बंगाल हिंसा : न पहली बार न आखिरी
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Rajeev ChoudharyDate
19-May-2018Category
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HindiTotal Views
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19-May-2018Download PDF
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लगता है बंगाल के à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ में अब आगे सिसकना ही लिखा है। à¤à¤• समय गà¥à¤°à¥ रवीनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¨à¤¾à¤¥ ठाकà¥à¤° और नेताजी सà¥à¤à¤¾à¤·à¤šà¤‚दà¥à¤° बोस जैसे अनेकों विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और देशà¤à¤•à¥à¤¤ देने वाली धरा अब बस राजनितिक और मजहबी गà¥à¤‚डों की à¤à¥‚मि बनकर रह गयी। पिछले दिनों रामनवमी पर धारà¥à¤®à¤¿à¤• हिंसा की शिकार पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल के आसनसोल में रहने वाली सोनी देवी किस तरह रोते हà¥à¤ अपना जला हà¥à¤† घर दिखाते हà¥à¤ कह रही थी कि मेरा घर बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ हो गया, à¤à¤• बना-बनाया संसार बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ हो गया। बचà¥à¤šà¤¾ लोग को लेकर अब हम कहां जाà¤à¤‚गे? उसका सवाल अà¤à¥€ तक मेरे जेहन में गूंज ही रहा था कि अचानक से बहà¥à¤¤ सारे सवाल चीतà¥à¤•à¤¾à¤° कर उठें। पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में पंचायत चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में नामांकन के दिन से जो हिंसा शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤ˆ थी, वह पोलिंग के दिन बड़ा रूप धारण करती नजर आई। वोटिंग शà¥à¤°à¥‚ होने के बाद से ही कई इलाकों से बम धमाके, मारपीट, मतदान पेटी जलाने, बैलेट पेपर फेंकने और फायरिंग जैसी हिंसक घटनाओं की खबरें गूंजती रहीं। करीब 12 लोगों की मौत और घायल हà¥à¤ लोगों की संखà¥à¤¯à¤¾ देखकर आसानी से पता लगाया जा सकता है कि पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में कानून वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ किस हाल में है। हिंसा किस दरà¥à¤œà¥‡ की थी इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ 24 परगना में à¤à¤• राजनैतिक पारà¥à¤Ÿà¥€ के कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ को जिंदा तक जला दिया गया।
आखिर चà¥à¤¨à¤¾à¤µ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾ इंतजाम किये जाने और पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल और पड़ोसी राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से 60 हजार से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¾à¤•à¤°à¥à¤®à¥€ तैनात किये जाने के बावजूद इतनी हिंसक à¤à¥œà¤ª कैसे हà¥à¤ˆ? जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° राजà¥à¤¯ सरकार है या ये नाकामी बोठà¤à¤• बार राजनितिक à¤à¤¾à¥œà¥‡ के हतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥‡ के सर पर रख दिया जायेगा? हालाà¤à¤•à¤¿ à¤à¤• बार फिर दिखावे के लिठकà¥à¤› धरपकड़ तो होगी ताकि आम लोगों के अनà¥à¤¦à¤° कानून का डर बना रहे लेकिन सजा के नाम पर अंत वही ढाक के तीन-पात वाली कहावत होगी। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बंगाल में जब पहले वामपंथी सरकार थी तब विपकà¥à¤· में खड़े होना चà¥à¤¨à¤¾à¤µ लड़ना यानि मौत को दावत देना था आज वही कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ ममता बनरà¥à¤œà¥€ के खेमे में आ गये तो आज अनà¥à¤¯ दलों के लिठवही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बनी हà¥à¤ˆ है।
राजनितिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• हिंसा के इस रकà¥à¤¤à¤°à¤‚जित इतिहास को लेकर यदि थोड़ा पीछे जाये तो नेशनल कà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤® रिकॉरà¥à¤¡ बà¥à¤¯à¥‚रो ;à¤à¤¨.सी.आर.बी.दà¥à¤§ के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। आंकड़ों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° वरà¥à¤· 2016 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से à¤à¥œà¤ª की 91 घटनाà¤à¤‚ हà¥à¤ˆà¤‚ और 205 लोग हिंसा के शिकार हà¥à¤à¥¤ इससे पहले यानी वरà¥à¤· 2015 में राजनीतिक à¤à¥œà¤ª की कà¥à¤² 131 घटनाà¤à¤‚ दरà¥à¤œ की गई थी और 184 लोग इसके शिकार हà¥à¤ थे। वरà¥à¤· 2013 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से 26 लोगों की हतà¥à¤¯à¤¾ हà¥à¤ˆ थी, जो किसी à¤à¥€ राजà¥à¤¯ से अधिक थी। 1997 में वामदल की सरकार में गृहमंतà¥à¤°à¥€ रहे बà¥( देव à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ ने विधानसà¤à¤¾ में जानकारी दी थी कि वरà¥à¤· 1977 से 1996 तक पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में 28,000 लोग राजनीतिक हिंसा में मारे गये थे। ये आंकड़े राजनीतिक हिंसा की à¤à¤¯à¤¾à¤µà¤¹ तसà¥à¤µà¥€à¤° पेश करते हैं। समठनहीं आता à¤à¤• राजà¥à¤¯ में सतà¥à¤¤à¤¾ पाने की इस लड़ाई को हिंसा कहें या फिर मौत के आंकड़े देखकर मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² का कोई यà¥à¤¦à¥à¤§ कहें!
