दलितों के बौदà¥à¤§ बनने से कà¥à¤¯à¤¾ होगा?
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Rajeev ChoudharyDate
07-May-2018Category
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07-May-2018Download PDF
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अपà¥à¤°à¥ˆà¤² महीने की 29 तारीख शायद धरà¥à¤® में डà¥à¤¬à¤•à¤¿à¤¯à¤¾à¤ लगाने का दिन था। खबर ही à¤à¤¸à¥€ थी कि गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के उना में करीब 450 दलितों ने धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ कर लिया। अपने ऊपर हो रहे कथित अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° के चलते मोटा समाधियाला गांव के करीब 50 दलित परिवारों के अलावा गà¥à¤œà¤°à¤¾à¤¤ के अनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से आठदलितों ने यहां à¤à¤• समारोह में बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® अपना लिया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आरोप लगाया कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिनà¥à¤¦à¥‚ नहीं माना जाता, मंदिरों में नहीं घà¥à¤¸à¤¨à¥‡ दिया जाता, इसलिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बà¥à¤¦à¥à¤§ पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ के दिन हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® छोड़ दिया।
अब जो लोग सोच रहे है ये नवबौदà¥à¤§ सर मà¥à¤‚डाकर हाथ में घंटी की जगह à¤à¥à¤¨à¤à¥à¤¨à¤¾ पकड़कर जलà¥à¤¦à¥€ ही दलाई लामा, तिबà¥à¤¬à¤¤à¥€ या जापानी बौदà¥à¤§ à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥ बन जायेंगे तो बेकार सोच है। हाठये जरूर है अगर ये धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ अमà¥à¤¬à¥‡à¤¡à¤•à¤° के समय में ही हो गया होता तो शायद लोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® को देखने-समà¤à¤¨à¥‡ के लायक जरूर हो गये होते। मंदिर-मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ के à¤à¤—ड़ों की तरह ही मठों के आपसी à¤à¤—ड़ों को à¤à¥€ देख चà¥à¤•à¥‡ होते। लेकिन इससे à¤à¥€ बड़ा सवाल यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• धरà¥à¤® के छोड़ने से और नव धरà¥à¤® के पकड़ने से सामाजिक समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का समाधान हो सकेगा?
ये आये दिन की बात हो गयी है कि फला जगह दलितों पर हमला हà¥à¤† और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने धरà¥à¤®à¤ªà¤°à¤¿à¤µà¤°à¥à¤¤à¤¨ की धमकी दी। इसके बाद कà¥à¤›à¥‡à¤• वामपंथी और कà¥à¤› दलित चिंतक मैदान में आकर कहते हैं कि जो हिनà¥à¤¦à¥à¤¤à¥à¤µ दलितों को बराबरी नहीं दे सकता, उससे निकल जाना ही बेहतर है। अकà¥à¤¸à¤° à¤à¤¸à¥‡ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤œà¥€à¤µà¥€ दो अलग-अलग शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚, दलित और हिनà¥à¤¦à¥‚ का इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² करते हैं। वे तरà¥à¤• देते है कि हिनà¥à¤¦à¥‚ तो सिरà¥à¤« सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ हैं और दलितों को अधिकार ही नहीं तो हिनà¥à¤¦à¥‚ कैसे? इसके बाद धरà¥à¤®à¤¾à¤‚तरण का कà¥à¤šà¤•à¥à¤° चलता है आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और सामाजिक रूप से कमजोर लोगों को उठाकर इस धरà¥à¤® से उस धरà¥à¤® में पटक दिया जाता है। ऊना में कथित गौरकà¥à¤·à¤•à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो हà¥à¤† मैं उसका समरà¥à¤¥à¤¨ नहीं करता। दोषियों को संविधान के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° सजा मिलनी चाहिà¤à¥¤ बस सवाल यह है कि कà¥à¤¯à¤¾ मातà¥à¤° à¤à¤• à¤à¤—ड़े की वजह से अपना मूल धरà¥à¤® छोड़ देना चाहिà¤?
