ईद का चाà¤à¤¦ और योगिराज शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£
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Rajeev ChoudharyDate
01-Jul-2018Category
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01-Jul-2018Download PDF
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हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ के शबà¥à¤¦ संसà¥à¤•à¤¾à¤° को उरà¥à¤¦à¥‚ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में तहजीब कहा जाता है और अकà¥à¤¸à¤° देश में गंगा जमà¥à¤¨à¥€ तहजीब के बहà¥à¤¤ गीत गाये जाते हैं। इनके अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ये तहजीब मिसाल है हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•à¤¤à¤¾ की, ये तहजीब उदहारण है आपसी समरसता का। इस तहजीब के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कोई सनातन वैदिक धरà¥à¤® पर कितने à¤à¥€ आघात करे तो तहजीब मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥€ है किनà¥à¤¤à¥ यदि आप किसी वरà¥à¤— विशेष के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर सवाल उठाते हैं तो ये तहजीब à¤à¥œà¤• उठती है इसे खतरा महसूस होने लगता है। ये देश को बाà¤à¤Ÿà¤¨à¥‡ तोड़ने और हिंसा तक करने की बात à¤à¥€ करने लगती है।
इसी तहजीब के गरà¥à¤ से ईद के à¤à¤• दिन पहले à¤à¤• पेंटिंग सोशल मीडिया पर पेश हà¥à¤ˆà¥¤ à¤à¤• पेंटिंग, जिसमें योगीराज à¤à¤—वान शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ à¤à¤• चांद की तरफ उंगली से इशारा कर रहे हैं। उनके आस-पास बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से लेकर बड़े-बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों की à¤à¤• टोली खड़ी है। कृषà¥à¤£ à¤à¤• शखà¥à¤¸ पर हाथ रखे हà¥à¤ हैं सोशल मीडिया के दावे के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, हà¥à¤²à¤¿à¤ से मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ लग रहे उस शखà¥à¤¸ को कृषà¥à¤£ ‘‘ईद का चांद’’ दिखा रहे हैं। तो इसे गंगा-जमà¥à¤¨à¥€ तहजीब, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤¾à¤° और सामà¥à¤¦à¤¾à¤¯à¤¿à¤• सदà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• की तरह पेश किया गया। 16 जून को सà¥à¤µà¤°à¤¾à¤œ इंडिया के योगेंदà¥à¤° यादव, कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ नेता शशि थरूर ने इस तसà¥à¤µà¥€à¤° को टà¥à¤µà¥€à¤Ÿ किया और ईद की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ दी थीं।
लेकिन इस तसà¥à¤µà¥€à¤° पर विवाद à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ हà¥à¤†à¥¤ लोगों को गà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾ आया उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस तसà¥à¤µà¥€à¤° पर सवाल à¤à¥€ उठाये और इसे à¤à¥‚ठी चाल बताया। दरअसल शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी की ये पेंटिंग पिछले तीन-चार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से शेयर की जा रही है। बताया जा रहा है कि 17वीं-18वीं सदी में बनी इस पेंटिंग में कृषà¥à¤£ अपने साथियों को ईद का चांद दिखा रहे हैं और टोली में कà¥à¤› मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¥€ नजर आ रहे हैं। कृषà¥à¤£ की इस लीला को हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•à¤¤à¤¾ के चशà¥à¤®à¥‡ से देखा जा रहा है। साथ ही ये à¤à¥€ कहा जा रहा है कि डॉ दीपांकर देब की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ‘‘मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® डिवोटिज ऑफ कृषà¥à¤£à¤¾’’ में इस पेंटिंग को ईद से जोड़ते हà¥à¤ उदà¥à¤§à¤¤ किया था। जोकि 2015 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ थी। किताब के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होने के बाद, शबाना आजमी जैसे कà¥à¤› और तथाकथित सेकà¥à¤²à¤° लोगों ने à¤à¥€ इस तसà¥à¤µà¥€à¤° को उठाया और ईद के साथ उसे जोड़ा। इसे हिनà¥à¤¦à¥‚ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® से जोड़ते हà¥à¤ यह दिखाने की कोशिश की जैसे इसà¥à¤²à¤¾à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ धरà¥à¤®à¥‹ से à¤à¤• है जिसका इतिहास दà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤° यà¥à¤— से मिलता है जबकि डॉ दीपांकर देब à¤à¤• सà¥à¤µà¤˜à¥‹à¤·à¤¿à¤¤ वैषà¥à¤£à¤µà¥€ हैं। इतिहास में उनकी नगणà¥à¤¯ पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि है। लेकिन कथित सà¥à¤µà¤¯à¤‚à¤à¥‚ सेकà¥à¤²à¤° लोग इसे कृषà¥à¤£ की लीला में जोड़ने से जरा à¤à¥€ बाज नहीं आये।
