à¤à¤—वती साईं जागरण या मनोरंजन की दà¥à¤•à¤¾à¤¨
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Rajeev ChoudharyDate
06-Feb-2018Category
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à¤à¤—वती साईं जागरण या मनोरंजन की दà¥à¤•à¤¾à¤¨
बसंत पंचमी का पावन परà¥à¤µ था। पटना के मशहूर बी.à¤à¤¨. कालेज में à¤à¤• तरफ जहां कà¥à¤› छातà¥à¤° मां सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ की पूजा करने में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ थे तो वहीं दूसरी तरफ कालेज हासà¥à¤Ÿà¤² के कà¥à¤› छातà¥à¤° रात à¤à¤° अशà¥à¤²à¥€à¤² गानों पर डांस करते रहे। सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ पूजा के नाम पर पूरी रात अशà¥à¤²à¥€à¤² गानों पर नंगा नाच हà¥à¤† अरà¥à¤§à¤¨à¤—à¥à¤¨ यà¥à¤µà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के बीच सà¥à¤Ÿà¥‡à¤œ पर ठà¥à¤®à¤•à¤¤à¥€ रही और कà¥à¤› छातà¥à¤° अपने हाथ में ली हà¥à¤ˆ बंदूक से फायरिंग करते रहे। आपको बता दूठकालेज में हर साल इस तरह के आयोजन होते हैं जहां सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ पूजा के नाम पर अपने मनोरंजन का साधन ढूंà¥à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बार-बालाओं का नाच करवाया जाता है।
हिनà¥à¤¦à¥€ के महान कवि सूरà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤‚त तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी निराला जी की सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ वंदना पर à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ कविता है-‘‘वर दे वीणावादिनी! वर दे। पà¥à¤°à¤¿à¤¯ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°-रव अमृत-मंतà¥à¤° नव, à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤° दे। वर दे वीणावादिनी! वर दे।’’ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ वंदना के इस गीत की जगह यहाठà¤à¥‹à¤œà¤ªà¥à¤°à¥€, हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में अशà¥à¤²à¥€à¤² गीतों का बोलबाला रहा। हालाà¤à¤•à¤¿ धरà¥à¤® के नाम पर मनोरंजन का यह पहला वाकà¥à¤¯à¤¾ नहीं है। हमारे देश में आज कल यह काम धड़लà¥à¤²à¥‡ से जारी है। à¤à¤• बड़ा वरà¥à¤— इसे धरà¥à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ बताकर मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ है उनकी माने से जागरण से ही धरà¥à¤® रकà¥à¤·à¤¾ हो रही है। बाहर सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® लिखा जाता है अनà¥à¤¦à¤° कà¥à¤› अलग ही संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ चलती है।
चलो कà¥à¤› देर शेष à¤à¤¾à¤°à¤¤ की बात छोड़ दी जाये और अकेली राजधानी दिलà¥à¤²à¥€ की बात करें तो फà¥à¤²à¤¾à¤ˆ ओवर, के नीचे, चैराहों के इरà¥à¤¦-गिरà¥à¤¦ लटके बोरà¥à¤¡ जिन पर लिखा होता है ‘‘सोलहवां माठà¤à¤—वती जागरण’’ मशहूर गायक फलाना, तो कहीं 21वां साईं जागरण, जिसमें सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ नेताओं की फोटो à¤à¥€ चिपकी होती है। कहीं-कहीं तो सौवां विशाल à¤à¤—वती जागरण लिखा à¤à¥€ दिखता है। मतलब अब जागरण के साथ विशाल शबà¥à¤¦ लिखा जाने लगा। कà¤à¥€ कोई यह समà¤à¥‡ कि छोटा-मोटा जागरण हो!
जागरण की इस मनोरंजन à¤à¤°à¥€ रात पर शोध करें तो इसमें आपको धरà¥à¤®, ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के अतिरिकà¥à¤¤ इसमें बाकी सब कà¥à¤› दिखाई देगा। रातà¥à¤°à¤¿ जागरण अमूमन सà¥à¤•à¥‚लों, गलियों या मेन रासà¥à¤¤à¥‹à¤‚ के आस-पास होता हैं, à¤à¤• बड़ी, साथ में कà¥à¤› छोटी मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ होती हैं। इसके बाद बड़े-बड़े सà¥à¤ªà¥€à¤•à¤° और शà¥à¤°à¥ƒà¤‚गार से सजे-धजे गायक, गायिका आते हैं पूरी रात गीत-संगीत चलता है। तेज आवाज पर लोग नाचते हैं। जिस देवी-देवता के नाम से जागरण होता है शायद वह इन थिरकते गीतों से खà¥à¤¶ हो जाता होगा? सà¥à¤¬à¤¹ को, लाइट, टेंट, वाले से लेकर गायक आदि अपना-अपना मेहनताना लेकर चले जाते है।
