दलित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° से उमर खालिद तक?
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Rajeev ChoudharyDate
06-Feb-2018Category
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दलित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° से उमर खालिद तक?Top Articles in this Category
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दलित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° से उमर खालिद तक?
दलित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° से चलकर उमर खालिद तक पहà¥à¤à¤š गया आगे à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में इसका सूतà¥à¤° संचालक कौन होगा अà¤à¥€ तय नहीं हà¥à¤† है. à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव शोरà¥à¤¯ दिवस का मंच सजा तो इस मंच पर पॉपà¥à¤²à¤° फà¥à¤°à¤‚ट ऑफ इंडिया, (जिस पर धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण के लगे संगीन आरोपों की जाà¤à¤š à¤à¤¨à¤†à¤ˆà¤ कर रही है) मूल निवासी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मंच, छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बà¥à¤°à¤¿à¤—ेड, दलित ईलम आदि संगठन थे. मौजूद लोगों में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ आंबेडकर, जिगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ मेवाणी, उमर खालिद, रोहित वेमà¥à¤²à¤¾ की मां राधिका वेमà¥à¤²à¤¾, सोनी सोरी, विनय रतन सिंह, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त दौंà¥, मौलाना अबà¥à¤¦à¥à¤² हामिद अजहरी वगैरह शामिल थे. इसके बाद दलितों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° की कहानी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ गई. यह कि आज à¤à¥€ दलितों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° होता है और अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करने वाले à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾-आरà¤à¤¸à¤à¤¸ के लोग होते हैं. कहा गया à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾ और संघ के लोग आज के नठपेशवा हैं. जिगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ मेवाणी ने तो सीधे पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ को आज का पेशवा कहा. इसी कथानक को फिर तरह-तरह से दोहराया गया. फिलहाल ना कथित दलित नेता अपनी बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहते है और ना सरकार और ना मीडिया और न ही आरोपी संगठन. लेकिन आप चाहें मà¥à¤à¥‡ चार फटकार जरà¥à¤° लगा सकते हैं.
ये नाम और उपरोकà¥à¤¤ संगठन दलित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ और और à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव में हà¥à¤ˆ हिंसा तोड़फोड़ के पà¥à¤°à¥‡ किसà¥à¤¸à¥‡ का यह वो घी है जिसे जातिवादी अपनी पिंडलियों पर रगड़-रगड़कर अगली किसी संà¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हिंसा या आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के लिठखà¥à¤¦ को तैयार कर सकते हैं. लेकिन इस मामले के बाद यदि गौर करें तो मà¥à¤–à¥à¤¯ सवाल यही उà¤à¤°à¤¤à¤¾ कि पूरे मामले से दलितों को कà¥à¤¯à¤¾ मिला? इस आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में नाम आता है जिगà¥à¤¨à¥‡à¤¶, उमर ख़ालिद. सोनी सोरी, विनय रतन सिंह, पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤‚त दौंॠऔर अबà¥à¤¦à¥à¤² हामिद अजहरी. इससे साफ है कि पेशवा और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ तो बहाना हैं, यह à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥à¤‚ड का जमावड़ा था, जो इस देश में नारा लगाते है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ की बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦à¥€ तक, जंग चलेगी, जंग चलेगी आदि-आदि सवाल ये à¤à¥€ है कि ये लोग खà¥à¤²à¤•à¤° अपने à¤à¤œà¥‡à¤‚डे पर बात कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं करते? à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न कहा जाठकि ये à¤à¥‚ठका पà¥à¤²à¤¿à¤‚दा बनाकर दलितों को मोहरा बना रहे हैं?
सवाल बहà¥à¤¤ है लेकिन इनके जवाब बड़े विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿà¤• हो सकते हैं. सवाल दलित पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के रवैये पर à¤à¥€ हैं. ये पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कà¥à¤¯à¤¾ अपनी à¤à¥€ सोच या दिशा रखती हैं या फिर हिनà¥à¤¦à¥‚ बनाम दलित चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ वाली उस मीडिया के इशारे पर चल देते हैं? आप गौर से इन लोगों के चेहरों को देखो तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ समठमें आयेगा कि दलित आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ की कमान इन लोगों के हाथ में रहने से कà¥à¤¯à¤¾ कोई समसà¥à¤¯à¤¾ हल हो सकती हैं? समसà¥à¤¯à¤¾à¤à¤‚ बà¥à¥‡à¤—ी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि दलित कोई जाति या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• बहà¥à¤¤ बड़ा धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण और सतà¥à¤¤à¤¾ की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का दà¥à¤µà¤¾à¤° जो बना लिया गया है.
