कà¥à¤¯à¤¾ ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में सà¥à¤¤à¥‚प पलटने का वरà¥à¤£à¤¨ है?
Author
Karthik IyerDate
29-Apr-2018Category
ખંડનLanguage
HindiTotal Views
980Total Comments
0Uploader
Vedic WebUpload Date
30-Apr-2018Top Articles in this Category
Top Articles by this Author
राजेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के à¤à¤• और पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का निराकरण करते हैं। ये ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में "बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प" का वरà¥à¤£à¤¨ दिखाकर वेदों को बà¥à¤¦à¥à¤§ के बाद बना सिदà¥à¤§ करना चाहते हैं:-
Rajendra Prasad Singh
यह ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के पà¥à¤°à¤¥à¤® मंडल, सूकà¥à¤¤ 24, छठवां अनà¥à¤µà¤¾à¤• का शà¥à¤²à¥‹à¤• संखà¥à¤¯à¤¾ 7 है। इसमें अबौदà¥à¤§ ( अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ ) राजा वरà¥à¤£ का सà¥à¤¤à¥‚प उलटने का वरà¥à¤£à¤¨ है, वे इस कारà¥à¤¯ में पूतदकà¥à¤· हैं, उलटने के बाद सà¥à¤¤à¥‚प का मà¥à¤– नीचे और जड़ ऊपर है जिसमें बà¥à¤¦à¥à¤§ वास करते हैं-बà¥à¤§à¥à¤¨ à¤à¤·à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤®à¥‡ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤ƒà¥¤ आगे के शà¥à¤²à¥‹à¤• में हà¥à¤°à¤¦à¤¯ को कषà¥à¤Ÿ देनेवाले को हराने में समरà¥à¤¥ वरà¥à¤£ का जयगान है।
समाधान:- आप à¤à¥€ विचितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ है! आपको जो सूà¤à¤¤à¥€ है, अनोखी ही सूà¤à¤¤à¥€ है। पहले रामायण में चैतà¥à¤¯ शबà¥à¤¦ पर हलà¥à¤²à¤¾ मचाकर मà¥à¤‚ह की खाई,अब वेद पर आकà¥à¤·à¥‡à¤ª कर रहे हैं।
à¤à¤²à¤¾! तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¿à¤Ÿà¤• में जो "तिणà¥à¤£ वेद,वेदगू,वेदांतगू,यजà¥à¤ž,गायतà¥à¤°à¥€ मंतà¥à¤°, वेदों व वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ आजि गà¥à¤°à¤‚थों के नाम हैं" उनके आधार पर बौदà¥à¤§ मत को संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ के बाद का कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं मानते? वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ ही वितंडा कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करते हैं।
इस तरह से तो हम आपका à¤à¥€ नाम दिखा सकते हैं, देखिये:-
“करà¥à¤®à¥à¤®à¤£à¥ˆà¤¤à¥‡à¤¨ राजेनà¥à¤¦à¥à¤° । धरà¥à¤®à¥à¤®à¤¶à¥à¤š सà¥à¤®à¤¹à¤¾à¤¨à¥ कृतः ॥”
महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥‡ । २ । ४५ । ४१ ।
यहां महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में "राजेंदà¥à¤°" शबà¥à¤¦à¤ªà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— है। तो कà¥à¤¯à¤¾ ये मान लें कि महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ आपके जनà¥à¤® के बाद बनी है? असली अरà¥à¤¥ है - राजशà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ।
अब आपके ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ मंडल १ सूकà¥à¤¤ २४ पर आते हैं।
