और मातृà¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¤à¥€ सà¥à¤–ों से बà¥à¤•à¤° है
Author
Manmohan Kumar AryaDate
10-May-2018Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
682Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
10-May-2018Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
Top Articles by this Author
- ईशवर
- बौदध-जैनमत, सवामी शंकराचारय और महरषि दयाननद के कारय
- अजञान मिशरित धारमिक मानयता
- यदि आरय समाज सथापित न होता तो कया होता ?
- ईशवर व ऋषियों के परतिनिधि व योगयतम उततराधिकारी महरषि दयाननद सरसवती
वैदिक धरà¥à¤® और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में माता का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ ईशà¥à¤µà¤° के बाद सबसे ऊपर है। इसका कारण है कि माता सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤® देती है और इसके साथ उसका पालन पोषण करने के साथ उसे सà¥à¤¶à¤¿à¤•à¥à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ संसà¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ देती है। यह गà¥à¤£ व देन सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को माता के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ किसी से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं होती। पालन पोषण तो अनà¥à¤¯ à¤à¥€ कर सकते हैं परनà¥à¤¤à¥ जनà¥à¤® तो माता ही देती है। जनà¥à¤® के महतà¥à¤µ को जानने के लिठहमें मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को यथारà¥à¤¥ रूप में समà¤à¤¨à¤¾ पड़ेगा। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनादि चेतन सतà¥à¤¤à¤¾ जीवातà¥à¤®à¤¾ का पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤œà¤¨à¥à¤¯ शरीर के साथ संयोग है। यह संयोग परमातà¥à¤®à¤¾ कराता है और इसमें माता की मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका होती है। परमातà¥à¤®à¤¾ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ में अमैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ करता है। उस समय वह à¤à¥‚मि के à¤à¥€à¤¤à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ की रचना कर उसे यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करता है। उसके बाद मैथà¥à¤¨à¥€ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ आरमà¥à¤ हो जाती है और सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ वा सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡ अपनी-अपनी माताओं से ही जनà¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। ईशà¥à¤µà¤° तो संसार में सबके लिठसरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ है ही, दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर माता का ही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। यदि हमारी माता हमें जनà¥à¤® न देती तो हम संसार में मनà¥à¤·à¥à¤¯ रूप में जनà¥à¤® न ले पाते। जनà¥à¤® न लेते तो हमारी कà¥à¤¯à¤¾ अवसà¥à¤¥à¤¾ होती, इसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ ही किया जा सकता है। जनà¥à¤® न होने पर हमारी अवसà¥à¤¥à¤¾ गहरी निदà¥à¤°à¤¾, बेंहोशी वा कोमा वाले मनà¥à¤·à¥à¤¯ की तरह होती। हमें संसार व अपने बारे में कà¥à¤› à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ न होता। हमें इस जीवन में जो सà¥à¤– मिले हैं, उसमें हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® व इस जनà¥à¤® के करà¥à¤® तो कारण रूप में हैं ही, इसके साथ माता का योगदान पà¥à¤°à¤®à¥à¤– है। उन सà¤à¥€ सà¥à¤–ों के लिठहम अपनी माता के ऋणी हैं।
संसार के सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के धन व वैà¤à¤µ किसी मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपनी माता की की जाने वाली अचà¥à¤›à¥€ से अचà¥à¤›à¥€ सेवा के समà¥à¤®à¥à¤– तà¥à¤šà¥à¤› व हेय है। जब सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® होता है तो माता को दस माह तक अनेक कषà¥à¤Ÿ उठाने पड़ते हैं। इसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ व अनà¥à¤à¤µ तो माताओं को ही होता है। हम उसकी हलà¥à¤•à¥€ सी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ मातà¥à¤° ही कर सकते हैं। पà¥à¤°à¤¸à¤µ के समय माताओं का जीवन खतरे में होता है। यदि पà¥à¤°à¤¸à¤µ कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ व सफलतापूरà¥à¤µà¤• हो जाये तो यह माता का à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से नया जनà¥à¤® कहा जा सकता है। आजकल तो