कोख से जनà¥à¤®à¥‡ राकà¥à¤·à¤¸
Author
Rajeev ChoudharyDate
08-Sep-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
878Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
08-Sep-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
मेरे अंदर का इंसान, à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ है, कà¥à¤› जिंदा है और जितना जिनà¥à¤¦à¤¾ है वो बेहद शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दा है. खबर ही à¤à¤¸à¥€ है जिसे पà¥à¤•à¤° हर कोई सकते में आ जाये. महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के कोलà¥à¤¹à¤¾à¤ªà¥à¤° में 27 साल का à¤à¤• बेटा अपनी ही मां का दिल निकालकर चटनी के साथ खा गया. आरोपी वारदात के वकà¥à¤¤ आरोपी बेटा सà¥à¤¨à¥€à¤² शराब के नशे में चूर था. शराब के नशे में घर आठसà¥à¤¨à¥€à¤² का अपनी मां से à¤à¤—ड़ा हो गया था. जिस पर उसने अपनी माठपर ताबड़तोड़ चाकू से वार किये, घटना सà¥à¤¥à¤² पर à¤à¤• पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में चटनी और मिरà¥à¤š लगा मां का दिल पड़ा था. हालाà¤à¤•à¤¿ मौके पर पहà¥à¤‚ची पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने आरोपी को हिरासत में ले लिया. लेकिन तब तक कोख से जनà¥à¤®à¤¾ राकà¥à¤·à¤¸, मानवीय इतिहास की सबसे कà¥à¤°à¥‚र घटना को अंजाम दे गया.
सालो पहले à¤à¤• गीत सà¥à¤¨à¤¾ था “माठका दिल” जिसमें à¤à¤• बेटा अपनी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤•à¤¾ का दिल जीतने के लिठचाकू से अपनी माठका दिल निकालकर ले जाता है फिर रासà¥à¤¤à¥‡ में उसे ठोकर लगती है और वो माठका दिल कहता है बेटा चोट तो नहीं लगी. इस माठके दिल ने कà¥à¤¯à¤¾ कहा होगा? यह गीत à¤à¤¸à¤¾ है कि कठोर से कठोर दिल वाला à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤•à¤° à¤à¤¾à¤µà¥à¤• हो जाये, इस गीत को सà¥à¤¨à¤•à¤° में हमेशा सोचता रहा कि शायद à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› हमारे वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• जीवन, और समाज में नहीं होता होगा और यह à¤à¤• कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• गीत है लेकिन यह घटना पà¥à¤•à¤° लगा कि कोख से राकà¥à¤·à¤¸ अà¤à¥€ à¤à¥€ पैदा हो रहे है. और ममता पर खंजरो से वार कर रहे है.
हालाà¤à¤•à¤¿ मानवीय संवेदनाओं का शीघà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¨ आजकल इतनी जलà¥à¤¦à¥€-जलà¥à¤¦à¥€ हो रहा है कि इस खबर के लिठदेश के पास बिलकà¥à¤² समय नहीं था. हो à¤à¥€ कहाठसे! यहाठतो हर कोई गà¥à¤®à¤¶à¥à¤¦à¤¾ है हर किसी ने सोशल मीडिया पर अपने-अपने रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• जंगल उगा लिठऔर उसमें à¤à¤Ÿà¤• रहे है. सामाजिक रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की बली दी जा रही है. à¤à¤• इंसान के रूप में पैदा होने वाले लोग यदि इस तरह की घटनाओं पर मूक बने रहे तो कà¥à¤¯à¤¾ यह इंसानियत के नाम पर कलंक नहीं है?
