आसमान में à¤à¥€ चलेगा शरियत कानून
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Rajeev ChoudharyDate
23-Jun-2018Category
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बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ में जलà¥à¤¦ ही विमान सेवा शरिया à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ फिरनास à¤à¤¯à¤°à¤µà¥‡à¤œ शà¥à¤°à¥‚ होने वाली है. यानि à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ फिरनास à¤à¤¯à¤°à¤µà¥‡à¤œ हवाई यातà¥à¤°à¤¾ के दौरान सातवीं शताबà¥à¤¦à¥€ के इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ दिशानिरà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ का पालन करेगी. खà¥à¤¦ को बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ का हलाल रिचरà¥à¤¡ बà¥à¤°à¥‡à¤¨à¥à¤¸à¤¨ बà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ वाले काजी शफीकà¥à¤° रहमान इस सेवा को शà¥à¤°à¥‚ करने जा रहे है. अपनी पहली उड़ान के साथ फिरनास à¤à¤¯à¤°à¤µà¥‡à¤œ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ की पहली शरिया इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• कानून पर चलने वाली à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤‚स बन जाà¤à¤—ी.
शरीयत के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ करने वाले पारमà¥à¤ªà¤°à¤¿à¤• नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤§à¥€à¤¶à¥‹à¤‚ को काजी कहा जाता है और बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥‡à¤¨ में काजी रहमान की à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤‚स का नाम फिरनास à¤à¤¯à¤°à¤µà¥‡à¤œ है. हर à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ की पहचान उसकी à¤à¤¯à¤° होसà¥à¤Ÿà¥‡à¤¸ होती हैं इसलिठइस इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ में काम करने वाली à¤à¤¯à¤° होसà¥à¤Ÿà¥‡à¤¸ आपको हिजाब पहने इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• वेशà¤à¥‚षा में नजर आà¤à¤à¤—ी. चूà¤à¤•à¤¿ à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ इसà¥à¤²à¤¾à¤® से जà¥à¤¡à¥€ होने के नाते उड़ान से पहले हर फà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤Ÿ में नमाज à¤à¥€ पà¥à¥€ जाà¤à¤—ी. कà¥à¤°à¥‚ मेंबरà¥à¤¸ की डà¥à¤°à¥‡à¤¸ à¤à¥€ शरिया की गाइडलाइंस के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• होंगी, गैरमà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® कà¥à¤°à¥‚ को à¤à¥€ शरिया के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कपड़े पहनने होंगे.
शरिया à¤à¤• अरबी शबà¥à¤¦ है जिसका मतलब है - अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ का दिखाया रासà¥à¤¤à¤¾ और उसके बनाठहà¥à¤ नियम. कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• शरिया सिरà¥à¤« à¤à¤• क़ानून वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की पूरी जीवन शैली के लिठनियम निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करता है.. इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• समाज में रहने के तौर-तरीकों, नियमों और कायदों के रूप में कानून की à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾à¤¤à¤¾ है.
पर सवाल उठता है कि कà¥à¤¯à¤¾ शरिया कानून मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥‹à¤‚ की ही जीवन शैली निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ करता है या अनà¥à¤¯ धारà¥à¤®à¤¿à¤• विचारधाराओं को à¤à¥€ इसके अंतरà¥à¤—à¥à¤°à¤¤ ढालने की कोशिश करते रहते है? सातवीं सदी में सउदी अरब के मदीना में इसà¥à¤²à¤¾à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के साथ ही जब इसà¥à¤²à¤¾à¤® का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° तेजी से आसपास के इलाकों में होने लगा. तब शरिया कानून बनाया गया था. दरअसल पहले अरब में कबीलाई समाज था, जिसमें रहने वाले लोगों के अपने रीति रिवाज थे, लेकिन इसà¥à¤²à¤¾à¤® के राजनीतिक और धारà¥à¤®à¤¿à¤• विचार के पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° के साथ ही कà¥à¤°à¤¾à¤¨ के नियम इन कबिलाई समाज को संचालित करने लगे यह रहसà¥à¤¯ किसी से छिपा नहीं है कि इन तरीकों को थोपने या अपनाने के लिठहिंसा का à¤à¥€ इसà¥à¤¤à¥‡à¤®à¤¾à¤² किया जैसे कि वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में तालिबान, अल-शबाब, बोको हरम, इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ समेत अनà¥à¤¯ कटà¥à¤Ÿà¤° आतंकी इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• संगठन इसी सातवीं शताबà¥à¤¦à¥€ के इसà¥à¤²à¤¾à¤® को आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ के ऊपर थोपने में हिंसा का रासà¥à¤¤à¤¾ अपनाने से नहीं चूक रहे है.
