शिकà¥à¤·à¤¾ की पाठशाला में संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹ का कतà¥à¤²
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Rajeev ChoudharyDate
27-Nov-2017Category
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27-Nov-2017Download PDF
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शिकà¥à¤·à¤¾ की पाठशाला में संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹ का कतà¥à¤²
पांचवी पास करने के बाद जब छटी कà¥à¤²à¤¾à¤¸ में दाखिला लिया तो कà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤°à¥‚म के बाहर लिखा देखा “विदà¥à¤¯à¤¾ विहीन पश॔ “बिना विदà¥à¤¯à¤¾ के मनà¥à¤·à¥à¤¯ पशॠके सामान होता है.” पर जब विदà¥à¤¯à¤¾ पाकर à¤à¥€ इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ हिंसक पशॠजैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें तो उसे कà¥à¤¯à¤¾ लिखा जाना चाहिà¤? कहीं न कहीं इसे विदà¥à¤¯à¤¾ में खोट कहा जाना चाहिठइसमें कोई कमी ही कही ही जा सकती हैं वरना à¤à¤²à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤• 11 ककà¥à¤·à¤¾ का छातà¥à¤° अपने जूनियर दूसरी कà¥à¤²à¤¾à¤¸ के अपने से उमà¥à¤° में बहà¥à¤¤ छोटे 7 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ छातà¥à¤° की गला रेतकर हतà¥à¤¯à¤¾ करता? सवाल यह à¤à¥€ उठना चाहिठकि शिकà¥à¤·à¤¾ के साथ संसà¥à¤•à¤¾à¤°, नैतिकता गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने गये à¤à¤• नाबालिग छातà¥à¤° के मन में इतनी कà¥à¤°à¥‚रता इतनी हिंसा आई कहाठसे? रायन इंटरनैशनल सà¥à¤•à¥‚ल में पà¥à¤°à¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ ठाकà¥à¤° हतà¥à¤¯à¤¾ केस में आरोपी 11वीं ककà¥à¤·à¤¾ के हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ छातà¥à¤° को अब à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ जो à¤à¥€ सजा दे लेकिन पà¥à¤°à¤¦à¥à¤¯à¥à¤®à¥à¤¨ माता-पिता को जो जीवन à¤à¤° के लिठदà¥à¤ƒà¤– मिला उसकी à¤à¤°à¤ªà¤¾à¤ˆ नहीं हो सकती हैं हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ ने à¤à¤• माठकी ममता को जीवन à¤à¤° तड़फने के लिठछोड़ दिया.
कहा जा रहा है हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¾ छातà¥à¤° अधिकांश समय हताश रहता था. उसे परिजनों की ओर से दबाकर रखा जाता था. वह खà¥à¤²à¤•à¤° नहीं बोलता था. इससे वह अंदर ही अंदर घà¥à¤Ÿà¤¨ महसूस करता था. वह इस कदर कà¥à¤‚ठित हो गया और कà¥à¤‚ठा निकलने के लिठकिसी दà¥à¤¸à¤°à¥‡ माता-पिता के सपनो का गला चाकà¥à¤“ं से रेत दिया. लेकिन सवाल फिर वही आता है कि आखिर à¤à¤¸à¥‡ हालात कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पैदा हà¥à¤? कहीं à¤à¤¸à¤¾ तो नहीं इन सब हालात के लिठहमारी वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ दोषी है? जिसमें तà¥à¤²à¤¨à¤¾, आगे निकलने की होड़ में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को धकेला जा रहा हो उनके मासूम से मसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° कà¥à¤•à¤° बनाया जा रहा है. शायद यही कारण रहा होगा कि रायन सà¥à¤•à¥‚ल में पà¥à¤°à¥‡à¤¶à¤° कà¥à¤•à¤° बनाया गया à¤à¤• मसà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤· फट गया जिसने à¤à¤• मासूम को अपनी चपेट में ले लिया.
आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में औतपà¥à¤°à¥‹à¤¤ लोग कहते है कि पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ का महिमामंडन अब नहीं होना चाहिठलेकिन हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ इतना खोखला हो चà¥à¤•à¤¾ था कि अतीत से आतà¥à¤®à¤¬à¤² तलाशने के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ का महिमामंडन जरूरी हो जाता है. नये à¤à¤¾à¤°à¤¤ को समà¤à¤¨à¥‡ के अतीत के à¤à¤¾à¤°à¤¤ को समà¤à¤¨à¥‡ के लिठगहन पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ जब तक नहीं होंगे तब à¤à¤¸à¥€ हिंसक घटनाओं से दो चार होने से हमें कौन रोक सकता है. हमें समà¤à¤¨à¤¾ होगा कि हम सब हिंसा के शिकार हैं. हिंसा के चकà¥à¤° में ही जीने के लिठअà¤à¤¿à¤¶à¤ªà¥à¤¤ होते जा रहे हैं. इसलिठबड़े और महंगे सà¥à¤•à¥‚लों का गà¥à¤£à¤—ान करने से पहले इस हिंसा का चेहरा देख लीजिठजो à¤à¤¾à¤°à¤¤ का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ निगलने के लिठकतार में खड़ी है.
