जहरीला धà¥à¤†à¤‚ इसका जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन
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Rajeev ChoudharyDate
27-Nov-2017Category
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27-Nov-2017Download PDF
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जहरीला धà¥à¤†à¤‚ इसका जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन
आसमान में बादलो के तरह छाये जहरीले धà¥à¤à¤‚ के कारण आजकल à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ की à¤à¥€ साà¤à¤¸ उखड रही है. जीव à¤à¤•-à¤à¤• साà¤à¤¸ के सहारे जीवन पूरा करता है, लेकिन जब वो साà¤à¤¸ ही जहरीली हो जाये तो कोई कà¥à¤¯à¤¾ करें? वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ हालात आपातकाल जैसे हैं. आà¤à¤–ों में जलन के साथ पानी आ रहा है. सà¥à¤•à¥‚ल बंद किये जा रहे है. विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ और नà¥à¤¯à¥‚ज à¤à¤œà¥‡à¤‚सियों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हालात कमोबेश वैसे ही हैं जैसे लंदन में 1952 के “गà¥à¤°à¥‡à¤Ÿ सà¥à¤®à¥‰à¤—” के दौरान थे. उस दौरान वहां करीब 4,000 लोगों की असामयिक मौत हो गई थी. इस विषय के विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का मानना है यदि दिलà¥à¤²à¥€ में हवा का à¤à¤¸à¤¾ ही सà¥à¤¤à¤° बना रहा तो यहाठà¤à¥€ असामयिक मौतें हो सकती हैं. सीà¤à¤¸à¤ˆ ने पिछले साल à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ में कहा कि राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ राजधानी में हर साल करीब 10,000 से 30,000 मौतों के लिठवायॠपà¥à¤°à¤¦à¥‚षण जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° होता है.
वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ जीवन रोजाना की à¤à¤¾à¤—दौड और घर से ऑफिस और ऑफिस से घर, किसके पास टाइम है इन बातों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने का! बस 5० या 100 रूपये का मासà¥à¤• ले लिया मानों साà¤à¤¸ शà¥à¤¦à¥à¤§ हो गयी और सब कषà¥à¤Ÿ दूर हो गये हम तो निपट गये जहरीले धà¥à¤à¤‚ से तो हमारी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ खतà¥à¤®! कोई करें à¤à¥€ तो कà¥à¤¯à¤¾? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि करने वाले ही कल दिलà¥à¤²à¥€ में इस जहरीले धà¥à¤à¤‚ से निपटने की योजना बनाने के बजाय पिछले साल हà¥à¤ˆ नोटबंदी का विरोध और जशà¥à¤¨ मना रहे थे. हाठये बात सब मान रहे हैं कि हालात खराब हैं और इनसे निबटने के लिठसरकार को ही कोशिश करनी चाहिठपर à¤à¤• सवाल यह à¤à¥€ हैं कà¥à¤¯à¤¾ बिना नागरिकों के शामिल हà¥à¤ धà¥à¤à¤‚ से पार पाने के इस यà¥à¤¦à¥à¤§ में अकेली सरकार जीत जाà¤à¤—ी? समाचार पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और नà¥à¤¯à¥‚ज चैनलों के माधà¥à¤¯à¤® से बताया जा रहा कि सांसों के जरिये फेफड़े में दाखिल होने वाले पà¥à¤°à¤¦à¥‚षक कण पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण मापने की इकाई के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° (पीà¤à¤®) 2.5 और (पीà¤à¤®) 10 का सà¥à¤¤à¤° कई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ सीमा से 17 गà¥à¤¨à¤¾ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रहा. केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण नियंतà¥à¤°à¤£ बोरà¥à¤¡ ओर से संचालित निगरानी सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ का हर घंटा वायॠगà¥à¤£à¤µà¤¤à¥à¤¤à¤¾ सूचकांक (à¤à¤•à¥à¤¯à¥‚आई) 500 से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ रहा जोकि अधिकतम सीमा से कहीं जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है.
