मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® जीवातà¥à¤®à¤¾ के अनà¥à¤¯ योनियों में जनà¥à¤® लेने से अधिक उतà¥à¤¤à¤®
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Manmohan Kumar AryaDate
19-Apr-2018Category
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19-Apr-2018Download PDF
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हम मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं। संसार में दो पैर वाले पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ जिनके दो हाथ हैं और जिनके पास बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ व बोलने के à¤à¤¾à¤·à¤¾ आदि साधन हैं, वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ आकृति में तो सब नà¥à¤¯à¥‚नाधिक à¤à¤• समान होते हैं। इनमें रंग रूप व आकृति पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का किंचित à¤à¥‡à¤¦ होता है। सबका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® à¤à¤• समान नहीं होते। जà¥à¤žà¤¾à¤¨, करà¥à¤® व आचरण से मनà¥à¤·à¥à¤¯ अचà¥à¤›à¥‡ व बà¥à¤°à¥‡ à¤à¥€ होते हैं। à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कà¤à¥€ किसी आचारà¥à¤¯ व अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• से शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं की और à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शिकà¥à¤·à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में विशà¥à¤µ के अनेक à¤à¤¾à¤—ों में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया है। à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में परमातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¤à¥à¤¤ वेदों के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का व ऋषियों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¥€à¤¤ वैदिक साहितà¥à¤¯ का अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨ व अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया है। इन सब मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की यदि परीकà¥à¤·à¤¾ की जाये तो सब अपने अपने गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤¤à¤® व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तथा अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ में निमà¥à¤¨à¤¤à¤® व निकृषà¥à¤Ÿ à¤à¥€ होते हैं। à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यदि संयम का जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करता है तो वह उतà¥à¤¤à¤® होता है और à¤à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यदि संयम से रहित होकर अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ करà¥à¤® व आचरण करता है वह मनà¥à¤·à¥à¤¯ निनà¥à¤¦à¤¨à¥€à¤¯ होता है। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को उतà¥à¤¤à¤® व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤® ही करने चाहिये और इसके साथ अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की वृदà¥à¤§à¤¿ व अविदà¥à¤¯à¤¾ के नाश के उपाय करने में à¤à¥€ सतत पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहना चाहिये।
संसार में हम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ योनियों को देखते हैं। कोई पशॠहै, कोई पकà¥à¤·à¥€, कोई जलचर, थलचर या नà¤à¤šà¤° है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ सहित यह सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ चेतन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है। चेतन होना आतà¥à¤®à¤¾ व परमातà¥à¤®à¤¾ का गà¥à¤£ है। आतà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ दोनों चेतन है। à¤à¤• तीसरा पदारà¥à¤¥ à¤à¥€ होता है जिसे जड़ पदारà¥à¤¥ कहते हैं। चेतन के समान इस जड़ वा निरà¥à¤œà¥€à¤µ पदारà¥à¤¥à¤¾à¤‚ में संवेदनशीलता, गà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•à¤¤à¤¾, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ व उनकी अà¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि नहीं हà¥à¤† करती। जड़ पदारà¥à¤¥ मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के विकार है। मूल पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ तà¥à¤°à¤¿à¤—à¥à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥, रज व तमों गà¥à¤£ वाली है। इनसे बने सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤°, पृथिवी व पृथिवी पर पाये जाने वाले अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, जल, आकाश आदि पदारà¥à¤¥ हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीर उनके सà¤à¥€ अवयव करण आदि जड़ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के बने हà¥à¤ होते हैं और इन सबमें à¤à¤• सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ आतà¥à¤®à¤¾ होता है। संसार में आतà¥à¤®à¤¾ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ अनादि, नितà¥à¤¯ व सनातन है। आतà¥à¤®à¤¾, ईशà¥à¤µà¤° à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ अनादि व नितà¥à¤¯ होने के साथ अमर व अविनाशी à¤à¥€ हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर में जीवातà¥à¤®à¤¾ की अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के शरीरों की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अनेक विशेषतायें हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को बोलने के लिठà¤à¤¾à¤·à¤¾ उपलबà¥à¤§ है परनà¥à¤¤à¥ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ परसà¥à¤ªà¤° बोल कर अपने सà¥à¤– दà¥à¤ƒà¤– परसà¥à¤ªà¤° व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ सहित मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ नहीं कर सकते। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने मन की बात अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को संपà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ कर सकता है। इस दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सिदà¥à¤§ होता है।
