à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गौ की रकà¥à¤·à¤¾ नहीं होगी तो कà¥à¤¯à¤¾ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में होगी?
Author
Dr. Vivek AryaDate
06-May-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
406Total Comments
0Uploader
PraveshUpload Date
06-Jun-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
मोदी सरकार ने खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® गौ आदि पशà¥à¤“ं की बिकà¥à¤°à¥€ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगा दिया। सरकार के इस कदम की तथाकथित सेकà¥à¤¯à¥à¤²à¤°/वामपंथी/नासà¥à¤¤à¤¿à¤•/ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® और ईसाई संगठन विरोध करने बैठगà¤à¥¤ केरल में तो कà¥à¤› कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€ नेताओं ने सरे आम गौहतà¥à¤¯à¤¾ कर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को खà¥à¤¶ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। उनके इस कदम की जितनी निंदा हो सके होनी चाहिà¤à¥¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास में गौ हतà¥à¤¯à¤¾ को लेकर कई आंदोलन हà¥à¤ हैं और कई आज à¤à¥€ जारी हैं। लेकिन अà¤à¥€ तक गौहतà¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं लग सका है। इसका सबसे बड़ा कारण राजनितिक इचà¥à¤›à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ की कमी होना है। आप कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कीजिये हर रोज जब आप सोकर उठते है तब तक हज़ारों गौओं के गलों पर छूरी चल चà¥à¤•à¥€ होती है। गौ हतà¥à¤¯à¤¾ से सबसे बड़ा फ़ायदा तसà¥à¤•à¤°à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है। इनके दबाव के कारण ही सरकार गौ हतà¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाने से पीछे हट रही है। वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो, वहां सरकार गौ हतà¥à¤¯à¤¾ रोकने में नाकाम है। आज हमारे देश में जनता ने नरेंदर मोदी जी की सरकार है। सेकà¥à¤¯à¥à¤²à¤°à¤µà¤¾à¤¦ और अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¤µà¤¾à¤¦ के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के अधिकारों का दमन होता आया है। उसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤§ में हिनà¥à¤¦à¥‚ पà¥à¤°à¤œà¤¾ ने संगठित होकर, जात-पात से ऊपर उठकर à¤à¤• सशकà¥à¤¤ सरकार को चà¥à¤¨à¤¾ है। इसलिठयह इस सरकार का करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनता है कि वह बदले में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं की शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से चली आ रही गौरकà¥à¤·à¤¾ की मांग को पूरा करे और गौ हतà¥à¤¯à¤¾ पर पूरà¥à¤£à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाà¤à¥¤ अकà¥à¤¸à¤° देखने में आता है कि बिकाऊ मीडिया और पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¥€ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से हम यह आंकलन निकाल लेते है कि सारे देशवासियों की à¤à¥€ यही राय होगी जो इन पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की होती है। मगर देश की जनता ने चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में मोदी जी को जीत दिलाकर यह सिदà¥à¤§ कर दिया कि नहीं यह केवल आसमानी किले है। इसलिठसरकार को चंद उछल कूद करने वालों की संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर गौहतà¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाने से पीछे नहीं हटना चाहिà¤à¥¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दीजिये मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शासनकाल में गौ हतà¥à¤¯à¤¾ पर रोक थी। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® शासन के दौरान कहीं à¤à¥€ गौकशी को लेकर हिंदू और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में टकराव देखने को नहीं मिलता। बाबर से लेकर अकबर ने गोहतà¥à¤¯à¤¾ पर रोक लगाई थी। औरंगजेब ने इस नियम को तोड़ा तो उसका सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ तबाह हो गया। आख़िरी मà¥à¥šà¤² बादशाह बहादà¥à¤° शाह ज़फ़र ने à¤à¥€ 28 जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 1857 को बकरीद के मौक़े पर गाय की क़à¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ न करने का फ़रमान जारी किया था। साथ ही चेतावनी दी थी कि जो à¤à¥€ गौ वध करने या कराने का दोषी पाया जाà¤à¤—ा, उसे मौत की सज़ा दी जाà¤à¤—ी।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गौ हतà¥à¤¯à¤¾ को बà¥à¤¾à¤µà¤¾ देने में अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥‹à¤‚ ने अहम à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤ जब 1700 ई. में अंगà¥à¤°à¥‡à¥› à¤à¤¾à¤°à¤¤ आठथे, उस वक़à¥à¤¤ यहां गाय और सà¥à¤…र का वध नहीं किया जाता था। हिंदू गाय को पूजनीय मानते थे और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ सà¥à¤…र का नाम तक लेना पसंद नहीं करते थे। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¥œà¤•à¤¾à¤¯à¤¾ कि क़à¥à¤°à¤†à¤¨ में कहीं à¤à¥€ नहीं लिखा है कि गाय की क़à¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ हराम है। इसलिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गाय की क़à¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ करनी चाहिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को लालच à¤à¥€ दिया और कà¥à¤› लोग उनके à¤à¤¾à¤‚से में आ गà¤à¥¤ इसी तरह उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दलित हिंदà¥à¤“ं को सà¥à¤…र के मांस की बिकà¥à¤°à¥€ कर मोटी रकम कमाने का à¤à¤¾à¤‚सा दिया। 18वीं सदी के आख़िर तक बड़े पैमाने पर गौ हतà¥à¤¯à¤¾ होने लगी। अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥‹à¤‚ की बंगाल, मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ और बंबई पà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€à¤¡à¥‡à¤‚सी सेना के रसद विà¤à¤¾à¤—ों ने देश à¤à¤° में कसाईखाने बनवाà¤à¥¤ जैसे-जैसे यहां अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥€ सेना और अधिकारियों की तादाद बà¥à¤¨à¥‡ लगी, वैसे-वैसे गौ हतà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ बà¥à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤°à¥€ होती गई।
गौ हतà¥à¤¯à¤¾ और सà¥à¤…र हतà¥à¤¯à¤¾ की आड़ में अंगà¥à¤°à¥‡à¥›à¥‹à¤‚ को हिंदू और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में फूट डालने का à¤à¥€ मौक़ा मिल गया। इस दौरान हिंदू संगठनों ने गौ हतà¥à¤¯à¤¾ के ख़िला़फ मà¥à¤¹à¤¿à¤® छेड़ दी। नामधारी सिखों का कूका आंदोलन की नींव गौरकà¥à¤·à¤¾ के विचार से जà¥à¥œà¥€ थी। हरियाणा पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ में हरफूल जाट जà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥€ ने अनेक कसाईखानों को बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ कर कसाइयों को यमलोक पंहà¥à¤šà¤¾ दिया। हरफूल जाट ने बलिदान दे दिया मगर पीछे नहीं हटें। 1857 की कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति, मंगल पांडेय का बलिदान इसी गौरकà¥à¤·à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के महान बलिदानों से समà¥à¤¬à¤‚धित है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने गौरकà¥à¤·à¤¾ के लिठआधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सबसे वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ आरमà¥à¤ किये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गौरकà¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ खेती करने वाले किसानों लिठगौ करà¥à¤£à¤¾ निधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की रचना कर सपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ यह सिदà¥à¤§ किया कि गौ रकà¥à¤·à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आवशà¥à¤¯à¤• है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी यहाठतक नहीं रà¥à¤•à¥‡à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पहली गौशाला रिवाड़ी में राव यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर के सहयोग से सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ की जिससे गौरकà¥à¤·à¤¾ हो सके। इसके अतिरिकà¥à¤¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पांच करोड़ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° करवाकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ महारानी विकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के नाम गोहतà¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाने का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ à¤à¥€ चलाया। यह अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ उनकी असमय मृतà¥à¤¯à¥ के कारण पूरा न हà¥à¤†à¥¤ मगर इससे à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में हज़ारों गौशाला की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ हà¥à¤ˆ à¤à¤µà¤‚ गौरकà¥à¤·à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ को लोगों ने अपने पà¥à¤°à¤¬à¤‚ध से चलाया। à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गौरकà¥à¤·à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ के समाचार लंदन à¤à¥€ पहà¥à¤‚चे। आख़िरकार महारानी विकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ ने वायसराय लैंस डाउन को पतà¥à¤° लिखा। महारानी ने कहा, हालांकि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ की जा रही गौ हतà¥à¤¯à¤¾ आंदोलन का कारण बनी है, लेकिन हक़ीक़त में यह हमारे ख़िलाफ़ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से कहीं ज़à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ गौ वध हम कराते हैं। इसके ज़रिठही हमारे सैनिकों को गौ मांस मà¥à¤¹à¥ˆà¤¯à¤¾ हो पाता है। इसके बाद 1892 में देश के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ से सरकार को हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पतà¥à¤° à¤à¥‡à¤œà¤•à¤° गौ वध पर रोक लगाने की मांग की जाने लगी। इन पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर हिंदà¥à¤“ं के साथ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° होते थे। 1947 के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ à¤à¥€ गौरकà¥à¤·à¤¾ के लिठअनेक अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चले। 1966 में हिनà¥à¤¦à¥‚ संगठनों ने देशवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाया। हज़ारों गौà¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ ने गोली खाई मगर पीछे नहीं हटे। राजनितिक इचà¥à¤›à¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ की कमी के चलते यह अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ सफल नहीं हà¥à¤†à¥¤