चिकितà¥à¤¸à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ समà¥à¤šà¤¿à¤¤ विकसित हो गया है परनà¥à¤¤à¥ तीन-चार दशक पूरà¥à¤µ तो कà¥à¤› माताओं का पà¥à¤°à¤¸à¤µà¤•à¤¾à¤² में देहानà¥à¤¤ तक हो जाया करता था। हमने अपने ही परिवारों में à¤à¤¸à¥‡ दà¥à¤ƒà¤– को अनà¥à¤à¤µ किया है। आजकल शहरों में सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤® देने के लिठनरà¥à¤¸à¤¸à¤¿à¤‚ग होम खà¥à¤² गये हैं जहां à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤°à¤•à¤® रकम लेकर पà¥à¤°à¤¸à¤µ कराया जाता है। निरà¥à¤§à¤¨ व गरीब मनà¥à¤·à¥à¤¯ तो किसी नरà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग होम में जाने की बात सोच ही नहीं सकता। डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ की फीस वा शà¥à¤²à¥à¤• अलग होता है और वहां के सà¥à¤Ÿà¤¾à¤« को अलग से देना होता है जो कि सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के बस की बात नहीं होती। अतः सामानà¥à¤¯ परिवार की माता के लिठसनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤® देना अधिक रिसà¥à¤•à¥€ होता है। यह बात à¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है कि आजकल नरà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग होम में 90 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तक पà¥à¤°à¤¸à¤µ आपरेशन या सिजेरियन होते हैं। इसमें लोग दोनों बाते बताते हैं। पहली तो यह कि शलà¥à¤¯ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। दूसरा अधिक धन की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के कारण à¤à¥€ à¤à¤¸à¤¾ होता है। आज से 30 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ समà¥à¤à¤µà¤¤à¤ƒ 90 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तक पà¥à¤°à¤¸à¤µ सामानà¥à¤¯ रूप से होते थे और सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का जनà¥à¤® हो जाता था।
à¤à¤• माता आठसे दस सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को जनà¥à¤® देने के बाद à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ व दीघारà¥à¤¯à¥ होती थी। सरकारी असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ के आकड़े à¤à¥€ देखे जा सकते हैं जहां सामानà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¤µ निजी नरà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग होम की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अधिक होते हैं। सरकार का इस पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं है। होगा à¤à¥€ तो शायद वह नरà¥à¤¸à¤¿à¤‚ग होम के लोगों को नाराज करने का रिसà¥à¤• न लें। आपरेशन या सिजेरियन से कई माताओं को सारा जीवन कषà¥à¤Ÿ à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥‡ पड़ते हैं। इसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ आज की पà¥à¥€ लिखी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‡à¤‚ नहीं कर सकती। आजकल तो यह देखा जाता है कि यदि माता-पिता ने अपनी किसी सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को कोई हितकारी बात कह दी और वह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अचà¥à¤›à¥€ होते हà¥à¤ à¤à¥€ अनà¥à¤•à¥‚ल न लगे तो वह माता-पिता से नाराज हो जाते हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खरी खोटी सà¥à¤¨à¤¾ देते हैं। कहने का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ या सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ को जनà¥à¤® देने व उसका पालन पोषण करने में माता का संसार के सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सबसे अधिक योगदान होता है। अतः सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ का यह करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि वह हर बात को समà¤à¥‡ और अपनी माता को जीवन में कà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ी न करे। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वरà¥à¤· मई माह के दूसरे रविवार को à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मातृ दिवस मनाया जाता है। वह इसी लिठमनाते हैं कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी माता के तà¥à¤¯à¤¾à¤— व कषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ को अनà¥à¤à¤µ कर उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करें। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अधिक से अधिक सà¥à¤– दें और अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° आदि के कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दà¥à¤ƒà¤– न पहà¥à¤‚चे इसका धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना चाहिये।
