सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ वा ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ करें?â€
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Manmohan Kumar AryaDate
03-May-2018Category
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HindiTotal Views
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03-May-2018Download PDF
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सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने को कहते हैं। यही ईशà¥à¤µà¤° की पूजा कहलाती है। इससे à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यदि ईशà¥à¤µà¤° की पूजा आदि करते हैं तो जो लाठईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ करने से मिलता है वह अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से या तो मिलता नहीं या बहà¥à¤¤ कम मिलता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ व विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ करà¥à¤®à¥€ जानते हैं कि यदि हम कोई à¤à¥€ काम करें और वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤•à¥‚ल न हो तो सफलता नहीं मिलती। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से यदि हम ईशà¥à¤µà¤° की पूजा, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व उपासना आदि करते हैं तो हमें उसकी विधि के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤°à¥‚प होने पर पहले विचार कर लेना चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने से पूरà¥à¤µ हमें ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के विषय में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होना चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° कà¥à¤¯à¤¾ है? इस पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ का à¤à¤• उतà¥à¤¤à¤° यह है कि ईशà¥à¤µà¤° वह है जिसने इस सारी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को बनाया है, जो इसका पालन व संचालन कर रहा है, इसे सृषà¥à¤Ÿà¤¿ को धारण करना à¤à¥€ कहते हैं तथा जो इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की अवधि वा आयॠपूरà¥à¤£ होने पर इसकी पà¥à¤°à¤²à¤¯ करता है। ईशà¥à¤µà¤° ने इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿, इसके लोक-लोकानà¥à¤¤à¤° ही नहीं बनाये अपितॠहमारी पृथिवी पर अगà¥à¤¨à¤¿, वायà¥, जल, आकाश आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सहित समसà¥à¤¤ अनà¥à¤¨, फल, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व ओषधियों à¤à¤µà¤‚ गाय आदि पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ उसी ने बनाया है। ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में सबसे पà¥à¤°à¤¥à¤® ईशà¥à¤µà¤° ने ही वेदों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ व उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¤ किया था। विचार करने पर हम पाते हैं कि यदि ईशà¥à¤µà¤° वेदों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ न करता तो हम ईशà¥à¤µà¤°, जीवातà¥à¤®à¤¾ सहित अनà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कदापि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं कर पाते। इसके अतिरिकà¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° ने वेदों का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ कर हमें à¤à¤¾à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ की व हमें बोलना à¤à¥€ उसी ने सिखाया है। वेदों के आधार पर ईशà¥à¤µà¤° का जो सà¥à¤µà¤°à¥‚प हमारी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में आता है उसका उलà¥à¤²à¥‡à¤– ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯ सहित लघॠगà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सà¥à¤µà¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, आरà¥à¤¯à¥‹à¤¦à¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¤°à¤¤à¥à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ à¤à¤µà¤‚ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम में à¤à¥€ किया है। समूचे वेद à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥€ हमें ईशà¥à¤µà¤° के यथारà¥à¤¥ व सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प के दरà¥à¤¶à¤¨ होते हैं। हम यहां आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पाठकों के लिठईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प, जैसा कि वेदों से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है, उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ कर रहे हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी लिखते हैं कि ‘ईशà¥à¤µà¤° सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प, निराकार, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, दयालà¥, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤¾à¤°, अनादि, अनà¥à¤ªà¤®, सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¾à¤°, सरà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤° और सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। उसी की उपासना करनी योगà¥à¤¯ है।’ ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने इन शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प बताकर इसी सà¥à¤µà¤°à¥‚प वाले ईशà¥à¤µà¤° की उपासना का करना आवशà¥à¤¯à¤• बताया है।
