चीन ने बनाया हिंदी को हथियार.....!
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Rajeev ChoudharyDate
02-Aug-2017Category
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02-Aug-2017Download PDF
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चीन ने बनाया हिंदी को हथियार
चीन हमें आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और सामरिक मोरà¥à¤šà¥‡ पर ही मात देने की तैयारी नहीं कर रहा है बलà¥à¤•à¤¿ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ वह हमें पटकनी मारने पर उतारॠहै। उसने चीनी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को सिदà¥à¤§ करने के लिठअब हिंदी को अपना हथियार बना लिया है। इस समय चीन की 24 लाख जवानों की फौज में हजारों जवान à¤à¤¸à¥‡ हैं, जो हिंदी के कà¥à¤› वाकà¥à¤¯ बोल सकते हैं और समठà¤à¥€ सकते हैं।
à¤à¤¾à¤°à¤¤-चीन सीमांत पर तैनात चीनी जवानों को हिंदी इसलिठसिखाई जाती है कि वे हमारे जवानों और नागरिकों से सीधे बात कर सकें। उनका हिंदी-जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जासूसी करने में à¤à¥€ जम कर मदद करता है। चीनी जवान à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जवानों को हिंदी में धमकाते हैं, चेतावनी देते हैं, गालियां काà¥à¤¤à¥‡ हैं और पटाने का à¤à¥€ काम करते हैं। हमारे जवान तो कà¥à¤¯à¤¾, फौजी अफसर à¤à¥€ उनके आगे बगलें à¤à¤¾à¤‚कते हैं। उनके दà¥à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤ दोनों फौजों के बीच संवाद करवाते हैं।
चीनी के लगà¤à¤— 20 विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ में बाकायदा हिंदी पà¥à¤¾à¤ˆ जाती है। मैं चीन में à¤à¤¸à¥‡ हिंदी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ मिला हूं, जो हिंदी में पीà¤à¤š.डी. हैं और जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमारे अनेक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ और कावà¥à¤¯-गà¥à¤°à¤‚थों का चीनी अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ किया है। मैं जब à¤à¥€ चीन जाता हूं, चीनी सरकार से मैं हमेशा हिंदी-चीनी दà¥à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤ की मांग करता हूं। जब पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ नरसिंहराव चीन गठथे तो मैंने à¤à¤• मितà¥à¤° हिंदी पà¥à¤°à¥‹à¤«à¥‡à¤¸à¤° को उनका दà¥à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¯à¤¾ तय करवाया था।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ का दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि हमारे नेता à¤à¤¾à¤·à¤¾ के महतà¥à¤µ को नहीं समà¤à¤¤à¥‡à¥¤ वे अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ को ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की à¤à¤• मातà¥à¤° à¤à¤¾à¤·à¤¾ समà¤à¤¤à¥‡ हैं। वे à¤à¤¾à¤°à¤¤ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ और पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बन कर अकड़ दिखाने लगते हैं लेकिन उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ करते हà¥à¤ शरà¥à¤® नहीं आती।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में चीनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ जानने वाले 500 लोग à¤à¥€ नहीं हैं। इसीलिठहमारे वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को चीन में हजारों रà¥. रोज के दà¥à¤à¤¾à¤·à¤¿à¤ रखने पड़ते हैं। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ वहां किसी काम नहीं आती। हमारी कूटनीति à¤à¥€ कई देशों में अधकचरी रहती है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे राजदूत उन देशों की à¤à¤¾à¤·à¤¾ ही नहीं जानते। हमारे ये अरà¥à¤§à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ नेता कब समà¤à¥‡à¤‚गे कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ को यदि हमें महाशकà¥à¤¤à¤¿ बनाना है तो à¤à¤• नहीं, अनेक विदेशी à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤à¤‚ हमें नागरिकों को सिखानी होंगी और सà¥à¤µà¤à¤¾à¤·à¤¾ को ही अपनी मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¤¾à¤·à¤¾ बनानी होगी।
---साà¤à¤¾à¤°- वैशà¥à¤µà¤¿à¤• हिंदी समà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨
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