ये सूकà¥à¤¤ शà¥à¤¨à¤ƒà¤¶à¥‡à¤ª से संबंधित है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° सायण आदि यहां शà¥à¤¨à¤ƒà¤¶à¥‡à¤ª नामक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशेष की चरà¥à¤šà¤¾ मानते हैं।उसे नरबलि देने के लिये लाया गया है। वो अपने पà¥à¤°à¤¾à¤£ बचाने के लिये इंदà¥à¤°,अगà¥à¤¨à¤¿,वरà¥à¤£ आदि देवों की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कर रहा है। दरअसल शà¥à¤¨à¤ƒà¤¶à¥‡à¤ª नामक किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशेष की चरà¥à¤šà¤¾ वेद में नहीं हो सकती। वेद में इतिहास का निषेध निरà¥à¤•à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° महरà¥à¤·à¤¿ यासà¥à¤• करते हैं और अनà¥à¤¯ आचारà¥à¤¯ à¤à¥€à¥¤ अतः यहां पर महरà¥à¤·à¤¿ दयानंद ने जो अरà¥à¤¥ किया है,वही उचित है।
इस पर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‡à¤‚ पढ़ें, यथा " वैदिक इतिहासारà¥à¤¥ निरà¥à¤£à¤¯" आदि।
वेद में इतिहास मानने का निषेध सायण ने à¤à¥€ अपनी à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका में किया था, पर अपनी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤œà¥à¤žà¤¾ के विपरीत यतà¥à¤° ततà¥à¤° इतिहास, वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशेष के चरितà¥à¤° लिख डाले, सो उनका वदतोवà¥à¤¯à¤¾à¤˜à¤¾à¤¤ दोष है।
जो à¤à¥€ है, इस सूकà¥à¤¤ में कोई à¤à¥€ न तो किसी बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ मानता है, न किसी वरà¥à¤£ नामक राजा का किसी सà¥à¤¤à¥‚प को तोड़ने का। यहां पर हर à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° "वरà¥à¤£" से परमातà¥à¤®à¤¾ या किसी देवता का अरà¥à¤¥ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता है, नाकि किसी बौदà¥à¤§ विधà¥à¤µà¤‚सक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशेष राजा का।
हम आरंठके दो मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का अरà¥à¤¥ महरà¥à¤·à¤¿ दयानंद के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° देते हैहैं।
कसà¥à¤¯ नूनं कतमसà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚ मनामहे चारॠदेवसà¥à¤¯ नाम ।को नो महà¥à¤¯à¤¾ अदितये पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤ªà¤¿à¤¤à¤°à¤‚ च दृशेयं मातरं च ॥१॥
अगà¥à¤¨à¥‡à¤°à¥à¤µà¤¯à¤‚ पà¥à¤°à¤¥à¤®à¤¸à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥ƒà¤¤à¤¾à¤¨à¤¾à¤‚ मनामहे चारॠदेवसà¥à¤¯ नाम ।
स नो महà¥à¤¯à¤¾ अदितये पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤ªà¤¿à¤¤à¤°à¤‚ च दृशेयं मातरं च ॥२॥
( ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ १/२४/१-२)
"यहां पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° शैली में परमातà¥à¤®à¤¾ उपदेश कर रहा है। यहां पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कि हम किसका नाम पवितà¥à¤° जानें? कौन अमृतमय है? कौन हमें मोकà¥à¤· रूप अमृत का पान कराकर पà¥à¤¨à¤ƒ माता पिता का दरà¥à¤¶à¤¨ कराता है?