इस समय à¤à¥€ देशवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाया जा रहा है। जिसमें केंदà¥à¤° सरकार से गाय को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ पशॠघोषित करने और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गौवंश की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठकठोर क़ानून बनाठजाने की मांग की जा रही है। गाय की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठअपनी जान देने में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ किसी से पीछे नहीं हैं. उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के सहारनपà¥à¤° ज़िले के गांव नंगला à¤à¤‚डा निवासी डॉ. राशिद अली ने गौ तसà¥à¤•à¤°à¥‹à¤‚ के ख़िलाफ़ मà¥à¤¹à¤¿à¤® छेड़ रखी थी, जिसके चलते 20 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर, 2003 को उन पर जानलेवा हमला किया गया और उनकी मौत हो गई. उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने 1998 में गौ रकà¥à¤·à¤¾ का संकलà¥à¤ª लिया था और तà¤à¥€ से डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥€ का पेशा छोड़कर वह अपनी मà¥à¤¹à¤¿à¤® में जà¥à¤Ÿ गठथे. गौ वध को रोकने के लिठविà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® संगठन à¤à¥€ सामने आठहैं. दारूल उलूम देवबंद ने à¤à¤• फ़तवा जारी करके मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से गौ वध न करने की अपील की है. दारूल उलूम देवबंद के फतवा विà¤à¤¾à¤— के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· मà¥à¤¤à¥€ हबीबà¥à¤°à¥à¤°à¤¹à¤®à¤¾à¤¨ का कहना है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में गाय को माता के रूप में पूजा जाता है। इसलिठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को उनकी धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ गौ वध से ख़à¥à¤¦ को दूर रखना चाहिà¤à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शरीयत किसी देश के क़ानून को तोड़ने का समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं करती। क़ाबिले ग़ौर है कि इस फ़तवे की पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में कड़ी आलोचना की गई थी। इसके बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¥€ इस फ़तवे को लेकर ख़ामोशी अखà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤° कर ली गई।
गाय à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का à¤à¤• अहम à¤à¤¾à¤— है। यहां गाय की पूजा की जाती है। यह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से जà¥à¥œà¥€ है। महातà¥à¤®à¤¾ गांधी कहते थे कि अगर निसà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µ से सेवा का सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ उदाहरण कहीं देखने को मिलता है तो वह गौ माता है। गाय का ज़िकà¥à¤° करते हà¥à¤ वह लिखते है-
"गौ माता जनà¥à¤® देने वाली माता से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। हमारी माता हमें दो वरà¥à¤· दà¥à¤—à¥à¤§à¤ªà¤¾à¤¨ कराती है और यह आशा करती है कि हम बड़े होकर उसकी सेवा करेंगे। गाय हमसे चारे और दाने के अलावा किसी और चीज़ की आशा नहीं करती। हमारी मां पà¥à¤°à¤¾à¤¯: रूगà¥à¤£ हो जाती है और हमसे सेवा की अपेकà¥à¤·à¤¾ करती है। गौ माता शायद ही कà¤à¥€ बीमार पड़ती है। वह हमारी सेवा आजीवन ही नहीं करती, अपितॠमृतà¥à¤¯à¥ के बाद à¤à¥€ करती है। अपनी मां की मृतà¥à¤¯à¥ होने पर हमें उसका दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° करने पर à¤à¥€ धनराशि वà¥à¤¯à¤¯ करनी पड़ती है। गौ माता मर जाने पर à¤à¥€ उतनी ही उपयोगी सिदà¥à¤§ होती है, जितनी अपने जीवनकाल में थी। हम उसके शरीर के हर अंग-मांस, असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, आंतों, सींग और चरà¥à¤® का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² कर सकते हैं। यह बात जनà¥à¤® देने वाली मां की निंदा के विचार से नहीं कह रहा हूं, बलà¥à¤•à¤¿ यह दिखाने के लिठकह रहा हूं कि मैं गाय की पूजा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करता हूं।"- महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€
महातà¥à¤®à¤¾ गाà¤à¤§à¥€ का नाम लेकर पूरà¥à¤µ में अनेक सरकारें बनी मगर गौहतà¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं लगा। आज इस देश की सरकार से हम पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते है कि समसà¥à¤¤ देश की à¤à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ गौहतà¥à¤¯à¤¾ पर पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाठà¤à¤µà¤‚ गौहतà¥à¤¯à¤¾ करने वाले को कठोर से कठोर दंड मिले।
डॉ विवेक आरà¥à¤¯
#गौरकà¥à¤·à¤¾à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¤§à¤°à¥à¤®à¤¹à¥ˆ
ALL COMMENTS (0)