अमेरिका में काले और गोरे लोगों के बीच à¤à¤• लमà¥à¤¬à¥‡ संघरà¥à¤· का इतिहास रहा है। कालों के साथ इस हद तक बà¥à¤°à¤¾ बरà¥à¤¤à¤¾à¤µ था कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नागरिक अधिकारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ लमà¥à¤¬à¤¾ संघरà¥à¤· करना पड़ा, अमेरिका का संविधान लागू होने के सेंकड़ों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तब कहीं जाकर 1965 में गोरे नागरिकों के बराबर मताधिकार दिया गया। इस लमà¥à¤¬à¥‡ संघरà¥à¤· के कालखणà¥à¤¡ में कà¥à¤¯à¤¾ कोई बता सकता है कितने काले लोगों ने अपना धरà¥à¤® छोड़ा? गोरों और कालों के बीच सामाजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ शैकà¥à¤·à¤¿à¤• असमानताà¤à¤‚ आज à¤à¥€ बनी हà¥à¤ˆ हैं। जातीय à¤à¥‡à¤¦ अमेरिका की à¤à¥€ कड़वी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ है। इसी वजह से गोरों की बसà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में कालों के घर बिरले ही मिलते है।
बात इसà¥à¤²à¤¾à¤® की करें तो अहमदिया समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोग सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ मानते हैं परनà¥à¤¤à¥ अहमदिया समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के अतिरिकà¥à¤¤ शेष सà¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® वरà¥à¤—ां के लोग इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ मानने को हरगिज तैयार नहीं होते। बलà¥à¤•à¤¿ देश की पà¥à¤°à¤®à¥à¤– इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ संसà¥à¤¥à¤¾ दारà¥à¤² उलूम देवबंद ने वरà¥à¤· 2011 में सऊदी अरब सरकार से मांग की थी कि अहमदिया समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों के हज करने पर रोक लगाई जाà¤à¥¤ संसà¥à¤¥à¤¾ ने इस समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों को गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® लिखते हà¥à¤ कहा था कि शरिया कानून के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ को हज करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है। इस सबके बावजूद कà¥à¤¯à¤¾ कोई बता सकता है कि अहमदिया समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों ने इससे पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¤ होकर इसà¥à¤²à¤¾à¤® छोड़ दिया?
चलो ये à¤à¥€ छोड़ दिया जाये तो शिया-सà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€ विवाद इसà¥à¤²à¤¾à¤® के सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ और घातक लड़ाइयों में से à¤à¤• है। इसकी शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ पैगमà¥à¤¬à¤° मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ की मृतà¥à¤¯à¥ के बाद, सनॠ632 में, इसà¥à¤²à¤¾à¤® के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ पद की लड़ाई को लेकर हà¥à¤ˆ थी जो आज तक जारी है जिसमें करोड़ों लोग अपनी जान गà¤à¤µà¤¾ चà¥à¤•à¥‡ है लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ कोई बता सकता है कितने शिया और कितने सà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€ लोगों ने इसà¥à¤²à¤¾à¤® छोड़ दिया?
