ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚, उपकारों का सà¥à¤®à¤°à¤£ व उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ है
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Manmohan Kumar AryaDate
06-Feb-2018Category
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ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚उपकारों का सà¥à¤®à¤°à¤£ व उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ है
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ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚, उपकारों का सà¥à¤®à¤°à¤£ व उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ है
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो à¤à¥€ काम करता है वह विचार कर ही करता है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ विचार किये बिना काम करे उसे पागल कहा जाता है। हमें à¤à¥‚ख लगती है तो à¤à¥‚ख की निवृतà¥à¤¤à¤¿ के लिठविचार कर हितकर à¤à¥‹à¤œà¤¨ करते हैं। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ करें तो पहले सोचते हैं फिर उसके अनà¥à¤°à¥‚प करते हैं। à¤à¤¸à¤¾ करना ही उचित माना जाता है। हमें इन सामानà¥à¤¯ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के अतिरिकà¥à¤¤ अपने बारे में à¤à¥€ विचार करना चाहिये कि हम कà¥à¤¯à¤¾ व कौन हैं? जब हम कà¥à¤¯à¤¾ हैं पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर विचार करते हैं तो हमें इसके कई उतà¥à¤¤à¤° सूà¤à¤¤à¥‡ हैं। हम कई बार सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही उन उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿ नहीं हो पाते। दूसरों से पूछते हैं तो उनके उतà¥à¤¤à¤° à¤à¥€ अलग अलग होते हैं। कौन सा उतà¥à¤¤à¤° ठीक है या सà¤à¥€ गलत है यह निरà¥à¤£à¤¯ करना होता है परनà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ सामानà¥à¤¯ लोगयह कारà¥à¤¯ à¤à¥€ नहीं कर पाते। इसके लिठसरल उपाय है कि हम वेदों पर आधारित सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करें। इससे हमें इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का कि हम कà¥à¤¯à¤¾ हैं व कौन हैं, सही उतà¥à¤¤à¤° मिल जाता है। सही उतà¥à¤¤à¤° कà¥à¤¯à¤¾ है? पà¥à¤°à¤¥à¤® बात तो यह है कि हम जड़ शरीर नहीं जो हमें व दूसरों को दिखाई देता है। हम à¤à¤• जीवित शरीर में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤• चेतन पदारà¥à¤¥ जिसे जीवातà¥à¤®à¤¾ कहते हैं, वह हैं। जड़ पदारà¥à¤¥ वह होता है तो संवेदना शूनà¥à¤¯ होता है और चेतन पदारà¥à¤¥ वह होता है जो संवेदनशील होता है। हमारे हाथ में यदि सà¥à¤ˆ चà¥à¤à¥‹à¤ˆ जाये तो पीड़ा होने से हमारी चीख निकल पड़ती है। किसी जड़ पदारà¥à¤¥ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• या वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ में à¤à¥€ यही कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की जाये तो उन पर सà¥à¤ˆ चà¥à¤à¥‹à¤¨à¥‡ का कोई पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं होता। जीवित शरीर में सà¥à¤ˆ चà¥à¤à¤¨à¥‡ से पीड़ा होती है परनà¥à¤¤à¥ मृतक शरीर को सà¥à¤ˆ चà¥à¤à¤¾à¤ˆ जाये या उसका पोसà¥à¤Ÿà¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤® या चीर फाड़ कर दी जाये फिर à¤à¥€ कोई असर नहीं होता। इससे सिदà¥à¤§ हो जाता है कि मृतक शरीर जड़ है और जीवित शरीर में à¤à¤• चेतन ततà¥à¤µ है जो आंखों से दिखाई नहीं देता परनà¥à¤¤à¥ वह शरीर के à¤à¥€à¤¤à¤° है अवशà¥à¤¯ और उसे इचà¥à¤›à¤¾, दà¥à¤µà¥‡à¤·, सà¥à¤–, दà¥à¤– व पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ आदि की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं व लिंगो से पहचाना जाता है।
सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ अथवा ऋषि दयाननà¥à¤¦ के कà¥à¤› अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के आधार पर आतà¥à¤®à¤¾ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करें तो जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि यह आतà¥à¤®à¤¾ अनादि, अविनाशी, नितà¥à¤¯ व अमर पदारà¥à¤¥, ततà¥à¤µ व सतà¥à¤¤à¤¾ है। इसकी कà¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ नहीं हà¥à¤ˆ है। जिस पदारà¥à¤¥ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है उसका नाश à¤à¥€ अवशà¥à¤¯ होता है। इसके विपरीत कà¥à¤› अनादि पदारà¥à¤¥ होते हैं जिनसे व जिनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ की जा सकती है परनà¥à¤¤à¥ इन मूल पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का नाश वा अà¤à¤¾à¤µ कà¤à¥€ नहीं होता। मूल अनादि पदारà¥à¤¥ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ तीन हैं जिनके नाम हैं ईशà¥à¤µà¤° जीवन और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¥¤ इन तीन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° व जीव चेतन पदारà¥à¤¥ हैं और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ जड़ हैं। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अति सूकà¥à¤·à¥à¤® तà¥à¤°à¤¿à¤—à¥à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• सतà¥, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाली है। मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सूकà¥à¤·à¥à¤® परमाणॠरूप में होती है। इस जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से ही ईशà¥à¤µà¤° जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के लिठइस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करता है। पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का पहला विकार महततà¥à¤µ व दूसरा अहंकार कहलाता है। इसके बाद पांच तनà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ बनती हैं और बाद में पांच सà¥à¤¥à¥‚ल à¤à¥‚त। यह सृषà¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ परमातà¥à¤®à¤¾ की रचना है जिसे जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के परमाणà¥à¤“ं के संयोग से परमातà¥à¤®à¤¾ ने जीवों के पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¤«à¤²à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— कराने के लिठउतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ किया है। सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में हमारा वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤® पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® व जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¤«à¤²à¥‹à¤‚ के à¤à¥‹à¤— के लिठहà¥à¤† है। हम जो à¤à¥€ हैं वह हमारे पूरे अतीत का परिणाम है और हमारा à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ हमारे अतीत व वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का परिणाम होगा। जीवातà¥à¤®à¤¾ के बारे में यह à¤à¥€ जान लें कि यह सूकà¥à¤·à¥à¤®, à¤à¤•à¤¦à¥‡à¤¶à¥€, ससीम, जनà¥à¤®-मरण धरà¥à¤®à¤¾, सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾ से करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने वाली और फल à¤à¥‹à¤—ने में ईशà¥à¤µà¤° के अधीन नितà¥à¤¯ सतà¥à¤¤à¤¾ है। ईशà¥à¤µà¤° सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ के सà¤à¥€ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के साकà¥à¤·à¥€ हैं। हम कोई à¤à¥€ करà¥à¤® करते हैं, वह आतà¥à¤®à¤¾ के à¤à¥€à¤¤à¤° विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ परमातà¥à¤®à¤¾ को पूरा पूरा यहां तक की मन व आतà¥à¤®à¤¾ के विचार à¤à¥€ उसे विदित होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° से संसार, किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की कोई बात छिपी नहीं रहती न हम छिपा ही सकते हैं। ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥‚प सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है। वह निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनपम, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। ईशà¥à¤µà¤° वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व à¤à¤¾à¤·à¤¾ का दाता, करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° जीवों को जनà¥à¤® देने वाला व करà¥à¤®-फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¤à¤¾ है। उसी परमातà¥à¤®à¤¾ की जीवातà¥à¤®à¤¾ व मनà¥à¤·à¥à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गà¥à¤£, कीरà¥à¤¤à¤¨, सà¥à¤®à¤°à¤£, कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, चिनà¥à¤¤à¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपासना करनी करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ को यह जीवन अपने पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤®à¥‹à¤‚ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ईशà¥à¤µà¤° से मिला है। वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व ईशà¥à¤µà¤° का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° किये ऋषि व योगी बताते हैं कि जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के खाते में पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ बराबर या पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® अधिक होते हैं तो उसे मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® मिलता है अनà¥à¤¯à¤¥à¤¾ पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के अधिक होने पर पशà¥, पकà¥à¤·à¥€, कीट व पतंग आदि अनेक योनियों में से कोई à¤à¤• योनि मिलती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ दो उदà¥à¤¦à¥‡à¤‚शà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होते हैं। पà¥à¤°à¤¥à¤® पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का à¤à¥‹à¤— और दूसरा करà¥à¤® बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ से छूटने के लिठसनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— वा वेद मारà¥à¤— पर चलकर ईशà¥à¤µà¤° साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° कर विवेक की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ करना जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ की आतà¥à¤®à¤¾ को मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। मोकà¥à¤· वह अवसà¥à¤¥à¤¾ होती है जिसमें बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥‡ समय के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® मरण के चकà¥à¤° से छूट जाता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ को इन दो उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठही सतà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने का विधान वैदिक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में किया गया है। ऋषियों व योगियों का जीवन à¤à¥€ आतà¥à¤®à¤¾ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठही उपाय करने वाला जीवन होता है जिससे उनका परजनà¥à¤® सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ है और जीवन में विवेक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर वेदजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ योगियों को मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। मोकà¥à¤· के साधनों की चरà¥à¤šà¤¾ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में मिलती है जिसे पाठक वहां देख सकते हैं। सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ की पीडीà¤à¤« नैट पर à¤à¥€ उपलबà¥à¤§ होती है। यदि कोई चाहे तो उसे इमेल à¤à¥€ कर सकते हैं।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में सà¥à¤– व शानà¥à¤¤à¤¿ चाहता है जिसका आधार मनà¥à¤·à¥à¤¯ के शà¥à¤ व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® होते हैं। शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करना ही धरà¥à¤® कहाता है। हिनà¥à¤¦à¥‚ ईसाई व इसà¥à¤²à¤¾à¤® आदि मजहब या मत मतानà¥à¤¤à¤° हैं। धरà¥à¤® तो सबका à¤à¤• ही होता है और वह शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का आचरण होता है जिसे à¤à¤• शबà¥à¤¦ में सतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° à¤à¥€ कह सकते हैं। इन करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ वेद व वेदानà¥à¤•à¥‚ल सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठऋषियों ने पंचमहायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का विधान किया है। इन पंचमहायजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® यजà¥à¤ž वा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का