मंदिरों का नहीं है सवाल है अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का?
Author
Rajeev ChoudharyDate
13-Mar-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
188Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
13-Mar-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- साईं बाबा से जीशान बाबा तक कà¥à¤¯à¤¾ है पूरा माजरा?
- शरियत कानून आधा-अधूरा लागू कयों
- तिबà¥à¤¬à¤¤ अब विशà¥à¤µ का मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बनना चाहिà¤
- कà¥à¤¯à¤¾ आतà¥à¤®à¤¾à¤à¤‚ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ में बोलती है..?
मंदिरों का नहीं है सवाल है अंधविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ का?
जब ये खबर सà¥à¤¨à¥€ तो मन में अजीब से सवाल उठे कि कà¥à¤¯à¤¾ आसà¥à¤¥à¤¾ का कोई जवाब ही नहीं हैं? बà¥à¤‚देलखंड कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के à¤à¤¾à¤‚सी जनपद में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रेवन और ककवारा गांवों के बीच लिंक रोड पर कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ महारानी मां का à¤à¤• मंदिर है, जिसमें काली कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. आसà¥à¤¥à¤¾ के केंदà¥à¤° इस मंदिर में लोग पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पूजा करते हैं. आसपास के गांवों की महिलाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ जल चà¥à¤¾à¤¨à¥‡ आती हैं और यहां पूजा-अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ कर अपने परिवार की खà¥à¤¶à¤¹à¤¾à¤²à¥€ का आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ मांगती हैं. वैसे तो आबादी से दूर यह छोटा सा कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ महारानी का मंदिर सà¥à¤¨à¤¸à¤¾à¤¨ सड़क पर बना है, मगर यहां के लोगों की कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ महारानी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपार शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ है. गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£à¥‹à¤‚ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ का यह मंदिर उनकी आसà¥à¤¥à¤¾ का केंदà¥à¤° है. इस मंदिर में काली कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है. मूरà¥à¤¤à¤¿ के बाहर लोहे की जालियां लगाई गई हैं, ताकि कोई इस मूरà¥à¤¤à¤¿ को नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ न पहà¥à¤‚चा सके.
कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¸à¤¾ हो सकता है कि बीज नीम के, वृकà¥à¤· नीम का और फल आम के लग जाये? या फिर इस नीम की पूजा की जाये, आसà¥à¤¥à¤¾ का नाम देकर इसके आसपास à¤à¤‚डारे आदि करके सोचे इससे नीम खà¥à¤¶ होकर ही आम दे ही देगा? शायद नहीं! पर लोग इसी तरह की कोशिशों में लगे पड़ें है. à¤à¤²à¥‡ ही कà¥à¤› लोग इसे मà¥à¤°à¥à¤–तापूरà¥à¤£ कारà¥à¤¯ कहें लेकिन यह à¤à¤¾à¤°à¤¤ है यहाठमà¥à¤°à¥à¤–ता को आसानी से धरà¥à¤® और आसà¥à¤¥à¤¾ की माला पहना दी जाती है.
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का पापी मन आसà¥à¤¥à¤¾ के नाम पर कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ अविषà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं कर लेता है? और इन à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ लोगों का शोषण करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ तो सदा ही मौजूद हैं. फिर चाहे मंदिर कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ का बने या मटके वाले बाबा का. डरे हà¥à¤ लोगों को और अधिक डराया जाता है. यह सूकà¥à¤·à¥à¤® शोषण बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ है. शोषण के अनेक कारण हैं, धारà¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ हैं, समाज के सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ हैं, मठहै, मठाधीश हैं. कà¥à¤¯à¤¾ आसà¥à¤¥à¤¾ की सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ ही नहीं? ताकि इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ इन शोषणकारी लोगों से बच सके.
बताया जाता है कि इसी तरह गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में à¤à¤• वीजा वाले हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी का मंदिर हैं. अहमदाबाद के इस हनà¥à¤®à¤¾à¤¨ जी के मंदिर में लोग विदेश जाने के लिठà¤à¤—वान से वीजा दिलाने की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करते हैं. मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं में आसà¥à¤¥à¤¾ रखने वाले लोग बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ यहां आते हैं और कनाडा, ऑसà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‡à¤²à¤¿à¤¯à¤¾, अमेरिका, यूरोप जाने के लिठà¤à¤—वान से वीजा मांगते हैं. जबकी वीजा तो कà¥à¤› लोग रिशà¥à¤µà¤¤ या जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दलाल कहा जाता है वह à¤à¥€ आसानी से दिला देते है फिर इतने से काम के लिठमंदिर का सà¥à¤µà¤¾à¤‚ग कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? परमातà¥à¤®à¤¾ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ तो à¤à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¦à¤¶à¤¾ है. अहंकार-शूनà¥à¤¯à¤¤à¤¾ की à¤à¤¾à¤µà¤¦à¤¶à¤¾ ही परमातà¥à¤®à¤¾ की सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ है. उसका वीजा या मनà¥à¤¨à¤¤ से कà¥à¤¯à¤¾ लेना देना? लेकिन यहाठà¤à¥€ à¤à¥€à¥œ देखकर लगता है कि मà¥à¤°à¥à¤–ता का चलन आधà¥à¤¨à¤¿à¤• तरीके से लोगों के जेहन में कैसे सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ बन बस चà¥à¤•à¤¾ है.