उतà¥à¤¤à¤° है कि परमातà¥à¤®à¤¾=अगà¥à¤¨à¤¿= सबसे अगà¥à¤°à¤—णी ईशà¥à¤µà¤° का नाम सबसे पवितà¥à¤° है, वही अमृतमय मोकà¥à¤· देता है, व पà¥à¤¨à¤ƒ माता पिता के दरà¥à¤¶à¤¨ कराता है।"
पूरी जानकारी के लिये महरà¥à¤·à¤¿ दयानंद का ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ देखिये।है।
(B):--*"सà¥à¤¤à¥‚प" वाले वेदमंतà¥à¤° का सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥*
अब विवादासà¥à¤ªà¤¦ मंतà¥à¤° पर आते हैं। हम पहले इसका अरà¥à¤¥ महरà¥à¤·à¤¿ दयानंद, निरà¥à¤•à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° आदि के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° करते हैं, फिर राजेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ के लेख की समीकà¥à¤·à¤¾ करते हैं:-
मंतà¥à¤° का देवता यानी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¥à¤¯ विषय वरà¥à¤£ है।
अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ राजा वरà¥à¤£à¥‹ वनसà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥à¤§à¥à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥‚पं ददते पूतदकà¥à¤·à¤ƒ ।
नीचीना सà¥à¤¥à¥à¤°à¥à¤ªà¤°à¤¿ बà¥à¤§à¥à¤¨ à¤à¤·à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤®à¥‡ अनà¥à¤‚तरà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤ƒ केतवः सà¥à¤¯à¥à¤ƒ ॥à¥à¥¥
( ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ १/२४/à¥)
"हे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚! तà¥à¤® जो पवितà¥à¤° बल वाला पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤®à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सूरà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• या जलसमूह अंतरिकà¥à¤· से पृथकॠअसदृश पड़े आकाश में, जोकि वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से सेवने योगà¥à¤¯ संसार है,जो ऊपर अपनी (सà¥à¤¤à¥‚पः) किरणों को छोड़ता है जिसकी नीचे को गिरती हà¥à¤ˆ किरणें इस संसार के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर ठहरती हैं । जो इनके बीच में जल और (बà¥à¤§à¥à¤¨à¤ƒ) मेघादि पदारà¥à¤¥ हैं, और जो किरणें वा पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ हैं, ये यथावतॠजानो।
(C):- *सायणाचारà¥à¤¯, सà¥à¤•à¤‚दसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ का अरà¥à¤¥*
हम यहां इस मंतà¥à¤° पर सायणाचारà¥à¤¯ व सà¥à¤•à¤‚द सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ का à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ देते हैं:-
सायणाचारà¥à¤¯- (पूतदकà¥à¤·à¤ƒ) शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¬à¤²à¤ƒ (वरà¥à¤£à¤ƒ) राजा (अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡) मूलरहिते अंतरिकà¥à¤·à¥‡ तिषà¥à¤ नॠ(वनसà¥à¤¯) वननीयसà¥à¤¯ तेजसः (सà¥à¤¤à¥‚पं) संघमॠ(ऊरà¥à¤§à¥à¤µà¤®à¥)उपरिदेशे ददते धारयति।... ऊरà¥à¤§à¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥‡ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨à¤¸à¥à¤¯ वरà¥à¤£à¤¸à¥à¤¯ रशà¥à¤®à¤¯ इतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤®à¥à¥¤ सà¥à¤¤à¥‚पं सà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ˆà¤ƒ' शबà¥à¤¦à¤¸à¤‚घातयोः। सà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ˆ संपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£à¤šà¥à¤š इति।
" (पूतदकà¥à¤·) शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¬à¤²à¤µà¤¾à¤²à¤¾ (वरà¥à¤£) राजा,सूरà¥à¤¯ ( अधà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤° किया है) अंतरिकà¥à¤· में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है । वरणीय तेजों का सà¥à¤¤à¥‚प=संघ=समूह(यानी किरणों का समूह) ऊपरीय पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में जाता है। उरà¥à¤§à¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ में वरà¥à¤£(सूरà¥à¤¯)की रशà¥à¤®à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है, ये अधà¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤° किया। "सà¥à¤¤à¥‚प" में "सà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ˆ" का अरà¥à¤¥ है, संघात,समाहार और संपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤°à¤£ ।"
सायणाचारà¥à¤¯ के à¤à¥€ बहà¥à¤¤ पहले सà¥à¤•à¤‚द सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ नामक वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° हà¥à¤¯à¥‡ हैं।उनका अरà¥à¤¥ à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही है:-
