जिनà¥à¤¨à¤¾ चले गà¤à¥¤ उसकी सोच यहीं रह गयी
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Rajeev ChoudharyDate
02-Aug-2017Category
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जिनà¥à¤¨à¤¾ चले गà¤à¥¤ उसकी सोच यहीं रह गयी
मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ हाई कोरà¥à¤Ÿ ने फैसला सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ है कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ीत ‘‘वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम॒’ सà¤à¥€ सà¥à¤•à¥‚लों, कॉलेजों और शिकà¥à¤·à¤£ संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में हफà¥à¤¤à¥‡ में à¤à¤• दिन गाना अनिवारà¥à¤¯ होगा। इसके साथ ही सà¤à¥€ सरकारी और निजी कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में महीने में à¤à¤• दिन ‘‘वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम’’ गाना ही होगा। जसà¥à¤Ÿà¤¿à¤¸ à¤à¤®.वी. मà¥à¤°à¤²à¥€à¤§à¤°à¤¨ ने यह à¤à¥€ आदेश दिया है कि वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠको तमिल और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ करना चाहिठऔर उन लोगों के बीच à¤à¥€ बांटना चाहिठजिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ या बंगाली में गाने में समसà¥à¤¯à¤¾ होती है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ हफà¥à¤¤à¥‡ में सोमवार या शà¥à¤•à¥à¤°à¤µà¤¾à¤° को वंदे मातरम गाने के लिठचà¥à¤¨ सकते हैं।
अदालत ने यह à¤à¥€ कहा, ‘‘इस देश’’ में सà¤à¥€ नागरिकों के लिठदेशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ जरूरी है। यह देश हमारी मातृà¤à¥‚मि है और देश के हर नागरिक को इसे याद रखना चाहिà¤à¥¤ आजादी की दशकों लमà¥à¤¬à¥€ लड़ाई में कई लोगों ने अपने और अपने परिवारों की जान गंवाई है। इस मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² घड़ी में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ीत वंदे मातरमॠसे विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ और लोगों में à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ जगाने में मदद मिली थी।
लेकिन कोरà¥à¤Ÿ के इस फैसले से अचानक मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® धरà¥à¤® गà¥à¤°à¥à¤“ं का à¤à¤• तबका फिर से उठखड़ा हà¥à¤† है कि ये वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠतो मजहब के खिलाफ है! कà¥à¤› मौलाना कह रहे हैं कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ को नमन करना सिखाता है माà¤-बाप या मà¥à¤²à¥à¤• को नहीं! कà¥à¤¯à¤¾ इन मौलानाओं का यह विरोध आज à¤à¥€ मधà¥à¤¯à¤¯à¥à¤—ीन समाज के अतारà¥à¤•à¤¿à¤• होने का à¤à¤• रूप है या फिर 1938 में मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ अली जिनà¥à¤¨à¤¾ ने जब खà¥à¤²à¥‡ तौर पर पारà¥à¤Ÿà¥€ के अधिवेशनों में वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠगाठजाने के खिलाफ बगावत की थी कà¥à¤¯à¤¾ आज à¤à¥€ जिनà¥à¤¨à¤¾ वाली सोच को जिनà¥à¤¦à¤¾ रखने का काम हो रहा है? इस à¤à¤•à¤›à¤¤à¥à¤° धारà¥à¤®à¤¿à¤• नियंतà¥à¤°à¤£à¤µà¤¾à¤¦ ने इसà¥à¤²à¤¾à¤® के दिल में खतरनाक घाव कर दिया है आज फिर मदà¥à¤°à¤¾à¤¸ कोरà¥à¤Ÿ के à¤à¤• फैसले के बाद इसकी कराह सà¥à¤¨à¥€ जा सकती है। इसà¥à¤²à¤¾à¤® के à¤à¤‚डे तले दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ को देखने की खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ रखने वाले लोग ‘‘देश’’ या ‘‘देश या देशपà¥à¤°à¥‡à¤®’’ जैसी किसी विचाधारा से ही मतलब नहीं रखते?