बचà¥à¤šà¥‡ को महंगे सà¥à¤•à¥‚ल और खरà¥à¤š के लिठरकम देने से संसà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं आते हैं. यह à¤à¥€ देखना जरूरी है कि बचà¥à¤šà¤¾ किस ओर जा रहा है. घर में खà¥à¤²à¤¾à¤ªà¤¨ होना चाहिà¤. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर किसी तरह का अनावशà¥à¤¯à¤• दबाव नहीं होना चाहिà¤. अगर यह होता है तो बचà¥à¤šà¤¾ बाहर इसे दूसरे पर निकालता है. कामयाबी के चकà¥à¤•à¤° में आज बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ बहà¥à¤¤ अकेले पड़ गठहैं. घरो में सनà¥à¤¨à¤¾à¤Ÿà¤¾ पसर गया हैं. दिमाग पर जोर डालिठसोचिये आज मेटà¥à¤°à¥‹ शहरो में कितनी माओं की गोद में बचà¥à¤šà¤¾ देखते है. à¤à¤¸à¤¾ नहीं है कि इनमें कोई माठनहीं है लेकिन à¤à¤¾à¤—ती दौडती जिनà¥à¤¦à¤—ी ने इनकी गोद से बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ छीन लिठजिस कारण वो बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ या तो अकेलेपन में पल रहे है या फिर किसी दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के सहारे. अधिकांश वो सहारा किराये का होता है. बिना संसà¥à¤•à¤¾à¤°, बिना ममता, बिना वातà¥à¤¸à¤²à¥à¤¯, आदि के पलता वो बचà¥à¤šà¤¾ à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में कà¥à¤¯à¤¾ देगा यह आप बखूबी अंदाजा लगा सकते है.
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ और माता-पिता की सबसे बड़ी विफलताओं में दो कारण हैं, à¤à¤• तो यह बचà¥à¤šà¥‡ की सीखने की अकà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾à¤“ं की पहचान करने में असमरà¥à¤¥à¤¤à¤¾ और जीवन के अंत में शैकà¥à¤·à¤£à¤¿à¤• विफलता पर विचार करने में असमरà¥à¤¥ हैं. दूसरा आतà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¥€à¤•à¥à¤·à¤£ कहा जाता है बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ के जीवन में माता-पिता और गà¥à¤°à¥ à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ ततà¥à¤µ है. सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के दà¥à¤¸à¤°à¥‡ समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में शतपथ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का हवाला देते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा है मातृमानॠपितृमानाचारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹ वेद. अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जब तीन उतà¥à¤¤à¤® शिकà¥à¤·à¤• अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¤• माता, दूसरा पिता और तीसरा आचारà¥à¤¯ होवे तà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤¨à¥ होता है. यहाठजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤¨ होने अरà¥à¤¥ यह नहीं कि माता-पिता बड़े डॉकà¥à¤Ÿà¤°, इंजीनियर या अनà¥à¤¯ कोई बड़ा पद रखते हो बलà¥à¤•à¤¿ सामाजिकता, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• का इसमें गहन अरà¥à¤¥ छिपा है. हम पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में देखें तो पता चलेगा की उस दौर में शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ सरल थी. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में इसके तनावपूरà¥à¤£ होने का à¤à¥€ कोई संकेत नही मिलता है. अब, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ बदल गयी है और आज के दौर में पढाई तनावपूरà¥à¤£ हो चà¥à¤•à¥€ है.
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि दबाव का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ माता-पिता की तरफ से आता है. महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° और तमिलनाडॠइसका उदाहरण हैं जहाठबचà¥à¤šà¥‹à¤‚ पर उनके माता-पिता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हाई सà¥à¤•à¥‚ल में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और गणित लेने के लिठबाधà¥à¤¯ किया जाता है, ताकि वह आगे चलकर डॉकà¥à¤Ÿà¤° या इंजीनियर बन सकें. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के वाणिजà¥à¤¯ या कला में रà¥à¤šà¤¿ के विकलà¥à¤ª को नकार दिया जाता है. अब à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिकà¥à¤·à¤¾ चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€à¤ªà¥‚रà¥à¤£, पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¸à¥à¤ªà¤°à¥à¤§à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• हो चà¥à¤•à¥€ है और परिणाम को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ महतà¥à¤µ दिया जाता है. बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन शैकà¥à¤·à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ पर किया जाता है न कि नैतिक. बचà¥à¤šà¥‡ को असहमति का अधिकार है? लेकिन इसके उलट शिकà¥à¤·à¤¾ और वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में उसको समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देने की बजाय मजबूर किया जा रहा है.
सà¥à¤•à¥‚ल में छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर अचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ और टॉप करने के लिठदबाव रहता है तो घरों में कई बार ये दबाव परिवार,à¤à¤¾à¤ˆ- बहन और समाज के कारण होता है. दबाव को लेकर उदास छातà¥à¤° तनाव से गà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¤ होने के साथ ही पढाई à¤à¥€ बीच में छोड़ देते हैं. जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ मामलों में, तनाव से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ छातà¥à¤° आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ का विचार à¤à¥€ मन में लाते हैं और बाद में आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ कर लेते हैं. ये बात तो आप à¤à¥€ मानते होंगे कि बचपन की सीख जीवनà¤à¤° साथ रहती है. बचपन की बातें और यादें हमेशा हमारे साथ बनी रहती हैं. à¤à¤¸à¥‡ में ये माता-पिता की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ बन जाती है कि वो अपने बचà¥à¤šà¥‡ को कम उमà¥à¤° में ही उन बातों की आदत डाल दें, जो उसके आने वाले कल के लिठजरूरी हैं. ताकि शिकà¥à¤·à¤¾ की पाठशाला में संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹ का कतà¥à¤² होने बचाया जा सकें.
----विनय आरà¥à¤¯
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