सà¥à¤•à¤‚दसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€-(अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡) अनाशà¥à¤°à¤¯à¥‡ अनालंबनेsनà¥à¤¤à¤¿à¤°à¤¿à¤•à¥à¤·à¥‡ राजा दीपà¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹ वा वरà¥à¤£ वनसà¥à¤¯ ऊरà¥à¤§à¥à¤µà¤®à¥ सà¥à¤¤à¥‚पमॠदृशà¥à¤¯à¤¤à¥‡ वनमà¥(निघंटॠ१/६) इति रशà¥à¤®à¤¿ नाम। सà¥à¤¤à¥‚प शबà¥à¤¦à¥‡ संघातमà¥
... अनाशà¥à¤°à¤¯à¥‡sनà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤•à¥à¤·à¥‡ आदितà¥à¤¯à¤®à¤‚डलोरà¥à¤§à¥à¤µà¤®à¤¯ सà¥à¤¤à¤¾à¤¶à¥à¤š रशà¥à¤®à¥€à¤¨ धारयतीतà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥,इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ ।"
" आलंबनरहित, बिना आधार वाले अंतरिकà¥à¤· में राजा=सूरà¥à¤¯ या दीपà¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यहां वरà¥à¤£ से सà¥à¤•à¤‚द आदितà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• का अरà¥à¤¥ लेते हैं। यहां वनमॠसे रशà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚,सूरà¥à¤¯à¤•à¤¿à¤°à¤£à¥‹à¤‚ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ है। सà¥à¤¤à¥‚प का अरà¥à¤¥ संघात=समाहार है।
... संकà¥à¤·à¥‡à¤ª में, आशà¥à¤°à¤¯à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ अंतरिकà¥à¤· में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सूरà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• ऊपर की ओर किरणें धारण करता है।"
(D):- *सà¥à¤¤à¥‚प शबà¥à¤¦ का अरà¥à¤¥*
पं शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® शरà¥à¤®à¤¾ का à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ ही अरà¥à¤¥ है। यहां सà¥à¤•à¤‚द सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€, सायण,दयानंद, शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® शरà¥à¤®à¤¾- कोई à¤à¥€ किसी कपोलकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ राजा वरà¥à¤£ किसी बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प को तोड़ने का वरà¥à¤£à¤¨ नहीं मानता। सब लोग यासà¥à¤•à¤®à¥à¤¨à¤¿ रचित निरà¥à¤•à¥à¤¤ के आधार पर "सà¥à¤¤à¥‚प का अरà¥à¤¥ संघात=किरणों का" करते हैं।
(क):-निरà¥à¤•à¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° ने सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ लिखा है-
हिरणà¥à¤¯à¤®à¤¯à¤ƒ सà¥à¤¤à¥‚पः असà¥à¤¯ इति वा ।
सà¥à¤¤à¥‚पः सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¤à¥‡à¤ƒ संघातः ।
हिरणà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥‚पः हिरणà¥à¤¯à¤®à¤¯à¤ƒ सà¥à¤¤à¥‚पः ।
हिरणà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥‚पः सवितः यथा तà¥à¤µà¤¾ अङà¥à¤—िरसः जà¥à¤¹à¥à¤µà¥‡ वाजे असà¥à¤®à¤¿à¤¨à¥ ।
। । १०.३३ ।
ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ 10-149-5 में à¤à¥€ आया है - हिरणà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥‚पः सवितारà¥à¤¯à¤¥à¤¾" यहाठसà¥à¤¤à¥‚प शबà¥à¤¦ के साथ हिरणà¥à¤¯ शबà¥à¤¦ है जिसका अरà¥à¤¥ है - सूरà¥à¤¯ वा सूरà¥à¤¯à¤•à¤¿à¤°à¤£ और सà¥à¤¤à¥‚प का अरà¥à¤¥ निरूकà¥à¤¤à¤•à¤¾à¤° करते है - "सà¥à¤¤à¥‚पः सà¥à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥‡à¤ƒà¥¤ संघातः - निरूकà¥à¤¤ 10-33
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤¤à¥‚प कहते है संघात को अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ समूह वा ढेर को।
अतः सà¥à¤¤à¥‚प का अरà¥à¤¥ बौदà¥à¤§ विहार नहीं बलà¥à¤•à¤¿ समूह है जैसे ईंटों का समूह तो ईटों का सà¥à¤¤à¥‚प
रेतों का समूह तो रेतों का सà¥à¤¤à¥‚प या टीला
इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यहाठहिरणà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥‚प में षषà¥à¤ ी ततà¥à¤ªà¥à¤°à¥‚ष हो कर हिरणà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¯ संघातः इति हिरणà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤à¥‚प अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ किरणों के समूह या संघात को यहाठबताया गया है।
लौकिक कोष à¤à¥€ देखें:-
(ख):-वाचसà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¯à¤®à¥:-
सà¥à¤¤à¥‚प¦ पà¥à¥° सà¥à¤¤à¥--पकॠपृषो॰ सà¥à¤¤à¥‚प--अचॠवा।
१ राशोकृते मृतà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤¦à¥‹ २ संघाते ३ बले ४ निषà¥à¤ªà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‡ च संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤à¥°à¥¤
