सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति के हितों के रकà¥à¤·à¤• व उदà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Feb-2018Category
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06-Feb-2018Download PDF
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सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति के हितों के रकà¥à¤·à¤• व उदà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• ऋषि दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€
मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ कमजोर हà¥à¤† और यहां छोटे छोटे राजà¥à¤¯ बन गये, साथ ही चहà¥à¤‚ ओर अविदà¥à¤¯à¤¾ फैल गई तबयहां विदेशी यवनों के आकà¥à¤°à¤®à¤£ आरमà¥à¤ हो गये थे। यह लोग जहां राजाओं व कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की हतà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करते थे वहीं मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ आदि को लूटते थे और आरà¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को दूषित à¤à¥€ करते थे। बहà¥à¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ अपनी अविदà¥à¤¯à¤¾ व कमजोरियों के कारण मà¥à¤Ÿà¥à¤ ीà¤à¤° यवनों के दास बनते व अपना सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ व सà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ गवां बैठते थे। à¤à¤¸à¥‡ समय में ही रकà¥à¤·à¤¾ बनà¥à¤§à¤¨ और à¤à¤¾à¤ˆ दूज जैसे परà¥à¤µ आरमà¥à¤ हà¥à¤ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° उस विनाश काल में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं ने à¤à¤¾à¤°à¥€ बलिदान देकर जाति की रकà¥à¤·à¤¾ की और उस à¤à¤‚वर से आरà¥à¤¯ जाति को निकाला। ऋषि दयाननà¥à¤¦ (1825-1883) के समय में देश में आरà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की दशा अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ निराशा व शोकजनक थी। सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ अपॠरहा करती थी या बहà¥à¤¤ कम पà¥à¤¤à¥€ थी। विदà¥à¤¯à¤¾ के संसà¥à¤•à¤¾à¤° न होने से बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¥€ अपॠहोते थे। विदà¥à¤¯à¤¾ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ व वैशà¥à¤¯ सà¤à¥€ का पतन हà¥à¤† था। देश की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ सामाजिक व धारà¥à¤®à¤¿à¤• समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का कारण à¤à¥€ अविदà¥à¤¯à¤¾ वा अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही थे। बाल विवाह, बेमेल विवाह जैसी कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ थी और इसके साथ ही बाल व यà¥à¤µà¤¾ विधवाओं की à¤à¥€ गहन व जटिल समसà¥à¤¯à¤¾ थी जिससे समाज जरà¥à¤œà¤°à¤¿à¤¤ हो गया था। राजरà¥à¤·à¤¿ मनॠके वाकà¥à¤¯ ‘यतà¥à¤° नारà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥ पूजयनà¥à¤¤à¥‡ रमनà¥à¤¤à¥‡ ततà¥à¤° देवता’ को पूरी तरह से à¤à¥à¤²à¤¾ दिया गया था। à¤à¤¸à¥‡ काल में ऋषि दयाननà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¾à¤¦à¥à¤°à¥à¤à¤µ हà¥à¤† और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस दयनीय सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ उलट दिया। नारी को पà¥à¤°à¥à¤· से न केवल समान अपितॠअधिक अधिकार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ ऋषि दयाननà¥à¤¦ के मनॠके वचनों का का उचà¥à¤š सà¥à¤µà¤° से उदà¥à¤˜à¥‹à¤· किया, à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ कर सकते हैं।
सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति के लिठकà¥à¤¯à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤• है, इस पर विचार करते हैं तो सबसे पहली बात तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¥à¤· के समान समानता की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ अनà¥à¤à¤µ होती है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान अवसर मिलने चाहिये। इसका कारण यह है कि परमातà¥à¤®à¤¾ ने विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के साधन वाणी व बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ को समान रूप से सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया है। अतः किसी कारण से à¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के किसी वरà¥à¤— को विदà¥à¤¯à¤¾ से वंचित नहीं किया जा सकता। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के काल में सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान ही नहीं साधारण जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का à¤à¥€ अधिकार नहीं था। दूसरा उनका अपकार उनका बाल विवाह करके किया जाता था। यहां तक की गोद की बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विवाह कर दिया जाता था। जिनका विवाह होता था वह विवाह का अरà¥à¤¥ à¤à¥€ नहीं जानते थे। इसका अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उनके à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन पर कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ देखा जाता था। अधिंकाश का जीवन पूरी तरह से नषà¥à¤Ÿ हो जाता था। पà¥à¤°à¥à¤· अनेक विवाह कर सकते थे परनà¥à¤¤à¥ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ à¤à¤• बार विधवा हो जाने पर जीवन à¤à¤° विवाह नहीं कर सकती थी। उसे कà¥à¤²à¤•à¥à¤·à¤£à¥€, पतिघà¥à¤¨à¥€ आदि अनेक निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ उपाधियां दी जाती थी जिससे वह अपना सारा जीवन अपमान सहते हà¥à¤ दà¥à¤ƒà¤– पूरà¥à¤µà¤• वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करतीं