à¤à¤• निवेदन
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Naveen AryaDate
02-Jan-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
02-Jan-2018Download PDF
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à¤à¤• निवेदन
हे समगà¥à¤°-विशà¥à¤µà¤¬à¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ के रचयिता!हे समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के नियामक दयामय मघवनà¥! आपकी यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ तो बहà¥à¤¤ ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• व विशाल है, à¤à¤• ही आकाश-गंगा में आपने अरबों-खरबों सौरमणà¥à¤¡à¤²à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤œà¤¿à¤¤ किया हà¥à¤† है, ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही अनगिनत आकाश-गंगाओं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£à¤•à¤¿à¤¯à¤¾ है। आज के वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अपनेउतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ से उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दूर-वीकà¥à¤·à¤£ यनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ जिसकी थाह पाने में अपने घà¥à¤Ÿà¤¨à¥‡ तक टेकने के लिठमजबूर हो रहे हैं। हमने आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ सब जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° वेद में à¤à¥€ यह पà¥à¤¾ है पà¥à¤°à¤à¥‹! कि यह समगà¥à¤° विशà¥à¤µ-बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ आपके किसी à¤à¤• कोने में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है जैसे किसी बटवृकà¥à¤· में à¤à¤• छोटा सा घोसला हो। इतना आपका पराकà¥à¤°à¤®, इतना आपका सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ है, इतनी आपकी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¤à¥à¤¤à¤¾ है कि इन सà¤à¥€ आकाश-गंगाओं को तथा इनके अनà¥à¤¦à¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ असंखà¥à¤¯ सौरमणà¥à¤¡à¤²à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ रूप में à¤à¤• दूसरे के आकरà¥à¤·à¤£ में बाà¤à¤§ रखा है। आपने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सौरमणà¥à¤¡à¤²à¥‹à¤‚ में à¤à¤•-à¤à¤• पृथिवी à¤à¥€ बनायी है, जैसे हमारे इस सौरमणà¥à¤¡à¤² में कà¥à¤› गà¥à¤°à¤¹-उपगà¥à¤°à¤¹ सूरà¥à¤¯ के आकरà¥à¤·à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ से बनà¥à¤§à¥‡ हà¥à¤ हैं और उनमें से à¤à¤• पृथिवी में हम सब पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ जगत जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने में समरà¥à¤¥ हो पा रहे हैं। ठीक à¤à¤¸à¥‡ ही इतने सारे सूरà¥à¤¯ अथवा सूरà¥à¤¯-मंडल विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं तो इन सबमें à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निवास के लिठआपने वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की हà¥à¤ˆ है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आपका कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ अथवा अनावशà¥à¤¯à¤• नहीं होता।
यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ तो आपकी ही है पà¥à¤°à¤à¥‹ ! यदि आप ही इसकी सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं करेंगे तो आपके अतिरिकà¥à¤¤ और कौन à¤à¤¸à¤¾ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥ है जो इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में वैदिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को लागू कर सके और सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤– समृदà¥à¤§à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ कर सके। आपको तो पता ही है कि इस संसार में हम तीन चीजें हैं à¤à¤• तो पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जो कि चेतनता-रहित जड़ पदारà¥à¤¥ है, दूसरा हम सब जीवातà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ हैं जो कि अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤ž हैं और कà¥à¤› à¤à¥€ सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ नहीं है, आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ साधनों के पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने से ही हम कà¥à¤› जानने-करने में समरà¥à¤¥ हो पाते हैं, तीसरे आप हैं जो अननà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सामरà¥à¤¥à¥à¤¯ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हैं । न पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ कà¥à¤› कर सकती है और न ही हम सब जीवातà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ मिल कर à¤à¥€ कà¥à¤› कर सकते हैं तो परिशेष नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से आप ही à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ हैं जो आपकी इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को सà¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने में समरà¥à¤¥ हो सकते हैं। हे à¤à¤—वनà¥! आपने जब-जब सृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनायी है तब-तब हम सब जीवों के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के लिठवेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है और उसकी रकà¥à¤·à¤¾ के लिठतथा समाज में सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ कि सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के लिठहजारों ऋषि-महरà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया है हममें से किसी को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ à¤à¥€ बनाया है और à¤à¤¸à¥‡ ही बहà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¥‡à¤¤à¥à¤¤à¤¾, वेदवेतà¥à¤¤à¤¾, सूकà¥à¤·à¥à¤® ततà¥à¤¤à¥à¤µà¥‹à¤‚ के गवेषक ऋषि-वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, मेधावी व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ के रूप में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया है। यह पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ आपकी हर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में समान रूप से बनी रहती है। इस पृथिवी में à¤à¥€ आपने अनेकों ऋषियों को बना कर संसार को अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, अधरà¥à¤®, असतà¥à¤¯, अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°, छल-कपट, अविदà¥à¤¯à¤¾, अनà¥à¤§-शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾, अनà¥à¤§-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ आदि समाज के विनाशकारी ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से पृथक रखते हà¥à¤ सतà¥à¤¯, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯, धरà¥à¤®, विदà¥à¤¯à¤¾, शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾, परोपकार, करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯-परायणता, परसà¥à¤ªà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥ƒà¤à¤¾à¤µ, सौहारà¥à¤¦à¤¤à¤¾, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, तथा आपके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ लोगों का पà¥à¤°à¥‡à¤®, à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿, निषà¥à¤ ा, और वेद व वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ को सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया है।
हे à¤à¤•à¥à¤¤-वतà¥à¤¸à¤² पà¥à¤°à¤à¥‹! यह तो हमारा दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ रहा कि आपके इस पृथिवी में महाà¤à¤¾à¤°à¤¤-यà¥à¤¦à¥à¤§ जैसे महा-à¤à¤¯à¤‚कर विनाशकारी यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† जिसमें अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ व गà¥à¤ªà¥à¤¤-विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ हजारों-लाखों ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚-आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को मृतà¥à¤¯à¥ का सामना करना पड़ा, उनके साथ वे सब विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गयीं। उसके पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ वेदादि सतà¥à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ का कà¥à¤°à¤® टूट गया और अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वेद-विरà¥à¤¦à¥à¤§ मत-मतानà¥à¤¤à¤°, मिथà¥à¤¯à¤¾-सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤, अनà¥à¤§-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸, पाखणà¥à¤¡ आदि समाज में फैल गà¤à¥¤ यह सब तो आपको à¤à¥€ विदित ही है। बहà¥à¤¤ ही लमà¥à¤¬à¥‡ काल के बाद आपकी कà¥à¤› करà¥à¤£à¤¾ की वरà¥à¤·à¤¾ हà¥à¤ˆ थी और वो à¤à¥€ अलà¥à¤ª काल के लिà¤à¥¤ आपको à¤à¥€ सà¥à¤®à¤°à¤£ है कि आपने इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ किया था जो कि आपके ही अनेक दिवà¥à¤¯-गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से विà¤à¥‚षित महरà¥à¤·à¤¿ थे और जिस महान आतà¥à¤®à¤¾ को हम महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के