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ शतपथ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ में कहा गया है कि ‘मातृवानॠपितृवानाचारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹ वेद’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वह सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¶à¤¾à¤²à¥€ होती है जिसके माता, पिता व आचारà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हों। धारà¥à¤®à¤¿à¤• उसे कहते हैं कि जो वेदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं से à¤à¤²à¥€à¤à¤¾à¤‚ति परिचित हों और उसके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° आचरण करते हों। à¤à¤¸à¤¾ इसलिठकहा गया है कि वेद ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ है और इस कारण वेद सब सतà¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• à¤à¥€ है। जीवन विषयक à¤à¤¸à¥€ कोई अचà¥à¤›à¥€ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ बात नहीं है कि जो वेद में न हो या वेद पà¥à¤•à¤° हम जान न सकें। वेद पà¥à¤•à¤° सà¤à¥€ सतà¥à¤¯ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। इस अवसर पर बालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण का वह पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग याद आता है कि जब दशरथननà¥à¤¦à¤¨ लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ उनà¥à¤¨à¤¤ व समृदà¥à¤§ सोने की लंका को देखकर मà¥à¤—à¥à¤§ हो गये थे। उस समय उनके मन में यह विचार आया कि अयोधà¥à¤¯à¤¾ की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में लंका में निवास करना अचà¥à¤›à¤¾ हो सकता है। उस अवसर पर राम ने लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ को समà¤à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा था कि ‘अपि सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¯à¥€ लंका न मे लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ रोचते। जननी जनà¥à¤®à¤à¥‚मिशà¥à¤š सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ादपि गरीयसी।’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ हे लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£! यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ लंका सà¥à¤µà¤°à¥à¤£à¤®à¤¯à¥€ है परनà¥à¤¤à¥ यह मà¥à¤à¥‡ पसनà¥à¤¦ नहीं है। मेरे लिठतो जनà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¤à¥à¤°à¥€ माता और मातृà¤à¥‚मि सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से à¤à¥€ बà¥à¤•à¤° है। राम की यह बात सà¥à¤¨à¤•à¤° लकà¥à¤·à¥à¤®à¤£ का मोह à¤à¤‚ग हो गया था। यह बात अकà¥à¤·à¤°à¤•à¥à¤·à¤ƒ सतà¥à¤¯ à¤à¥€ है। अतः हमें à¤à¥€ माता और मातृà¤à¥‚मि के महतà¥à¤µ व गौरव को कम नहीं आंकना चाहिये। अपनी माता की सेवा तथा उसे सà¥à¤– देने से ही कोई à¤à¥€ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥à¤— के समान सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। माता के हृदय दà¥à¤ƒà¤– देकर कोई सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ सदा के लिठसà¥à¤–ी नहीं हो सकती। जो जैसा करता है उसको वैसा ही à¤à¥‹à¤—ना पड़ता है। यह शाशà¥à¤µà¤¤ सतà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ है। इसको सबको सà¥à¤®à¤°à¤£ रखना चाहिये। इसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिये। माता के गौरव पर आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ ननà¥à¤¦à¤•à¤¿à¤¶à¥‹à¤° जी ने ‘मातृ गौरव’ के नाम से à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखी है। उसका अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ सà¤à¥€ को करना चाहिये। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेखक ने माता के गौरव विषयक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अधिकांश पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ को संकलित कर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° माता का गौरव à¤à¤• आचारà¥à¤¯ से 1 लाख गà¥à¤£à¤¾ और पिता का गौरव 100 आचारà¥à¤¯ के बराबर होता है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यà¥à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ िर जी यकà¥à¤· को बताते हैं कि माता पृथिवी से à¤à¤¾à¤°à¥€ है। पिता आकाश सं ऊंचा है। महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यह à¤à¥€ कहता है कि माता के समान दूसरा कोई गà¥à¤°à¥‚ नहीं है।
