गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोसंवरà¥à¤§à¤¨ का महतà¥à¤µ
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Feb-2018Category
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HindiTotal Views
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06-Feb-2018Download PDF
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गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोसंवरà¥à¤§à¤¨ का महतà¥à¤µ
गो की महिमा वेदों सहित पà¥à¤°à¤¾à¤£ आदि समसà¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में गायी गई है। आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— के निरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने à¤à¥€ गोकरूणाविधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिख कर गो की ओर देश व विशà¥à¤µ के शासकों à¤à¤µà¤‚ मनीषियों का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आकरà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया है। गो पालन को जीवन में सदà¥à¤•à¤°à¥à¤® के रूप में मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। पौराणिक बनà¥à¤§à¥ तो यहां तक मानते हैं कि मृतà¥à¤¯à¥ होने पर पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को वैतरणी नदी पार करनी होती है जिसे गो की पूंछ पकड़ कर ही पार किया जा सकता है। अलंकारिक रूप से इस वरà¥à¤£à¤¨ को समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करें तो तो गो की पूंछ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ गोसेवा से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होता है। अतः पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को गोपालन, गोसेवा व गोरकà¥à¤·à¤¾ के उपायों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देना चाहिये और गोरकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ रखकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सहयोग व समरà¥à¤¥à¤¨ देना चाहिये। गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोसेवा करते हà¥à¤ हम देखा जाये तो मानवता की ही सेवा करते हैं। मानवता दूसरे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ को ही कहते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ दूसरे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पीड़ा देता है या उनको मार व मरवा कर उनके मांस का à¤à¥‹à¤œà¤¨ कर तृपà¥à¤¤ होता है उसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ कदापि नहीं कह सकते। वह मूरà¥à¤– मनà¥à¤·à¥à¤¯ यह नहीं सोचता कि उसे तो सà¥à¤ˆ चà¥à¤à¤¨à¥‡ पर à¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– होता है, उस पीड़ा से वह हमेशा बचता है तब वही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ किसी दूसरे पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की गरदन पर छूरा कैसे चला व चलवा सकता है? मांसहारी मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण देश व विशà¥à¤µ में लाखों पशà¥à¤“ं को अकारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है जिसका पाप उन मांसाहारियों व कसाईयों के सिर पर ही होता है। अतः सà¤à¥à¤¯ व कà¥à¤²à¥€à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को यह पाप नहीं करना चाहिये और दूसरों से इस पाप को रूकवाने सहित जो लोग पशॠव गो रकà¥à¤·à¤¾ के कारà¥à¤¯ करते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पूरà¥à¤£ समरà¥à¤¥à¤¨ व सहयोग करना चाहिये।
बहà¥à¤¤ से लोग यह कह सकते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पशà¥à¤“ं की हतà¥à¤¯à¤¾ करने और मांस खाने का अधिकार है। हम उनसे पूछते हैं कि कà¥à¤¯à¤¾ पशà¥à¤“ं को माता-पिता व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समान परमातà¥à¤®à¤¾ की पà¥à¤°à¤œà¤¾ मानने वालों को उन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ का अधिकार है या नहीं? यदि है तो फिर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह अपराध करना ही नहीं चाहिये। और यदि वह कहते हैं कि उनको अधिकार नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं है? जब उनकी आतà¥à¤®à¤¾à¤“ं में परमातà¥à¤®à¤¾ पशॠहतà¥à¤¯à¤¾ को रोकने का à¤à¤¾à¤µ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता है तो संसार का कोई à¤à¥€ कानून परमातà¥à¤®à¤¾ की उस पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ को रोक कर परमातà¥à¤®à¤¾ व उसकी सृषà¥à¤Ÿà¤¿/पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का