हम जायेंगे तो वहां मजबूत करेंगे आरà¥à¤¯ समाज
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Rajeev ChoudharyDate
02-Aug-2017Category
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हम जायेंगे तो वहां मजबूत करेंगे आरà¥à¤¯ समाज
जब किसी अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ मकान में रहने वाले लोग उस अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ को सतà¥à¤¯ माने बैठे हां और पीà¥à¥€ दर पीà¥à¥€ बीतने के बाद उस अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ आसà¥à¤¥à¤¾ बनाकर उसे अपना à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ समठलेते हों, उसकी पूजा करने लगते हों पर तब अचानक à¤à¤• दिन कोई à¤à¤• महानà¥à¤à¤¾à¤µ दीपक लेकर उस अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ मकान के अनà¥à¤¦à¤° जाये तो à¤à¤• पल को उसके पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ से à¤à¤—दड़ मचना लाजिमी है। लेकिन यदि उस मकान के अनà¥à¤¦à¤° रहने वाले à¤à¤• à¤à¥€ शकà¥à¤¸ ने पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का नाम सà¥à¤¨à¤¾ होगा तो वह वहां जरूर डटा रहेगा और अनà¥à¤¯ को à¤à¥€ उस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरूक ही नहीं करेगा बलà¥à¤•à¤¿ बतायेगा यही पूरà¥à¤£ सतà¥à¤¯ है और वह अà¤à¤§à¥‡à¤°à¤¾ हमारा à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ नहीं था।
कà¥à¤› इसी तरह आप सà¤à¥€ को यह जानकर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होगा कि आज से लगà¤à¤— 140 साल पहले मानव और उसके धारà¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯ समाज महज अपनी 20 वरà¥à¤· की आयॠमें केरीबियाई दà¥à¤µà¥€à¤ªà¥‹à¤‚ से लेकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ समेत अनेक देशां में अपनी पकड़ बना चà¥à¤•à¤¾ था। बिना मीडिया और बिना सोशल मीडिया के। न टेलीवजन थे और न लोगों के हाथों में आज की तरह इंटरनेट और मोबाइल। पर फिर à¤à¥€ अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ को मिटाने की यह धारà¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति अपने सरà¥à¤µà¥‹à¤šà¥à¤š शिखर को छू रही थी। अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ को मिटाने के लिठपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का यह दीपक देश और विदेश में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ और पाखंड के अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ को मिटा रहा था।
गौर करने वाली बात यह है कि यह कारà¥à¤¯ कोई à¤à¤• अकेला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं कर रहा था। अपितॠबचà¥à¤šà¤¾-बचà¥à¤šà¤¾ दयाननà¥à¤¦ का सिपाही बन इस कारà¥à¤¯ को आगे बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ में लगा था। दानी महानà¥à¤à¤¾à¤µ दान दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तो अनेक लोग इसमें तन-मन-धन से साथ दे रहे थे। जिस कारण यह जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अलावा नेपाल मॉरीसश सहित अनेक देशों के अलावा बरà¥à¤®à¤¾ में पहà¥à¤à¤š गयी थी। वहां अचानक बड़ा परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤† सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर धड़ाधड़ आरà¥à¤¯ समाजें बनने लगीं। मचीना, रंगून, माणà¥à¤¡à¤²à¥‡, लाशियो, मोगोग, जियावाड़ी, मानैवा, कामà¥à¤¬à¤²à¥‚, नामटू आदि शहरों में à¤à¤µà¤¨ तैयार होने लगे। कई सतà¥à¤¸à¤‚ग मंडलियां मिलकर दिन रात वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ करने लगीं। शहर के जियावाडी बाजार में आरà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर बरà¥à¤®à¤¾ के आरà¥à¤¯ वीरों ने बरà¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤¨à¤ƒ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¦à¥‡à¤¶ बनाने का संकलà¥à¤ª धारण कर लिया।
जैसा कि पहले à¤à¥€ बताया जा चà¥à¤•à¤¾ है कि जिस समय आरà¥à¤¯ समाज के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर देश विदेश में धारà¥à¤®à¤¿à¤• परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बदलती जा रही थी। सबको साथ लेकर वेद का आदेश और महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के सपने कृणवनà¥à¤¤à¥‹ विशà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¯à¤® को लेकर उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ आरà¥à¤¯ वीर आगे बॠरहे थे ठीक उसी समय विशà¥à¤µ के राजनैतिक माहौल ने समूचे विशà¥à¤µ की मानवता को विशà¥à¤µ यà¥( की ओर धकेल दिया। मानवता के साथ-साथ ये आरà¥à¤¯ समाज के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¤• धकà¥à¤•à¥‡ जैसा था। बरà¥à¤®à¤¾ में बौ( सैनिक शासन ने आरà¥à¤¯ समाज की अनेक जमीनों पर कबà¥à¤œà¤¾ कर लिया। आरà¥à¤· साहितà¥à¤¯ मिटाने का कारà¥à¤¯ हà¥à¤†à¥¤ à¤à¤• बार पà¥à¤¨à¤ƒ बताना चाहेंगे कि इसके बाद à¤à¥€ आरà¥à¤¯à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के साहस ने घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ नहीं टेके बलà¥à¤•à¤¿ नवीन साहितà¥à¤¯ की कमी के बावजूद à¤à¥€ फटे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वैदिक साहितà¥à¤¯ को जोड़-तोड़कर उसे लेकर ही आगे बà¥à¤¤à¥‡ गये।
