à¤à¤¾à¤°à¤¤-पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ आखिर दोसà¥à¤¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं होती?
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Rajeev ChoudharyDate
09-May-2018Category
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09-May-2018Download PDF
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दकà¥à¤·à¤¿à¤£ कोरिया को लेकर कà¥à¤› महीने पहले तक उतà¥à¤¤à¤° कोरिया परमाणॠहथियारों, मिसाइलों की धमकी की जिस जà¥à¤¬à¤¾à¤¨ में बात कर रहा था अचानक उसमें बदलाव आया है। पिछले महीने की 27 तारीख को उतà¥à¤¤à¤°à¥€ कोरिया ने वो काम कर दिखाया जो अब तक असंà¤à¤µ समà¤à¤¾ जा रहा था। उसके नेता किम जोंग-उन ने दकà¥à¤·à¤¿à¤£ कोरिया के साथ 1953 से चली आ रही यà¥à¤¦à¥à¤§ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ खतà¥à¤® करने की घोषणा कर दी। कोरियाई पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¦à¥à¤µà¥€à¤ª की इस बड़ी घटना के बाद सोशल नेटवरà¥à¤• की वेबसाइटों पर ये बहस शà¥à¤°à¥‚ हो गई कि यदि उतà¥à¤¤à¤° कोरिया और दकà¥à¤·à¤¿à¤£ कोरिया दोनों à¤à¤¸à¤¾ कर सकते हैं तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं?
हालाà¤à¤•à¤¿ इसके बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ सेना पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कमर जावेद बाजवा अचानक à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दोसà¥à¤¤à¥€ के इचà¥à¤›à¥à¤• दिखाई दिठऔर कूटनीतिक सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ की माने तो पूरà¥à¤µ विदेश सचिव विवेक काटजू à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ विशेषजà¥à¤žà¥‹à¤‚ की à¤à¤• टीम पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ के पूरà¥à¤µ मंतà¥à¤°à¥€ जावेद जबà¥à¤¬à¤¾à¤° à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ समेत दोनों पकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के बीच इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¾à¤¬à¤¾à¤¦ में 28 से 30 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² के बीच संवाद हà¥à¤†à¥¤ साथ ही कà¥à¤› ही दिन पहले ही पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की ओर से सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के तौर पर में à¤à¤• बीमार à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कैदी को रिहा किया गया था।
इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की राजनीति पर विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤•à¥‹à¤‚ का मानना है कि कम से कम पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ ने à¤à¤¸à¥‡ संकेत दिठहैं कि वो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के साथ शांति चाहता है। लेकिन मेरा सवाल अलग है कि शांति चाहता कौन है, पाक सेना पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कमर जावेद बाजवा या पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ सियासत या फिर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ आवाम? कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इतिहास से यदि पिछले उदाहरण उठाकर देखें तो पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ या सैनिक तानशाह के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ से दोसà¥à¤¤à¥€ के कोई शà¥à¤ संकेत नहीं मिलते। 1947 में बंटवारे के बाद वरà¥à¤· 1958 तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ को जहाठà¤à¤• पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ जवाहरलाल नेहरॠसंà¤à¤¾à¤² रहे थे तो वहां पड़ोसी पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में सात पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बदल चà¥à¤•à¥‡ थे। फिर अचानक लोकतंतà¥à¤° à¤à¤‚ग करके जनरल अयà¥à¤¯à¥‚ब खां कà¥à¤°à¥à¤¸à¥€ पर बैठजाते हैं। अमेरिका से दोसà¥à¤¤à¥€ और समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ के बल पर 1965 में à¤à¤¾à¤°à¤¤ पर जंग थोप दी जाती है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के हाथों जंग में बà¥à¤°à¥€ तरह हारे अयूब खां को पता चल गया कि अमेरिका डबल गेम खेल रहा है और à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ रखकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को आगे नहीं ले जाया जा सकता इस कारण उधर 1966 में ताशकंद में समà¤à¥Œà¤¤à¤¾ होता है और इधर आवाम में उनके खिलाफ मà¥à¤¹à¥€à¤® चला दी जाती है। नतीजा उनकी पहले वरà¥à¤¦à¥€ उतरी और फिर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पद से à¤à¥€ हटा दिया गया।