(ग):-शबà¥à¤¦à¤¸à¤¾à¤—र:-
1. A heap, a pile of earth, &c.
2. A funeral pile.
3. A Bud'dhistic construction for keeping holy relics.
यहां पर सà¥à¤¤à¥‚प अरà¥à¤¥ हैं:-
१:- पारà¥à¤¥à¤¿à¤µ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚, यथा, मिटà¥à¤Ÿà¥€ आदि का ढेर
२:- चिता की लकड़ियों का समाहार
३:- बौदà¥à¤§ निरà¥à¤®à¤¾à¤£
४:- किसी à¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥ का संघात।
इतने अरà¥à¤¥ होने पर केवल बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प अरà¥à¤¥ करना पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ है।
(E)- *'बà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡' और 'अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡'*
बà¥à¤§à¥à¤¨à¤ƒ का अरà¥à¤¥ है- "बà¥à¤§à¥à¤¨à¤®à¤‚तरिकà¥à¤·à¤‚ बदà¥à¤§à¤¾ धृता आप इति "( निरà¥à¤•à¥à¤¤ १०/३३)
बà¥à¤§à¥à¤¨ का अरà¥à¤¥ है-" अंतरिकà¥à¤· में बंधा हà¥à¤† जल=मेघ"
बà¥à¤§à¥à¤¨ इति मेघनामसॠपठितमà¥à¥¤- बà¥à¤§à¥à¤¨ मेघ के लिये पठित है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मेघ ही अंतरिकà¥à¤· में जल को बांधकर रखता है।
( निघंटॠ१/१२)
तो "अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡" का अरà¥à¤¥ होगा , जो "मेघादि से परे आशà¥à¤°à¤¯à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ आकाश है" ।
यहां "बà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡" "अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡" का बà¥à¤¦à¥à¤§ से कोई संबंध नहीं है।
*'बà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡' और 'अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡'* इस मà¥à¤°à¥à¤– का कहना है कि यह वरूण की उपाधि है लेकिन इसे जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होना चाहिठकि उपाधि अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विशेषण और करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विशेष दोनो में समान विà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ होती है , जहां अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ इन पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¯ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त नकारानà¥à¤¤ शबà¥à¤¦ तृतीया विà¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤•à¤µà¤šà¤¨ है वहीं वरूण शबà¥à¤¦ में अकारानà¥à¤¤ पà¥à¤²à¥à¤²à¤¿à¤‚ग पà¥à¤°à¤¥à¤®à¤¾ à¤à¤•à¤µà¤šà¤¨ है तो अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ वरूण की उपाधि नहीं ।
बà¥à¤¦à¥à¤§ और बà¥à¤§à¥à¤¨à¥ शबà¥à¤¦ का धातà¥à¤µà¤¾à¤‚तर à¤à¥€ इस मà¥à¤°à¥à¤– को पता नहीं तो किस बात का à¤à¤¾à¤·à¤¾ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• है। बà¥à¤¦à¥à¤§ शबà¥à¤¦ बà¥à¤§ अवगमने (धातà¥.6-579) से बना है और बà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ शबà¥à¤¦ बध, बऩà¥à¤§à¤¨à¥‡(धातà¥. 8-700) से बना है। यदि बà¥à¤¦à¥à¤§ और बà¥à¤§à¥à¤¨ समान होते तो धातॠà¤à¥€ समान होती।
( इस समाधान के लिये हम नटराज मà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤·à¥ जी का आà¤à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करते हैं।)
(F):- *राजेंदà¥à¤° के लेख की समीकà¥à¤·à¤¾*
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨:-इसमें अबौदà¥à¤§ ( अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ ) राजा वरà¥à¤£ का सà¥à¤¤à¥‚प उलटने का वरà¥à¤£à¤¨ है।
उतà¥à¤¤à¤°:- अबà¥à¤§à¥à¤¨à¥‡ का अरà¥à¤¥ ऊपर कर आये हैं, यानी अबà¥à¤§à¥à¤¨= जो बंधा हà¥à¤† नहीं है,मेघादि से परे है यानी आकाश "
अबà¥à¤§à¥à¤¨ का अरà¥à¤¥ "अबौदà¥à¤§" बौदà¥à¤§ मत को न मानने वाला, कौन से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ और कोश से किया है?