थीं। छोटी ही आयॠमें वह माता बनती थी और अनेकों की तो पà¥à¤°à¤¸à¤µ के समय मृतà¥à¤¯à¥ हो जाया करती थी। यह अमानवीय कारà¥à¤¯ धरà¥à¤® व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के नाम पर समाज में होते थे और हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के धरà¥à¤® गà¥à¤°à¥ इनका विरोध करने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उनका समरà¥à¤¥à¤¨ करते थे, बहà¥à¤¤ से आज à¤à¥€ करते हैं। बाल व कà¥à¤› अधिक आयॠकी विधवाओं को à¤à¥€ नारकीय जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करना पड़ता था। आज à¤à¥€ वृनà¥à¤¦à¤¾à¤µà¤¨ जैसे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर बाल विधवाओं की असहाय व दयनीय सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को देखा जा सकता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने नारियों की इस दयनीय सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देश à¤à¤° में घूम कर देखा था। हम अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ कर सकते हैं कि उनका दिल इन घटनाओं को देख कर गहरी पीड़ा के साथ रोता रहा होगा। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से समाज में शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ व निमà¥à¤¨ जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ जाति के बनà¥à¤§à¥à¤“ं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¥€ थी। उन पर à¤à¥€ अमानवीय अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° हमारे दà¥à¤µà¤¿à¤œ वरà¥à¤— के लोग करते थे। जिनका काम जà¥à¤žà¤¾à¤¨ देना था, वही इन अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समरà¥à¤¥à¤• बने थे, अतः अपराध बà¥à¤¤à¥‡ ही जा रहे थे।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने नारी जाति की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ संवेदना वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ की और वेद व वेदानà¥à¤•à¥‚ल ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ न केवल पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ व यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर रीति से विवाह करने के अधिकार दिये अपितॠकहा कि नारी जाति का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में उचà¥à¤š है। ईशà¥à¤µà¤° के बाद माता को उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤¥à¤® व पिता को दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पूजनीय चेतन देवता बताया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ का शà¥à¤²à¥‹à¤• उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ कर बताया कि जिस समाज में नारियों का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है वहां देवता निवास करते हैं और जहां नारियों का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ नहीं होता वहां की सब कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ विफल होती है। उनके समय में सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का अधिकार नहीं था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने ‘यथेमां वाचं कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€à¤®à¤¾à¤µà¤¦à¤¾à¤¨à¤¿ जनेà¤à¥à¤¯à¤ƒ’ यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ के 26/2 मंतà¥à¤° का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ देकर बताया कि वेद सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही मानवमातà¥à¤° को उसके अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का अधिकार देते हैं। वेद को शूदà¥à¤°, अतिशूदà¥à¤° व उससे à¤à¥€ निमà¥à¤¨ कोटि का मनà¥à¤·à¥à¤¯ पॠसकता है व आचरण कर सकता है। इससे यह à¤à¥€ अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगता है कि जो सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ व शूदà¥à¤° को वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ का विरोध करते हैं वह वेद व ईशà¥à¤µà¤° के शतà¥à¤°à¥ हैं। इसका परिणाम यह हà¥à¤† कि अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर पाठशालायें व गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² खà¥à¤²à¥‡à¤‚ जहां कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ किया गया तथा जिसका परिणाम यह हà¥à¤† कि समाज को न केवल शिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ ही मिली अपितॠवेद विदà¥à¤·à¥€ नारियां व आचारà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ à¤à¥€ मिली। आचारà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾ देवी, आचारà¥à¤¯à¤¾ सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¥‡à¤µà¥€ और आचारà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤µà¤‚दा वेदशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ को हम वेद विदà¥à¤·à¥€ देवियां मान सकेत हैं। बाल विवाह का ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने विरोध किया था। उनकी विवाह विषयक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ सहित संसà¥à¤•à¤¾à¤° विधि में à¤à¥€ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं। वह मानते थे कि बाल विवाह वेद शासà¥à¤¤à¥à¤° विरà¥à¤¦à¥à¤§ है। विवाह यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में ही होना चाहिये। इससे पूरà¥à¤µ का काल बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² होता जिसमें कनà¥à¤¯à¤¾ व बालक को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯ के नियमों का पालन करते हà¥à¤ वेद विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना