संत रविदास और इसà¥à¤²à¤¾à¤®
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Dr. Vivek AryaDate
24-May-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
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सहारनपà¥à¤° में दलितों और ठाकà¥à¤° राजपूतों का विवाद का समाचार मिल रहा है। कà¤à¥€ दलित कहते है कि हम इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेंगे, कà¤à¥€ ठाकà¥à¤° कहते है कि हम इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेंगे। इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने से जातिवाद की समसà¥à¤¯à¤¾ समापà¥à¤¤ हो जाती तब तो दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सà¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• देश जनà¥à¤¨à¤¤ के समान होते। मगर सतà¥à¤¯ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है। शिया-सà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€, अहमदी-देवबंदी, अशरफ-अजलफ, वहाबी-सूफी , सैयद-क़à¥à¤°à¥ˆà¤¶ और न जाने कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ के नाम पर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज न केवल विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ है अपितॠà¤à¤• दूसरे के खून के पà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‡ à¤à¥€ बने हà¥à¤ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जातिवाद की सामाजिक समसà¥à¤¯à¤¾ का राजनीतिकरण हो गया है। यह कटॠसतà¥à¤¯ है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में राजनीती ने जातिवाद की खाई को अधिक गहरा और चौड़ा ही किया हैं। जय à¤à¥€à¤® का नारा लगाने वाले दलित à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को आज के कà¥à¤› राजनेता कठपà¥à¤¤à¤²à¥€ के समान पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर रहे है। यह मानसिक गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ का लकà¥à¤·à¤£ है। दलित-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® गठजोड़ के रूप में बहकाना à¤à¥€ इसी कड़ी का à¤à¤¾à¤— हैं। दलित समाज में संत रविदास का नाम पà¥à¤°à¤®à¥à¤– समाज सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ के रूप में सà¥à¤®à¤°à¤£ किया जाता हैं। आप जाटव या चमार कà¥à¤² से समà¥à¤¬à¤‚धित माने जाते थे। चमार शबà¥à¤¦ चंवर का अपà¤à¥à¤°à¤‚श है।
चरà¥à¤®à¤®à¤¾à¤°à¥€ राजवंश का उलà¥à¤²à¥‡à¤– महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वांगà¥à¤®à¤¯ में मिलता है। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डॉ विजय सोनकर शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¥€ ने इस विषय पर गहन शोध कर चरà¥à¤®à¤®à¤¾à¤°à¥€ राजवंश के इतिहास पर पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखा है। इसी तरह चमार शबà¥à¤¦ से मिलते-जà¥à¤²à¤¤à¥‡ शबà¥à¤¦ चंवर वंश के कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बारे में करà¥à¤¨à¤² टाड ने अपनी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का इतिहास’ में लिखा है। चंवर राजवंश का शासन पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर रहा है। इसकी शाखाà¤à¤‚ मेवाड़ के पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ महाराज बापà¥à¤ªà¤¾ रावल के वंश से मिलती हैं। संत रविदास जी महाराज लमà¥à¤¬à¥‡ समय तक चितà¥à¤¤à¥Œà¥œ के दà¥à¤°à¥à¤— में महाराणा सांगा के गà¥à¤°à¥‚ के रूप में रहे हैं। संत रविदास जी महाराज के महान, पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के कारण बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग इनके शिषà¥à¤¯ बने। आज à¤à¥€ इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤¾ में बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में रविदासी पाये जाते हैं।
उस काल का मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ सिकंदर लोधी अनà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ सामानà¥à¤¯ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शासक की तरह à¤à¤¾à¤°à¤¤ के हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनाने की उधेड़बà¥à¤¨ में लगा रहता था। इन सà¤à¥€ आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ ग़ाज़ी उपाधि पर रहती थी। सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ सिकंदर लोधी ने संत रविदास जी महाराज मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनाने की जà¥à¤—त में अपने मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤“ं