फिलहाल इस सबके लिठहरियाणा, पंजाब के खेतों से उठे धà¥à¤à¤‚ को जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° माना जा रहा है लेकिन तथà¥à¤¯ यह à¤à¥€ है कि पराली तो किसान सालों से जला रहे जबकि धà¥à¤à¤‚ का दानव पिछले तीन चार सालों से लोगों को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ निगल रहा है. कà¥à¤¯à¤¾ इसमें अकेले किसान ही दोषी है? पेटà¥à¤°à¥‹à¤², डीजल के बेशà¥à¤®à¤¾à¤° दौड़ते वाहन और कचरे और लकड़ी जलाना कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के लिठजिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° नहीं है? हमने पहले à¤à¥€ लिखा था कि कटते जंगल और बà¥à¤¤à¥‡ सीमेंट के जंगलों से बने शहरों से निकलता विषैला धà¥à¤†à¤‚, फैकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, कारखानों और मोटर-कारों से निकलता जहर वातावरण को गैस चैंबर बनाता जा रहा है. यदि आज पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ महाविनाश के विरà¥à¤¦à¥à¤§ सामूहिक रूप से कोई उपाय नहीं किया जायेगा तो कब तक मानव जीवित रह पायेगा कोई परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ नहीं की जा सकती.
पिछले ही दिनों समà¥à¤¦à¥à¤° के किनारों पर वà¥à¤¹à¥‡à¤² मछलियों का मृत मिलना तो आसमान से पकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का बेहोश होकर जमीन पर गिरना ये खबरें आज किसी के लिठकोई मायने नहीं रखती. थोड़े आगे à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में यदि हम सà¥à¤µà¤šà¥à¤› वायॠके लिठओकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ सिलेंडर पीठपर बांधकर चले तो इस समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से इंकार नहीं किया जा सकता. यदि कोई सोच रहा हो कि नहीं à¤à¤¸à¤¾ तो नहीं होगा, तो उनसे बस यह सवाल है कि कà¥à¤¯à¤¾ आज से बीस-तीस वरà¥à¤· पहले किसी ने सोचा था कि हमें साफ पानी के लिठघरों में फिलà¥à¤Ÿà¤° आदि लगाने पड़ेंगे?
पिछले दिनों à¤à¤• वेबसाइट पर आंकड़े देखे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बड़ी सरलता से आंकड़े दिठथे कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में अब पà¥à¤°à¤¤à¤¿ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सिरà¥à¤« 28 पेड़ बचे हैं और इनकी संखà¥à¤¯à¤¾ साल दर साल कम होती जा रही है. अब यदि कोई दिलà¥à¤²à¥€ में बैठकर सोचे कि हमारे हिसà¥à¤¸à¥‡ अà¤à¥€ 28 पेड़ है तो वह गलत है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये पेड़ों की गणना पà¥à¤°à¥‡ देश उसी तरह है जिस तरह जनगणना. नेचर जरà¥à¤¨à¤² की इस रिपोरà¥à¤Ÿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤à¤° में à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिठ422 पेड़ मौजूद हैं. दूसरे देशों की बात करें तो पेड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ के मामले में रूस सबसे आगे हैं. रूस में करीब 641 अरब पेड़ हैं, जो किसी à¤à¥€ देश से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हैं. इसके बाद 318 अरब पेड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ के साथ कनाडा दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर, 301 अरब पेड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ के साथ बà¥à¤°à¤¾à¤œà¥€à¤² तीसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर और 228 अरब पेड़ों की संखà¥à¤¯à¤¾ के साथ अमेरिका चौथे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर है.
हम आज इन देशों से अपनी तà¥à¤²à¤¨à¤¾ फैशन से लेकर à¤à¤¾à¤·à¤¾ और रहन सहन से कर रहे है, जब इनकी तरह हमारी à¤à¤• नागरिक के तौर पर जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ आती है तो हम सरकार कà¥à¤¯à¤¾ कर रही है? यह सवाल दागकर अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤°à¥€ से विमà¥à¤– हो जाते है. आज हमारे देश में मंदिरों, मसà¥à¤œà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚, बà¥à¤¤à¥‹à¤‚-पà¥à¤¤à¤²à¥‹à¤‚ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ मजारों के लगाने हटाने के लिठरोज à¤à¤—ड़े होते है. जबकि किसी की à¤à¥€ याद में लगाई गई मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ या मजार ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ नहीं देती, बलà¥à¤•à¤¿ पेड़ ऑकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ देते हैं. बिना रोटी और बिन दवा और अनà¥à¤¯ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• कारणों से लोग मरते है सबने सà¥à¤¨à¤¾ होगा लेकिन जब लोग खà¥à¤²à¥‡ मैदान में à¤à¥€ साà¤à¤¸ की वजह से मरेंगे तो सोचों जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° कौन होगा?
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