विरोधी कारà¥à¤¯ ही करता है। अहिंसा धरà¥à¤® है और हिंसा पाप है। हिंसा तà¤à¥€ जायज हो सकती है जब वह किसी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ के पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾ में की जाये व पागल व विषैले पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से रकà¥à¤·à¤¾ के लिठकी जाये। मांस खाने के लिठकी जाने व करायी जाने वाली हिंसा महापाप à¤à¤µà¤‚ अकà¥à¤·à¤®à¥à¤¯ है। विचार करने पर यह à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है कि अहिंसक पालतू पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को यदि पाला जाये और उनकी हिंसा न की जाये तो इससे पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सनà¥à¤¤à¥à¤²à¤¨ बना रहता है और इसके पोषक परिवारों व मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• व आरà¥à¤¥à¤¿à¤• लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। इसकी गणना सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी महाराज ने अपनी विशà¥à¤µ विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• गोकरूणानिधि में की है। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उसका à¤à¤• बार अवशà¥à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये। यजमान पशà¥à¤“ं गो, बकरी, à¤à¥‡à¥œ, मà¥à¤°à¥à¤—ी, मà¥à¤°à¥à¤—ा, सूअर आदि की किनà¥à¤¹à¥€à¤‚ à¤à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में हतà¥à¤¯à¤¾ व उनके मांस का सेवन उचित नहीं है न ही यह धरà¥à¤® समà¥à¤®à¤¤ है। यह पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ व अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ है तथा à¤à¤¸à¤¾ करने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाने व चलाने वाले तथा मनà¥à¤·à¥à¤¯ सहित पशà¥à¤“ं आदि को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाले परमातà¥à¤®à¤¾ के अपराधी व दणà¥à¤¡à¤¨à¥€à¤¯ होते हैं।
हम पालतू पशà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ रूप में गाय से होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ पर साधारण दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से विचार करते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह परमातà¥à¤®à¤¾ ने ही गाय को à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने ही गाय के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ à¤à¥‹à¤œà¤¨ घांस व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ आदि को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ à¤à¥€ किया है। गाय के à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से हमारे किसी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ को हानि नहीं पहà¥à¤‚चती। सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बात यह है कि गाय से हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤§à¤•, बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤µà¤°à¥à¤§à¤• व शरीर का पोषक अमृततà¥à¤²à¥à¤¯ दà¥à¤—à¥à¤§ मिलता है। संसार में इसके समान अनà¥à¤¯ कोई पोषक पदारà¥à¤¥ नहीं है। बिना दांत वाला बचà¥à¤šà¤¾ व बूà¥à¤¾ à¤à¥€ गोदà¥à¤—à¥à¤§ पीकर सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व सà¥à¤–ी जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर सकता है। गोदà¥à¤—à¥à¤§ से अनेक पदारà¥à¤¥ बनते हैं जिनका मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पोषण, सà¥à¤µà¤¾à¤¦ à¤à¤µà¤‚ à¤à¥‹à¤œà¤¨ आदि में उलà¥à¤²à¥‡à¤–नीय महतà¥à¤µ व योगदान है। दà¥à¤—à¥à¤§ से दही, मकà¥à¤–न, छाछ, घृत, पनीर, मटà¥à¤ ा, मिलà¥à¤•à¤•à¥‡à¤•, मावा आदि पोषक पदारà¥à¤¥ बनते हैं जो हमें अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ व वैकलà¥à¤ªà¤¿à¤• रूप से कहीं से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होते। गाय की सेवा करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को परिशà¥à¤°à¤® करना पड़ता है जिससे वह निरोग व सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ तथा दीरà¥à¤˜à¤œà¥€à¤µà¥€ होता है। गाय को à¤à¥‹à¤œà¤¨ रूप में हमें घांस व à¤à¥‚सा आदि देना होता या फिर पानी पिलाना होता है जो परमातà¥à¤®à¤¾ ने संसार में सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° बड़ी मातà¥à¤°à¤¾ में उपलबà¥à¤§ कराया है।