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨-वे इस कारà¥à¤¯ में पूतदकà¥à¤· हैं, उलटने के बाद सà¥à¤¤à¥‚प का मà¥à¤– नीचे और जड़ ऊपर है।
उतà¥à¤¤à¤°: पूतदकà¥à¤· की अरà¥à¤¥ है, पवितà¥à¤° बलरूपी किरणों वाला सूरà¥à¤¯à¥¤ और यहां किसी कपोलकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ वरà¥à¤£ राजा का बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प पलटमे का वरà¥à¤£à¤¨ नहीं है। जरा बतायें, ये वरà¥à¤£ कौन था,कब हà¥à¤† था, इसने कब कितने बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प तोड़े?
वेद में वरà¥à¤£ शबà¥à¤¦ परमातà¥à¤®à¤¾, सूरà¥à¤¯,शिकà¥à¤·à¤• आदि यौगिक अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में है, नाकि किसी कपोलकलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ बौदà¥à¤§ विरोधी नरण राजा के
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨-जिसमें बà¥à¤¦à¥à¤§ वास करते हैं-बà¥à¤§à¥à¤¨ à¤à¤·à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤®à¥‡ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤ƒà¥¤ आगे के शà¥à¤²à¥‹à¤• में हà¥à¤°à¤¦à¤¯ को कषà¥à¤Ÿ देनेवाले को हराने में समरà¥à¤¥ वरà¥à¤£ का जयगान है।
उतà¥à¤¤à¤°:- "बà¥à¤§à¥à¤¨ à¤à¤·à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤®à¥‡ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤ƒ"- का ये अरà¥à¤¥ कि " उसमें बà¥à¤¦à¥à¤§ " वास करते हैं, कौन से निरà¥à¤•à¥à¤¤,वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ या à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° है? या बिना जाने बूà¤à¥‡ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ की टांग तोड़कर à¤à¥‚ठबोलने का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ है?
यहां बà¥à¤§à¥à¤¨ à¤à¤·à¤¾à¤®à¤¸à¥à¤®à¥‡ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤ƒ का अरà¥à¤¥ है -"जिस अबà¥à¤§à¥à¤¨ यानी आकाश में बà¥à¤§à¥à¤¨=जल को बांधने वाला मेघ, सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है"
अगले मंतà¥à¤° में अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ को दमन करने वाला परमातà¥à¤®à¤¾ या कोई à¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• राजा- का वरà¥à¤£à¤¨ है। किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ निशेष की चरà¥à¤šà¤¾ वेद में नहीं होती।
निषà¥à¤•à¤°à¥à¤·:- वेद में कहीं à¤à¥€ किसी बौदà¥à¤§ सà¥à¤¤à¥‚प का वरà¥à¤£à¤¨ नहीं है। केवल किरणों के समूह का वरà¥à¤£à¤¨ है। राजेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ की à¤à¤• और गपà¥à¤ª का सरे बाजार में à¤à¤‚डाफोड़ हो गया।
ALL COMMENTS (0)