गाय के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ अतीत के खिलाफ साजिश
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Rajeev ChoudharyDate
06-May-2017Category
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06-Jun-2017Download PDF
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गाय के नाम पर धरà¥à¤® या धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ में से कà¥à¤› बचे या न बचे, मूरà¥à¤–ता बची रहना पकà¥à¤•à¤¾ है. à¤à¤¾à¤°à¤¤ सरकार ने पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤°à¥‚रता का निवारण अधिनियम की à¤à¤• धारा में बदलाव किया है. जिसमें जिन मवेशियों की मवेशी बाजार से ख़रीद होती है उनको मारा नहीं जा सकता है. इस नियम का दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कई इलाकों में विरोध कर बीफ पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ तक आयोजित की गईं. खाने-पीने की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ की मांग करना à¤à¤• अलग बात है लेकिन कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ केरल में केंदà¥à¤° सरकार के फैसले के विरोध में सरेआम à¤à¤• गाय को काटकर अपना विरोध जताना बहà¥à¤¤ ही à¤à¤¦à¥à¤¦à¥€ और असंवेदनशील गिरी हà¥à¤ˆ हरकत है. पशà¥à¤“ं के अधिकारों पर बात करने वाले, जो लोग बैलों के लिठजलà¥à¤²à¥€à¤•à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‚ को बरà¥à¤¬à¤° बता रहे थे. वो लोग आज केरल में हà¥à¤ˆ इस घटना पर बिलà¥à¤•à¥à¤² चà¥à¤ª हैं
गाय à¤à¤¾à¤°à¤¤ का पशॠही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ इसे आसà¥à¤¥à¤¾ की नजर देखे तो माता का दरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है लेकिन दà¥à¤–द बात यह कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनेता आज इसी माता पर अपनी राजनीति कर इसे सरेआम कतà¥à¤² कर रहे है. à¤à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ अतीत को समेटे इस वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में जो चल रहा है वह काफी दà¥à¤–द है. आज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में राजनेता अपने मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥‚लते जा रहे है. जिसका ये परिणाम ये पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† की हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤£ हमारे आदरà¥à¤¶ महापà¥à¤°à¥à¤· और माठतà¥à¤²à¥à¤¯ गाय उन दो कौड़ी के विदेशी लà¥à¤Ÿà¥‡à¤°à¥‹ के लिठगनà¥à¤¦à¥€ राजनीति का हिसà¥à¤¸à¤¾ बनकर रह गये
हम मानते है सरकार और विपकà¥à¤· की बहà¥à¤¤ सारे मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‹à¤‚ पर आम राय नहीं होती विरोध करना विपकà¥à¤· दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राजनीति का à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ होता है. सरकार से सवाल और आलोचना सरकार को सही राह दिखाती है. लेकिन सरकार के फैसले का विरोध जिस तरीके से केरल में किया गया यह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति का à¤à¤• अशोà¤à¤¨à¥€à¤¯ चेहरा कहा जा सकता है. कà¥à¤¯à¤¾ आज विपकà¥à¤· यह समठबैठा कि गाय के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आसà¥à¤¥à¤¾ सिरà¥à¤« सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ दल की बपोती है? नहीं गाय माता देश के लिठयहाठके सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• धारà¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठउतना ही आसà¥à¤¥à¤¾à¤µà¤¾à¤¨ है जितना अनà¥à¤¯ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मूलà¥à¤¯. आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आज सतà¥à¤¤à¤¾ के लिठगाय को निवाला बनाया जा रहा है?
जब से बीफ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाने की मांग उठरही है तà¤à¥€ से दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ का à¤à¤• बड़ा समà¥à¤®à¥‚ह à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ है जो इसका विरोध करता आ रहा है. हैदराबाद के उसà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में कई बार विरोध सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª बीफ के फेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤² का आयोजन किया है. जब इस फेसà¥à¤Ÿà¤¿à¤µà¤² को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ तरजीह नहीं दी गयी तब अचानक राजनीति बदलते हà¥à¤ खान-पान की मांग को आगे करते हà¥à¤ अलग देश दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œà¤¨à¤¾à¤¡à¥‚ की मांग होने लगी पहले ये मांग सिरà¥à¤« तमिलà¤à¤¾à¤·à¥€ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के लिठथी. लेकिन बाद में दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¡à¤¨à¤¾à¤¡à¥ में आंधà¥à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶, केरल, करà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤•, ओडिशा और तमिलनाडॠको à¤à¥€ शामिल करने की बात कही गई. यानी मांग ये थी कि दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मिलाकर à¤à¤• नया मà¥à¤²à¥à¤• बनाया जाà¤, दà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¡à¤¨à¤¾à¤¡à¥.
