केरल में मधॠकी हतà¥à¤¯à¤¾ पर अवारà¥à¤¡ वापिस कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं..
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Rajeev ChoudharyDate
18-Mar-2018Category
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13-Mar-2018Download PDF
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केरल में मधॠकी हतà¥à¤¯à¤¾ पर अवारà¥à¤¡ वापिस कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं..
किसी ने कहा है, उसने रोटी चà¥à¤°à¤¾à¤ˆ तो वो चोर हो गया, साहब लोग मà¥à¤²à¥à¤• खा गठकानून लिखते-लिखते। बहराल केरल में खाने-पीने की चीज़ें चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ वाले à¤à¤• चोर मधॠकी à¤à¥€à¥œ ने पीट-पीट कर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी।
हतà¥à¤¯à¤¾ के बाद मधॠकी माठने कहा है कि अगर उनका बेटा जंगल में ही रह रहा होता तो उसकी जान इस तरह नहीं जाती। कहा जा रहा है उनकी यह बात उन लोगों के मà¥à¤‚ह पर ज़ोरदार तमाचे की तरह है जो गरीबों-आदिवासियों को नीची नज़र से देखकर तथाकथित विकास की तारीफ के पà¥à¤² बांधते रहते हैं।
ये शरà¥à¤®à¤¨à¤¾à¤• कांड उस देश में हà¥à¤† जहां किसी नेता के ऊपर मातà¥à¤° सà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¥€ डालने या गाड़ी पर कोई पतà¥à¤¥à¤° लगने से लोकतंतà¥à¤° की हतà¥à¤¯à¤¾ हो जाती है। मà¥à¤à¥‡ नहीं पता ये लोकतंतà¥à¤° की हतà¥à¤¯à¤¾ है या उसे जीवेम शरदः शतमॠका आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦? पर यह सतà¥à¤¯ है करने वाले यदि हतà¥à¤¯à¤¾ ही करना चाहते थे तो दो रोटी देकर मधॠकी à¤à¥‚ख की हतà¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ कर सकते थे पर हमेशा के लिठà¤à¤• à¤à¥‚खे की हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी गई।
पर कà¥à¤¯à¤¾ इससे गरीब à¤à¥‚ख à¤à¥€ खतà¥à¤® हो गयी? वो आज à¤à¥€ समाज के सामने मà¥à¤‚ह खोले खड़ी है कि काश à¤à¤• दिन मेरी à¤à¥€ हतà¥à¤¯à¤¾ हो और मैं हमेशा के लिठइस देश से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पा जाऊं।
कहा जा रहा है मधॠपर 2016 में चोरी करने के आरोप में केस दरà¥à¤œ था। वह अकà¥à¤¸à¤° चावल तथा खाने-पीने की अनà¥à¤¯ चीज़ों की चोरी आस-पास की दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से करता रहता था। लेकिन इस बार कà¥à¤› लोगों के समूह ने पास के जंगल से मधॠको पकड़ लिया और उसको बांधकर इस कंकà¥à¤°à¥€à¤Ÿ के जंगल की सड़कों पर बà¥à¤°à¥€ तरह से पीटा और à¤à¤• इंसान की à¤à¥‚ख को हमेशा के लिठसà¥à¤²à¤¾ दिया।
आज उन लोगों को सोचना होगा जो à¤à¤¾à¤—वत कथाओं में à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के माखन चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ की कथा को à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ में लीन होकर ओत-पà¥à¤°à¥‹à¤¤ हà¥à¤°à¤¦à¤¯ से बखान करते हैं कि थोड़े से चावल चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ पर पीट-पीटकर यदि आज किसी की हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी जाती है तो मान लो यदि कोई घी मकà¥à¤–न चà¥à¤°à¤¾à¤ तो उसका कà¥à¤¯à¤¾ हाल होगा?
मधॠकी माठदà¥à¤–ी है अफसोस à¤à¥€ कर रही होगी कि बेटे को à¤à¤• माठकी ममता तो परोस सकी पर गरीबी के चलते दो रोटी न परोस सकी। बताया जा रहा है मरने वाला मधॠअटà¥à¤Ÿà¤ªà¥œà¤¿ मानसिक बिमारी से जूठरहा था।
जो लोग मधॠके हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को लेकर किसी विशेष समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ को दोषी ठहरा रहे हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¥€ सोचना चाहिठकि बात हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ उबैद, हà¥à¤¸à¥ˆà¤¨ और अबà¥à¤¦à¥à¤² करीम की नहीं बात à¤à¤• मानसिकता की है जो सà¥à¤° में सà¥à¤° मिलाकर कà¤à¥€ गाय के लिठतो कà¤à¥€ रोटी के लिठदेश में हिंसा को अंजाम तक पहà¥à¤‚चा रही है।
मà¥à¤à¥‡ उमà¥à¤®à¥€à¤¦ है अब “नॉट इन माय नेम” वाले à¤à¤• बार फिर पहलू खान की हतà¥à¤¯à¤¾ की तरह मधॠकी हतà¥à¤¯à¤¾ पर à¤à¥€ जंतर-मंतर पर आकर पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ करेंगे। अवॉरà¥à¤¡ वापिस करने वाले à¤à¥€ इस पर कोई छà¥à¤Ÿ-मà¥à¤Ÿ तमगा वापिस करेंगे?