अब जो सबसे बड़ा सवाल उठता है वो यही है कि यदि शरिया कानून को तालिबान, अल-शबाब, बोको हरम आदि संगठन आधà¥à¤¨à¤¿à¤• समाज के लिठउपयà¥à¤•à¥à¤¤ माने तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आतंकी या कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी कहा जाता लेकिन जब यही काम कोई काजी शफीकà¥à¤° रहमान करें तो उसे वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° से जोड़ा जाता है. जबकि इस विषय की गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ को देखें तो बगदादी और काजी रहमान का लकà¥à¤·à¥à¤¯ सामान है. बस रासà¥à¤¤à¥‡ अलग-अलग है. मसलन कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी संगठनों को जमींन पर शरियत चाहिठतो इन विमानन कमà¥à¤ªà¤¨à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ को आसमान में. दोनों ही आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ से संघरà¥à¤· करते नजर आ रहे है. आईà¤à¤¸ à¤à¥€ अपनी खिलाफत सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करने का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ रखता है, à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ जगह बनाना चाहता है जहां इसà¥à¤²à¤¾à¤® की उसकी बनाई परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ चलेगी और शरिया कानून लागू होगा. दूसरी ओर ये à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤‚स à¤à¥€ यही चाहती है
अधिकांश के लिठये à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ à¤à¤• गैर सà¥à¤Ÿà¤¾à¤°à¥à¤Ÿà¤° की तरह हो सकता है, कà¥à¤› दिन बाद à¤à¤¸à¤¾ à¤à¥€ हो सकता है आप इसमें सवार हो और नियमों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• आपको नमाज पढने को कहा जाये! आप अपनी पतà¥à¤¨à¥€ के साथ हो उसे बà¥à¤°à¥à¤•à¤¾ या हिजाब पहनने का दिशा निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ दिया जाये? à¤à¤²à¥‡ ही आप इंकार करें किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• रà¥à¥à¤¿à¤µà¤¾à¤¦à¥€ उदà¥à¤¯à¤®à¥€ काजी रहमान यह उमà¥à¤®à¥€à¤¦ कर रहा है कि उसकी यह कोशिश रंग जरà¥à¤° लाà¤à¤—ी. यहाठदो रासà¥à¤¤à¥‡ बचते है या तो नकाब या बà¥à¤°à¥à¤•à¤¾ पहना जाये या फिर किसी दूसरी à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤‚स की सेवा ली जाये. जो सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ और सà¤à¥€ लोगों के मतो, पूजा उपासना के तौर तरीकों का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करती हो.
à¤à¤¯à¤°à¤²à¤¾à¤‡à¤¨à¥à¤¸ में शरिया लागू होने के बाद इसके नतीजे कà¥à¤¯à¤¾ होंगे, मलेशिया की ‘रयानी à¤à¤¯à¤° की तरह बंद होगी ये अà¤à¥€ कà¥à¤› कहा नही जा सकता, लेकिन जमीन पर देखें तो सोमालिया और अफगानिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ में ये लागू हà¥à¤† और हम देख सकते हैं कि इसका कà¥à¤¯à¤¾ नतीजा हà¥à¤†, अफà¥à¤°à¥€à¤•à¥€ देश नाईजीरिया शरिया क़ानून की वजह से पिछले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में काफी विवाद चरà¥à¤šà¤¾ में रहा है. सीरिया तबाह, लेबनान तबाह या इराक की तबाही शरिया कानून के चाहने वालों ने ही की है. नाईजीरिया के 36 में से 12 पà¥à¤°à¤¾à¤‚तों में शरिया लागू हो चà¥à¤•à¤¾ है. वहां के हिंसातà¥à¤®à¤• हालात किसी से छिपे नहीं है. लेकिन इसमें जो मूल पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उà¤à¤°à¤¤à¤¾ है वो यह कि शरिया कानून को धारà¥à¤®à¤¿à¤• दरà¥à¤¶à¤¨ की à¤à¤¾à¤·à¤¾ में देखे या राजनितिक दरà¥à¤¶à¤¨ की नजर से?
यदि यह धारà¥à¤®à¤¿à¤• दरà¥à¤¶à¤¨ है तो इसमें दया, संवेदना, सहनशीलता, उदारता सामान वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°, अपने पड़ोसी के मत-पंथ-धरà¥à¤® का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ होना चाहिà¤, और यदि यह राजनितिक दरà¥à¤¶à¤¨ है तो इसकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ धरà¥à¤® से जोड़कर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚? कई लोगों ने अलग-अलग देशों में शरिया की à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ पर à¤à¥€ सवाल उठाया. मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के लिठशरिया का à¤à¤• मतलब है, वहाबियों के लिठà¤à¤•, सलाफियों के लिठदूसरा, आईà¤à¤¸, बोको हराम और अल-कायदा के लिठतीसरा. मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ यह तो मानते हैं कि शरीयत अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ का कानून है लेकिन उनमें इस बात को लेकर बहà¥à¤¤ अंतर है कि यह क़ानून कैसे परिà¤à¤¾à¤·à¤¿à¤¤ और लागू होना चाहिà¤. सà¥à¤¨à¥à¤¨à¥€ समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में चार à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ नजरिठहैं और शिया समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में दो. अलग देशों, समà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ शरीयत को अलग-अलग ढंगों से समà¤à¤¾ जाता है. शायद इसी कारण काइरो विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के हसन हनाफी ने à¤à¤• बार इसे इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कहा था कि शरिया कानून के नजर में कà¥à¤°à¤¾à¤¨ à¤à¤• सà¥à¤ªà¤°à¤®à¤¾à¤°à¥à¤•à¥‡à¤Ÿ है जहाठसे जिसे जो चाहिये वह उठा लेता है और जो नहीं चाहिये वह छोड देता है. हो सकता हैं काजी रहमान ने à¤à¥€ अपने किसी धारà¥à¤®à¤¿à¤• लकà¥à¤·à¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ या सातवीं सदी के इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• गौरव को पà¥à¤¨:पाने के लिठयही से कà¥à¤› उठाया हो..?
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