अब मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡ à¤à¥€ बने बड़ी मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤
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Rajeev ChoudharyDate
06-Oct-2017Category
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HindiTotal Views
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06-Oct-2017Download PDF
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आज जहाठपà¥à¤°à¥‡ विशà¥à¤µ की चिंता बढती आबादी, रोजगार और सà¥à¤µà¤šà¥à¤› परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ आदि को लेकर बनी हैं वही इन दिनों जिंदा इंसानों से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ इस वकà¥à¤¤, गà¥à¤œà¤° चà¥à¤•à¥‡ लोगों का बोठबन à¤à¤• समसà¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के सामने खड़ी हो रही है? मसलन बहà¥à¤¤ से देशों के लिठमà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤ यह बन रही है कि जिन लोगों के पà¥à¤°à¤¾à¤£ उनके शरीर छोड़कर निकल गठहैं, उनका कà¥à¤¯à¤¾ करें? कहां दफनाà¤à¤‚? कैसे जलाà¤à¤‚? असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कहां रखें? आदि-आदि चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ आज उनके सामने सामने खड़ी है. ये à¤à¤¸à¥‡ सवाल हैं, जिनसे बहà¥à¤¤ से देश परेशान हैं. à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥€ इन देशों में से à¤à¤• है. पिछले दिनों दिलà¥à¤²à¥€ हाई कोरà¥à¤Ÿ ने कहा था कि जिस तरह क़बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ और शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° हो रहा है, उससे तो कà¥à¤› साल बाद लोगों के रहने के लिठही जगह नहीं बचेगी. हालाà¤à¤•à¤¿ शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ घाटों को समय के साथ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² के विसà¥à¤¤à¤¾à¤° की जरूरत नहीं पड़ती किनà¥à¤¤à¥ कबà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में जगह की किलà¥à¤²à¤¤ को लेकर पूरा विशà¥à¤µ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ चिंतित दिखाई दे रहा है.
धरती पर सिरà¥à¤« à¤à¤• इंसान ही à¤à¤¸à¤¾ जीव है, जो अपने गà¥à¤œà¤° चà¥à¤•à¥‡ साथियों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के साथ आख़िरी विदाई देता है. ये इंसानी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ की पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• ख़ूबियों में से à¤à¤• है. लेकिन जब उसकी ये खूबी ही परेशानी का कारण बन रही तो इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ कà¥à¤¯à¤¾ करें? हर किसी के मत, मतानà¥à¤¤à¤° और धरà¥à¤® के अपने अलग-अलग सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त है. पर जब हम आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤ की पवितà¥à¤° पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹ से खोज करते है तो यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ आदेश देता है कि “ à¤à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤ शरीरमॠ“ ( यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ ४०?१५) अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ इस मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर का मनà¥à¤·à¥à¤¯ से अंतिम समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ जलाने और à¤à¤¸à¥à¤® कर देने तक है. मतलब जलाना ही उतà¥à¤¤à¤® मारà¥à¤— है. जबकि इसà¥à¤²à¤¾à¤® और इसाई समेत कई पंथ मृत इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ को दफनाने के पकà¥à¤· में खड़े रहते है. हालाà¤à¤•à¤¿ बदलते समय और सदी ने ईसायत की सोच पर काफी पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ डाला जिस कारण आज जमीन की कमी की वजह से ही ईसाइयों में à¤à¥€ शवों को जलाने का चलन शà¥à¤°à¥‚ हो चूका है जबकि चरà¥à¤š इसके ख़िलाफ है लेकिन दफनाने की जगह की à¤à¤¸à¥€ किलà¥à¤²à¤¤ हो गई है कि पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ क़बà¥à¤°à¥‡à¤‚ खोदकर उनकी जगह नई लाशें दफनाई जा रही हैं. कई यूरोपीय देशों में क़बà¥à¤° के लिठजमीन इतनी महंगी हो गई है कि जमीन से असà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ निकालकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बड़े गडà¥à¤¢à¥‹à¤‚ में जमाकर किया जा रहा है. इन सब हालात ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को जलाने के लिठमजबूर कर दिया.
