राजनीति की तराजू में आदरà¥à¤¶ महापà¥à¤°à¥à¤·
Author
Rajeev ChoudharyDate
28-Nov-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
575Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
28-Nov-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- जयोतिषी à¤à¤¾à¤°à¤¤
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
राजनीति की तराजू में आदरà¥à¤¶ महापà¥à¤°à¥à¤·
अगला लोकसà¤à¤¾ चà¥à¤¨à¤¾à¤µ किसके पकà¥à¤· में होगा अà¤à¥€ इसकी महज परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ ही की जा सकती है किनà¥à¤¤à¥ राजनेताओं की तिकड़मबाजी अà¤à¥€ से शà¥à¤°à¥‚ होकर आदरà¥à¤¶ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के चरितà¥à¤° और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ पर आन टिकी है। यह दà¥à¤–द घड़ी है कि अखिलेश यादव की ओर से सैफई में योगिराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की 50 फà¥à¤Ÿ ऊंची पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ लगवाने के बाद अब मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह ने कृषà¥à¤£ को पूरे देश का आराधà¥à¤¯ बताया है। उसने आसà¥à¤¥à¤¾ की तराजू पर रखकर राम और कृषà¥à¤£ के आदरà¥à¤¶ तोलकर बताया कि शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने समाज के हर तबके को समान माना और यही कारण है कि कृषà¥à¤£ को पूरा देश समान रूप से पूजता है, जबकि राम सिरà¥à¤« उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पूजे जाते हैं। दरअसल मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव राम और कृषà¥à¤£ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ कर अपनी धारà¥à¤®à¤¿à¤• राजनीति चमका रहे हैं शायद वे यह बताना चाह रहे थे कि मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤·à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® राम कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ à¤à¤—वान है और शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯? पर वह à¤à¥‚ल गये कि हमारा पूरा देश जनà¥à¤®à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¤®à¥€ हो या रामनवमी समान आसà¥à¤¥à¤¾ और विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ मनाता आया है।
सब जानते हैं कि यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ की राजनीति है जब यहाठसतà¥à¤¤à¤¾ पाने का कोई चारा दिखाई न दे तो धरà¥à¤® का à¥à¥‹à¤² बजा दिया जाये। यदि धरà¥à¤® का à¥à¥‹à¤² कमजोर पड़े तो जाति और कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦ में लोगों को बाà¤à¤Ÿ दिया जाये यदि इनसे à¤à¥€ काम ना चले तो à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जिसमें उसके महापà¥à¤°à¥à¤· जनà¥à¤®à¥‡à¤‚ हां, उनका à¤à¤• मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ इतिहास रहा हो तो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न उनका इतिहास उधेड़कर अपने तरीके से बà¥à¤¨à¤¾ जाये? चाहे वह यà¥à¤—ों-यà¥à¤—ानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ पूरà¥à¤µ का ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो?
मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह यादव खà¥à¤¦ को समाजवाद के अगà¥à¤°à¤£à¥€ नेता बताते रहे हैं। समाजवाद का अरà¥à¤¥ यही होता होगा कि समाज में सब में समान हो। कोई छोटा-बड़ा नहीं हो, इसमें चाहे आम समाज हो या महापà¥à¤°à¥à¤·à¥¤ खà¥à¤¦ मà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤® सिंह के गà¥à¤°à¥ लोहिया à¤à¥€ राम, कृषà¥à¤£ और राजा शिव से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ बिना नहीं रहे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा था कि ‘हे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤®à¤¾à¤¤à¤¾! हमें शिव का मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• दो, कृषà¥à¤£ का हृदय और राम का करà¥à¤® और वचन और मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ दो। लेकिन अब अब राम à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ का हो गया और शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ समाजवादियों के। अब à¤à¤²à¤¾ समाजवादियों का कृषà¥à¤£ राम से कम कैसे आà¤à¤•à¤¾ जाये? लगता है अब धारà¥à¤®à¤¿à¤• आसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं का मूलà¥à¤¯ वोट और नोट से ही चà¥à¤•à¤¾-चà¥à¤•à¤¾à¤•à¤° जीना पड़ेगा। कारण धरà¥à¤® पर बाजार और राजनीति जो हावी है। आपको अपने à¤à¤—वान के बारे में जानना है तो राजनेता बता रहे हैं और यदि इसके बाद उनके दरà¥à¤¶à¤¨ करने है पैसे चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡ पड़ेंगे ये आपको तय करना है कि कितने रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ वाला दरà¥à¤¶à¤¨ करना है और आपका à¤à¤—वान राजनितिक तौर पर कितना मजबूत यह जानने के नेता बता रहे हैं।