à¤à¤¸à¤¾ सिरà¥à¤« à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही नहीं हो रहा है. à¤à¤¸à¤¾ समय आया था जब कà¥à¤¯à¥‚बा के ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ फिदेल कासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ ने à¤à¥€ इसी तरह का क़ानून लागू किया था और गौवंश की हà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगाया था. लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ में देखा जाये तो इसका उलà¥à¤Ÿà¤¾ काम हो रहा है. राजनीति में तरà¥à¤• का तरà¥à¤• से और विचारधारा का विचारधारा से मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¤¾ होते देखा था लेकिन पहली बार लोग नाजायज और कà¥à¤°à¥‚र मांग लेकर आगे बॠरहे कोई इंसानों की हतà¥à¤¯à¤¾ कर गाय को बचाने की बात कर रहा है तो कोई गाय की हतà¥à¤¯à¤¾ कर अपना विरोध जता रहा है. सामाजिक चेतना, जीवों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दया, सहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾, उदारता आज कहीं दिखाई नहीं दे रही है. कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ नहीं हो सकता गौवध बिना पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध और तथाकथित गौरकà¥à¤·à¤¾ के हिंसक टोले की बजाय सिरà¥à¤« हमारे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और सामाजिक चेतना से बच जाये?
केरल में यà¥à¤µà¤¾ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं ने 28 मई को विरोध सà¥à¤µà¤°à¥‚प जिस कारà¥à¤¯ को अंजाम दिया वो नैतिकता की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से असà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ हैं. दरअसल, इस फैसले के जरिठसरकार जिस तरह के राजनीतिक फायदे की अपेकà¥à¤·à¤¾ कर रही होगी, यà¥à¤µà¤¾ कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के उस कृतà¥à¤¯ से उसे उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤¤à¤¿ में लाठही मिलेगा. कà¥à¤² मिलाकर समाज दो à¤à¤¾à¤—ों में बंटता दिख रहा है. à¤à¤• तरफ संवैधानिक अधिकारों और वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤• हितों का हवाला देकर आदेश का विरोध कर रहे लोग और दूसरी तरफ गौ पà¥à¤°à¥‡à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की हतà¥à¤¯à¤¾ से à¤à¥€ बाज न आने वाले गौà¤à¤•à¥à¤¤. गायों को मां कहा जाता है लेकिन उसकी देखà¤à¤¾à¤² मां की तरह नहीं की जाती. गायों को बचाने के लिठउन पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना जरूरी है. शेरों के लिठकरोड़ों खरà¥à¤š करने वाली सरकार गाय के लिठखरà¥à¤š नहीं करती. वजह ये है कि गाय की बात सांपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• हो जाती है.
दिकà¥à¤•à¤¤ ये है कि जब इतिहास या धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• पà¥à¤¨à¥‡ की बारी आती है तो राजनितिक दल उनका मजाक उड़ाते हैं. फिर जब राजनीति करनी होती है तो इतिहास और वेद आदि की अनाप शनाप वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ करने लगते हैं. मौजूदा समय में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ का राजनीतिक इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ की कोई नई समठपैदा कर रहा है या जो पहले कई बार हो चà¥à¤•à¤¾ है उसी का बेतà¥à¤•à¤¾ संसà¥à¤•à¤°à¤£ है. यह खतरनाक पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है या लोग कà¥à¤¯à¤¾ सरकार और समाज à¤à¤¸à¥‡ खतरों से निपटने में सकà¥à¤·à¤® हैं? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अब या तो देश को बांटने का षडयंतà¥à¤° हो रहा है या फिर गौवंश के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ अतीत के खिलाफ साजिश सी होती दिखाई दे रही है.
राजीव चौधरी
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