हालाà¤à¤•à¤¿ अब जागरण का छोटा रूप à¤à¥€ चल रहा है जिसे ‘माता की चैकी’ कहा जाता है। जागरण पूरी रात का होता है, चैकी यह दो घंटे की तारा रानी की कथा के साथ संपनà¥à¤¨ हो जाती है। ये आप छह से नौ, नौ से बारह या बारह से तीन के टाइम में करा सकते हैं। बिलà¥à¤•à¥à¤² मूवी के शो की तरह। कनाडा से चलने वाली साइट देवी मंदिर डॉट कॉम पर जाइये दà¥à¤°à¥à¤—ा सपà¥à¤¤à¤¶à¤¤à¥€ में लिखा है कि अगर लोग साल में à¤à¤• बार माता की चैकी लगायें तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धन मिलेगा, काबिल बचà¥à¤šà¥‡ होंगे और बाधाà¤à¤‚ दूर हो जाà¤à¤‚गी। यह बिलà¥à¤•à¥à¤² गृह कà¥à¤²à¥‡à¤¸, सौतन, दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ से छà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤¾, खोया पà¥à¤¯à¤¾à¤°, मनचाहा पà¥à¤¯à¤¾à¤°, पांच मिनट में जमीन विवाद सà¥à¤²à¤à¤¾à¤¨à¥‡ वाले बंगाली बाबाओं की ही बड़ी फरà¥à¤® है। जो अनपॠहै उनके लिठरूहानी, बंगाली बाबा हैं और जो पà¥à¥‡ लिखे है उनके लिठये अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ से à¤à¤°à¥€ ये साईटे हैं।
जागरण मणà¥à¤¡à¤²à¥€ à¤à¥€ कई तरह की होती हंै किसी के पास सिरà¥à¤« गायक होते हैं, किसी के पास अचà¥à¤›à¤¾ तेज आवाज वाला डीजे साउंड सिसà¥à¤Ÿà¤®, तो किसी के पास सारा जà¥à¤—ाड़ à¤à¤• जगह ही मिल जाता है, वह बस पूछ लेते हंै नाचने वाले लड़के चाहिठया लड़कियां? किसके नाम से कराना है मसलन à¤à¤—वती, साईं, सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ या दà¥à¤°à¥à¤—ा? यदि कोई साईं जागरण कराता है तो इसके बाद शिरडी वाले साईं बाबा की जयकार गूंजती रहेगी महाà¤à¤¿à¤·à¥‡à¤• के साथ ही फूल बंगला, छपà¥à¤ªà¤¨ सतà¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨ à¤à¥‹à¤— सजाकर, जमकर जयकारे लगाठजाते हैं। अगले दिन अखबार के किसी छोटे से कोने में खबर होती है कि फला जगह जयघोषों की गूंज और à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से सराबोर à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के नृतà¥à¤¯ से समूचा वातावरण साईंमय नजर आया। à¤à¤œà¤¨-संगीत और देर शाम से रंगीन रोशनी में नहाठपंडाल में à¤à¤•à¥à¤¤ जमकर à¤à¥‚मे। फला जगह से पधारे गायक ने à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—ीतों से शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं को सराबोर कर दिया।
अब शायद कà¥à¤› लोग मेरे विचारों से सहमत न हों, मà¥à¤à¤¸à¥‡ रà¥à¤·à¥à¤Ÿ हो जाà¤à¤‚, à¤à¤²à¤¾-बà¥à¤°à¤¾ कहें। हो सकता है कि वे ही सही हों। पर मैं तो अपने मन की ही कह सकता हूà¤à¥¤ जो देखता आया हूà¤, जो देख रहा हूà¤, वही कह सकता हूà¤à¥¤ जैसे-जैसे देश में धरà¥à¤® के नाम पर अनà¥à¤·à¥à¤ ानों में बà¥à¥‹à¤¤à¤°à¥€ होती जा रही है वैसै-वैसे देश में धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ कमजोर होती जा रही है। हालांकि à¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनेक कथित धरà¥à¤® गà¥à¤°à¥, सोशल मीडिया पर धरà¥à¤® रकà¥à¤·à¤•, बड़ी ही बà¥à¤²à¤‚द और ऊंची आवाज में इस बात को नकारने की कोशिश करते हैं और à¤à¤¸à¤¾ करते हà¥à¤ उनके चेहरे पर आई चमक और आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ से à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि बिना कà¥à¤› किà¤-धरे उनके सिंहनाद से हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® पूरे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤‚ड की धà¥à¤°à¥€ बन जायेगा।
मà¥à¤à¥‡ तो à¤à¤¸à¤¾ लगता है कि à¤à¤¸à¥‡ तेवर अपनी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤¾à¤—ने का सबसे आसान तरीका है। संकट को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° ही न करो। जब संकट है ही नहीं तो उससे निपटने के लिठकà¥à¤› करने की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ ही नहीं। जागरण के नाम पर अशà¥à¤²à¥€à¤² गीत गाओ, अनà¥à¤·à¥à¤ ान करो, हलवा-पूड़ी खाओ। अगर कोई इसका कारण जानना चाहे तो उसे आरà¥à¤¯ समाजी, नासà¥à¤¤à¤¿à¤•, फलाना ढिमका कहकर हडकाओं यह शबà¥à¤¦ संवाद की रीत इनके शिषà¥à¤¯ पूरे मनोयोग से पालन करते हैं। अब सवाल यह है यदि लोग à¤à¤—वान को खà¥à¤¶ करने के लिठयह सब करते है तो कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤—वान à¤à¥€ दà¥à¤–ी रहते हैं? यदि नहीं तो अपने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के मनोरंजन को धारà¥à¤®à¤¿à¤• मंच देकर अशà¥à¤²à¥€à¤² गानों पर थिरकना कहाठतक उचित है?
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