को लगाया। जनशà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ है कि वो मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾ संत रविदास जी महाराज से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उनके शिषà¥à¤¯ बन गठऔर à¤à¤• तो रामदास नाम रख कर हिनà¥à¤¦à¥‚ हो गया। सिकंदर लोदी अपने षडà¥à¤¯à¤‚तà¥à¤°à¤¾ की यह दà¥à¤°à¥à¤—ति होने पर चिॠगया और उसने संत रविदास जी को बंदी बना लिया और उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं में सदैव से निषिदà¥à¤§ खाल उतारने, चमड़ा कमाने, जूते बनाने के काम में लगाया। इसी दà¥à¤·à¥à¤Ÿ ने चंवर वंश के कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अपमानित करने के लिये नाम बिगाड़ कर चमार समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ किया। चमार शबà¥à¤¦ का पहला पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— यहीं से शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤ संत रविदास जी महाराज की ये पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सिकंदर लोधी के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° का वरà¥à¤£à¤¨ करती हैं।
वेद धरà¥à¤® सबसे बड़ा, अनà¥à¤ªà¤® सचà¥à¤šà¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨
फिर मैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ छोड़ूठइसे पॠलूठà¤à¥‚ट क़à¥à¤°à¤¾à¤¨
वेद धरà¥à¤® छोड़ूठनहीं कोसिस करो हजार
तिल-तिल काटो चाही गोदो अंग कटार
चंवर वंश के कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ संत रविदास जी के बंदी बनाने का समाचार मिलने पर दिलà¥à¤²à¥€ पर चॠदौड़े और दिलà¥à¤²à¥€à¤‚ की नाकाबंदी कर ली। विवश हो कर सà¥à¤²à¥à¤¤à¤¾à¤¨ सिकंदर लोदी को संत रविदास जी को छोड़ना पड़ा । इस à¤à¤ªà¤Ÿ का ज़िकà¥à¤° इतिहास की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में नहीं है मगर संत रविदास जी के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ रविदास रामायण की यह पंकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सतà¥à¤¯ उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¤ करती हैं
बादशाह ने वचन उचारा । मत पà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤°à¤¾ इसलाम हमारा ।।
खंडन करै उसे रविदासा । उसे करौ पà¥à¤°à¤¾à¤£ कौ नाशा ।।
जब तक राम नाम रट लावे । दाना पानी यह नहीं पावे ।।
जब इसलाम धरà¥à¤® सà¥à¤µà¥€à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‡ । मà¥à¤– से कलमा आप उचारै ।।
पढे नमाज जà¤à¥€ चितलाई । दाना पानी तब यह पाई ।।
जैसे उस काल में इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• शासक हिंदà¥à¤“ं को मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ बनाने के लिठहर संà¤à¤µ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते रहते थे वैसे ही आज à¤à¥€ कर रहे हैं। उस काल में दलितों के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤° संत रविदास सरीखे महान चिंतक थे। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने पà¥à¤°à¤¾à¤¨ नà¥à¤¯à¥‹à¤›à¤¾à¤µà¤° करना सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° था मगर वेदों को तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर क़à¥à¤°à¤¾à¤¨ पà¥à¤¨à¤¾ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं था।
मगर इसे ठीक विपरीत आज के दलित राजनेता अपने तà¥à¤šà¥à¤› लाठके लिठअपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ और तपसà¥à¤¯à¤¾ की अनदेखी कर रहे हैं।
दलित समाज के कà¥à¤› राजनेता जिनका काम ही समाज के छोटे-छोटे खंड बाà¤à¤Ÿ कर अपनी दà¥à¤•à¤¾à¤¨ चलाना है अपने हित के लिठहिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के टà¥à¤•à¥œà¥‡-टà¥à¤•à¥œà¥‡ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे हैं।
आईये डॉ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° की सà¥à¤¨à¥‡ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अनेक पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ के बाद à¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® और ईसाइयत को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं किया।
(हर हिनà¥à¤¦à¥‚ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦à¥€ इस लेख को शेयर अवशà¥à¤¯ करे जिससे हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज को तोड़ने वालों का षड़यंतà¥à¤° विफल हो जाये)
डॉ विवेक आरà¥à¤¯
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