हालाà¤à¤•à¤¿ à¤à¤¸à¥‡ उदहारण इस à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हर à¤à¤• 10 किलोमीटर पर मिल जायेंगे लेकिन आज समाज को उदहारण नहीं बलà¥à¤•à¤¿ चेतना की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है. महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी ने कहा परमातà¥à¤®à¤¾ अमूरà¥à¤¤ है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आलोकिक शकà¥à¤¤à¤¿ की कोई मूरत हो ही नहीं सकती. वह निराकार है. कारण चेतना का आकार नहीं हो सकता. वह असीम है. सरà¥à¤µ, शकà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ की कोई सीमा नहीं हो सकती है. वह अनादि है, अनंत है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जो है उसका आदि-अंत तक नहीं हो सकता.
इस पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग को गहराई से समà¤à¤¨à¥‡ के लिठà¤à¤• बड़ी पà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥€ सी कहानी है कहते है à¤à¤• गांव में à¤à¤• साधॠरहता था. अकेला à¤à¤• à¤à¥‹à¤ªà¥œà¥‡ में, जिसमें कि दà¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥€ नहीं थे जब à¤à¥‹à¤ªà¥œà¤¾ ही खाली था तो दà¥à¤µà¤¾à¤° की जरूरत ही नहीं. खैर à¤à¤• दिन वहां से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ दो लोग उस à¤à¥‹à¤ªà¥œà¥‡ में जल मांगने गà¤. उनमें से à¤à¤• ने साधॠसे पूछा ‘आप कैसे साधॠहैं? आपके पास à¤à¤—वान की कोई मूरà¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ नहीं दिखाई पड़ती है. ‘वह साधॠबोला’ यह à¤à¥‹à¤ªà¥œà¤¾ देखते हैं कि बहà¥à¤¤ छोटा है. इसमें दो के रहने के योगà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कहां है?’ उसकी यह बात सà¥à¤¨ कर वे हंसे और दूसरे दिन à¤à¤—वान की à¤à¤• मूरà¥à¤¤à¤¿ लेकर उसे à¤à¥‡à¤‚ट करने लगे. पर उस साधॠने कहा ‘मà¥à¤à¥‡ à¤à¤—वान की मूरà¥à¤¤à¤¿ की कोई आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं” वो तो मेरे हà¥à¤°à¤¦à¤¯ में बसता है तà¥à¤® à¤à¥€ à¤à¤—वान की मूरà¥à¤¤à¤¿ मत बनाओ, बस अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ तोड़ दो. उसका अà¤à¤¾à¤µ ही à¤à¤—वान का सदà¤à¤¾à¤µ है.
दोनों ने मूरà¥à¤¤à¤¿ अलग रख दी साधू के पैर पकड लिठपरमातà¥à¤®à¤¾ का मारà¥à¤— पूछा, साधू ने बताया कि à¤à¤• रात मैं देर तक दीया जलाकर पà¥à¤¤à¤¾ रहा. फिर दीया बà¥à¤à¤¾à¤¯à¤¾ तो हैरान हो गया. बाहर पूरा चांद था. पर मेरे दीये के टिमटिमाते पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के कारण उसकी चांदनी à¤à¥€à¤¤à¤° नहीं आ पा रही थी. यहां दीया बà¥à¤à¤¾ ही था कि चांद ने अपने अमृत-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ से मेरे ककà¥à¤· को आलोकित कर दिया था. उस दिन जाना था कि ’अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾’ का दीया जब तक जलता रहता है, तब तक पà¥à¤°à¤à¥-पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤° पर ही पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ करता है. और उसके बà¥à¤à¤¤à¥‡ ही वह पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ हो जाता है. इसी तरह à¤à¤—वान को पूजा नहीं बलà¥à¤•à¤¿ जीना होता है. उसकी मंदिर में नहीं, जीवन में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा करनी होती है. वह हृदय में विराजमान हो और साà¤à¤¸-साà¤à¤¸ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाà¤, à¤à¤¸à¥€ साधना करनी होती है. और इसके लिठजरूरी है कि अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ विलीन हो! लेकिन हम कैसे लोग हैं कि उसकी à¤à¥€ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बना लेते हैं? और फिर इन सà¥à¤µ-निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की पूजा करते हैं. पहले अपनी जैसी सूरत की मूरà¥à¤¤à¤¿ बनाई, अब पशà¥à¤“ं की बना रहे हैं आगे धरà¥à¤® के नाम पर कà¥à¤¯à¤¾-कà¥à¤¯à¤¾ बनेगा अà¤à¥€ महज परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ हो सकती है लेकिन यह सतà¥à¤¯ है कि कà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾ महारानी की पूजा धडलà¥à¤²à¥‡ से जारी है. जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और चेतना की खिड़की बंदकर लोग अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के फाटक खोले बैठे है..
ALL COMMENTS (0)