पद पर आसीन होने वाले अगले सैनिक तानाशाह आये जनरल याहिया खां जो बखूबी समठचà¥à¤•à¥‡ थे कि आवामी मà¥à¤²à¥à¤²à¥‹à¤‚ के बगैर शासन करना मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² है। इस कारण यहियाठखां शà¥à¤°à¥‚ में तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ के कड़े विरोध में रहा लेकिन 71 की जंग की हार और शिमला समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ से यहियां खां का à¤à¥€ वही अंजाम हà¥à¤† जो पूरà¥à¤µ में अयà¥à¤¯à¥‚ब खां का हो चà¥à¤•à¤¾ था। खैर à¤à¤• दशक से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ समय तानाशाही में गà¥à¤œà¤¾à¤° चà¥à¤•à¥‡ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लोकतंतà¥à¤° को घà¥à¤Ÿà¤¨ से आजादी मिली और 1973 में जà¥à¤²à¥à¤«à¤¿à¤•à¥à¤•à¤¾à¤° अली à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ 13 दिन कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¤• पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ रहने वाले नà¥à¤°à¥à¤² अमीन के बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के 9 वें पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनते है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ से संबंधों की बात ठीक होने लगती है। शानà¥à¤¤à¤¿ के दरवाजे खà¥à¤²à¥‡à¥¤ दोसà¥à¤¤à¥€ की पींगे आगे बॠही रही थी कि जियाहà¥à¤² हक ने आकर सारी आशाओं पर पानी फेर दिया। à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दोसà¥à¤¤à¥€ का खà¥à¤µà¤¾à¤¬ महंगा पड़ा। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की जमà¥à¤¹à¥‚रियत फिर तानाशाही के अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में चली गयी और à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹ को फांसी दे दी गयी।
जियाहà¥à¤² हक ने à¤à¥€ आने के साथ à¤à¤¾à¤°à¤¤ से जम कर दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ निà¤à¤¾à¤ˆà¥¤ उसी दौरान à¤à¤¾à¤°à¤¤ और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की सेना à¤à¤• दूसरे के सामने खड़ी थी जंग का माहौल था, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सेना सियाचिन पहà¥à¤à¤š चà¥à¤•à¥€ थी कि अचानक पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के अनà¥à¤¦à¤° अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1988 को गोला बारूद के रूप में इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जाने वाले शिविर में विसà¥à¤«à¥‹à¤Ÿ हो चले जिसमें 93 से अधिक मारे गठऔर 1,100 के करीब लोग घायल हो गà¤à¥¤ à¤à¤¸à¥‡ में जियाहà¥à¤² हक को लगा की à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ में कोई फायदा नहीं है। सà¥à¤µ. पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ राजीव गाà¤à¤§à¥€ से दोसà¥à¤¤à¥€ का हाथ ही नहीं बढाया बलà¥à¤•à¤¿ जियाहà¥à¤² कà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ का मैच देखने à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ आà¤à¥¤ लेकिन नतीजा फिर वही दोहराया गया और इसके बाद जियाहà¥à¤² हक की गोली मारकर हतà¥à¤¯à¤¾ कर दी जाती है। मसलन जो à¤à¥€ सिविल सरकार या तानाशाह à¤à¤¾à¤°à¤¤ आया उसे उड़ा दिया गया या हटा दिया गया।
हक की मौत के बाद à¤à¤• बार फिर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में लोकतंतà¥à¤° बहाल होता है और बेनजीर à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनती है। उस दौर में à¤à¤¾à¤°à¤¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में à¤à¤• बार फिर गरà¥à¤®à¤œà¥‹à¤¶à¥€ देखने को मिलती है कहा जाता है उस दौरान बेनजीर सरकार ने खालिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ आतंकियों की à¤à¤• सूची à¤à¤¾à¤°à¤¤ को सौंप देती थी और राजीव गाà¤à¤§à¥€ à¤à¥€ इस दोसà¥à¤¤à¥€ को आगे बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की यातà¥à¤°à¤¾ करते हैं। पर à¤à¤• बार फिर वही हà¥à¤† कि 1988 में पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ बनी à¤à¥à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को 90 में ही पद से हटा दिया जाता है। इसके बाद नवाज शरीफ को पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की सतà¥à¤¤à¤¾ की चाबी मिलती है लेकिन वो à¤à¥€ जब-जब à¤à¤¾à¤°à¤¤ की तरफ दौड़ा पद से हटा दिया गया। फिर बेनजीर आई फिर à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दोसà¥à¤¤à¥€ की बात होती है और उसे फिर हटा दिया जाता है।