महातà¥à¤®à¤¾ गांधी ने गीता को तो सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया उसे माता à¤à¥€ कहा लेकिन गीता को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ करते उनके अनà¥à¤¦à¤° हिचक दिखाई दी इससे गाà¤à¤§à¥€ की अहिंसा के मूलà¥à¤¯ खतरें में पड़ जाते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा यह लड़ाई कà¤à¥€ हà¥à¤ˆ ही नहीं यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ के à¤à¥€à¤¤à¤° अचà¥à¤›à¤¾à¤ˆ और बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ की लड़ाई है। यह जो कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है वह अनà¥à¤¦à¤° का मैदान है। कोई बाहर का मैदान नहीं है। अब सवाल यह à¤à¥€ है कि कला से लेकर संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तक कà¥à¤¯à¤¾ अब à¤à¤—वान à¤à¥€ राजनीति के कटघरे में खड़े से नजर नहीं आ रहे हैं? यह सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनी और कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¥€ ही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बनी रहेगी? अब हमारे सामने आगे की राह कà¥à¤¯à¤¾ है? अà¤à¥€ किसी ने सà¥à¤à¤¾à¤ˆ नहीं है। अलग-अलग काल में धरà¥à¤® और राजनीति की अलग-अलग à¤à¥‚मिका रही है। लेकिन वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ समय इन दोनों को à¤à¤• जगह मिलाकर वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ कर रहा है। जिसे अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की आजादी का नाम दिया जा रहा है। ये नेता महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को चरितà¥à¤° बिगड़कर कà¥à¤¯à¤¾ साबित करना चाह रहे है अà¤à¥€ किसी को पता नहीं!
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• जीवनशैली के चलते महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ से लेकर धरà¥à¤® को अपने अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बदलने पर तà¥à¤²à¥‡ हैं, इतिहास से लेकर अपने नायकों अधिनायकों पर सवाल उठा रहे हैं पर यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि यह बदलाव हमारे लिठà¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में सकारातà¥à¤®à¤• होगा या नकारातà¥à¤®à¤•? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठसबसे बड़ा सवाल यह है कि बिगाड़ तो रहे हैं लेकिन बना कà¥à¤¯à¤¾ रहे हैं? निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से अब तक जो à¤à¥€ जवाब या सà¥à¤µà¤°à¥‚प सामने आये हैं वह नकारातà¥à¤®à¤• हैं। इस कारण अब हमें धरà¥à¤® की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते समय इस बात का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आवशà¥à¤¯à¤• रूप से रखना होगा कि हम राजनीति को धरà¥à¤® से अलग रखें तà¤à¥€ धरà¥à¤® के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का बीजारोपण आगे आने वाली पीà¥à¥€ में कर पाà¤à¤à¤—े। इसलिठआवशà¥à¤¯à¤• है कि धरà¥à¤® और राजनीति के मूल ततà¥à¤¤à¥à¤µ समठमें आ जाà¤à¥¤ धरà¥à¤® और राजनीति का अविवेकी मिलन दोनों को à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ कर देता है, फिर à¤à¥€ जरूरी है कि धरà¥à¤® और राजनीति à¤à¤• दूसरे से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• न तोड़ें, मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ निà¤à¤¾à¤¤à¥‡ रहें।
संकीरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² पिछले कई दशकों से à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति का हिसà¥à¤¸à¤¾ बना हà¥à¤† है, जिससे देश और समाज को बहà¥à¤¤ बड़ा नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ हà¥à¤† है। नेताओं को अपने राजनितिक यà¥à¤¦à¥à¤§ में अपने महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को नहीं घसीटना चाहिठहो सकता है à¤à¤• नेता का दà¥à¤¸à¤°à¥‡ नेता से कोई वैचारिक विरोध हो पर राम का कृषà¥à¤£ से कैसा विरोध? हर कोई अपने-अपने समय पर इस पावन à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¥‚मि पर आया, अपने विचारों से अपनी शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से समाज को दिशा दी है, सामाजिक, नैतिक मूलà¥à¤¯ मजबूत किये, आचरण सिखाया, आगे चले और बिना किसी जातिगत à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के आगे चले। अब हमें अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° व आचरण को लेकर सोचना होगा और इस बात को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में लाना होगा कि यदि हमने महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° या जातिवाद या फिर दलीय राजनीति में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ किया तो कà¥à¤¯à¤¾ हम à¤à¥€ विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ हà¥à¤ बिना रह पाà¤à¤‚गे?
ALL COMMENTS (0)