होता है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के विचारों को पà¥à¤•à¤° लगता है कि यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की विधवा सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹ समान आयॠके विधà¥à¤° से किया जा सकता है। इससे कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं पर होने वाला à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° समापà¥à¤¤ हो गया। जिस समाज में नारी व पà¥à¤°à¥à¤· समान माने जायें, नारी को पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के समान वेद सहित समसà¥à¤¤ विषयों की शिकà¥à¤·à¤¾ का अधिकार हो और जहां यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में विवाह की सà¥à¤µà¤¯à¤‚वर की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ हो वह समाज शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ समाज कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं होगा। इन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤“ं वा विधानों के कारण नारी जाति किसी की सबसे अधिक कृतजà¥à¤ž व आà¤à¤¾à¤°à¥€ है तो वह ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी की ही है। यह à¤à¥€ बता दें कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ के इन वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व विधानों का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पौराणिको सहित ईसाई व मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® जाति की महिलाओं पर à¤à¥€ हà¥à¤† है। ऋषि की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं में नारियों के लिठपरदा वा घà¥à¤˜à¤‚ट का कोई सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नहीं है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ à¤à¤• गोतà¥à¤° में विवाह न करने के समरà¥à¤¥à¤• थे और दूर देश में कनà¥à¤¯à¤¾ का विवाह करने के समरà¥à¤¥à¤• थे। इससे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते हैं जिससे सामाजिक à¤à¤µà¤‚ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ होती है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¤µà¤¿à¤§à¤¿ में वेद मनà¥à¤¤à¥à¤° के आधार पर बताया है कि वेद कहते हैं कि à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤¾à¤ˆ, बहिन बहिन व à¤à¤¾à¤ˆ व बहिन में परसà¥à¤ªà¤° दà¥à¤µà¥‡à¤· नहीं होना चाहिये अपितॠउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤• दूसरे से पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤µà¤• मंगलकारक रीति से सà¥à¤–दायक वाणी बोलनी चाहिये। रकà¥à¤·à¤¾ बनà¥à¤§à¤¨ और à¤à¤¾à¤ˆ दूज परà¥à¤µ में जो à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ है वह वेद के इसी मनà¥à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¤¤à¥à¤µ करती पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होती हैं। à¤à¤¾à¤ˆ व बहिन परसà¥à¤ªà¤° पà¥à¤°à¥‡à¤® से सनी हà¥à¤ˆ मंगलकारी रीति से सà¥à¤–दायक वाणी का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करे इसी में इन दोनों का व देश व समाज का हित है। जब तक देश में वेदों के सतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के आधार पर सामाजिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ थी तब तक सà¤à¥€ परसà¥à¤ªà¤° पà¥à¤°à¥‡à¤® व सहृदयता पूरà¥à¤µà¤• रहते थे और देश में चहà¥à¤‚ ओर सà¥à¤– समृदà¥à¤§à¤¿ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ थी। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² के बाद वेद विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो गये और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का काल आरमà¥à¤ हà¥à¤† जिसकी देन पौराणिक मत हैं। इनके पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ से ही समाज में अनेकानेक समसà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ हैं। हमें उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के शिखर पर पहà¥à¤‚चनें के मत-मतानà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ की कपोल कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को छोड़कर वेद की जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से यà¥à¤•à¥à¤¤ मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं को ही सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर आचरण में लाना चाहिये। इसी में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति की रकà¥à¤·à¤¾ और समाज व देश का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ à¤à¥€ निहित है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने वेदों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ व पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर तथा आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करने के साथ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि अनेकानेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लिख कर मानव जाति सहित सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति का à¤à¥€ उदà¥à¤§à¤¾à¤° किया है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जाति को वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर व वेद मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤“ं का पालन कर ऋषि दयाननà¥à¤¦ के ऋण को चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¾ चाहिये। इसी में नारी जाति का हित है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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