लेकिन इसके उलट हमारे यहां यदि à¤à¤• कथित ऊà¤à¤šà¥€ जाति का अशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ बेकारा जिसकी खोपड़ी में जाति की सनक है अगर वह किसी दलित को धमका दे तो अनेकों लोग कूद पड़ते है कि बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ ने बहà¥à¤¤ ऊंच-नीच फैला रखी है। कोई मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ पर आरोप लगाà¤à¤—ा तो कोई धरà¥à¤® पर। हम जातिगत à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ से इपà¥à¤•à¤¾à¤° नही कर रहे हैं और ना ही इसका समरà¥à¤¥à¤¨ करते लेकिन धरà¥à¤® छोड़ना कोई समाधान कैसा हो सकता है? मà¥à¤à¥‡ नहीं लगता पलायन से कोई à¤à¥€ दलित समà¥à¤®à¤¾à¤¨ कमा सकता है समà¥à¤®à¤¾à¤¨ हमेशा संघरà¥à¤· को मिलता है। धरà¥à¤® पर जितना अधिकार à¤à¤• कथित ऊà¤à¤šà¥€ जाति के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का है उतना ही अनà¥à¤¯ लोगों का à¤à¥€ है।
आज à¤à¤²à¥‡ ही इसà¥à¤²à¤¾à¤® और ईसाइयत समतावादी धरà¥à¤® होने का दावा करते हां लेकिन हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज से जो à¤à¥€ लोग इनमें गये वे अपनी सामाजिकता और जाति साथ लेकर गये इसलिठमà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में सैयà¥à¤¯à¤¦ और दलित के बीच वही à¤à¥‡à¤¦ है जो हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज में पंडित और शूदà¥à¤° के बीच है। ईसाइयत को à¤à¥€ जाति पà¥à¤°à¤¥à¤¾ ने नहीं छोड़ा यानि à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ परिवेश में जाति धरà¥à¤® से बड़ी ताकत साबित हà¥à¤ˆ लोगों ने धरà¥à¤® छोड़े और सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥‡à¤‚ लेकिन उनकी जाति चेतना वही और वैसी ही बनी रही। आखिर ईसाई के तौर पर ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दलित बनाठरखने की जिदà¥à¤¦ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कà¥à¤¯à¤¾ किसी चिंतक के पास है इसका जवाब है? राजनीतिक दलों से इस बारे में कà¥à¤› उमà¥à¤®à¥€à¤¦ करना बेमानी होगा, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिरà¥à¤« दलितों का वोट चाहिà¤à¥¤ à¤à¤²à¥‡ ही नवबौ( बनकर दें, दलित ईसाई के तौर पर दें या फिर इसà¥à¤²à¤¾à¤® की निचली कड़ी से जà¥à¥œà¤•à¤°à¥¤
आजकल अनà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ की तरह धरà¥à¤®-परिवरà¥à¤¤à¤¨ ने à¤à¥€ à¤à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° का रूप ले लिया है। बहà¥à¤¤ पहले ईसाई धरà¥à¤®-पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤•à¥‹à¤‚ की à¤à¤• रिपोरà¥à¤Ÿ पà¥à¥€ थी जिसमें बताया गया था कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤¤à¤¿ का धरà¥à¤® बदलने में कितना खरà¥à¤š हà¥à¤†, और फिर अगली फसल के लिठबजट पेश किया गया था। जबकि चरà¥à¤š में दलितों से छà¥à¤†à¤›à¥‚त और à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ बड़े पैमाने पर मौजूद है। कà¥à¤› गिने चà¥à¤¨à¥‡ लोग बिशप बन जाते हैं पर दलित तो दलित ही रह जाते हैं। आखिर वे हिनà¥à¤¦à¥‚ से निकलकर à¤à¥€ दलदल में कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं? इसलिठà¤à¥€ कहना पड़ेगा धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ के अलावा सचमà¥à¤š अगर कोई विकलà¥à¤ª न हो पर धरà¥à¤® परिवरà¥à¤¤à¤¨ से à¤à¥€ जाति पà¥à¤°à¤¥à¤¾ से कोई मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं है। हमें जातिपà¥à¤°à¤¥à¤¾ के अंत के विकलà¥à¤ª तलाशने होंगे, नये तरीके खोजने होंगे, नये à¥à¤‚ग से संघरà¥à¤· चलाना पड़ेगा à¤à¤¾à¤°à¤¤ को धरà¥à¤®à¤¾à¤‚ के आपसी टकराव का देश नहीं बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• समान समाज का देश बनाना होगा।
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