गोमूतà¥à¤° व गोबर का à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उपयोग होता है। गोमूतà¥à¤° अनेक रोगों की औषध है। यहां तक की कैंसर के रोग में à¤à¥€ यह उपयेगी सिदà¥à¤§ होता है और अनेक रोगी इसके सेवन से सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ हà¥à¤ हैं। गोमूतà¥à¤° तà¥à¤µà¤šà¤¾ रोगों की à¤à¥€ à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ औषधि है। अनà¥à¤¯ अनेक रोगों में à¤à¥€ इसका उपयोग बनता है। गोमूतà¥à¤° का पंचगवà¥à¤¯ में à¤à¥€ उपयोग होता है जो सà¥à¤µà¤¯à¤‚ में à¤à¤• महौषधि है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से गोबर à¤à¥€ कीटाणà¥à¤¨à¤¾à¤¶à¤• होने के साथ अनà¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ में सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® औषधि के रूप में काम आता है। गोबर की खाद से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤¨ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• पौषà¥à¤Ÿà¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ रोग रहित होता है। गोबर से ही आजकर बायोगैस à¤à¥€ बनती है जिससे रसोईगैस के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जा सकता है। बायोगैस के बाद गोबर का जो अवशिषà¥à¤Ÿ बचना है वह उतà¥à¤¤à¤® खाद होता है। गोबर से उपले à¤à¥€ बनते हैं जो à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का ईंधन होता है। इसकी सहायता से गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥‹à¤‚ में चूलà¥à¤¹à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— कर सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का à¤à¥‹à¤œà¤¨ बनाया जा सकता है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि से कà¥à¤› सौ पहले तक सारा संसार गोबर के बने उपलों व लकड़ियों को ईघन के रूप में पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाता रहा है जिससे हमारे सà¤à¥€ पूरà¥à¤µà¤œ पà¥à¤·à¥à¤Ÿ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ बनते रहे और à¤à¤¾à¤°à¤¤ न केवल सोने की चिड़िया ही था अपितॠआधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में à¤à¥€ विशà¥à¤µ का गà¥à¤°à¥ था। सारे संसार के लोग विदà¥à¤¯à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करने à¤à¤¾à¤°à¤¤ में ही आते थे। à¤à¤¸à¥‡ अनेक उपयोग गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोपालन आदि से होते हैं।
गाय लगà¤à¤— डेॠवरà¥à¤· में बछड़ी व बछड़े के रूप में हमें अपनी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ देती है जो बड़े होकर गाय या बैल बनते हैं। बड़ी होकर बछड़ी से गाय बनने पर उस गाय से होने वाले सà¤à¥€ लाठपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते है तो बैल हमारे खेत जोतते हैं जिससे हमें à¤à¥‹à¤œà¤¨ के पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥ मिलते हैं। बैलों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खेत जोतने सहित बैलगाड़ी व अनà¥à¤¯ गाड़ियों में à¤à¥€ माल ढà¥à¤²à¤¾à¤ˆ आदि में इनका उपयोग लिया जाता है। इनक मल व मूतà¥à¤° à¤à¥€ किसान के खेत में खाद का काम करता है। बैलों व गाय से हमें चरà¥à¤® मिलता है जो हमारे जूतों के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में काम आता है। बैलों व गाय से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ चिकितà¥à¤¸à¤•à¥€à¤¯ अनà¥à¤¸à¤‚धान किये जाने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने अपनी गोकरूणानिधि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में बैलों से खेतों की जà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ में होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ को गणित की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से गणना कर अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाया है कि à¤à¤• बैल के जीवन से खेतों की जà¥à¤¤à¤¾à¤ˆ व बà¥à¤†à¤ˆ से जो अनà¥à¤¨ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है वह लाखों लोगों का à¤à¤• समय के à¤à¥‹à¤œà¤¨ के बराबर होता है जबकि à¤à¤• बैल के मांस से सौ व कà¥à¤› अधिक लोग ही à¤à¤• बार में तृपà¥à¤¤ हो सकते हैं। हानि यह होती है कि मांस खाने वाले की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤¿à¤¤, विकृत व विषाकà¥à¤¤ होती है जिससे उसी की हानि होती है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° à¤à¤• गो की à¤à¤• पीà¥à¥€ के दूध से à¤à¥€ लाखों मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚, 4 लाख से अधिक, का à¤à¤• समय का à¤à¥‹à¤œà¤¨ होना सिदà¥à¤§ होता है जबकि मांस से कà¥à¤› लोग ही à¤à¤• समय में तृपà¥à¤¤ होते हैं। अतः गोहतà¥à¤¯à¤¾ व इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से à¤à¥ˆà¤‚स, ऊंटनी, बकरी, à¤à¥‡à¥œ, घोड़ा, गधा, खचà¥à¤šà¤° आदि से à¤à¥€ अनेक लाठहोते हैं। अतः इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मारना व इनका मांस खाना निषिदà¥à¤§ होना चाहिये।