वैसे देखा जाये तो बंगाल में 24 परगना समेत जिन हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ हिंसा हà¥à¤ˆ है वहां का धारà¥à¤®à¤¿à¤• समीकरण किसी से à¤à¥€ अदृशà¥à¤¯ नहीं है। कई हिसà¥à¤¸à¥‹à¤‚ में 27 से लेकर 50 फीसदी तक मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® है जिनको ममता सरकार का पूरा आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ अमेरिकी पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जेनेट लेवी कहती है इसà¥à¤²à¤¾à¤® के नाम पर दूसरे वरà¥à¤— के खिलाफ उकसाने के लिठ27 फीसदी आबादी काफी होती है। लेकिन इसके इतर राजनितिक मामलों के विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤• डॉ. विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ इसकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ कहते हैं, ‘बंगाल में कम उदà¥à¤¯à¥‹à¤—-धंधे हैं, जिससे रोजगार के अवसर नहीं बन रहे हैं जबकि जनसंखà¥à¤¯à¤¾ बॠरही है। खेती से बहà¥à¤¤ फायदा नहीं हो रहा है। à¤à¤¸à¥‡ में बेरोजगार यà¥à¤µà¤• कमाई के लिठराजनीतिक पारà¥à¤Ÿà¥€ से जà¥à¥œ रहे हैं ताकि पंचायत व नगरपालिका सà¥à¤¤à¤° पर मिलने वाले छोटे-मोटे ठेके और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ सà¥à¤¤à¤° पर होने वाली वसूली à¤à¥€ उनके लिठकमाई का जरिया है। वे चाहते हैं कि उनके करीबी उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¤µà¤¾à¤° किसी à¤à¥€ कीमत पर जीत जाà¤à¤‚। इसके लिठअगर हिंसक रासà¥à¤¤à¤¾ अपनाना पड़े, तो अपनाते हैं। असल में यह उनके लिठआरà¥à¤¥à¤¿à¤• लड़ाई है।’ चकà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¥€ आगे बताते हैं, ‘विधि-शासन में सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ पारà¥à¤Ÿà¥€ का हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª à¤à¥€ राजनीतिक हिंसा में बà¥à¤¾ है इसके लिठअगर हिंसक रासà¥à¤¤à¤¾ अपनाना पड़े तो अपनाते हैं। पिछले कà¥à¤› सालों से देखा जा रहा है कि कानून वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ को सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ तृणमूल कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ ने अपनी मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी में कर लिया है और कानूनी व पà¥à¤²à¤¿à¤¸à¤¿à¤¯à¤¾ मामलों में à¤à¥€ राजनीतिक हसà¥à¤¤à¤•à¥à¤·à¥‡à¤ª हो रहा है। यही वजह है कि पà¥à¤²à¤¿à¤¸ अफसर निषà¥à¤ªà¤•à¥à¤· होकर कारà¥à¤°à¤µà¤¾à¤ˆ नहीं कर पा रहे हैं।
सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ पारà¥à¤Ÿà¥€ जो कर रही है, उससे साफ है कि वह विपकà¥à¤·à¥€ पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से खौफ खा रही है। लेकिन, राजनीतिक लड़ाइयां लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• तरीके से लड़ी जानी चाहिà¤à¥¤ राजà¥à¤¯ में राजनीतिक हिंसा à¤à¤²à¥‡ ही नई बात न हो, लेकिन तृणमूल कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ विरोधी पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर जिस तरह हमले कर रही है, वह बंगाल के लिठà¤à¤•à¤¦à¤® नया है। पहले यह सब छिप-छिपाकर होता था, लेकिन अब खà¥à¤²à¥‡à¤†à¤® हो रहा है। ममता बनरà¥à¤œà¥€ तानाशाह बनकर à¤à¤• तरफ विपकà¥à¤·à¥€ पारà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर हमले करवा रही है और दूसरी तरफ नरेंदà¥à¤° मोदी के खिलाफ लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• फà¥à¤°à¤‚ट à¤à¥€ तैयार करना चाहती है। à¤à¤¸à¥‡ में उन पर यह सवाल उठेगा कि लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• फà¥à¤°à¤‚ट बनाने वाली ममता बनरà¥à¤œà¥€ खà¥à¤¦ कितनी लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• हैं। हालाà¤à¤•à¤¿ यह दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ है। किनà¥à¤¤à¥ यह हिंसक घटना पशà¥à¤šà¤¿à¤® बंगाल में न तो पहली बार है और न आखिरी। कà¤à¥€ मजहबी उबाल तो कà¤à¥€ राजनितिक उफान चलता रहेगा।
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