वेद यह à¤à¥€ बताते हैं कि इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना वा उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ ईशà¥à¤µà¤° ने अपने किसी निजी पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ के लिठनहीं की है अपितॠअपनी शाशà¥à¤µà¤¤ पà¥à¤°à¤œà¤¾ चेतन जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को सà¥à¤– पहà¥à¤‚चाने के लिठकी है। ईशà¥à¤µà¤° ने हमारे करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° हमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ बनाया है। हम इस जीवन में जो सà¥à¤– à¤à¥‹à¤— रहे है, अतीत में à¤à¥‹à¤— चà¥à¤•à¥‡ हैं व आगे à¤à¥€ à¤à¥‹à¤—ेंगे उनका आधार व कारण परम पिता परमेशà¥à¤µà¤° ही है। इस जनà¥à¤® से पूरà¥à¤µ à¤à¥€ अननà¥à¤¤ बार हम जनà¥à¤® लेकर इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से व इससे à¤à¥€ अधिक सà¥à¤– à¤à¥‹à¤— चà¥à¤•à¥‡à¤‚ हैं और à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में अननà¥à¤¤ काल तक à¤à¥‹à¤—ेंगे। इसके बदले में हम ईशà¥à¤µà¤° को अपनी कोई वसà¥à¤¤à¥ कà¥à¤¯à¤¾ दे सकते हैं? यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ है कि वह जब किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ से उपकृत होता है तो वह उसका धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ करता है। वह किसी का अहसान लेना नहीं चाहता और यदि लेना पड़ता है तो उसकी कीमत दिया करता है। परमातà¥à¤®à¤¾ ने हम पर इतनी कृपा की है कि जितनी अनà¥à¤¯ कोई नहीं कर सकता। अतः हम ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ रखते हैं और सà¤à¥€ को रखना à¤à¥€ चाहिये। कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ रखने से हमारे अहंकार का नाश होता है। यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि अहंकारी मनà¥à¤·à¥à¤¯ का नाश उसके अहंकार के कारण ही होता है। अहंकार कोई अचà¥à¤›à¤¾ मानवीय गà¥à¤£ नहीं है। इसका सà¤à¥€ को तà¥à¤¯à¤¾à¤— करना ही चाहिये। अहंकार के विपरीत विनयशीलता का गà¥à¤£ होता है। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• बात कही गई है कि अà¤à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¤¨-शील मनà¥à¤·à¥à¤¯ जो पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दिन व नियमित रूप से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व आयॠमें वृदà¥à¤§ लोगों की सेवा किया करता है उसकी आयà¥, विदà¥à¤¯à¤¾, यश व बल बà¥à¤¤à¤¾ है। मनॠजी के यह विचार समाज में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ होते हà¥à¤ पाये जाते हैं। अतः आयà¥, विदà¥à¤¯à¤¾, यश और बल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठमनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को अहंकार का नाश कर विनयशील सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को धारण करना चाहिये। हम ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर चरà¥à¤šà¤¾ कर रहे हैं। परमातà¥à¤®à¤¾ ने हमारे लिठसृषà¥à¤Ÿà¤¿ बनाई, हमें माता-पिता के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सà¥à¤– का सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® साधन यह मनà¥à¤·à¥à¤¯ शरीर दिया, हमारे लिठसंसार में à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤°, आवास आदि के लिठनाना पदारà¥à¤¥ बनाये और उनका उपयोग करने के लिठवेदों के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हमें शिकà¥à¤·à¤¾ दी, अतः हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि हम उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ का à¤à¤¾à¤µ रखते हà¥à¤ उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना किया करें। à¤à¤¸à¤¾ करने से ही हम अपनी हानि से बच सकते हैं और हमें अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से लाठपहà¥à¤‚चता है। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ईशà¥à¤µà¤° की उपासना वा संनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ आदि करà¥à¤® यथासमय अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं की संनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ वेला में अवशà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ करने चाहिये।
सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ कैसे करें? इसके लिठहमें वेद वा वेदानà¥à¤•à¥à¤² ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को बताने वाले ऋषि व आपà¥à¤¤ पà¥à¤°à¥‚षों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करना चाहिये। वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखे गये ईशà¥à¤µà¤° विषयक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने पर à¤à¥€ हमारी आतà¥à¤®à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को अपनी आतà¥à¤®à¤¾ से गà¥à¤°à¤¹à¤£ करती है। हम जब ईशà¥à¤µà¤° के सतà¥à¤¯ गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को बताने वाले ऋषियों के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं तो हमारी आतà¥à¤®à¤¾ उसे पà¥à¤•à¤° व जानकर उसके सतà¥à¤¯ होने की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ करती है। यह धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे कि अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हà¥à¤ हमें अपने विवेक को जागà¥à¤°à¤¤ रखना होता है। किसी à¤à¥€ बात को आंखे बनà¥à¤¦ कर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° नहीं करना चाहिये। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का विवेचन करके ही सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहिये। à¤à¤¸à¤¾ करने से ही हम सतà¥à¤¯ को जान पाते हैं और हमें उसके अनà¥à¤°à¥‚प कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ करने से लाठहोता है। सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के लिठसतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, आरà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¿à¤µà¤¿à¤¨à¤¯, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका, योगदरà¥à¤¶à¤¨, ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤œà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦à¤œà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ सौरठआदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित ऋषि दयाननà¥à¤¦ व आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पठनीय हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤•à¤° ईशà¥à¤µà¤° का सतà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो जाता है, सारी शंकायें व à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दूर हो जाती है और ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ व उपासना करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिलती है।
ईशà¥à¤µà¤° की उपासना न केवल विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को ही करनी चाहिये अपितॠसà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ करनी चाहिये। ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से ईशà¥à¤µà¤° का सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। हमारे बà¥à¤°à¥‡ गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ में सà¥à¤§à¤¾à¤° होता है। ईशà¥à¤µà¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚प व आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤°à¥‚प है। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व उपासना करने से हमारे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है और दà¥à¤ƒà¤– दूर होकर आननà¥à¤¦ की उपलबà¥à¤§à¤¿ होती है। इन लाà¤à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिठहमें ईशà¥à¤µà¤° की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ वा सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ अवशà¥à¤¯ करनी चाहिये। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने से हमें सतà¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिलने सहित बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनिचà¥à¤›à¤¾ à¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है जिससे हमारा यह जीवन व परजनà¥à¤® à¤à¥€ सà¥à¤§à¤°à¤¤à¤¾ है। ईशà¥à¤µà¤° की उपासना के लिठऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने ‘सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾’ नाम की à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी है। इसे पà¥à¤•à¤° ही सबको सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करनी चाहिये। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ से पूरà¥à¤µ व सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डालनी चाहिये व उनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चिनà¥à¤¤à¤¨ व ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करना चाहिये। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का मनà¥à¤¤à¥à¤° बोलते हà¥à¤ उसके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ à¤à¥€ बननी चाहिये। यदि à¤à¤¸à¤¾ नहीं होगा तो सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने में मन नहीं लगेगा व उससे सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने का लाठनहीं होगा। मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अरà¥à¤¥ जानने से हमें ईशà¥à¤µà¤° की हमारे ऊपर जो अहेतà¥à¤•à¥€ कृपा अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हम पर अकारण कृपा हो रही है व ईशà¥à¤µà¤° से हमें जो सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो रहे हैं, उसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। लेख का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° न कर हम सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के समरà¥à¤ªà¤£ मनà¥à¤¤à¥à¤° में उपासक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ईशà¥à¤µà¤° को समà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ कर कहे गये शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर रहे हैं। उपासक ईशà¥à¤µà¤° को कहता है ‘हे परमेशà¥à¤µà¤° दयानिधे! आपकी कृपा से जप और उपासना आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके हम धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम और मोकà¥à¤· की सिदà¥à¤§à¤¿ को शीघà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंवे।’ सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को धरà¥à¤®, अरà¥à¤¥, काम व मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। इस कारण à¤à¥€ हम सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करते हैं। यह उपलबà¥à¤§à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ न धन से हो सकती है, न रूतबे से व न अनà¥à¤¯ किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से, यह पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है ईशà¥à¤µà¤° व आतà¥à¤®à¤¾ के यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व ईशà¥à¤µà¤° का à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने से। यह à¤à¥€ जान लें कि ईशà¥à¤µà¤° की उपासना से जो लाठराजा व बड़े बड़े धनवानों को नहीं होता वह लाठईशà¥à¤µà¤° à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚, उपासकों व योगियों को होता है। इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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