जिनà¥à¤¨à¤¾ अब तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो
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Rajeev ChoudharyDate
06-May-2018Category
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HindiTotal Views
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06-May-2018Download PDF
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जिनà¥à¤¨à¤¾ को मजहब चाहिठथा हमें राषà¥à¤Ÿà¥à¤°, जो जिनà¥à¤¨à¤¾ कहता था कि हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® कà¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ-à¤à¤¾à¤ˆ नहीं हो सकते वह जिनà¥à¤¨à¤¾ इस देश की विरासत कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¤¾ अब जिनà¥à¤¨à¤¾ को उसी के पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ नहीं à¤à¥‡à¤œ देना चाहिà¤? ये याद दिलाने की बात है कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का आंदोलन ठà¤à¤® यू कैंपस से ही शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤† था। यहीं पà¥à¥‡ लिखे मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ होकर मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठअलग देश की मांग की आवाज उठाई थी। à¤à¤• बार फिर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के जनक मोहमà¥à¤®à¤¦ अली जिनà¥à¤¨à¤¾ की तसà¥à¤µà¥€à¤° को लेकर हà¥à¤ बवाल à¤à¤µà¤‚ लाठीचारà¥à¤œ के बाद अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ चरà¥à¤šà¤¾ का विषय बना। ठà¤à¤® यू की ओर से कहा जा रहा है कि विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के सà¥à¤Ÿà¥‚डेंट यूनियन हॉल में जिनà¥à¤¨à¤¾ की तसà¥à¤µà¥€à¤° साल 1938 से लगी हà¥à¤ˆ है, जब जिनà¥à¤¨à¤¾ को आजीवन सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ दी गई थी। ये आजीवन मानद सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ ठà¤à¤® यू सà¥à¤Ÿà¥‚डेंट यूनियन देता है। पहली सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ महातà¥à¤®à¤¾ गांधी को दी गई थी। बाद के सालों में डॉ. à¤à¥€à¤®à¤°à¤¾à¤µ आंबेडकर, सी.वी. रमन, जय पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ नारायण, मौलाना आजाद को à¤à¥€ आजीवन सदसà¥à¤¯à¤¤à¤¾ दी गई। इनमें से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ अब à¤à¥€ हॉल में लगी हà¥à¤ˆ हैं। à¤à¤¸à¥‡ में सवाल ये है कि 80 साल बाद ठà¤à¤® यू में जिनà¥à¤¨à¤¾ की तसà¥à¤µà¥€à¤° पर बवाल कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हो रहा है?
जिस अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में आज डॉ. अबà¥à¤¦à¥à¤² कलाम, वीर अबà¥à¤¦à¥à¤² हमीद, अशफाकउलà¥à¤²à¤¾ खां की तषà¥à¤µà¥€à¤° होनी चाहिठथी वहां आज जनसंघ के नाम और सरकार के विरोध पर जिनà¥à¤¨à¤¾ को पूजा जा रहा है। जो लोग आज मासूमियत से बवाल की वजह पूछ रहे हैं या तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¤¾à¤°à¤¤ का इतिहास नहीं पà¥à¤¾ या जानबूà¤à¤•à¤° सच जानना नहीं चाहते या फिर से जिनà¥à¤¨à¤¾ की बंटवारे की विचारधारा को बल देना चाहते हैं। मोहमà¥à¤®à¤¦ अली जिनà¥à¤¨à¤¾ की वजह से देश दो हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में बंट गया था। लाखों लोग बेघर हà¥à¤, लाखों का कतà¥à¤² हà¥à¤†, लाखों महिलाओं की असà¥à¤®à¤¤ को तार-तार किया गया पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के नाम का जखà¥à¤® à¤à¤¾à¤°à¤¤ के बाजॠमें दिया जो लगातार 70 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से यà¥(, आतंक और हिंसा के नाम से रिस रहा है।