कहते हैं पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ से कà¤à¥€ नहीं हारता बस कई बार कà¥à¤› पल को गà¥à¤°à¤¹à¤£ लग जाता है। इस सबके बाद आज à¤à¥€ वहां बरà¥à¤®à¤¾ ;मà¥à¤¯à¤¾à¤‚मारदà¥à¤§ में पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤, पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• हिनà¥à¤¦à¥€ के साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ सà¥à¤¤à¤° पर कविता पà¥à¤°à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤£ सतà¥à¤°, सरà¥à¤µ शिकà¥à¤·à¤¾ अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ जो गरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की छà¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में गांवों में आयोजित कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से चलते रहे है। इसके अलावा विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सतà¥à¤°à¥‹à¤‚ में चरितà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ शिविर अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ आदि पर विशेष बल दिया जाता रहा है। हवन आदि से लेकर वैदिक विचाधारा के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को वहां के आरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गाà¤à¤µ-गाà¤à¤µ में सतà¥à¤° चलते रहते हैं। वैदिक धरà¥à¤® की परीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ वहां सालाना मई माह में कराई जाती है। कà¥à¤² मिलाकर वहां आरà¥à¤¯ समाज बड़े विशाल à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ से लेकर टूटे-फूटे à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ तक में चल रहा है।
देश की राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ से हजारों किलोमीटर दूर बरà¥à¤®à¤¾ के शहरों और गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ के इन आरà¥à¤¯ समाजों में चल रही यह गतिविधियां à¤à¤²à¥‡ ही मन को सà¥à¤•à¥‚न और राहत देती हां किनà¥à¤¤à¥ इस सबके पीछे à¤à¤• हलà¥à¤•à¤¾ सा दरà¥à¤¦ à¤à¥€ है जिसे किसी à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ से साà¤à¤¾ न कर सामूहिक रूप से आप सà¤à¥€ के समकà¥à¤· रखना चाहेंगे। दरअसल पूरà¥à¤µ के आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚, महानà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ ने आरà¥à¤¯ समाज के लिठजो किया वह )ण हम कà¤à¥€ नहीं उतार पाà¤à¤‚गे किनà¥à¤¤à¥ आज वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ आरà¥à¤¯ समाज की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ का à¤à¤¾à¤° हम सबके ऊपर है। पिछले दिनों हमने वहां के आरà¥à¤¯ समाज से जà¥à¥œà¥‡ लोग दिलà¥à¤²à¥€ बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¥‡ यहाठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ महीनों शà¥( रूप से वैदिक हवन संधà¥à¤¯à¤¾ से परिचित कराया। उनके खाने ठहरने के अलावा आरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित नवीन साहितà¥à¤¯ à¤à¥€ दिया।
चूà¤à¤•à¤¿ पिछले 120 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में वहां आरà¥à¤¯ समाज का नवीन साहितà¥à¤¯ नहीं पहà¥à¤‚चा था और न अधिक संखà¥à¤¯à¤¾ में आरà¥à¤¯ महानà¥à¤à¤¾à¤µ वहां गये। इस कारण कà¥à¤› जगहों पर वहां आरà¥à¤¯ समाज की वैदिक विचाधारा कमजोर हà¥à¤ˆ इसी कारण वहां आरà¥à¤¯ महासमà¥à¤®à¤²à¥‡à¤¨ होना समय की मांग के साथ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के सपने का à¤à¤¾à¤° खà¥à¤¦ के कनà¥à¤§à¥‹à¤‚ पर उठाने बीड़ा हम सà¤à¥€ आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने उठाया। लेकिन हम फिर कहते हैं यह कारà¥à¤¯ किसी à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का नहीं है आप सà¤à¥€ लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो साहस और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ पूरà¥à¤µ के महासमà¥à¤®à¥‡à¤²à¤¨à¥‹à¤‚ शिकागो, हॉलैंड, मॉरीशस, सूरीनाम, बैंकाक से लेकर दकà¥à¤·à¤¿à¤£ अफà¥à¤°à¥€à¤•à¤¾ सिंगापà¥à¤°, आसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾ और नेपाल में मिलती रही उसी की आकांशा में बरà¥à¤®à¤¾ की à¤à¥‚मि आपकी राह देख रही है कà¥à¤› इस विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ कि आप आयेंगे तो वहां मजबूत होगा आरà¥à¤¯ समाज।
---लेख साà¤à¤¾à¤° विनय आरà¥à¤¯
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