केवल वाणी ही नहीं अपितॠमनà¥à¤·à¥à¤¯ के पास बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ à¤à¥€ होती है जिससे वह सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯, उचित व अनà¥à¤šà¤¿à¤¤, हानि व लाà¤, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ व नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ आदि का विचार कर सकता है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का उपयोग कर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ की है और अपने जीवन को सà¥à¤–मय बनाया है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का उपयोग कर ही मनà¥à¤·à¥à¤¯ वेद व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की शिकà¥à¤·à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ाचार कर अपने जीवन को सà¥à¤–ी व à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ बनाता है। वह लोग à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेद व वेदों पर आधारित सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ व मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है। वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने सà¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ आसानी से कर सकता है। वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अà¤à¤¾à¤µ में अनà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पूरी तरह से अपने सà¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ नहीं कर सकते। वेदों से हमें ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित कारण व कारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ दोनों का सतà¥à¤¯ सतà¥à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। आतà¥à¤®à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने पर हम ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों को जान पाते हैं। ईशà¥à¤µà¤° के उपकारों को जानकर हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ होता है कि हम उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ करें। इस कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ के जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ के लिठसाधनों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ हमें वेद व ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर मिलता है। वेदों ने मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना सहित यजà¥à¤ž अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करने के मनà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ दिये हैं। इन मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की सहयता से हम ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना कर ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤• सीमा तक निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ कर सकते हैं। जो लोग वेदों व वेद जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž है, उनमें से अधिकांश ईशà¥à¤µà¤° की उपासना के रूप में कई तरीके अपनाते हैं परनà¥à¤¤à¥ उनके साधन व उपाय वेदविदà¥à¤¯à¤¾ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤•à¥‚ल न होने के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वह लाठनहीं मिलता जो वैदिक विधि से उपासना व अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤ž करने से मिलता है। अतः वेदों का महतà¥à¤µ निरà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¦ सिदà¥à¤§ होता है।
यह à¤à¥€ जानने योगà¥à¤¯ है कि परमातà¥à¤®à¤¾ ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में आपस में वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करने, ईशà¥à¤µà¤°, जीव व पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प व ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि से परिचित कराने के लिठवेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया था। वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤–ों के सà¤à¥€ साधनों से अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं। इस कारण कि यदि वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होता तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अकà¥à¤·à¤°, शबà¥à¤¦ व वाकà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होने से à¤à¤¾à¤·à¤¾ के अà¤à¤¾à¤µ में अपना जीवन निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ नहीं कर सकता था। वेदों के आविरà¥à¤à¤¾à¤µ से ही मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ˆà¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ कितना à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर लें, यदि परमातà¥à¤®à¤¾ वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न दे तो वह à¤à¤¾à¤·à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ कर उसे पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¤ व वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° योगà¥à¤¯ नहीं बना सकते। सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¶à¥‚नà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पशà¥à¤µà¤¤à¥ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करता है। वह à¤à¤¾à¤·à¤¾ के लिठअकà¥à¤·à¤°, शबà¥à¤¦, उनके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ कदापि नहीं कर सकता। हां, à¤à¤• बार उसे वेद व अनà¥à¤¯ कोई à¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाये तो उसके विकारों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वह कà¥à¤› नये शबà¥à¤¦ व बोलियां अथवा à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ बना सकता है। संसार में जितनी à¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में हैं वह सब वेद की à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का विकार होकर व देश, काल, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बनी व पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं। इन सब à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤“ं का मूल आधार वेद à¤à¤¾à¤·à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ ही है। आवशà¥à¤¯à¤• समà¤à¤•à¤° हमने यहां मनà¥à¤·à¥à¤¯ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– साधन à¤à¤¾à¤·à¤¾ व उसमें निहित जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की चरà¥à¤šà¤¾ की है। यह à¤à¥€ हम जानते ही हैं कि जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में ही निहित होता है। à¤à¤¾à¤·à¤¾ न हो तो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ होकर à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसे जान नहीं सकता। जो लोग अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ है व जिनकी à¤à¤¾à¤·à¤¾ अपूरà¥à¤£à¤¤à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ है, उनके पास जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की कमी देखी जाती है। अतः जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के लिठउनà¥à¤¨à¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। à¤à¤¸à¤¾ समà¥à¤à¤µ है कि किसी असमृदà¥à¤§ à¤à¤¾à¤·à¤¾ को बोलने वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ से चिनà¥à¤¤à¤¨, मनन, अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ व पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का वृदà¥à¤§à¤¿ करने के साथ अपनी à¤à¤¾à¤·à¤¾ का परिमारà¥à¤œà¤¨, सà¥à¤§à¤¾à¤° व उसका उनà¥à¤¨à¤¯à¤¨ कर लेते हैं।
