इतिहास अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦
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Dr. Vivek AryaDate
11-Dec-2017Category
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इतिहास अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦
7 दिसंबर,2014 को हिंदà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤¨ टाइमà¥à¤¸, दिलà¥à¤²à¥€ संसà¥à¤•à¤°à¤£ में RSS (राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤¯à¤‚सेवक संघ) दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इतिहास के पाठà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤® में परिवरà¥à¤¤à¤¨ को लेकर लेख छपा था। पाठक इस तथà¥à¤¯ से à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति परिचित है कि सरकार के इस कदम का वामपंथी विचारधारा से समà¥à¤¬à¤‚धित लोग अलग अलग तरà¥à¤• देकर विरोध करते रहे हैं। संघ का यह कदम सà¥à¤µà¤¾à¤—त योगà¥à¤¯ है। हालांकि पाठकों को यह अवगत करवाना आवशà¥à¤¯à¤• है कि इतिहास विषय में à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियों को सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® उजागर करने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद को जाता है। कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिगà¥à¤°à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद के विशाल चिंतन में à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कड़ी इतिहास रà¥à¤ªà¥€ मिथà¥à¤¯à¤¾ बातों का खंडन à¤à¤µà¤‚ सतà¥à¤¯ इतिहास का शंखनाद हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का à¤à¤¾à¤—ीरथ पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ था कि विदेशी इतिहासकारों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ हित à¤à¤µà¤‚ ईसाइयत के पोषण के लिठविकृत इतिहास दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤ वासियों को असà¤à¥à¤¯, जंगली, अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥€ आदि सिदà¥à¤§ करने के लिठकिया जा रहा था। उसे न केवल सपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ असतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ करे अपितॠउसके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सतà¥à¤¯ इतिहास की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ वासियों को संसार कि शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम, वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• रूप से सबसे उनà¥à¤¨à¤¤ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤—तिशील सिदà¥à¤§ करे। इसी कड़ी में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनेक तथà¥à¤¯ अपनी लेखनी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किये गये। जिन पर आधà¥à¤¨à¤¿à¤• रूप से शौध कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ संसार के समकà¥à¤· सिदà¥à¤§ कर अनà¥à¤¸à¤¨à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ं की सोच को बदलने की अतà¥à¤¯à¤‚त आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ हैं।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कà¥à¤› इतिहास अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को यहाठपर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं।
1. आरà¥à¤¯ लोग बाहर से आये हà¥à¤ आकà¥à¤°à¤®à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ नहीं थे। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यहाठपर आकर यहाठके मूल निवासियों पर जय पाकर उन पर राजà¥à¤¯ किया था। वे यही के मूल निवासी थे और इस देश का नाम आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤ था।
2. वेदों में आरà¥à¤¯ दसà¥à¤¯à¥ यà¥à¤¦à¥à¤§ का किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का कोई उलà¥à¤²à¥‡à¤– नहीं हैं। और यह नितांत कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‚ंकि वेद इतिहास पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• नहीं है।
3. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में नारी जाति अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ घर में चूलà¥à¤¹à¥‡ चौके तक सिमित न रहने वाली होकर गारà¥à¤—ी, मैतà¥à¤°à¤¯à¥€ जैसी महान विदà¥à¤·à¥€ à¤à¤µà¤‚ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करने वाली थी। वेदों में तो मंतà¥à¤° दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ ऋषिकाओं का à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– मिलता हैं।
4. वेदों में à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° कि पूजा और अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ का विधान है। à¤à¤• ईशà¥à¤µà¤° के अनेक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के कारण अनेक नाम हो सकते है और यह सà¤à¥€ नाम गà¥à¤£à¤µà¤¾à¤šà¤• है। मगर इसका अरà¥à¤¥ यह है कि ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤• है और अनेक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के कारण अनेक नामों से जाना जाता हैं।
5. वेदों का उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ काल २०००-३००० वरà¥à¤· नहीं है अपितॠअरबों वरà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है।
6. रामायण, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ आदि कालà¥à¤ªà¤¨à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ नहीं हैं। अपितॠराजा परीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ आरà¥à¤¯ राजाओं कि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ वंशावली से सिदà¥à¤§ होता है कि वह सतà¥à¤¯ इतिहास है।
7. शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ का जो चरितà¥à¤° महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ है। वह आपà¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ वाला है। अनà¥à¤¯ सब गाथायें मनगà¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ असतà¥à¤¯ हैं।
8. पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ के रचियता वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी नहीं है। अपितॠपंडितों ने अपनी अपनी बातें इसमें मिला दी थी और वà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जी का नाम रख दिया था।
9. रामायण, महाà¤à¤¾à¤°à¤¤, मनॠसà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ आदि में जो कà¥à¤› वेदानà¥à¤•à¥‚ल है। वह मानà¥à¤¯ है। बाकि à¤à¤¾à¤— पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ मिलावटी है।
10. वैदिक ऋषि मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के रचियता नहीं अपितॠमंतà¥à¤° दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ थे। वेद अपौरà¥à¤·à¥‡à¤¯ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की नहीं अपितॠमानव जाति की रचना है।
11. वेदों में यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में पशॠबलि à¤à¤µà¤‚ माà¤à¤¸à¤¾à¤¹à¤¾à¤° आदि का कोई विधान नहीं हैं। वेदों की इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ मधà¥à¤¯ कालीन पंडितों का कारà¥à¤¯ हैं। जो वाममारà¥à¤— से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ थे।
12. मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ जैन मत दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आरमà¥à¤ हà¥à¤ˆ थी। न वेदों में और न ही इससे पूरà¥à¤µ काल में मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा का कोई पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था।
13. वेदों में जादू टोना,काला जादू आदि का कोई विधान नहीं हैं। यह सब मनघड़त कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤à¤ हैं। मधà¥à¤¯ काल में वाममारà¥à¤— आदि का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ हà¥à¤† जो पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर मिथà¥à¤¯à¤¾ विधानों में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखता था। तांतà¥à¤°à¤¿à¤• करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚ड उसी विचारधारा की देन है।
14. वेदों में अशà¥à¤²à¥€à¤²à¤¤à¤¾ आदि का कोई वरà¥à¤£à¤¨ नहीं हैं। यह सब मनघड़त कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤à¤ हैं। वाममारà¥à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वà¥à¤¯à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤° की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ के लिठवेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ अरà¥à¤¥ किये गठजिससे यह पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है कि वेदों में अशà¥à¤²à¥€à¤²à¤¤à¤¾ है।
15. सृषà¥à¤Ÿà¤¿ कि उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के काल में बहà¥à¤¤ सारे यà¥à¤µà¤¾ पà¥à¤°à¥à¤· और नारी का तà¥à¤°à¤¿à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤ª पर अमैथà¥à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से जनà¥à¤® हà¥à¤† था और चार ऋषियों अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, आदितà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ अंगिरा को हà¥à¤°à¤¦à¤¯ में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करवाया गया था। पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ यà¥à¤µà¤¾ पà¥à¤°à¥à¤· और नारी से मैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना हà¥à¤ˆ à¤à¤µà¤‚ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° हà¥à¤†à¥¤
16. वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बहà¥à¤¤ काल तक शà¥à¤°à¤µà¤£ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहा कालांतर में इकà¥à¤·à¥à¤µà¤¾à¤•à¥ के काल में वेदों को सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® लिखित रूप में उपलबà¥à¤§ करवाया गया था। देवनागरी लिपि को अकà¥à¤·à¤° रूप में बोलना हमें सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि काल से जà¥à¤žà¤¾à¤¤ था। जबकि उसे लिपि के रूप में राजा इकà¥à¤·à¥à¤µà¤¾à¤•à¥ के काल में विकसित किया गया।
17. आरà¥à¤¯ वैदिक सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ में पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ थी और आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤ देश संसार का विशà¥à¤µà¤—à¥à¤°à¥ था।
18. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ काल में विदेश गमन पर कोई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं था और न ही विदेश जाने से कोई à¤à¥€ धरà¥à¤® से चà¥à¤¯à¥à¤¤ हो जाता था।
19. शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि का विधान गोà¤à¤¿à¤² आदि गà¥à¤°à¤‚थों में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ था। इसलिठजो à¤à¥€ कोई वैदिक धरà¥à¤® तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर विधरà¥à¤®à¥€ हो चà¥à¤•à¥‡ है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वापिस सà¥à¤µà¤§à¤°à¥à¤®à¥€ बनाया जा सकता है।
20. गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के सोमनाथ में मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की विजय का कारण मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा à¤à¤µà¤‚ अवतारवाद से समà¥à¤¬à¤‚धित पाखंड था। नाकि हिंदà¥à¤“ं में वीरता कि कमी थी।
à¤à¤¸à¥‡ और उदहारण देकर à¤à¤• पूरी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी जा सकती है। जिसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद को अपने समय का सबसे बड़े इतिहासकार, अनà¥à¤¸à¤¨à¥à¤§à¤¾à¤¨ करà¥à¤¤à¤¾ के रूप में सिदà¥à¤§ करना होगा। संघ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इतिहास विषय में चेतना उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने का शà¥à¤°à¥‡à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद को अवशà¥à¤¯ देना चाहिà¤à¥¤
डॉ विवेक आरà¥à¤¯
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