नाम से जानते हैं। पà¥à¤°à¤à¥‹! à¤à¤¸à¥€ सामाजिक दà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ फिर से आगई है, सारे संसार में, खास कर à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अविदà¥à¤¯à¤¾,अनà¥à¤§-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸,पाखणà¥à¤¡,अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯,अधरà¥à¤®,असतà¥à¤¯ आदि अपने चरम-सीमा को à¤à¥€ लाà¤à¤˜ रहे हैं। हे परमेशà¥à¤µà¤°! अब तो à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ आगई है कि लोग आपको à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते नहीं हैं,आपकी सतà¥à¤¤à¤¾ को à¤à¥€ सिदà¥à¤§ करना पड़ता है, आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को à¤à¥€ लोगों से सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करवाना पड़ता है कि वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ अपौरà¥à¤·à¥‡à¤¯ है, लोग वेद पà¥à¤¨à¤¾-पà¥à¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¥€ छोड़ बैठे हैं, अब तो पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® को à¤à¥€ मनवाना पड़ता है और दà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ तो यह है कि जो हम सबका ही परम लकà¥à¤·à¥à¤¯ है उसको तो बिलकà¥à¤² ही लोग à¤à¥‚ल गठहैं, मोकà¥à¤· नामक à¤à¥€ कोई चीज, कोई पद या कोई सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है जिसको पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करके वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ दà¥à¤–ों से रहित हो जाता है और à¤à¤• अवधि परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ केवल आपके ही आननà¥à¤¦ रस में मगà¥à¤¨ हो जाता है।
हे करà¥à¤£à¤¾à¤•à¤°! परम-पिता परमेशà¥à¤µà¤°! अब तो फिर से वो समय आगया है पà¥à¤°à¤à¥‹! इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ वालों के ऊपर फिर से à¤à¤• बार करà¥à¤£à¤¾ कीधारा बहा दो, हे दया के सागर फिर से à¤à¤• दयाननà¥à¤¦ जैसा à¤à¥‡à¤œ दो जो कि लोगों के अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯,अधरà¥à¤®,छल-कपट आदि को à¤à¥€ सहन करते हà¥à¤à¤•à¤à¥€ अपने मारà¥à¤— से विचलित न हो, वेद-धरà¥à¤® के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° में ही अपने जीवन को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने में सदा ततà¥à¤ªà¤° रहे , कà¤à¥€ आलसà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ न करे, अब तो कोई à¤à¤¸à¤¾ ऋषि à¤à¥‡à¤œ दो पà¥à¤°à¤à¥‹! जिसको बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से ही वैरागà¥à¤¯ हो जाये , आपका साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° हो जाये, अलà¥à¤ª अवसà¥à¤¥à¤¾ में ही वेदवेतà¥à¤¤à¤¾ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ बन जाये, जिसकी अपनी कोई इचà¥à¤›à¤¾, अà¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¤¾ या सांसारिक à¤à¤·à¤£à¤¾ न हो, अनà¥à¤§-विशà¥à¤µà¤¾à¤¸,पाखणà¥à¤¡ और वेद-विरà¥à¤¦à¥à¤§ मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को उखाड़ फैंकने में समरà¥à¤¥ हो ।
आज-कल हर कोई अपने आप को à¤à¤—वानॠसिदà¥à¤§ करने में लगा हà¥à¤† है और à¤à¥‹à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤²à¥€ जनता à¤à¥€ उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करके अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शोषित,पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ व दà¥à¤–ी हो रही है। हर कोई मिथà¥à¤¯à¤¾ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ के आगà¥à¤°à¤¹à¥€ अपने मत को ही सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ करने में तà¥à¤²à¥‡ हà¥à¤ हैं। महिलाओं के ऊपर जो अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°, अनाचार,बलातà¥à¤•à¤¾à¤° जैसे घृणित कà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¥à¤¯ आज-कल समाज में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• रूप धारण किया हà¥à¤† है, उनकी रकà¥à¤·à¤¾ के लिये किसी à¤à¤¸à¥‡ ऋषि को à¤à¥‡à¤œà¤¿à¤ à¤à¤—वनà¥! जो नारी जाति का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करना सिखाये। आज कल जातिवाद अपने चरमोतà¥à¤•à¤°à¥à¤· पर पहà¥à¤‚चा हà¥à¤† है, किसी à¤à¤¸à¥‡ महान हà¥à¤°à¤¦à¤¯ को पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ कीजिये जो कि जातिवाद का समूल विनाश करके दलितों को à¤à¥€ समान अधिकार व समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिलाये और ऊà¤à¤š-नीच का à¤à¥‡à¤¦ मिटाà¤à¥¤ जातिवाद के मामले में तो पà¥à¤°à¤à¥‹! औरों की तो बात ही कà¥à¤¯à¤¾, महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने जिस आरà¥à¤¯ समाज की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की थी उन आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ यह मिथà¥à¤¯à¤¾ धारणा फैली हà¥à¤ˆ है, आपके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बताया गया वरà¥à¤£-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को à¤à¥€ कोई सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करता, नाम मातà¥à¤° के आरà¥à¤¯-समाजी बन गठहैं, जाति देख-पूछ कर ही विवाह करते हैं, गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का तो कोई मतलब ही नहीं। महरà¥à¤·à¤¿ जी ने वेद के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° जिस मूरà¥à¤¤à¤¿-पूजा का विरोध किया वह आज आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के à¤à¥€ घर-घर में की जा रही है, आपकी उपासना की बात तो दूर रही। कोई आशà¥à¤°à¤®-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का à¤à¥€ ढंग से पालन नहीं करते। पà¥à¤°à¤à¥‹! समाज में आपकी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का कोई आदर ही नहीं करता, वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ बनने की बात तो दूर रही। देश में न कोई वैदिक राजà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ है और न कोई दणà¥à¤¡-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ फिर आपकी करà¥à¤®à¤«à¤²-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ या दणà¥à¤¡-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का तो किसी को ख़याल ही नहीं।à¤à¤¸à¥‡ अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं।
पà¥à¤°à¤à¥‹! अब तो à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ दयाननà¥à¤¦ à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ जो कि बà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ-पà¥à¤°à¥‚फ के साथ जहर-पà¥à¤°à¥‚फ à¤à¥€ हो, यदि कोई गोली से मरना चाहे तो à¤à¥€ उसको गोली न लगे और जिसको हजारों बार à¤à¥€ जहर दे दिया जाये तो à¤à¥€ कोई कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ न हो, कोई हिरणà¥à¤¯à¤•à¤¶à¤¿à¤ªà¥‚ जैसे वरदान-यà¥à¤•à¥à¤¤ दयाननà¥à¤¦ को à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ जो किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से शीघà¥à¤° नषà¥à¤Ÿ होने वाला न हो कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहाठके लोग कà¥à¤› जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ ही बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ (à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¸) हो गठहैं तथा बहà¥à¤¤ ही à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति कर चà¥à¤•à¥‡ हैं और कोई à¤à¥€ समाज-सà¥à¤§à¤¾à¤° का कारà¥à¤¯ करता है तो अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ सिदà¥à¤§à¤¿ के लिठउसी को ही शतà¥à¤°à¥à¤µà¤¤à¥ मानकर यमलोक à¤à¥‡à¤œ देते हैं। समाज के इन सब बà¥à¤°à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚ को समूल-विनाश करने के लिठकिसी तेजसà¥à¤µà¥€, पराकà¥à¤°à¤®à¥€, मेधावी, अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤-बलवान,ऋषि को शीघà¥à¤° ही जनà¥à¤® दो à¤à¤—वनà¥!आज हम लोग महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी का जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ मना रहे हैं परनà¥à¤¤à¥ हमने तो दयाननà¥à¤¦ जी के बारे में सà¥à¤¨à¤¾-पà¥à¤¾ ही है पà¥à¤°à¤à¥‹! कà¤à¥€ किसी ऋषि को पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· देखा नहीं है, अतः आपसे सविनय निवेदन है à¤à¤—वनॠकि इतने बड़े विशà¥à¤µ-बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡ में से किसी à¤à¥€ धरती से à¤à¤• दयाननà¥à¤¦ सा ऋषि को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ करके इस धरती पर जनà¥à¤® दे दो जिससे हम उसका à¤à¥€ जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ मना सकें।हमें यह पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि आप हमारा निवेदन अवशà¥à¤¯ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करेंगे और इस धरती को à¤à¥€ वैदिक वातावरण-यà¥à¤•à¥à¤¤ बना करके सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿ व समृदà¥à¤§à¤¿ से परिपूरà¥à¤£ कर देंगे ।
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