ये वकà¥à¤¤ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के मरीज को उसकी संगीन गलतियाठयाद दिलाने या धमकियों का नहीं है, बलà¥à¤•à¤¿ उदारता समानता की ठंà¥à¥€ पटà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ रखने का हैं. à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनमानस से à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के विà¤à¥‡à¤¦ को मिटने à¤à¤¸à¤¾ कोई मनà¥à¤¤à¥à¤° दिखाई नहीं दे रहा है जिसका कठोरता से पालन हो व à¤à¤• ही à¤à¤Ÿà¤•à¥‡ में à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ की रीॠटूट जाà¤, कारण इस à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ को मिटाना न तो हमारा राजनैतिक तंतà¥à¤° चाहता है और न ही कथाकथित दलित नेता. चार गाली मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ को दी, चार गाली धरà¥à¤® को, à¤à¤• दो वरà¥à¤£à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को बस हो गया दलित उदà¥à¤§à¤¾à¤°? वोट ली, चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीता मंतà¥à¤°à¥€ पद कबà¥à¤œà¤¾à¤¯à¤¾ कà¥à¤› इसी तरह नेताओं ने सतà¥à¤¤à¤° वरà¥à¤· घसीट दिà¤.
अब सवाल है किस है तरह होगा दलित उदà¥à¤§à¤¾à¤°? मायावती का फारà¥à¤®à¥‚ला तो धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ हैं? लेकिन जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ किया कà¥à¤¯à¤¾ उनका उदà¥à¤§à¤¾à¤° हो गया? पिछले दिनों ही दलित ईसाई अपने लिठआरकà¥à¤·à¤£ की मांग कर रहे थे. दूसरा जिगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤·à¤£à¥‹à¤‚ और हिंसा या à¤à¤• दो यà¥à¤¦à¥à¤§ की कहानियों की जीत के गौरव से? यदि 70 सालों से समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ दलित जाति का उदà¥à¤§à¤¾à¤° आरकà¥à¤·à¤£ नया हीं कर पाया तो धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ या फिर बड़े-बड़े जà¥à¤²à¥‚स कैसे कर पाà¤à¤‚गे? कहा जा रहा हैं शोरà¥à¤¯ दिवस के मौके पर मंच पर चार मटके रखे थे जिनपर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ वेशà¥à¤¯ और शà¥à¤¦à¥à¤° लिखा था. उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ के अवसर पर इन मटकों को फोड़ा à¤à¥€ गया जोकि सही à¤à¥€ है जातिवाद उंच-नीच समाज की बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ है पर यदि इन चार मटकों को तोड़कर आगे बà¥à¤¨à¤¾ ही हैं तो जातिवाद का वो आरकà¥à¤·à¤£ रूपी मटका à¤à¥€ कà¥à¤¯à¤¾ टूटना नहीं चाहिà¤?
à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ अंबेडकर की जो मà¥à¤–à¥à¤¯ लड़ाई थी वो वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के ख़िलाफ थी. वो चाहते थे कि इस देश में इंसान रहें, जातियाठन रहें. आज दलित-चेतना का फैलाव अंबेडकर से बà¥à¤¦à¥à¤§ तक तो हो गया पर बà¥à¤¦à¥à¤§ और अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के सिंदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों से कोसो दूर चला गया, बà¥à¤¦à¥à¤§ ने कहा था कि के ‘अपà¥à¤ª दीपो à¤à¤µà¤ƒ’ यानी अपना नेतृतà¥à¤µ ख़à¥à¤¦ करो, लेकिन इसके उलट आज दलित समाज का नेतृतà¥à¤µ उमर खालिद, मौलाना अबà¥à¤¦à¥à¤² हामिद अजहरी और पॉपà¥à¤²à¤° फà¥à¤°à¤‚ट ऑफ इंडिया जैसे लोग और संगठन करने लगे. जो दलितों को उनके हक से दूर कर अपने ही समाज से नफरत करना सिखा रहे है. सामाजिक परिवरà¥à¤¤à¤¨, समानता, à¤à¤¾à¤ˆà¤šà¤¾à¤°à¤¾ और आजादी तथा जाति तोड़ो आंदोलन से विमà¥à¤– होकर अवसरवादी समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ करने था पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤° की हिंसा की ओर धकेल रहा है. यदि आज दलित समाज à¤à¤• अलग परंपरा-संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£, जिसमें समानता, शà¥à¤°à¤® की महतà¥à¤¤à¤¾ और लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के समायोजन में जीना चाहते हैं तो अपनी मांग खà¥à¤¦ रखनी पड़ेगी. आज देश का राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ à¤à¤• दलित परिवार से है यदि अब à¤à¥€ आपकी जंग पॉपà¥à¤²à¤° फà¥à¤°à¤‚ट ऑफ इंडिया और उमर खालिद लड़ेंगे तो पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ आपके आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ की दिशा धरà¥à¤® से जोड़कर à¤à¤Ÿà¤•à¤¾ दी जाà¤à¤—ी और आप यह समानता का यह यà¥à¤¦à¥à¤§ हार जाओंगे..
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