हमने गाय आदि पशà¥à¤“ं के महतà¥à¤µ के बारे में संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में लिखा है। गाय से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इतने लाठहोते है ंतो हमारा à¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि हम उनका लालन पालन सावधानी व शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से करें। उनकी नसà¥à¤² सà¥à¤§à¤¾à¤° करने तथा दूध की मातà¥à¤°à¤¾ व गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में सà¥à¤§à¤¾à¤° के à¤à¥€ उपाय करें। इसके लिठविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सहायता लें। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ सब पर विचार करने व उसे कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करने के लिठही पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ समय में ‘गोवरà¥à¤§à¤¨ पूजा’ का परà¥à¤µ नियत किया गया पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। वेद गोरकà¥à¤·à¤¾ व गोपूजा की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ करते हैं और गो को अवधà¥à¤¯ घोषित करते हैं। वेद सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दिया गया जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। वेद में मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कराया गया है। ईशà¥à¤µà¤° हमारे पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ व परजनà¥à¤®à¥‹à¤‚ को जानता है। इसी कारण उसकी आजà¥à¤žà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हमारे लिठधरà¥à¤® हैं। उसका वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ केवल वेदों में ही उपलबà¥à¤§ है। वेदों में बतायें करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ व अकरà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° की मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को आजà¥à¤žà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। इनका हमें पालन करना है व देश देशानà¥à¤¤à¤° में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करना है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने à¤à¥€ अपने जीवन में यह कारà¥à¤¯ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने समय के बड़े बड़े अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ अधिकारियों को à¤à¥€ गोरकà¥à¤·à¤¾ रोकने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ की थी, उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सहमत à¤à¥€ किया था और करोड़ों हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° कराकर उसे इंगà¥à¤²à¥ˆà¤£à¥à¤¡ की महारानी विकà¥à¤Ÿà¥‹à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को à¤à¥‡à¤œà¤¨à¥‡ का अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ चलाया था। आकà¥à¤¸à¤®à¤¿à¤• मृतà¥à¤¯à¥ के कारण यह अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨ सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर सका। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में देश में हमारी सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ सरकार है। सà¤à¥€ देशवासियों को गोहतà¥à¤¯à¤¾ रोकने के लिठआगे आना चाहिये। यह पà¥à¤£à¥à¤¯ का कारà¥à¤¯ है। इससे हमारा इहलोक व परलोक दोनों सà¥à¤§à¤°à¥‡à¤—ा। गाय बचेगी वा रहेगी तà¤à¥€ हमें गोघृत मिलेगा, हम यजà¥à¤ž कर सकेंगे और वैदिक धरà¥à¤® व संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¥€ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ तà¤à¥€ रह पायेगी। गाय के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का विचार करें। किसी मिथà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ न हों। गाय हमारी माता है और उसकी रकà¥à¤·à¤¾ हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। गोहतà¥à¤¯à¤¾ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° हतà¥à¤¯à¤¾ है। राषà¥à¤Ÿà¥à¤° हतà¥à¤¯à¤¾ न करें न होने दें। ओ३मॠशमà¥à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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