कà¥à¤› इसी तरह की à¤à¤• दूसरी घटना थोड़े दिन पहले मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ थी. जिसे मीडिया ने काफी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ à¤à¥€ किया था. पहली घटना में माठकी ममता का कà¥à¤°à¥‚र कतà¥à¤² हà¥à¤† तो दूसरी में सवेंदना का. हà¥à¤† यूठकि à¤à¤• शखà¥à¤¸ डेॠसाल बाद जब अमेरिका से मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ अपने घर लौटा तो उसने देखा कि उसका फà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿ अंदर से बंद है. उसकी मां उस घर में अकेली रह रहीं थी. जब बार-बार घंटी बजाने पर à¤à¥€ दरवाजा नहीं खोला, तो दरवाजा तोड़कर वो अंदर घà¥à¤¸à¤¾. उसने देखा कि फà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿ के अंदर उसकी मां की जगह बिसà¥à¤¤à¤° पर उसका कंकाल पड़ा है. उसके पिता की मौत चार साल पहले ही हो चà¥à¤•à¥€ थी. आख़िरी बार डेॠसाल पहले उसने मां से बात की तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था कि वो अकेले नहीं रह सकतीं. वो बहà¥à¤¤ डिपà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤¨ में है. वो वृदà¥à¤§à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® चली जाà¤à¤—ी. बावजूद इसके बेटे पर इसका कोई असर नहीं हà¥à¤†. अपà¥à¤°à¥‡à¤² 2016 में फोन पर हà¥à¤ˆ उस आख़िरी बातचीत के बाद लड़के की कà¤à¥€ मां से बात नहीं हà¥à¤ˆ. तकरीबन डेॠसाल बाद जब आज वो घर आया तो उसे मां की जगह उसका कंकाल मिला.
यहाठबात किसी अनà¥à¤¯ पारिवारिक रिशà¥à¤¤à¥‡à¤‚ की नहीं बात सिरà¥à¤« à¤à¤• मां की थी. वो मां जिसे गरà¥à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में किसी ख़ास सूरत में अगर डॉकà¥à¤Ÿà¤° ये à¤à¥€ बता दे कि आप उस पॉजिशन में मत सोइà¤à¤—ा, वरना बचà¥à¤šà¥‡ को तकलीफ होगी, तो वो सारी रात करवट नहीं बदलती. यदि उसका बचà¥à¤šà¤¾ रात में डर जाये तो वो पूरी रात नहीं सोती पता नहीं ये बेटा डेॠसाल तक उसके बिना कैसे सोया होगा? à¤à¤• कविता की चंद पंकà¥à¤¤à¤¿ है कि माठरोते हà¥à¤ बचà¥à¤šà¥‡ का खà¥à¤¶à¤¨à¥à¤®à¤¾ पालना है, माठमरूथल में नदी या मीठा सा à¤à¤°à¤¨à¤¾ है, माठसंवेदना है, à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ है अहसास है, माठजीवन के फूलों में खà¥à¤¶à¤¬à¥‚ का वास है, माठलोरी है, गीत है, पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ सी थाप है, माठपूजा की थाली है, मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का जाप है, माठआà¤à¤–ों का सिसकता हà¥à¤† किनारा है, अरे माठतो बहती ममता की धारा है,
आखिर समाज आज किस चीज के लिठअपने रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚, अपनी संवेदना का कतà¥à¤² कर रहा है कà¥à¤¯à¤¾ यह हमारी बदनसीबी नहीं है कि अपनी संवेदना का गला अपने हाथों घोट देते हैं, अधिकाà¤à¤¶ लोग इन घटनाओं को पà¥à¤•à¤° देखकर से आहत होकर पतà¥à¤¥à¤° बनना ही पसंद करते हैं, कि à¤à¤• राकà¥à¤·à¤¸ ने माठका दिल निकालकर चटनी से खा लिया और दà¥à¤¸à¤°à¥‡ ने डेॠसाल तक माठसे बात करना जरूरी नहीं समà¤à¤¾. ना उसे माठकी चिंता रही होगी. अडोस-पडोस में à¤à¥€ किसी ने गवारा नहीं समà¤à¤¾ कि पूछ ले इस फà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में à¤à¤• बà¥à¤¢à¤¿à¤¯à¤¾ रहती थी जो कई दिन से कई महीनों से दिखाई नहीं दी इस पूरे शहर मे, पूरी रिशà¥à¤¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ में à¤à¤• à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ इंसान नहीं था जिसने उस महिला से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• करने की कोशिश की हो और बात न होने पर वो घबराया हो? शायद आज किसी के पास फà¥à¤°à¤¸à¤¤ नहीं है सब अपनी-अपनी जिनà¥à¤¦à¤—ी में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ है लेकिन फà¥à¤²à¥ˆà¤Ÿ में कंकाल जरूर बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— औरत का मिला है, पà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ में दिल à¤à¤• माठका चटनी में सना मिला है, मगर मौत शायद पूरे समाज की हà¥à¤ˆ है. और इसी समाज का हिसà¥à¤¸à¤¾ होने पर हमें थोडा शरà¥à¤®à¤¿à¤‚दा होना जरूरी बनता है की हम कहाठजा रहे है?
ALL COMMENTS (0)