शायद ही इस पर कोई राजनीतिक दल या बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ ज़à¥à¤¬à¤¾à¤¨ खोले, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मामला à¤à¥‚ख से जà¥à¥œà¤¾ है और यहां राजनीति के शासà¥à¤¤à¥à¤° में à¤à¥‚ख कोई मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ नहीं माना जाता, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤¦à¤¯ कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® चल रहा है, राषà¥à¤Ÿà¥à¤° रकà¥à¤·à¤¾ यजà¥à¤ž के लिठमिटà¥à¤Ÿà¥€ ढोई जा रही है और वैलेंटाइन के विरोध में लाठियों को तेल पिलाया जा रहा है।
लेकिन उन नेताओं को इस पर ज़रà¥à¤° सोचना चाहिà¤! जो अखलाक के घर लाखों के चेक लेकर गये थे, रोहित वेमà¥à¤²à¤¾ की माठको सातà¥à¤µà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤Ÿ करने गये थे, जो पहलू खान के परिवार के लिठमोटी सहायता राशि की मांग करते हैं शायद उनका यह मानवीय फरà¥à¤œà¤¼ बनता है कि à¤à¤•-दो किलो चावल उस आदिवासी माठके सामने à¤à¥€ रखे, जिसने दो रोटी की à¤à¥‚ख के लिठअपना बेटा खोया है। इस मामले में सरकार और विपकà¥à¤· को लगातार अपने आप से सवाल करने होंगे।
केवल सरकार ही नहीं आम नागरिकों को à¤à¥€ सवाल करना होगा कि बिन आधार कारà¥à¤¡ के à¤à¤¾à¤°à¤–ंड के सिमडेगा ज़िले में à¤à¥‚ख से 11 साल की लड़की की मौत हो जाना, केरल के पलकà¥à¤•à¤¡à¤¼ में थोड़े से चावल के लिठमधॠकी हतà¥à¤¯à¤¾ हो जाना, उड़ीसा के कालाहांडी में à¤à¥‚ख से लगातार मौत की खबरें आना, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के देवरिया के लार कसà¥à¤¬à¥‡ के पशà¥à¤ªà¤¤à¤¿ राजà¤à¤° के दो मासूमों की à¤à¥‚ख से मौत होना यह दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है कि समसà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ है।
किसी अखबार के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ मत बैठिये, वो जापानी तेल और मरà¥à¤¦à¤¾à¤¨à¤—ी की दवा बेच रहे हैं, इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤¨à¤¿à¤• मीडिया का सहारा à¤à¥€ छोड़ दीजिये, वह कटरीना की दिलकश आदाà¤à¤‚, तैमà¥à¤° का बरà¥à¤¥à¤¡à¥‡ गिफà¥à¤Ÿ, रणवीर सिंह का नया लà¥à¤•, कोहली-पंडà¥à¤¯à¤¾ के चरà¥à¤šà¥‡ और नेताओं की विवादित बयानबाज़ी से आगे इस à¤à¥‚ख से मरते गरीब तक आपको नहीं ले जाà¤à¤—ी।
सरकार को देखना चाहिठकि नये à¤à¤¾à¤°à¤¤ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ और विदेशी कंपनियों के बà¥à¤¤à¥‡ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के आंकड़ों पर कहीं यह à¤à¥‚ख तमाचा तो नहीं जड़ रही है। देश के करà¥à¤£à¤§à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को आनंद की अनà¥à¤à¥‚ति से बाहर आकर इन आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं की पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठहाथ-पैर मारने की ज़रूरत है।
बड़े शहरों में वैà¤à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जीवन जीने वालों के लिठरोटी और पानी की कà¥à¤¯à¤¾ कीमत होगी नहीं जानता लेकिन जब à¤à¥€ कोई डॉकà¥à¤Ÿà¤° के पास अपने बचà¥à¤šà¥‡ को à¤à¥‚ख बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ की दवा दिलाने जाये तो डॉकà¥à¤Ÿà¤° से ज़रूर पूछियेगा कि गरीब लोगों की à¤à¥‚ख कम करने की दवा कब तक बाज़ार में आ जाà¤à¤—ी ताकि उसे बेमौत मरना न पड़े …….
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