आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°
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Naveen AryaDate
02-Jan-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
02-Jan-2018Download PDF
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आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°
हम सब पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ संसार की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के थपेड़ों से परेशान हो कर अपनी आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• शानà¥à¤¤à¤¿ के लिठवा वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤– के लिठकà¤à¥€ न कà¤à¥€ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ की ओर आशा à¤à¤°à¥€ नजरों से बाट ताकते ही हैं। संसार में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से, दà¥à¤–ों से,पीडाओं से,बाधाओं से, पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ होकर उन सबसे छà¥à¤Ÿà¥à¤•à¤¾à¤°à¤¾ पाने के लिठअनगिनत उपायों को करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ जब हमें निशà¥à¤šà¤¯ हो जाता है कि इन सब उपायों से हमारा वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• समाधान होने वाला नहीं है तब हम किसी à¤à¤¸à¥‡ उपाय का अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ करने लग जाते हैं जहाठनितानà¥à¤¤ शानà¥à¤¤à¤¿ हो। जब à¤à¤• जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने जैसे अनà¥à¤¯ सामानà¥à¤¯ सांसारिक लोगों को देखता है और अपने आप को à¤à¥€ उनसे तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करके देखता है तो उसको लगता है कि यहाठतो सारा संसार ही इन सब समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से, दà¥à¤ƒà¤–ों से पीडाओं से पिसा जा रहा है, सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ उस सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ की खोज में लगे हà¥à¤ हैं । वह जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जब à¤à¤• योगी महातà¥à¤®à¤¾, वैरागà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को देखता है तो वहाठफिर उन लौकिक और आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• दोनों वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤“ं में वह तà¥à¤²à¤¨à¤¾ करके देखता है कि कौन अधिक सà¥à¤–ी है ?
जब हम सांसारिक चिनà¥à¤¤à¤¾à¤“ं से मà¥à¤•à¥à¤¤ किसी वैरागी, साधà¥, अथवा सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ राग-दà¥à¤µà¥‡à¤· से रहित, सांसारिक बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ से निरà¥à¤²à¤¿à¤ªà¥à¤¤ किसी अवधूत संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ को देखते हैं तो हमें लगता है कि वासà¥à¤¤à¤µ में यही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पूरà¥à¤£ तृपà¥à¤¤ है, इसी को ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ सà¥à¤– की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ है। इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के शरण में चले जायें अथवा इसके जैसा यदि हम à¤à¥€ बन जायें तो हमें à¤à¥€ चिर-शानà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो सकती है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° हम इस आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• मारà¥à¤— की ओर मà¥à¤¡ जाते हैं, आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जगत में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो जाते हैं । वासà¥à¤¤à¤µ में बाहà¥à¤¯ आडमà¥à¤¬à¤°à¥‹à¤‚ व साधनों को देखकर यह बताना कठिन हो जाता है कि यथारà¥à¤¥ रूप में कौन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कितना सà¥à¤–ी है और कौन कितना दà¥:खी है। कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ गोरा है तो वह जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤–ी होगा और कोई काला है तो दà¥:खी होगा, कोई रूपवानॠहै तो सà¥à¤–ी और कà¥à¤°à¥‚प हो तो दà¥:खी, कोई धनवानॠहो तो सà¥à¤–ी और गरीब हो तो दà¥à¤–ी, कोई अचà¥à¤›à¥‡-सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° कपडे पहने तो सà¥à¤–ी और कोई फटी-पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ पहने तो दà¥:खी हो, कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अधिक से अधिक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को पॠलिया, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ बन गया, डिगà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लिया हो, तो वह सà¥à¤–ी रहता हो, और कोई जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤¾-लिखा न हो तो वह दà¥à¤ƒà¤–ी होता हो, à¤à¤¸à¤¾ कोई नियम नहीं है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इन सबसे सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– का कोई समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ नहीं है।
वासà¥à¤¤à¤µ में देखा जाये तो सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– का आना तथा उस सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर सà¥à¤–ी-दà¥à¤–ी होना केवल मन के ऊपर ही निरà¥à¤à¤° होता है। à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सामानà¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤– से à¤à¥€ घबरा जाता है, हताश-निराश व परेशान हो जाता है और à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन में पहाड़ जितना दà¥à¤ƒà¤– आने पर à¤à¥€ वह दà¥à¤–ी नहीं होता। ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन में थोडा सा à¤à¥€ सà¥à¤– मिल जाये तो वह अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ हरà¥à¤·à¤¿à¤¤ व à¤à¤¾à¤µà¥à¤• हो जाता है और इस के विपरीत à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤– का समà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¥€ सामने हो तो शानà¥à¤¤ व सामानà¥à¤¯ रहता हà¥à¤† पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं होता। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• सांसारिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° और à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में बहà¥à¤¤ ही अनà¥à¤¤à¤° देखा जाता है। दोनों का ही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का होता है परनà¥à¤¤à¥ जैसे लौकिक लोग दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करते हैं ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का होता है।
किसी नीतिकार ने कहा है कि “मनसà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¯à¤¤à¥ वचसà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¯à¤¤à¥ करà¥à¤®à¤£à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¯à¤¤à¥ दà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¨à¤¾à¤®à¥” अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मन-वाणी और करà¥à¤® से पृथक-पृथक वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है उस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को दà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ कहा गया है। परनà¥à¤¤à¥ यह à¤à¤• विचारणीय विषय है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ à¤à¥€ अनà¥à¤¦à¤° और बाहर के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ रखता है। हमें यह जानना चाहिठकि – à¤à¤• योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° कैसे होता है ? à¤à¤• योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ बाहर कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ होता है और अनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤› à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का होता है, फिर à¤à¥€ लौकिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤“ं से पृथक ही होता है।
