सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने देश की जनता के सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ को जागृत किया और देश को फिर से खड़ा कर दिया
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Manmohan Kumar AryaDate
19-Jun-2017Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
19-Jun-2017Download PDF
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आरà¥à¤· गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा, देहरादून के वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ में 3 जून, 2017 को आयोजित परिवार निरà¥à¤®à¤¾à¤£ समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨ में बोलते हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पं. वेद पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ ने अपने समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ में कहा कि जब ऋषि दयाननà¥à¤¦ का पदारà¥à¤ªà¤£ हà¥à¤† तब हमारा समाज बहà¥à¤¤ दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ था। समाज की धारà¥à¤®à¤¿à¤• व सामाजिक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान करने के लिठदेश व समाज में कोई योगà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ नहीं था और न ही किसी ने समाधान करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। मà¥à¤—लों और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ ने हमें कई शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ तक दास बना कर रखा। à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ ने देश की जनता के सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ को जागृत किया और देश को फिर से खड़ा कर दिया। संसार का कोई देश व उसका अगà¥à¤°à¤£à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· हमारा समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करने को तैयार नहीं था। पं. वेद पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने कहा कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने हमें आरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ देकर हमें ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित अनेकानेक विषयों का सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि जब हम ऋषि दयाननà¥à¤¦ और संसार के अनà¥à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ पर दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालते हैं तो वह हमें ऋषि दयाननà¥à¤¦ सबसे अलग नजर आते हैं। आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने ऋषि दयाननà¥à¤¦ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा की। आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚दà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ की माला आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ सहित देश व समाज के लोगों को पहनाई। पं. वेदपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने अलंकारिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते हà¥à¤ कहा कि मैंने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी से पूछा कि आपने आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ की माला बनाई और उसे समाज को पहनाई, कà¥à¤¯à¤¾ आपने उसकी कोई विधि à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दी है? उतà¥à¤¤à¤° में ऋषि ने कहा कि हां संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿ दी है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहा कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें गोकरूणानिधि à¤à¥€ दी है।
आचारà¥à¤¯ वेद पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने à¤à¤• बूढे हाथी की कथा सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆà¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि राजा ने à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को बूà¥à¤¾ बीमार हाथी दिया और कहा कि इसकी देखà¤à¤¾à¤² करना और मर जाये तो इसकी मà¥à¤à¥‡ सूचना देना। जब हाथी मरेगा और वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सूचना देगा तो राजा उसे फांसी का दणà¥à¤¡ देगा। कà¥à¤› दिन बाद हाथी मर गया तो वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ राजा के पास आया और फांसी के दणà¥à¤¡ से बचने के लिठहाथी के मरने की सूचना कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से दी। राजा के सामने आकर वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª खड़ा हो गया। राजा ने पूछा कà¥à¤¯à¤¾ बात है? वह बोला कि आपके दरà¥à¤¶à¤¨ करने आया हूं। राजा ने हाथी का हाल पूछा तो वह बोला कि हाथी ठीक है परनà¥à¤¤à¥ आज सारा दिन वह लेटा रहा, उठा नहीं। फिर राजा के पूछने पर बोला कि आज उसने अपनी आंखे à¤à¥€ नहीं खोली। शायद वह सो रहा होगा। यह कहकर वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ चलने लगा और राजा को कहा कि महाराज आज हाथी ने अपने कान à¤à¥€ नहीं फट-फटाये या हिलाये। फिर रूककर वह याद करते हà¥à¤ बोला कि महाराज आज हाथी ने खाना à¤à¥€ नहीं खाया। फांसी की सजा से बचने के लिठवह फिर बोला कि महाराज मैं जाता हूं, अनà¥à¤¤à¤¿à¤® बात यह है कि हाथी की सूंड में कीड़ियां आ-जा रहीं थीं। राजा कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ हो गया और बोला कि तू कहता कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं कि हाथी मर गया? वब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बोला महाराज आप कà¥à¤› à¤à¥€ कहो, मैंने तो जो देखा वह बताया, मैंने यह नहीं कहा कि हाथी मर गया। आचारà¥à¤¯ वेद पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने इस कथा का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर कहा कि महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के आगमन के समय मरणासनà¥à¤¨ हाथी के समान ही आरà¥à¤¯ जाति की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ थी। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ वकà¥à¤¤à¤¾ ने विवाह की चरà¥à¤šà¤¾ की और कहा कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° विवाह का निशà¥à¤šà¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता है।
पं. वेदपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने किसान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने खेत में बीज बोये जाने व उससे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ फसल की चरà¥à¤šà¤¾ की। आचारà¥à¤¯ जी ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठाया कि पतà¥à¤¨à¥€ कौन होती है? उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि à¤à¤• वेदपाठी जो विवाहित है परनà¥à¤¤à¥ उसे ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° नहीं हà¥à¤†, उस अपने पति को ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कराने वाली शकà¥à¤¤à¤¿ का नाम पतà¥à¤¨à¥€ है। पं. वेदपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने कहा कि निरà¥à¤•à¥à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° देव में निहित शकà¥à¤¤à¤¿ को पतà¥à¤¨à¥€ कहा जाता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि पृथिवी की शकà¥à¤¤à¤¿ अगà¥à¤¨à¤¿ है। पृथिवी में बिना अगà¥à¤¨à¤¿ के बोया हà¥à¤† बीज फलीà¤à¥‚त नहीं होता। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ à¤à¤‚ग करने वाले की जो दà¥à¤°à¥à¤¦à¤¶à¤¾ संसार में होती है वह किसी की नहीं होती। शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी ने मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के शà¥à¤²à¥‹à¤• ‘यतà¥à¤° नारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥ पूजयनà¥à¤¤à¥‡ रमनà¥à¤¤à¥‡ ततà¥à¤° देवता’ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ कर उसकी अलंकारिक à¤à¤¾à¤·à¤¾ में वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की और बताया कि नर की शकà¥à¤¤à¤¿ का नाम नारी है। नारी रà¥à¤ªà¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ अपने पति के मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤ªà¤¨ को हटा कर उसे देवता बना देती है। जो अनृत है वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ है। जो सतà¥à¤¯ वकà¥à¤¤à¤¾ वा सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ है वह देवता है। इसी के साथ पं. वेदपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ जी का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ समापà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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