सà¥à¤¨ 1875 में अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ बनाने के पीछे सर सैयà¥à¤¯à¤¦ अहमद खाठकी à¤à¤• खास सोच थी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और तारà¥à¤•à¤¿à¤• सोच पैदा करने के लिठइसकी नींव रखी थी। लेकिन लगता है ठà¤à¤® यू के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¶à¤¨ इसके संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤• सर सैयà¥à¤¯à¤¦ की सोच से अलग हटके जिनà¥à¤¨à¤¾ की विचाधारा को तरजीह देकर यहाठसे इंजीनियर और डॉकà¥à¤Ÿà¤° के विपरीत फिर से बंटवारे की फौज खड़ी करना चाह रहे हैं। जरूरी नहीं कि शà¥à¤°à¥‚ में बंटवारा जमीन का हो-हाठà¤à¤• विचाधारा जब मजबूत होती है तो अंत में बंटवारा जमीन का ही होता है।
लेखक और विचारक तà¥à¤«à¥ˆà¤² अहमद लिखते हैं कि जब 80 के दशक में मैं अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ में पà¥à¤¤à¤¾ था, तो तब à¤à¤• à¤à¥€ लड़की बà¥à¤°à¥à¤•à¤¾ पहने नज़र नहीं आती थी, न ही किसी लड़के के सिर पर टोपी देखने को मिलती थी। उस दौर से आज तक में बहà¥à¤¤ फरà¥à¤• आ गया है। जो सामाजिक बदलाव हà¥à¤† है वह यही है कि छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ की जिंदगी में धरà¥à¤® ने अचà¥à¤›à¥€-खासी जगह बना ली है। छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में बà¥à¤¤à¤¾ धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¥à¤•à¤¾à¤µ, पूरी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की सोच में आ रहे बदलाव का ही à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¤¾ है। कई बार कोई लिबास सिरà¥à¤« लिबास नहीं होता। उसी तरह बà¥à¤°à¥à¤•à¤¾ और टोपी à¤à¥€ à¤à¤• विचार है इनकी अपनी राह और रंगत है।
इसका अरà¥à¤¥ यह à¤à¥€ है कि बात केवल जिनà¥à¤¨à¤¾ की तशà¥à¤µà¥€à¤° तक सीमित नहीं है वहां धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ की आड़ में बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को जेहनी तौर पर इसà¥à¤²à¤¾à¤® की तरफ मोड़ा जा रहा है। उनके अनà¥à¤¦à¤° à¤à¤• विचारधारा खड़ी की जा रही है जो सनॠ47 से पहले जिनà¥à¤¨à¤¾ और समरà¥à¤¥à¤•à¥‹à¤‚ ने खड़ी की थी कि मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का धरà¥à¤® अलग है वह सिरà¥à¤« शरियत से चल सकता है उसके लिठसंविधान जैसी चीजे बेकार हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसà¥à¤²à¤¾à¤® à¤à¤• दरà¥à¤¶à¤¨, à¤à¤• धरà¥à¤®, विचारों की à¤à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, à¤à¤• विचारधारा, à¤à¤• तरह की राजनीति और à¤à¤• तरह के विचारों का आंदोलन है। यह शांतिपूरà¥à¤µà¤• हो या हिंसक तरीके से, जो लोगों के जीवन पर शरिया के नियमों को लागू करना चाहता है।
