दलित-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® गठजोड़
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Rajeev ChoudharyDate
13-Mar-2018Category
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HindiTotal Views
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13-Mar-2018Download PDF
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दलित-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® गठजोड़
दलित समाज को हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से अलग करने का राजनितिक षडयंतà¥à¤°
दिखने में à¤à¤²à¥‡ ही यह दलित- मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® गठजोड़ राजनीतिक सा लगता हो लेकिन अनà¥à¤¦à¤° ही अनà¥à¤¦à¤° इसे सामाजिक धरातल पर अमली जामा पहनाया जा रहा है। इस वरà¥à¤· अमर बलिदानी पंडित लेखराम जी के बलिदान दिवस पर दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯ समाज करोलबाग दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आयोजित कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® में अतà¥à¤¯à¤‚त जà¥à¤µà¤²à¤‚त विषय ‘‘दलित समाज को हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं से अलग करने का राजनैतिक षडयंतà¥à¤°’’ चरà¥à¤šà¤¾ का मà¥à¤–à¥à¤¯ बिनà¥à¤¦à¥ रहा। यह विषय उठाना आज के समय की तरà¥à¤•à¤¸à¤‚गत मांग है यदि अà¤à¥€ इस पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं दिया गया तो à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में जो परिणाम सामने आयेंगे वे देश, धरà¥à¤® और समाज के लिठबेहद निराशाजनक होंगे।
इस विषय पर इतिहास का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग जरूरी है। जब हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° में षडयंतà¥à¤° पर षडयंतà¥à¤° रचे जा रहे थे उस समय महातà¥à¤®à¤¾ विदà¥à¤° ने पितामह à¤à¥€à¤·à¥à¤® से कहा था कि ‘पितामह जब हसà¥à¤¤à¤¿à¤¨à¤¾à¤ªà¥à¤° में पाप की नदी बह रही होगी तब मैं और आप उसके किनारे खड़े होंगे।’ à¤à¥€à¤·à¥à¤® पितामह ने पूछा, ‘किनारे पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?’ तो विदà¥à¤° ने कहा था-‘कि कम से कम मैं और आप इन षडयंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर चरà¥à¤šà¤¾ तो कर लेते हैं, बाकी तो वह à¤à¥€ जरूरी नहीं समà¤à¤¤à¥‡à¥¤’ कहने का आशय यही है कि आज यह विषय बेहद पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक है। इस पर चरà¥à¤šà¤¾ और कारà¥à¤¯ à¤à¥€ जरूरी है। à¤à¤• छोटा सा उदहारण शायद इस षडयंतà¥à¤° को समà¤à¤¨à¥‡ में देर नहीं लगायेगा। हाल ही में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ महिला कृषà¥à¤£à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ कोलà¥à¤¹à¥€ को वहां की सीनेट ;राजà¥à¤¯à¤¸à¤à¤¾ सदसà¥à¤¯à¤¦à¥à¤§ के लिठनिरà¥à¤µà¤¾à¤šà¤¿à¤¤ किया गया है। लेकिन à¤à¤¾à¤°à¤¤ समेत विशà¥à¤µ à¤à¤° की मीडिया ने इस खबर को कà¥à¤› इस तरह पेश किया कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में कृषà¥à¤£à¤¾ कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€ कोलà¥à¤¹à¥€ सीनेट के लिठनिरà¥à¤µà¤¾à¤šà¤¿à¤¤ होने वाली देश की पहली हिनà¥à¤¦à¥‚ दलित महिला बन गई है।
हर à¤à¤• मीडिया घराने ने इसमें हिनà¥à¤¦à¥‚ के साथ दलित शबà¥à¤¦ का उपयोग कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किया! मतलब साफ है कि यह खबर इसी षडयंतà¥à¤° का हिसà¥à¤¸à¤¾ है। पिछले वरà¥à¤· गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ में घटित ऊना की à¤à¤• घटना के बाद से दलितों के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के नाम पर रैलियां कर बरगलाया जा रहा है। इन रैलियों में दलितों के साथ-साथ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ बà¥-चà¥à¤•à¤° à¤à¤¾à¤— ले रहे हैं। à¤à¤¸à¤¾ दिखाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जा रहा है कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ दलितों के हमदरà¥à¤¦ है। इसके बाद à¤à¥€à¤®à¤¾ कोरेगांव में शौरà¥à¤¯ दिवस और वहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® संगठन पॉपà¥à¤²à¤° फà¥à¤°à¤‚ट ऑफ इंडिया, मूल निवासी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® मंच, छतà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ शिवाजी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बà¥à¤°à¤¿à¤—ेड, दलित इलम आदि संगठन थे। इसके बाद दलितों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° की कहानी सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ गई। यह कि आज à¤à¥€ दलितों पर अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° होता है और अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करने वाले सिरà¥à¤« हिनà¥à¤¦à¥‚ होते हैं।
दरअसल देश में सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दलित करीब 20 फीसदी है और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ 15 फीसदी। दोनों मिलकर 35 फीसदी के लगà¤à¤— हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न इसकी वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में राजनितिक और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में धारà¥à¤®à¤¿à¤• खà¥à¤°à¤¾à¤• बनाई जाये। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि सà¤à¥€ जानते हैं कि बाकी हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज तो बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, बनिया, यादव, जाट, राजपूत आदि में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ है। गौरतलब बात यह है कि दलितों को à¤à¥œà¤•à¤¾à¤¨à¥‡ वालों के दलित नेताओं के लिठडॉ. अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के इसà¥à¤²à¤¾à¤® के विषय में विचार à¤à¥€ कोई मायने नहीं रखते। डॉ. अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° ने इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने का पà¥à¤°à¤²à¥‹à¤à¤¨ देने वाले हैदराबाद के निजाम का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ न केवल खारिज कर दिया अपितॠ1947 में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में रहने वाले सà¤à¥€ दलित हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को à¤à¤¾à¤°à¤¤ आने का सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया। डॉ. अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° 1200 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हमलावरों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किये गठअतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से परिचित थे। वे जानते थे कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना कहीं से à¤à¥€ जातिवाद की समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान नहीं है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• फिरके तो आपस में ही à¤à¤• दूसरे की गरà¥à¤¦à¤¨ काटते फिरते हैं। वह जानते थे कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में दलितों का हित नहीं अहित है। लेकिन आज डॉ. अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° की तसà¥à¤µà¥€à¤° मंच पर सजाकर उसके इसà¥à¤²à¤¾à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विचारों को किनारे कर दफनाने का कारà¥à¤¯ किया जा रहा है। वामपंथी सोच वाला पà¥à¤°à¤¿à¤‚ट और इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‰à¤¨à¤¿à¤• मीडिया इस षडयंतà¥à¤° में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका सी निà¤à¤¾à¤¤à¤¾ दिख रहा है। समाजवाद का à¥à¥‹à¤² पीटने वाले à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनितिक दल इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¦ की चपेट में आकर दलित समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के सामाजिक विकास को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने के बजाय उलà¥à¤Ÿà¤¾ उनको इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤µà¤¾à¤¦ की à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥€ में à¤à¥‹à¤‚कने में ततà¥à¤ªà¤° से दिखाई दे रहे हैं।
जनवाद के नाम से नये मंच तैयार किये जा रहे हैं। जिनमें दलितों को à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ घृणा का पाठपà¥à¤¾à¤¯à¤¾ जा रहा है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताया जा रहा है कि दलित à¤à¤µà¤‚ पिछड़े वरà¥à¤— को तो होली, दशहरा, दिवाली à¤à¤µà¤‚ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के जनà¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ तक नहीं मनाने चाहिà¤à¥¤ रावण को उनका आराधà¥à¤¯ देव बताकर राम से नफरत सिखाई जा रही है। कà¥à¤¯à¤¾ ये जनवादी और अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के नाम पर रोटी तोड़ने वाले तथाकथित दलित हितेषी दल इस नफरत से दलितों को अपने ही धरà¥à¤® और समाज से दूर करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं कर रहे हैं?
आरà¥à¤¯ समाज हमेशा से ही सामाजिक समरसता, जातिवाद और छà¥à¤†à¤›à¥‚त का विरोधी रहा है। आरà¥à¤¯ समाज ने दलित उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ को सामाजिक धरातल पर तो उतारा ही साथ में बलिदान à¤à¥€ दिà¤à¥¤ पंडित लेखराम, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ यदि दलित समाज के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ न चलाते तो कà¥à¤¯à¤¾ मजहबी उनà¥à¤®à¤¾à¤¦à¥€ उनकी हतà¥à¤¯à¤¾ करते? सबसे पहले आरà¥à¤¯ समाज ने पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤à¤µà¤¾à¤¦ पर हमला किया, शूदà¥à¤° समà¤à¥‡ जाने वाले वरà¥à¤— को सीने से तो लगाया ही साथ ही उनको वह सब अधिकार दिलाये जिस पर हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® को अपनी बपौती समà¤à¤¨à¥‡ वाले अपना जनà¥à¤® सिदà¥à¤§ अधिकार समà¤à¤¤à¥‡ थे। लोगों को बताया कि वरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ करà¥à¤® के आधार पर थी न कि जनà¥à¤® के आधार पर!
आज यदि कोई जाति वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को जनà¥à¤® साथ जोड़ता है तो वह निःसंदेह धरà¥à¤® को तोड़ने का कारà¥à¤¯ कर रहा है। यदि हम à¤à¤¾à¤°à¤¤ को पà¥à¤¨à¤ƒ वैà¤à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ बनाना चाहते हैं तो यह धारणा सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करनी पड़ेगी कि समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ हिनà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤• हैं, उसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जन मेरा पà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤ˆ है। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ महसूस होना चाहिठकि हम हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज का अटूट अंग है और हमें जाति के नाम पर अलग करने वाले अपना राजनैतिक सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ पूरा कर रहे हैं। इस बार पंडित लेखराम जी के बलिदान दिवस पर हमें संकलà¥à¤ª लेना चाहिठकि हम सà¤à¥€ जातिमà¥à¤•à¥à¤¤ और जाति के आधार पर à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ को समापà¥à¤¤ करने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को अधिक निषà¥à¤ ा के साथ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• जीवन प(ति में अपनायें यही पंडित लेखराम जी के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सचà¥à¤šà¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤œà¤²à¥€ होगी और दलित मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® गठजोड़ को अमली जामा पहनाने वालों के मà¥à¤‚ह पर कालिख होगी।
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