माता के ही समान हमारी मातृà¤à¥‚मि का à¤à¥€ गौरव होता है। मातृà¤à¥‚मि की गोद में निवास कर व खेल कूद कर ही हम बड़े होते है। इसकी धरती पर उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤¨, फल, वायà¥, जल आदि के सेवन से हमारा शरीर पà¥à¤·à¥à¤Ÿ व बलवान बनता है तथा वृदà¥à¤§à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। अगर हमारी अपनी मातृà¤à¥‚मि न हो तो दूसरे देशों के लोग हमें शरणारà¥à¤¥à¥€ मानते हैं व अपने समान अधिकार नहीं देते। यह बात और हैं कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ में वोटों व अनà¥à¤¯ कारण से शरणारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को देश का नागरिक मान लिया जाता है। यदि इसके विरà¥à¤¦à¥à¤§ कोई आवाज उठाता है तो राजनीतिक दल उनके पीछे पड़ जाते हैं। संसार में इस मामले में à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसा कोई देश नहीं है जहां अपने देश के लोगों की उपेकà¥à¤·à¤¾ होती है और विदेशी शरणारà¥à¤¥à¥€ यहां राजनीतिक पद व वैà¤à¤µ तक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेते हैं। आज à¤à¤¾à¤°à¤¤ में करोड़ों विदेशी लोग आ बसे हैं जिनमें बंगलादेशियों की संखà¥à¤¯à¤¾ सबसे अधिक है। असà¥à¤¤à¥à¥¤ अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ में मातृà¤à¥‚मि की महतà¥à¤¤à¤¾ व महिमा बताते हà¥à¤ कहा गया है कि ‘माता à¤à¥‚मि पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤¹à¤‚ पृथिवà¥à¤¯à¤¾à¤ƒà¥¤’ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ à¤à¥‚मि मेरी माता है और मैं उसका पà¥à¤¤à¥à¤° हूं। वेद संसार के सबसे पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ हैं। इसी से यह विचार सारे संसार में लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ हà¥à¤† है। इसी कारण अपने देश की à¤à¥‚मि को लोग मातृà¤à¥‚मि या डवजीमत सà¥à¤‚दक कहते हैं। उरà¥à¤¦à¥‚ में à¤à¥€ मादरे वतन शबà¥à¤¦ सà¥à¤¨à¤¾ जाता है।
मातृà¤à¥‚मि की महतà¥à¤¤à¤¾ के कारण ही ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ के दिनों में अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में उदà¥à¤˜à¥‹à¤· कि था कि कोई कितना ही करे किनà¥à¤¤à¥ जो सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€à¤¯ राजà¥à¤¯ होता है वह सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ उतà¥à¤¤à¤® होता है। à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने यह à¤à¥€ कहा कि हे ईशà¥à¤µà¤°! हमारे देश में विदेशी शासक कà¤à¥€ न हों और हम पराधीन न हो। à¤à¤¸à¥‡ विचार सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ व वेदà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ में अनेक सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर पाये जाते हैं। इसी कारण अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ व उनके अधिकारी ऋषि दयाननà¥à¤¦ को बागी फकीर कहा करते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ की à¤à¤• देन यह à¤à¥€ है कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के आधार पर बताया कि सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आरमà¥à¤ से लेकर महाà¤à¤¾à¤°à¤¤à¤•à¤¾à¤² परà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ आरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¥à¤¤à¥à¤¤ वा à¤à¤¾à¤°à¤¤ का समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ पर à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ राजà¥à¤¯ रहा है। देश à¤à¥‚मि के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के कारण ही सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦, पं. शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤œà¥€ कृषà¥à¤£ वरà¥à¤®à¤¾, सरदार पटेल, लाल बहादà¥à¤° शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, à¤à¤¾à¤ˆ परमाननà¥à¤¦, वीर सावरकर, नेताजी सà¥à¤à¤¾à¤·à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° बोस, पं. रामपà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ बिसà¥à¤®à¤¿à¤², सरदार à¤à¤—त सिंह, चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र आजाद आदि ने अपने जीवन बलिदान किये व बलिदानियों के समान कारà¥à¤¯ किये। इस लेख को और अधिक विसà¥à¤¤à¤¾à¤° न देकर हम यहीं विराम देते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
ALL COMMENTS (0)