तà¥à¤«à¥ˆà¤² कहते हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना से रिटायरà¥à¤¡ बà¥à¤°à¤¿à¤—ेडियर सैयà¥à¤¯à¤¦ अहमद अली ने 2012 में अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के पà¥à¤°à¥‹-वाइस चांसलर ;पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कà¥à¤²à¤ªà¤¤à¤¿à¤¦à¥à¤§ का काम संà¤à¤¾à¤²à¤¾ था। सेना में 35 साल काम करने के बाद à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¿à¤—ेडियर साहब उसकी धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ नहीं कर पाठऔर पद पर आसीन होते ही बà¥à¤°à¤¿à¤—ेडियर अली ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को आरकà¥à¤·à¤£ देने की मांग उठाई थी। इस सेमिनार में हिसà¥à¤¸à¤¾ लेने आठसà¥à¤ªà¥à¤°à¥€à¤® कोरà¥à¤Ÿ के वरिषà¥à¤ वकील महमूद पारà¥à¤šà¤¾ ने कहा था कि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ यà¥à¤µà¤¾à¤“ं को यह याद दिलाने की जरूरत है कि 1947 में धरà¥à¤® के आधार पर देश के बंटवारे की नींव à¤à¥€ इसी अलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में रखी गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि 21वीं सदी में à¤à¤• बार फिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ को बांटने की बात यहां से हो रही है। धरà¥à¤® के आधार पर इस तरह की वकालत का नतीजा à¤à¤• और बंटवारा ही होगा। दà¥à¤– की बात यह है कि à¤à¤• बार फिर ठà¤à¤® यू इसका गवाह बन रहा है। ठà¤à¤® यू में जो हालात बन रहे हैं उससे à¤à¤• और बंटवारा टाला नहीं जा सकता और इसके लिठबà¥à¤°à¤¿à¤—ेडियर सैयà¥à¤¯à¤¦ अहमद अली और उनके जैसी सोच रखने वाले वे लोग ही जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° ठहराठजाà¤à¤‚गे जो आज जिनà¥à¤¨à¤¾ की तशà¥à¤µà¥€à¤° पर मौन साधे बैठे हैं या फिर सरकार और वीर सावरकर को निशाना बना रहे हैं।
à¤à¤• बार फिर आज कैंपस में बà¥à¤¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ यूनिवरà¥à¤¸à¤¿à¤Ÿà¥€ के बौदà¥à¤§à¤¿à¤• माहौल के लिठसबसे बड़ी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ बन गई है। दिलà¥à¤²à¥€ से बीजेपी सांसद महेश गिरी कह रहे हैं कि पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में लाला लाजपत राय की मूरà¥à¤¤à¤¿ को 1947 में तोड़ दिया गया, फादर ऑफ लाहौर सर गंगाराम की मूरà¥à¤¤à¤¿ को लाहौर में तोड़ दिया गया, करांची हाईकोरà¥à¤Ÿ में महातà¥à¤®à¤¾ गांधी की मूरà¥à¤¤à¤¿ बचाने के लिठउसे इंडियन हाईकमीशन में शिफà¥à¤Ÿ करना पड़ा तो जिनà¥à¤¨à¤¾ की तसà¥à¤µà¥€à¤° वहां पर लगाने की कà¥à¤¯à¤¾ जरूरत है?
जिनà¥à¤¨à¤¾ कोई नाम नहीं है बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• विचारधारा है। जो à¤à¤¾à¤ˆ को à¤à¤¾à¤ˆ से अलग करती है। जिनà¥à¤¨à¤¾ हमारे देश की कोई विरासत नहीं है। हमें à¤à¤• सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° राषà¥à¤Ÿà¥à¤° चाहिठथा लेकिन जिनà¥à¤¨à¤¾ को इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥¤ जिनà¥à¤¨à¤¾ की मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लीग ने ही 16 अगसà¥à¤¤ 1946 को कोलकाता में हजारों लोगों को मार डाला था। इसलिठआजाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ में उनकी तसà¥à¤µà¥€à¤° की कोई जगह नहीं है। इस विवाद के समय किसी ने फेसबà¥à¤• पोसà¥à¤Ÿ में सवाल किया है कि जो लोग आज जिनà¥à¤¨à¤¾ की तशà¥à¤µà¥€à¤° के लिठअलीगॠमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में मरने-मारने पर उतारू हैं तो सोचिये यदि जिनà¥à¤¨à¤¾ के पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से यà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤† तो वह किसका साथ देंगे?..
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