वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ का महतà¥à¤µ
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Manmohan Kumar AryaDate
23-Oct-2017Category
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वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ का महतà¥à¤µ
वेद à¤à¤• शबà¥à¤¦ है। यह संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का शबà¥à¤¦ है। इसका अरà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व जानना होता है। संसार में वेद नाम से चार गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ उपलबà¥à¤§ होते हैं जिनके नाम हैं ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद à¤à¤µà¤‚ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¥¤ हम देखते हैं कि संसार में सà¤à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ के à¤à¤• या à¤à¤• से अधिक लेखक व संकलनकरà¥à¤¤à¤¾ होते हैं। अब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है कि इन चार वेदों के लेखक व संकलनकरà¥à¤¤à¤¾ कौन हैं? सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ वेदों के विषय में कà¥à¤› à¤à¥€ न जानने वालों सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ व विदेशी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• यह कह दिया जाता है कि ऋषियों ने वेदों की रचना की है। इसका अरà¥à¤¥ होता कि कà¥à¤› ऋषियों ने वेदों का संकलन किया है। यह बात सà¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं कि वेद संसार के सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। वेदों का यदि किसी à¤à¤• या अधिक ऋषियों ने लेखन व संकलन किया है तो पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ होता है कि उन ऋषियों को वेदों में निहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कहा से हà¥à¤ˆ होगी? उनको वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ वैसे तो किसी को जà¥à¤žà¤¾à¤¤ नहीं है, यदि मान à¤à¥€ लें तो फिर वही पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है कि जिन सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से ऋषियों को जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिला, यदि वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ व ऋषि थे तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चार वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कब, कहां व किससे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया था? इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° संसार में किसी को पता नहीं है। अतः इन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वैदिक साहितà¥à¤¯ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ आदि जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ काल में ही रचे गये अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वेदों की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के बाद ऋषियों ने संकलित किये व रचे, उनसे पता करना होगा और वही जानकारी इस विषय की पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• जानकारी हो सकती है। वेदों के बाद जिस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ की रचना हà¥à¤ˆ उनका नाम बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में चार वेदों के चार बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ है जिनमें यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ का बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ शतपथ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ कहलाता है। इसमें लिखा है ‘अगà¥à¤¨à¥‡à¤°à¥à¤µà¤¾ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¥‹ जायते वायोरà¥à¤¯à¤œà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤ƒ सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¸à¤¾à¤®à¤µà¥‡à¤¦à¤ƒà¥¤à¥¤’ इसका हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अरà¥à¤¥ है कि पà¥à¤°à¤¥à¤® सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में परमातà¥à¤®à¤¾ ने अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ तथा अंगिरा ऋषियों की आतà¥à¤®à¤¾ में à¤à¤•-à¤à¤• वेद का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ किया। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆà¥¤ इसमें लिखा है कि परमातà¥à¤®à¤¾ ने आदि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करके अगà¥à¤¨à¤¿ आदि चारों महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ चारों वेद बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कराये और उस बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ने अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ और अंगिरा से ऋगॠयजà¥à¤ƒ साम और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में इस आशय का शà¥à¤²à¥‹à¤• वा पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ है ‘‘अगà¥à¤¨à¤¿à¤µà¤¾à¤¯à¥à¤°à¤µà¤¿à¤à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥ तà¥à¤°à¤¯à¤‚ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सनातनमà¥à¥¤ दà¥à¤¦à¥‹à¤¹ यजà¥à¤žà¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¥à¤¯à¤°à¥à¤¥à¤®à¥ƒà¤—à¥à¤¯à¤œà¥à¤ƒà¤¸à¤¾à¤®à¤²à¤•à¥à¤·à¤£à¤®à¥à¥¤” इन पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ से पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ हो जाती है कि इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के रचयिता परमातà¥à¤®à¤¾ ने आदि चार ऋषियों अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ और अंगिरा को कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराया और इन चार ऋषियों ने इन चारों वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ ऋषि को कराया। इससे चारों वेद ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ काल में दिया गया जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सिदà¥à¤§ हो जाता है।