à¤à¤• योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ à¤à¤²à¥‡ ही बाहर से किसी से बातचीत करते रहता है, किसी को उपदेश करते रहता है परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° से वह ईशà¥à¤µà¤° के साथ अपना घनिषà¥à¤ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ बनाये रखता है, आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• रूप से कà¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के साथ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ टूटने नहीं देता। ईशà¥à¤µà¤° की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿, ईशà¥à¤µà¤° की अनà¥à¤à¥‚ति मन में सतत बनाये रखता है। मन में ईशà¥à¤µà¤°-पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤§à¤¾à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤®, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ बनाये रखता है। समसà¥à¤¤ बाहà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾-कलापों को करते हà¥à¤ à¤à¥€ आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में संलगà¥à¤¨ रहता है। उसका यदि कहीं पर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ हो रहा हो तो बाहर से वह पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में दिखाई देता है परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° से समà¥à¤®à¤¾à¤¨ को विष तà¥à¤²à¥à¤¯ मानकर उससे निसà¥à¤ªà¥ƒà¤¹ रहता है। बाहà¥à¤¯ रूप से किसी से हà¤à¤¸à¥€-मजाक करते हà¥à¤ à¤à¥€ आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• रूप से गमà¥à¤à¥€à¤° रहता है। बाहà¥à¤¯ रूप में किसी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤°à¥‹à¤§ दिखाता हà¥à¤† à¤à¥€ आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• रूप में कà¥à¤°à¥‹à¤§-रहित मनà¥à¤¯à¥ से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहता है। बाहà¥à¤¯ साधनों की नà¥à¤¯à¥‚नता के कारण à¤à¤²à¥‡ ही दà¥à¤–ी-परेशान दिखाई दे परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° से शानà¥à¤¤-तृपà¥à¤¤ और आननà¥à¤¦ से यà¥à¤•à¥à¤¤ रहता है। बाहर से à¤à¤²à¥‡ ही à¤à¤• à¤à¤¿à¤–ारी या गरीब जैसा दीखता हो परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° वह à¤à¤• चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ समà¥à¤°à¤¾à¤Ÿ की तरह अनà¥à¤à¤µ करता रहता है । शयà¥à¤¯à¤¾ पर विशà¥à¤°à¤¾à¤® करता हà¥à¤†, किसी आसन या कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर बैठा हà¥à¤†, मारà¥à¤— पर चलता हà¥à¤†, अनà¥à¤¯ किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ में लगा हà¥à¤† सदा ईशà¥à¤µà¤° के आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥‚प में मगà¥à¤¨ रहता है तथा अपने आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ रहता है। अपने चितà¥à¤¤ के अनà¥à¤¦à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ अनेक दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£-दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ को, अविदà¥à¤¯à¤¾ आदि कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ को सदा ईशà¥à¤µà¤° के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में रहता हà¥à¤† नषà¥à¤Ÿ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ वा पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ करते रहता है ।
इससे ठीक विपरीत लौकिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बाहर à¤à¤²à¥‡ ही सà¥à¤–ी व पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ दिखाई दे परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° से अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ दà¥à¤–ी रहता है। लोà¤,मोह,इरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾,दà¥à¤µà¥‡à¤·,काम,कà¥à¤°à¥‹à¤§ आदि आनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤• शतà¥à¤°à¥à¤“ं से पीड़ित रहता है और योगाà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ इन सबसे अछूता रहता है। इन सब वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को देखने से पता चलता है कि नीतिकार के उस वाकà¥à¤¯ का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ कà¥à¤› पृथक ही है। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अनà¥à¤¦à¤° से ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ न रखता हà¥à¤† à¤à¥€ लोगों के सामने यह दिखावा करता है कि – “मैं à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हूऔ। जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपने माता-पिता, गà¥à¤°à¥ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ न रखता हà¥à¤† à¤à¥€ बाहर दिखाता है, à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ कहलाता है। मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤¯à¤¾ वे लोग दà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ कहलाने के योगà¥à¤¯ हैं जो à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति वेद की आजà¥à¤žà¤¾ को जानते हैं और उसको अनà¥à¤¦à¤° से यथारà¥à¤¥ रूप में पालन à¤à¥€ नहीं करते फिर à¤à¥€ सबके सामने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ करते हैं कि हम वेद को मानते हैं। दà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ वह होता है जो यह दिखाता है कि मैं ईशà¥à¤µà¤° की उपासना कर रहा हूठधà¥à¤¯à¤¾à¤¨ कर रहा हूठपरनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¦à¤° से न ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ और न आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उसके मन में कोई शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ होती है, सब सांसारिक विचार ही चलते रहते हैं।
आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ वह कहलाता है जो वेद को, ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं को अनà¥à¤¦à¤° से वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• रूप में मन-वचन-करà¥à¤® से मानता है। ईशà¥à¤µà¤° को सदा सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जानता हà¥à¤† कà¤à¥€ à¤à¥€ असतà¥à¤¯, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, अधरà¥à¤® आदि से यà¥à¤•à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं करता । तो आईये हम à¤à¥€ समसà¥à¤¤ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को करते हà¥à¤ à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के साथ जà¥à¥œà¥‡ रहें और à¤à¤• सचà¥à¤šà¤¾ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• बनते हà¥à¤ अपने जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ को सिदà¥à¤§ करें .....
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