परिवार ने अपने लड़के के जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ पर देवताओं को पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करने के लिठतीन पशà¥à¤“ं की बली दी थी.
इससे साफ पता चलता है कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर हम कितने à¤à¥€ खà¥à¤¦ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤¨ दिखाठलेकिन सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर कई जगह आज à¤à¥€ हम हजारों साल पीछे है. à¤à¤²à¥‡ ही आज इसके लिठकानून हो लेकिन अà¤à¥€ à¤à¥€ बहà¥à¤¤ सारे आदिवासियों में नर बली या पशॠबली के अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की परंपरा आज à¤à¥€ कायम है. जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दूर की बात नहीं 2015 राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में अलवर जिले के पहल गाà¤à¤µ के à¤à¤• खंडहर में दबे कथित खजाने के लालच में हà¥à¤ˆ दो बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की कथित बलि का मामला सबके सामने आया था. 2013 में राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ के à¤à¤²à¤¸à¥à¤µà¤¾ इला़के में à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की सिरकटी लाश मिली थी. पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने शक के आधार पर बताया था कि बचà¥à¤šà¥‡ की हतà¥à¤¯à¤¾ बलि के लिठकी गई है. दरअसल, नरबलि का इतिहास बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है. दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पौराणिक संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में नरबलि का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ रहा है, लेकिन व़कà¥à¤¤ के साथ यह कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ ख़तà¥à¤® होती चली गई. धारà¥à¤®à¤¿à¤• अनà¥à¤·à¥à¤ ानों में नरबलि की जगह पशà¥à¤“ं की बलि दी जाने लगी. आज नरबलि à¤à¤• ब़डा अपराध है, जिसके लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सविधान में कठोर कानून à¤à¥€ है लेकिन दà¥:ख की बात तो यह है कि आज à¤à¥€ नरबलि के मामले सामने आ रहे हैं. आज के आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में जहां इंसान अंतरिकà¥à¤· की सैर कर रहा है, वहीं दूसरी ओर कà¥à¤› लोग आखिर पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल की इस बरà¥à¤¬à¤°à¤¤à¤¾ से अà¤à¥€ तक बाहर नहीं निकल पाठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
राजीव चौधरी
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