फरवरी 1997 में à¤à¤• बार फिर नवाज सतà¥à¤¤à¤¾ समà¥à¤¹à¤¾à¤•à¤° आगे बà¥à¤¤à¥‡ हैं और उनके इस कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दोसà¥à¤¤à¥€ को हिमालय से ऊà¤à¤šà¤¾ ले जाने की बात होती है। ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ अटलबिहारी बाजपेई जी की लाहौर बस यातà¥à¤°à¤¾ होती है लेकिन इस बार कारगिल वार हो जाता है और नवाज को सतà¥à¤¤à¤¾ से बेदखल कर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ सैनिक तानाशाह जनरल परवेज मà¥à¤¶à¤°à¥à¤°à¤« के अधीन चला जाता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤ से दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ का दौर फिर शà¥à¤°à¥‚ होता है। इधर à¤à¤¾à¤°à¤¤ में संसद हमले के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ की फौज का सीमा पर जमावड़ा होता देख अटल जी को सेलà¥à¤¯à¥‚ट करने तक से मना तक कर देने वाला मà¥à¤¶à¤°à¥à¤°à¤« à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हà¥à¤ सारà¥à¤• समà¥à¤®à¤²à¥‡à¤¨ में शामिल ही नहीं होता बलà¥à¤•à¤¿ सीज फायर जैसे समà¤à¥Œà¤¤à¥‡ की गारंटी à¤à¥€ देता है। रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में गरà¥à¤®à¤¾à¤¹à¤Ÿ बढती है और नतीजा मà¥à¤¶à¤°à¥à¤°à¤« से पहले वरà¥à¤¦à¥€ और फिर सतà¥à¤¤à¤¾ और इसके बाद पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से à¤à¤¾à¤—ना पड़ता है।
à¤à¤• बार फिर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में जमà¥à¤¹à¥‚रियत चैन की साà¤à¤¸ लेती है और आसिफ अली जरदारी पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की कमान समà¥à¤¹à¤¾à¤²à¤¤à¥‡ हैं, कहा जाता है इस दौर में दोनों सरकारें कशà¥à¤®à¥€à¤° समसà¥à¤¯à¤¾ पर आगे बॠही रही होती हैं कि पूरे विशà¥à¤µ को हिला देने वाली 26/11 की दरà¥à¤¦à¤¨à¤¾à¤• घटना घट जाती है। रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ में पिंघलती बरà¥à¤« फिर दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨à¥€ में जम जाती है। धीरे-धीरे कलेंडर में वरà¥à¤· और पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में सतà¥à¤¤à¤¾ बदलती रहती है à¤à¤• बार फिर नवाज को सतà¥à¤¤à¤¾ नसीब होती है और इधर अपने पà¥à¤°à¤šà¤‚ड बहà¥à¤®à¤¤ से मोदी सतà¥à¤¤à¤¾ में आते हैं. मोदी के शपथ गà¥à¤°à¤¹à¤£ समारोह में नवाज को बà¥à¤²à¤¾à¤µà¤¾ à¤à¥‡à¤œà¤¾ जाता है। जिसके बाद आम और साड़ी आदि उपहारों का दौर à¤à¥€ चलता है। कà¤à¥€ रूस के उफा में दोनों मिलते है तो कà¤à¥€ अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ से लौटते हà¥à¤ मोदी पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ नवाज़ के घर पहà¥à¤à¤š जाते हैं। नतीजा पठानकोट à¤à¤¯à¤°à¤¬à¥‡à¤¸ पर हमले के साथ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में मजहबी मà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤“ं के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नारे लगने शà¥à¤°à¥‚ होते हैं कि ‘‘जो मोदी का यार है गदà¥à¤¦à¤¾à¤° गदà¥à¤¦à¤¾à¤° है।’’ और फिर नवाज शरीफ को पद से हटा दिया जाता है। शाहीद अबà¥à¤¬à¤¾à¤¸ खकà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥€ नये पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ के रूप में शपथ लेते हैं और à¤à¤¸à¥‡ में वहां के आरà¥à¤®à¥€ चीफ का दोसà¥à¤¤à¥€ का बयान आना बस यही सवाल उठाता है कि कà¥à¤¯à¤¾ ये दोसà¥à¤¤à¥€ मà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨ है यदि है तो इस बार दोसà¥à¤¤à¥€ की कीमत कौन चà¥à¤•à¤¾à¤à¤—ा? बाजवा या खकà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥€!
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