पà¥à¤°à¤¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। इतर चार महायजà¥à¤ž देवयजà¥à¤ž अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°, पितृयजà¥à¤ž, अतिथियजà¥à¤ž व बलिवैशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µà¤¯à¤œà¥à¤ž हैं। पà¥à¤°à¤¥à¤® बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® यजà¥à¤ž वा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° का à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने को कहते हैं। इसके à¤à¥€ दो à¤à¤¾à¤— है जिसमें पà¥à¤°à¤¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के चिनà¥à¤¤à¤¨ सहित उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। दूसरा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ होता है। सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ का अरà¥à¤¥ अपनी आतà¥à¤®à¤¾ का चिनà¥à¤¤à¤¨ कर उसके यथारà¥à¤¥ निरà¥à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व वेद आदि शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ सहित ऋषियों के वेदानà¥à¤•à¥‚ल गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना होता है। यही ईशà¥à¤µà¤° की पूजा à¤à¥€ है। इससे à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° की कोई पूजा नहीं होती। ईशà¥à¤µà¤° आजà¥à¤žà¤¾ का पालन करना और उसके विपरीत कोई करà¥à¤® वा कारà¥à¤¯ न करना ही ईशà¥à¤µà¤° की पूजा है। ईशà¥à¤µà¤° की आजà¥à¤žà¤¾ वही है जो वेदों में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ हैं। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® यजà¥à¤ž वा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में ईशà¥à¤µà¤° का चिनà¥à¤¤à¤¨ करते हà¥à¤ उसके सà¥à¤µà¤°à¥‚प को अपनी सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में लाना, उसके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को सà¥à¤®à¤°à¤£ करना, उसके उपकारों व कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना, ओ३मॠव गायतà¥à¤°à¥€ मंतà¥à¤° का जप तथा à¤à¤¸à¤¾ करते हà¥à¤ परमेशà¥à¤µà¤° का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करना ही सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ है। इसके लिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी ने सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ विधि का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ किया है जो पंचमहायजà¥à¤žà¤µà¤¿à¤§à¤¿ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में उपलबà¥à¤§ है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ व पाठअरà¥à¤¥ सहित करना चाहिये। इसके लिठपंच महायजà¥à¤ž विधि से सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ मनà¥à¤¤à¥à¤° बोल कर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µà¤• मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥à¤¾à¤‚ का पाठकर सकते हैं और उन अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• रूप से चिनà¥à¤¤à¤¨ à¤à¥€ कर सकते हैं। à¤à¤¸à¤¾ करने से ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® व मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ होने के साथ दà¥à¤—à¥à¤°à¥à¤£à¥‹à¤‚ की निवृति होती है और गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है।
सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ व उसके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पाठव चिनà¥à¤¤à¤¨ कर लेने के बाद कà¥à¤› समय बिना पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की सहायता के शानà¥à¤¤ चितà¥à¤¤ से ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨, चिनà¥à¤¤à¤¨, सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ à¤à¥€ कर सकते हैं। उसके बाद शेष समय में वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ वा ऋषि के आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ सहित आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेद मंजरी, वैदिक सनà¥à¤¦à¥‹à¤¹, वैदिक विनय, शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ सौरà¤, सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, सनà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— दरà¥à¤¶à¤¨, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ आदि का à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ के साथ पाठव उस पर चिनà¥à¤¤à¤¨ व मनन कर सकते हैं। à¤à¤¸à¤¾ करना ही ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होता है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पर अनेक पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने टीकायें आदि à¤à¥€ लिखी हैं। उनका à¤à¥€ अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया जा सकता है। यह टीकायें पं. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ वेदालंकार, पं. गंगापà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ उपाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ आतà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, पं. चमूपति, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जगदीशà¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी आदि की पठनीय है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं दो समय की जाती है और ऋषि दयाननà¥à¤¦ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को à¤à¤• समय में नà¥à¤¯à¥‚नतम à¤à¤• घंटा करनी चाहिये। हम अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हैं कि इस विधि से आतà¥à¤®à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿ की जा सकती है। शीरà¥à¤· विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ अनेक मारà¥à¤— सà¥à¤à¤¾ सकते हैं। योगà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की शरण में जाकर योग विधि से उपासना करनी चाहिये। हमने इस विषय को सरल व संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है। हमें नहीं पता कि यह कितना उपयोगी है। इतना ही कह सकते हैं कि à¤à¤¸à¤¾ करके आप ईशà¥à¤µà¤° उपासना के मारà¥à¤— में पहला कदम तो रख ही सकते हैं। इसी के साथ लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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