देश का बà¤à¤Ÿà¤µà¤¾à¤°à¤¾ हà¥à¤†à¥¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ बन गया। जिनà¥à¤¨à¤¾ चले गà¤à¥¤ लेकिन वह सोच यहीं रह गयी। अगर चरखा, सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ और अहिंसा आजादी की लड़ाई के हथियार थे तो वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠà¤à¥€ उनमें से à¤à¤• था। फिर वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠके लिठआज तक अदालती लड़ाइयाठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ चल रही हैं? सवाल ये à¤à¥€ है कि मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ अली जिनà¥à¤¨à¤¾ के नींद से जागने के बाद सिखाया गया कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®à¥ हराम है? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि 1905 में बंगाल विà¤à¤¾à¤œà¤¨ रोकने के लिठजो बंग-à¤à¤‚ग आंदोलन चला उसमें किसी ने हिनà¥à¤¦à¥‚ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ के आधार पर वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠका बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं किया। हिनà¥à¤¦à¥‚ और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤• साथ à¤à¤• सà¥à¤° में वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®à¥ का जय घोष कर बलिदान की वेदी पर चॠगये थे, लेकिन बाद में जिनà¥à¤¨à¤¾ आया और जिनà¥à¤¨à¤¾ के साथ ये विचार कि वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® गीत इसà¥à¤²à¤¾à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ नहीं है।
देश के ऊपर पà¥à¤°à¤¾à¤£ नà¥à¤¯à¥‹à¤›à¤¾à¤µà¤° करने वाले वीर अबà¥à¤¦à¥à¤² हमीद या शहीद अशà¥à¤«à¤¾à¤• उलà¥à¤²à¤¾à¤¹ खां ने वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम के नारे लगा कर जो शहादतें दीं कà¥à¤¯à¤¾ वह à¤à¥€ अब धरà¥à¤® के पलड़े में रख के तौली जाà¤à¤à¤—ी? हालाकि यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ कर दूठये सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ की आवाज नहीं है लेकिन जिनकी है उनकी सोच पर आज à¤à¥€ मोहमद अली जिनà¥à¤¨à¤¾ सवार है। जो लोग आज कह रहे हैं कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® में à¤à¤• सजदा है वह सिरà¥à¤« उनके खà¥à¤¦à¤¾ के लिठहै चलो इस à¤à¤•à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¦ का सà¥à¤µà¤¾à¤—त है किनà¥à¤¤à¥ इस à¤à¤•à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤µà¤¾à¤¦ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤° के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ गीत, पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥‹à¤‚ और चिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ को मजहब के नाम पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हासिये पर धकेला जा रहा है? आप अपने मजहब से जà¥à¤¡à¥‡à¤¼ रहिये लेकिन राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की à¤à¤•à¤¤à¤¾ के मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से मजहब को दूर रखिये। यहां तो मामूली आलोचनाओं पर à¤à¥€ लोग मजहब के नाम पर à¤à¥€à¥œ इकटà¥à¤ ी कर बाजार को आग के हवाले करने निकल आते हैं। शà¥à¤°à¥€à¤²à¤‚का या इंडोनेशिया के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ अगर देश के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में लिखा गया गीत शान से गाते हैं तो कà¥à¤¯à¤¾ वह à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ से कम मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ हो जाते हैं?
कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ पारà¥à¤Ÿà¥€ के सारे अधिवेशन वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠसे शà¥à¤°à¥‚ होते रहे, तब तक जब तक कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग का बीज नहीं पड़ा था। 1923 के अधिवेशन में मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ अली जौहर ने कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के अधिवेशन की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠसे करने का विरोध किया और मंच से उतर के चले गà¤à¥¤ दिलचसà¥à¤ª ये है कि इसी साल मौलाना अबà¥à¤² कलाम आजाद कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· थे तà¤à¥€ से जिनà¥à¤¨à¤¾ का समरà¥à¤¥à¤¨ करने वालों ने वनà¥à¤¦à¥‡ मातरमॠका विरोध करना शà¥à¤°à¥‚ कर दिया। जिनà¥à¤¨à¤¾ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ चले गये लेकिन वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤®à¥ का विरोध यहीं रह गया।
रही बात मजहब के आदर की तो वह कौन तय करेगा। कब और कहां से तय होगा। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आप कहते हैं कि न हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता की जय बोलेंगे, न ही वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® बोलेंगे। आज मैं इन सà¤à¥€ इसà¥à¤²à¤¾à¤® के कथित ठेकेदारों से पूछना चाहता हूठकि वे हमें बताà¤à¤‚ कि आखिर किस तरह से कà¥à¤°à¤¾à¤¨ देश विरोधी नारेबाजी लगाने वालां को गलत नहीं मानती लेकिन देशà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के नारे लगाना गलत मानती है। वह जरा विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से बताà¤à¤‚ कि कà¥à¤°à¤¾à¤¨ की किस आयत में ये सब लिखा है और यदि कà¥à¤°à¤¾à¤¨ में à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नहीं लिखा है तो कृपया अपनी ओछी राजनीति के लिठइस देश के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को गà¥à¤®à¤°à¤¾à¤¹ करना बंद कर दें। इसà¥à¤²à¤¾à¤® के इन सà¤à¥€ कथित ठेकेदारों की राजनीति की वजह से इस देश में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के लोगों के बीच à¤à¤• गहरी खाई बनती जा रही है। मैं à¤à¤• बार फिर इस देश के सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से यही कहूà¤à¤—ा कि अपना सही आदरà¥à¤¶ चà¥à¤¨à¥‡à¤‚ à¤à¤µà¤‚ समाज में जहर घोलने वाले इन लोगों से दूर रहे à¤à¤µà¤‚ इनका खà¥à¤² कर विरोध करें।"
---राजीव चौधरी
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