धरती पर लाशों का बोठइस कदर बà¥à¤¤à¤¾ जा रहा है कि आज बहà¥à¤¤ से शहरों में नठमà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को दफनाने के लिठजगह ही नहीं बची. दिलà¥à¤²à¥€ हो या लंदन, या नà¥à¤¯à¥‚यॉरà¥à¤•, येरà¥à¤¶à¤²à¤®, सिंगापà¥à¤°, लाहौर या फिर कोई और बड़ा शहर. सब का यही हाल है. इसकी वजह ये है कि आज की तारीख़ में हर जिंदा इंसान के उलà¥à¤Ÿà¤¾ 30 लाशें धरती पर हैं. नतीजा ये है कि गà¥à¤°à¥€à¤¸ जैसे छोटे देश में अपनों को दफनाने के लिठलोगों के पास जगह ही नहीं बची. इसीलिठपà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ क़बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को खोदकर, उसमें से हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ निकालकर, नठमà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ के लिठजगह बनाई जा रही है. यूनान की राजधानी à¤à¤¥à¥‡à¤‚स में थरà¥à¤¡ सीमेटरी, यूरोप के बड़े क़बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है. यहां काम करने वाले लोग कहते हैं कि क़बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ में रोज 15 लाशें दफन होने के लिठआती हैं. हाल ये है कि आज à¤à¤¥à¥‡à¤‚स में रहने की जगह ढूंढना आसान है, दफन होने के लिठदो गज जमीन नहीं मिलती. पूरे यूनान में à¤à¤• à¤à¥€ शवदाह गृह नही है. नतीजा ये कि लाशों को दफà¥à¤¨ करना, यूनान के लिठराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ बन गया है. इसीलिठअब गà¥à¤°à¥€à¤¸ में à¤à¥€ à¤à¤• शवदाह गृह खोला जा रहा है.
यूनान की तरह ही हांगकांग à¤à¥€ क़बà¥à¤°à¤¿à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लिठकम पड़ती जगह से परेशान है. जिस देश में रहने के लिठजगह इतनी मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² से मिलती हो, वहां मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡ दफन करने की जगह का इंतजाम कैसे होता. इसीलिà¤, हांगकांग में सतà¥à¤¤à¤° के दशक से ही लाशों को जलाने की परंपरा शà¥à¤°à¥‚ हो गई थी. हालाà¤à¤•à¤¿ पंडित लेखराम जी लिखते है कि मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ का जलाना à¤à¤• समय पà¥à¤°à¥‡ संसार में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ था. जैसा की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ इतिहासकार आनरेबल डाकà¥à¤Ÿà¤° डबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚ हंटर साहिब लिखते है आरà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥‚ कà¥à¤¯à¤¾ यूनान और इटली में à¤à¥€ लोग अपने मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को चिता पर जलाते थे (तारीखे हिनà¥à¤¦ १८८४ ईसà¥à¤µà¥€ , पृषà¥à¤ à¥à¥¦ ) इस पर महरà¥à¤·à¤¿ मनॠजी की आजà¥à¤žà¤¾ है “ निषेकादि शà¥à¤®à¥à¤¶à¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥ˆà¤°à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¿à¤¤à¥‹ विधिः (मनà¥à¥¨/१६)
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤- गरà¥à¤à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ से लेकर शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ में जलाने तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर के लिठमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹ से वैदिक विधि कही गयी है. अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ गरà¥à¤ से लेकर जलाने तक जो जो कारà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लाà¤à¤¾à¤°à¥à¤¥ सà¥à¤µà¤‚य अथवा लोगो के करने योगà¥à¤¯ है उनकी आजà¥à¤žà¤¾ वेदों में है. मृतक के शरीर को जलाने के लाठऔर उसकी हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जलाने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पानी अथवा खेत में डालने का वरà¥à¤£à¤¨ है जिनका लाठसूरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤µà¤¤ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ है. चूना, हडà¥à¤¡à¥€, रेत इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से पानी निरà¥à¤®à¤² होता है.
मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने मरने वाले साथियों को समà¥à¤®à¤¾à¤¨ से विदाई दे ये जरूरी है और इसी पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• चीज को आने वाली नसà¥à¤²à¥‹à¤‚ के हाथों में सौंपना चाहते हैं. सदियों से तमाम इंसानी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ को मान देने का चलन है. हमें समà¤à¤¨à¤¾ होगा कि दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की आबादी बहà¥à¤¤ तेजी से बॠरही है. बà¥à¤¤à¥€ आबादी परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ के लिठबोठहै. तो बिना किसी धारà¥à¤®à¤¿à¤• पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ के मृतक दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° यानि जलाने के कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ की नजर से देखते हà¥à¤ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेना चाहिà¤. सैकड़ो लोगो की मजारों, कबà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर जो हजारो और लाखो करोड़ रूपये खरà¥à¤š करके बड़े बड़े मकबरे और à¤à¤µà¤¨ बनाये गये है अथवा बनाये जाते, वह धन आगे बच जायेगा बलà¥à¤•à¤¿ वह धन किसी अचà¥à¤›à¥‡, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° के लाठपà¥à¤°à¤¦ कारà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾, अनाथालय असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤² आदि में वà¥à¤¯à¤¯ होगा. इससे कबà¥à¤° में जाया होने वाली जमीन बचेगी और परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ का à¤à¥€ लाठहोगा. साथ ही मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡ à¤à¥€ परेशानी का सबब नहीं बनेगें.
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