हम à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ हैं कि हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन मिला है जो संसार के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। इसका कारण यही है कि हमारे पास बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ है जिसकी पहले वेद के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सहायता से उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व विकास ह़à¥à¤† और बाद में हमारे यूरोप आदि के विदेशी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ कर अपने चिनà¥à¤¤à¤¨, मनन व धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व विसà¥à¤¤à¤¾à¤° किया है। इससे विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनेक अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ हà¥à¤ जिनका लाठहम आज पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर रहे हैं और सà¥à¤–ी जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करने में सफल हो रहे हैं। विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के आविषà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में विदà¥à¤¯à¥à¤¤ का आविषà¥à¤•à¤¾à¤° व उसका विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से उपयोग लेना à¤à¥€ है। परमाणॠव उसमें निहित इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨, पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¤¾à¤¨ व नà¥à¤¯à¥‚टà¥à¤°à¤¾à¤¨ आदि कणों की खोज से à¤à¥€ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ ने बड़ी कामयाबी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¤¤ की व उसके बाद अनेकानेक अनà¥à¤µà¥‡à¤·à¤£ हà¥à¤à¥¤ आज हमारे पास विदà¥à¤¯à¥à¤¤ के अनेक साधन, दूरà¤à¤¾à¤· व मोबाइल फोन, पेटà¥à¤°à¥‹à¤² व डीजल के वाहन, रेलगाड़ी, हवाई जहाज, कमà¥à¤ªà¥à¤¯à¥‚टर, नाना पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के हथियार, मिसाइलें, सैटेलाइटà¥à¤¸, सà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤«à¥‹à¤¨à¥à¤¸ आदि उपकरण व साधन उपलबà¥à¤§ हैं जिनकी सहायता से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जीवन सà¥à¤–मय बना है। इन सबका लाठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ही हà¥à¤† है। अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि न होने के कारण इन साधनों का विकास नहीं कर पा रहे व लाठनहीं उठा पा रहे हैं। इन सà¥à¤– के साधनों से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जीवन अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से निशà¥à¤šà¤¯ ही शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सिदà¥à¤§ होता है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® होना उसके पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ पर निरà¥à¤à¤° करता है। योग व अनà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¥‹à¤‚ में करà¥à¤® का विवेचन हà¥à¤† है। इससे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के यदि आधे से अधिक करà¥à¤® अचà¥à¤›à¥‡ हों तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जनà¥à¤® होता है। करà¥à¤® जितने अचà¥à¤›à¥‡ होंगे हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में उतने अचà¥à¤›à¥‡ à¤à¥‹à¤— व सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगे। अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤® कम व बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤® अधिक होने पर ही ईशà¥à¤µà¤° हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤° निकृषà¥à¤Ÿ व निमà¥à¤¨ योनियों में पूरà¥à¤µ के मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® में किये गये बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल à¤à¥‹à¤—ने के लिठà¤à¥‡à¤œà¤¤à¤¾ है। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अचà¥à¤›à¥‡ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤® ही करने चाहिये। इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेदों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना होगा। नहीं करेंगे तो इसकी हानि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ परजनà¥à¤® में उठानी होगी। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° उनका मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® नहीं होगा और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अनà¥à¤¯ निमà¥à¤¨ योनियों में अपने करà¥à¤® फल à¤à¥‹à¤— के लिठजाना पड़ेगा। अतः संसार के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मनà¥à¤·à¥à¤¯ को वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ व ऋषि मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ाचार को अपनाना चाहिये।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है जो हमें शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से मिला है। हमें इस जनà¥à¤® में à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤® करके जनà¥à¤® व मरण से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना चाहिये। यदि जनà¥à¤® मरण के दà¥à¤ƒà¤–ों से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ न à¤à¥€ मिले तो कम से कम शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन तो मिलना ही चाहिये। इसके लिठवैदिक विधि से ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ व यजà¥à¤žà¤¾à¤¦à¤¿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करना आवशà¥à¤¯à¤• है। आप सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, दरà¥à¤¶à¤¨, उपनिषद व वेदादि à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤•à¤° अपने जीवन को उतà¥à¤¤à¤® व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बना सकते हैं। इसी के साथ इस चरà¥à¤šà¤¾ को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥
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