अनà¥à¤·à¥à¤ ान के नाम पर तपसà¥à¤¯à¤¾ या शोषण
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Rajeev ChoudharyDate
13-Mar-2018Category
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13-Mar-2018Download PDF
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अनà¥à¤·à¥à¤ ान के नाम पर तपसà¥à¤¯à¤¾ या शोषण
कà¥à¤› पल को सोचिये! धारà¥à¤®à¤¿à¤• अनà¥à¤·à¥à¤ ान के नाम पर आज के à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पांच से 12 साल के मासूम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के शरीर को लोहे के हà¥à¤• से छेदा जाता हो, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के नाम पर बांह के नीचे तà¥à¤µà¤šà¤¾ में लोहे के हà¥à¤• से छेद करने के बाद उसे धागे से बांध दिया जाता हो और यह पीड़ादायक परंपरा लगातार सात दिन चलती हो तो कà¥à¤¯à¤¾ इसे धारà¥à¤®à¤¿à¤• अनà¥à¤·à¥à¤ ान कहा जायेगा? यदि हाठतो फिर कठोर मानसिक और शारीरिक शोषण किसे कहा जाता है? केरल में à¤à¤• सरकारी अधिकारी शà¥à¤°à¥€à¤²à¥‡à¤–ा राधामà¥à¤®à¤¾ ने à¤à¤• हिंदू मंदिर में इस धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपरा का विरोध किया हैं
दरअसल दकà¥à¤·à¤¿à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के à¤à¤• राजà¥à¤¯ केरल के à¤à¤• हिंदू मंदिर में धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपरा पूरी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ से चल रही है. इनमें अधिकांश बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं के होते हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपने जीवन में इससे à¤à¤• बार गà¥à¤œà¤°à¤¨à¤¾ होता है. इस शारीरिक पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¨à¤¾ को तपसà¥à¤¯à¤¾ बताया जाता है, जिसमें बचà¥à¤šà¥‡ को जमीन पर सोना पड़ता है और 1008 बार दंडवत पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करना पड़ता है. इस अनà¥à¤·à¥à¤ ान के दौरान सà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‡ बलि के बकरे की तरह दिख रहे होते है.
हालाà¤à¤•à¤¿ राजà¥à¤¯ में इसके खिलाफ कानून है, इस कृतà¥à¤¯ को अपराध की शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में à¤à¥€ गिना जाता है लेकिन जब परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ में डूबे लोग इसके खिलाफ कà¥à¤› नहीं करना चाहते तो कौन इसकी शिकायत करेगा? मां-बाप तो नहीं करेंगें और जो लोग यह सब देखते हैं उनकी सà¥à¤¨à¥€ नहीं जाà¤à¤—ी.”
बताया जा रहा है कि इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में शामिल बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ सिरà¥à¤« à¤à¤• कमर वसà¥à¤¤à¥à¤° पहनते हैं, तीन बार ठंडे पानी में डूबे होते हैं, इस धारà¥à¤®à¤¿à¤• परंपरा का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ तिरà¥à¤µà¤¨à¤‚तपà¥à¤°à¤® के अतà¥à¤¤à¥à¤•à¤² à¤à¤¾à¤—वती मंदिर में किया जाता है, जिसे वो कà¥à¤¥à¥€à¤¯à¥‹à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤® कहते हैं.कहा जाता इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में अधिकांश गरीब तबके के परिवारों के बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को पैसों के बदले अमीर परिवारों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ खरीदा जाता है. विडमà¥à¤¬à¤¨à¤¾ देखिये इस परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में शामिल बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को उनके माता पिता को देखने तक नहीं दिया जाता.
सबसे हैरान कर देने वाली बात है वो यह कि इस तà¥à¤¯à¥Œà¤¹à¤¾à¤° के बाद इन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का कà¥à¤¯à¤¾ होता है? चूंकि इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ का मतलब यह है कि à¤à¤—वान को मानव बली पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की गई है, अत: बाद में उन बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का पूरी तरह से सामाजिक बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° कर दिया जाता है, यह समाज उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हमेशा के लिठमृत मान लेता है. लोग उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनहूस मानते हैं और यही वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उनके साथ जीवन à¤à¤° किया जाता है.
राजनीतिक संरकà¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ इस मंदिर से इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को बंद करने की सà¤à¥€ कोशिशें अब तक बेकार ही गईं हैं. ये बेहद दà¥à¤–द है कि यह सब उस राजà¥à¤¯ में हो रहा है जहां पर साकà¥à¤·à¤°à¤¤à¤¾ का पैमाना देश में सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ है. और उससे à¤à¥€ दà¥à¤–द है कि कà¥à¤› बेहद ही रसूखदार और मजबूत लोगों के शामिल होने की वजह से अबतक इसपर कोई ठोस कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ नहीं हà¥à¤ˆ है. इस दमनकारी पà¥à¤°à¤¥à¤¾ से लड़ रहे सà¤à¥€ लोगों के पास बस à¤à¤• ही रासà¥à¤¤à¤¾ बच जाता है, वो है उमà¥à¤®à¥€à¤¦ का रासà¥à¤¤à¤¾. उमà¥à¤®à¥€à¤¦ यह कि à¤à¤• दिन इतनी जागरूकता होगी कि लोग इसको गलत मानेंगे और सरकारी तंतà¥à¤° नींद से जागेगा. ताकि हर साल कम से कम 24 मासूम बचà¥à¤šà¥‡ बचाठजा सकें.