वेद परमातà¥à¤®à¤¾ से ही उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ हैं इसकी साकà¥à¤·à¥€ वेदों के अनेक मंतà¥à¤° देते हैं। अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ का 10/23/4/20 मनà¥à¤¤à¥à¤° निमà¥à¤¨ हैः
यसà¥à¤®à¤¾à¤¦à¥ƒà¤šà¥‹ अपातकà¥à¤·à¤¨à¥ यजà¥à¤°à¥à¤¯à¤¸à¥à¤®à¤¾à¤¦à¤ªà¤¾à¤•à¤·à¤¨à¥à¥¤
समानि यसà¥à¤¯ लोमानà¥à¤¯à¤¥à¤°à¥à¤µà¤¾à¤‚गिरसो मà¥à¤–ं सà¥à¤•à¤®à¥à¤à¤¨à¥à¤¤à¤‚ बà¥à¤°à¥‚हि कतमः सà¥à¤µà¤¿à¤¦à¥‡à¤µ सः।।
यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ 40/8 मनà¥à¤¤à¥à¤° का à¤à¤• à¤à¤¾à¤— है ‘सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥à¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¥à¤¾à¤¤à¤¥à¥à¤¯à¤¤à¥‹à¤½à¤°à¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥ वà¥à¤¯à¤¦à¤§à¤¾à¤šà¥à¤›à¤¾à¤¶à¥à¤µà¤¤à¥€à¤à¤¯à¤ƒ समाà¤à¤¯à¥¤à¥¤’
इन मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ में कहा गया है कि जिस परमातà¥à¤®à¤¾ से ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद और अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं वह कौन सा देव है? इसका उतà¥à¤¤à¤° दिया है कि जो सब को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करके धारण कर रहा है वह परमातà¥à¤®à¤¾ है। यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ में कहा गया है कि जो सà¥à¤µà¤¯à¤®à¥à¤à¥‚, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, शà¥à¤¦à¥à¤§, सनातन, निराकार परमेशà¥à¤µà¤° है वह सनातन जीवरूप पà¥à¤°à¤œà¤¾ के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤¾à¤°à¥à¤¥ यथावतॠरीतिपूरà¥à¤µà¤• वेद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सब विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का उपदेश करता है।
उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ आधार पर यह पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सिदà¥à¤§ हो जाता है कि वेद परमातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। परमातà¥à¤®à¤¾ से इतर वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ व साधन हो à¤à¥€ नहीं सकता। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में वेदों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ होने पर यही जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सूरà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की à¤à¤¾à¤‚ति सारे संसार में फैला और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद यथावतॠइसका पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° न होने संसार में अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ फैल गया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि संसार का नियम है कि विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ का पà¥à¤¤à¥à¤° तà¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हो सकता है कि जब वह पà¥à¤°à¥‚षारà¥à¤¥ व तप पूरà¥à¤µà¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करता है। यदि नहीं करता तो वह अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ रह जाता है। यहां à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ ही हà¥à¤† कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल के बाद ऋषियों वा वेद के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ टूट गई जिससे अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ फैल गया।
वेदों का सबसे पहला महतà¥à¤µ तो यही है कि यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है अतः इसकी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• बात, शबà¥à¤¦ व वाकà¥à¤¯ में निहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सतà¥à¤¯ का दिगà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ कराता है। इससे सà¤à¥€ à¤à¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ का निवारण होता है। संसार के किसी अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में यह विशेषता नहीं है। वेद के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ कोई गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पूरी तरह निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ नहीं है। यह à¤à¥€ जान लेते हैं कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठसंसार में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से बà¥à¤•à¤° कà¥à¤› à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ नहीं है। अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥, धन व वैà¤à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से तà¥à¤šà¥à¤› हैं। इसी का बोध कराने के लिठईशà¥à¤µà¤° ने गायतà¥à¤°à¥€ मनà¥à¤¤à¥à¤° में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को शिकà¥à¤·à¤¾ दी है कि तà¥à¤® मà¥à¤à¤¸à¥‡ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ ईशà¥à¤µà¤° से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करो। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मिल जाने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है व निà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ हो सकता है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सामने यह समसà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ है कि वह संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® के समय कहां से आया है और कालानà¥à¤¤à¤° में मृतà¥à¤¯à¥ होने पर कहां चला जाता है। उसका मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® लेने का कारण कà¥à¤¯à¤¾ है और उसके मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ हैं? मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठउसके पास कà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤¯à¤¾ साधन हैं जिसका उपयोग कर वह लकà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कर सकता है। वेदों व वैदिक साहितà¥à¤¯ यथा बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚, उपनिषद, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, दरà¥à¤¶à¤¨ आदि में मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ व लकà¥à¤·à¥à¤¯ ‘धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤·’ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ को बताया गया है। ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° ही जीवन का लकà¥à¤·à¥à¤¯ है जिसके पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेने पर मोकà¥à¤· आदि की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को होती है। यह à¤à¥€ चरà¥à¤šà¤¾ कर लेते हैं कि मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ को अपना आचरण कैसा बनाना होता है। वेदों व वेदानà¥à¤¸à¤¾à¤° शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के आधार पर ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने कहा है कि परमेशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ पालने, अधरà¥à¤®, अविदà¥à¤¯à¤¾, कà¥à¤¸à¤‚ग, कà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¤¾à¤°, बà¥à¤°à¥‡ वà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ से अलग रहने और सतà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤£, परोपकार, विदà¥à¤¯à¤¾, पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯, धरà¥à¤® की वृदà¥à¤§à¤¿ करने, (वैदिक विधि से) ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ और उपासना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करने, विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤¨à¥‡, पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ और धरà¥à¤® से पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करने, सब से उतà¥à¤¤à¤® साधनों का आचरण करने और जो कà¥à¤› करें वह सब पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤§à¤°à¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° ही करें। इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ साधनों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ होती है। इनसे विपरीत ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ à¤à¤‚ग करने आदि कामों से जनà¥à¤® व मरण रूपी बनà¥à¤§à¤¨ होता है। वेदों का यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ संसार में वैदिक साहितà¥à¤¯ से इतर किसी धरà¥à¤® व मजहब की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में नहीं मिलता और न उनके आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में इस पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ ही डाला है।
वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने से ईशà¥à¤µà¤°, जीव व सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व ईशà¥à¤µà¤° की उपासना की सतà¥à¤¯ विधि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है जिससे ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° और सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों की निवृतà¥à¤¤à¤¿ होती है। इससे न केवल à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤– अपितॠउससे à¤à¥€ कहीं अधिक ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आननà¥à¤¦ जिसे परमाननà¥à¤¦ à¤à¥€ कह सकते हैं, ईशà¥à¤µà¤° के उपासक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के समसà¥à¤¤ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ वेदों से ही होता है। ईशà¥à¤µà¤°, माता-पिता, आचारà¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ संबंधियों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ व साथ ही पंच महायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ जिसमें से à¤à¤• देवयजà¥à¤ž वा अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° है, उन सबका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ वेद à¤à¤µà¤‚ वैदिक साहितà¥à¤¯ से होता है। वेद का महतà¥à¤µ यह à¤à¥€ कि यह सामà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• विचारों से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤ है और संसार के सà¤à¥€ लोगों को à¤à¤• सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• ईशà¥à¤µà¤° का पà¥à¤¤à¥à¤° व पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ बताते हैं। चारों वेद अहिंसा की शिकà¥à¤·à¤¾ देते हैं और मांसाहार का हर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से निषेध करते व उसे दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ घोषित करते हैं। वेद पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मातà¥à¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दया व पà¥à¤°à¥‡à¤® की शिकà¥à¤·à¤¾ देते हैं। वेदों में संसार की सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ बीज रूप में है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ काल तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं में अगà¥à¤°à¤£à¥€à¤¯ था। à¤à¤¾à¤·à¤¾ की बात करें तो संसार की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तमॠसंसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वासी ही करते थे। पदारà¥à¤¥ विदà¥à¤¯à¤¾ में à¤à¥€ इस देश विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ सिदà¥à¤§ व विजà¥à¤ž थे। वायà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व जलयान सà¤à¥€ यहां थे। सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° था। सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤¾à¤à¥‚षण धारण करते थे। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ व रामायण के सूकà¥à¤·à¥à¤® वरà¥à¤£à¤¨ करने पर इन तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ किया जा सकता है। à¤à¤¸à¥‡ ही अनेक तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका और ऋषि दयाननà¥à¤¦ के पूना पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ में अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर हà¥à¤† है।
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