à¤à¤• पà¥à¤°à¤¸à¤¿( कहावत है कि किसी का à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ जीतकर उसे मूरà¥à¤– बनाना सबसे आसान होता है, आà¤à¤–ों में धूल à¤à¥‹à¤‚ककर किसी के साथ à¤à¥€ धोखा किया जा सकता है। इसी को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ इन लोगों ने इस पेंटिंग को परोस दिया कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ये लोग जानते है कि जब तक पेंटिंग का सच लोगों के सामने आà¤à¤—ा तब तक ये अपना काम कर चà¥à¤•à¥‡ होंगे।
हमेशा सवालों के गरà¥à¤ से जवाब पैदा होते आये हैं इस पेंटिंग में à¤à¥€ यही हà¥à¤†à¥¤ कला-इतिहासकारों में जाने माने नाम और पदà¥à¤®à¤¶à¥à¤°à¥€ से समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤ बी à¤à¤¨ गोसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ने कहा है कि इस पेंटिंग का ईद से कà¥à¤› लेना-देना नहीं है। इस तरह की अनà¥à¤¯ पेंटिंग टिहरी-गà¥à¤µà¤¾à¤² कलेकà¥à¤¶à¤¨ की हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नैनसà¥à¤– पहाड़ी और मानकॠके खानदान में बनाया गया था। पेंटिंग में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ के जीवन की à¤à¤• कम चरà¥à¤šà¤¿à¤¤ छोटी सी घटना को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया है। इसके मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤•, शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ बलराम के साथ मिलकर अपने मामा कंस का वध करने के बाद कà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में घूमे तà¤à¥€ वह à¤à¤• नदी के किनारे आà¤à¥¤ यहां अपने गोद लिठपरिवार के साथ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सूरà¥à¤¯à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£ देखा, पेंटिंग में जो चोगा पहने बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— दिख रहे हैं वे कृषà¥à¤£ के पालक पिता नंद हैं। इस पोशाक की सबसे खास बात है कि ये बाईं बगल में बंधी है जो इसके हिनà¥à¤¦à¥‚ पोशाक होने की बानगी है। वहीं मà¥à¤—ल काल में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® पोशाक को हमेंशा दाईं बगल के नीचे बांधते थे। लेकिन जब तक इस पेंटिंग के तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पर से परà¥à¤¦à¤¾ उठा तब तक तो नया विवाद शà¥à¤°à¥‚ हो चà¥à¤•à¤¾ था। जिसमें कई लोगों ने ये सवाल किया कि कृषà¥à¤£ को ईद मनाते हà¥à¤ दिखाने वाले कà¥à¤¯à¤¾ इसà¥à¤²à¤¾à¤® के पैगमà¥à¤¬à¤° को दीपावली मनाते दिखा सकते हैं? वह तो कृषà¥à¤£ के हजारों वरà¥à¤· बाद आये न कि पहले।
à¤à¤²à¥‡ ही à¤à¤• चितà¥à¤° से कथित गंगा-जमà¥à¤¨à¥€ तहजीब को गाà¥à¤¾ किये जाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया जा रहा हो लेकिन इतिहास में कà¥à¤› चितà¥à¤° अमिट है, जबकि ये चितà¥à¤° तो महज कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ है लेकिन यथारà¥à¤¥ में तो बामियान में टूटी हà¥à¤ˆ बà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ है, तकà¥à¤·à¤¶à¤¿à¤²à¤¾, नालंदा या साà¤à¤šà¥€ के सà¥à¤¤à¥‚प का विनाश है। तारीख के सà¥à¤¯à¤¾à¤¹ पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ पर बखà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤° खिलजी और ओरंगजेब की जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की कहानी कà¤à¥€ मिटाई नहीं जा सकेगी कृषà¥à¤£ जनà¥à¤®à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ मथà¥à¤°à¤¾ में उनके मंदिर के आधे हिसà¥à¤¸à¥‡ को गिराकर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ होना हो या सोमनाथ के मंदिर को धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कराना à¤à¤²à¤¾ अपने मंदिरों, पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ शिकà¥à¤·à¤¾ के केनà¥à¤¦à¥‹à¤‚ उनके बिखरे अवशेषों को आजादी के बाद तक समेटने वाले लोग à¤à¤• चितà¥à¤° से कैसे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हो सकते हैं?
-राजीव चौधरी
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