हालाà¤à¤•à¤¿ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ सदियों से कई कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं, परंपरा और रीति रिवाजों को आसà¥à¤¥à¤¾ के नाम ढो रही है. मसलन परेशानी कितनी à¤à¥€ हो लेकिन पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दी आजà¥à¤žà¤¾ निरंतर जारी रखी जा रही है. इसमें किसी कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ को, बिना सोचे समà¤à¥‡ बिना तरà¥à¤• की कसोटी पर कसे और बिना किसी परिवरà¥à¤¤à¤¨ के à¤à¤• पीà¥à¥€ से दूसरी पीà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सदियों शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के नाम दिया जा रहा है. लोग अपने निजी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के चलते इन परंपराओं को धरà¥à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ बनाकर गरà¥à¤µ से अपने à¤à¤¾à¤µ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ करते है.
हम सà¤à¥€ परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ चिनà¥à¤¹ नहीं उठा रहे है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यजà¥à¤ž, हवन जैसी बहà¥à¤¤ सारी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤à¤ हमारी वैदिक कालीन आज à¤à¥€ बिना किसी à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ के, बिना किसी शोषण के अपना महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखती है. ये परंपराà¤à¤‚ हमारे ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ हैं. यह सदियों से निरंतर जारी हैं. इन परंपराओं के पीछे उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ यह था कि हम अपनी संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, रीति-रिवाज और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को न à¤à¥‚लें. लेकिन à¤à¤• 250 साल पहले बनी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ को धरà¥à¤® का हिसà¥à¤¸à¤¾ बताकर मासूम बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का शोषण करना कहाठतक उचित है?
दरअसल, परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤“ं का रà¥à¤ªà¤¾à¤‚तरण पà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं में बदलाव कà¥à¤› लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाता है. जो परंपराओं की छांव में लालच, असहिषà¥à¤£à¥à¤¤à¤¾ और कई तरह की सामाजिक विसंगतियों की पूरà¥à¤¤à¤¿ करना चाहते हैं. हालांकि यह काफी हद तक अपने कारà¥à¤¯ में सफल à¤à¥€ हो जाते हैं. इसी कारण लाख कोशिशों के बाद à¤à¥€ अपने देश से यह कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾ पूरी तरह समापà¥à¤¤ नहीं हो पाई.
जिस तरह शरीर को कषà¥à¤ देकर इसे तपसà¥à¤¯à¤¾ का नाम देकर ढोंग किया जा रहा है à¤à¤¸à¥‡ ढोंग आप देश के à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ धरà¥à¤® सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ में देख सकते है. कोई à¤à¤• मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ से, यथा--हाथों को उठाठखड़ा मिलेगा, कोई पैर पर खड़ा दिखता है. कोई काà¤à¤Ÿà¥‹à¤‚ पर लेटा है. तो कोई रेंग-रेंगकर मंदिर दरà¥à¤¶à¤¨ को जाता है. à¤à¤¸à¥‡ अनेक कथित तपसà¥à¤µà¥€ और हठयोगी à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤°à¥à¤· के सà¤à¥€ कोनों, विशेषत तीरà¥à¤¥à¥‹à¤‚, आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚, नदी के किनारों और परà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤‚ की कंदराओं में मिलेंगे. सरà¥à¤µà¤¸à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤£ वरà¥à¤— विशà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥€ और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥ समाज à¤à¤¸à¥‡ तपसà¥à¤µà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का बखान करने से नहीं चà¥à¤•à¤¤à¤¾ उनमें किसी अतिमानवीय अथवा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित होने में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¥€ करने लगते है.
सामाजिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिलने के कारण इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बà¥à¤¾à¤µà¤¾ मिलता रहा है. इसी कारण कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं ने विकराल रूप धारण कर लिया. अशिकà¥à¤·à¤¾ और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ की वजह से कà¥à¤› लोग इन कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं को अब à¤à¥€ ढोठजा रहे हैं.जबकि सब जानते है कि यह संसार हर कà¥à¤·à¤£ बदलता है, इसलिये उसके पीछे कोई à¤à¤¸à¥€ सतà¥à¤¤à¤¾ अवशà¥à¤¯ होनी चाहिये जो कà¤à¥€ न बदलती हो. वही सतà¥à¤¤à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ है, वही सतà¥à¤¯ है. à¤à¤¸à¥‡ में हमें वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• परंपराओं को ही जीवित रखना चाहिà¤. कà¥à¤ªà¥à¤°à¤¥à¤¾à¤“ं का अंत देश, समाज और परिवार सà¤à¥€ के लिठमंगलकारी होगी.
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