बेआवाजों की आवाज कौन सà¥à¤¨à¥‡?
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Rajeev ChoudharyDate
20-Jul-2018Category
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HindiTotal Views
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20-Jul-2018Download PDF
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शायद ही कà¤à¥€ किसी ने सà¥à¤¨à¤¾ हो कि दिलà¥à¤²à¥€, मà¥à¤‚बई अहमदाबाद या उड़ी समेत कई बार देश की आतà¥à¤®à¤¾ को चीर देने वाले आतंकी हमलों में शामिल किसी आतंकी के खिलाफ कोई फतवा किसी मà¥à¤«à¥à¤¤à¥€ ने जारी किया हो? पिछले महीने ही मंदसौर में à¤à¤• मासूम बचà¥à¤šà¥€ के साथ रेप हà¥à¤† लेकिन इस घृणित कारà¥à¤¯ के बाद à¤à¥€ अपराधी इमरान के खिलाफ किसी मà¥à¤«à¥à¤¤à¥€ ने फतवा जारी करने की जेहमत नहीं उठाई। हालाà¤à¤•à¤¿ किसी à¤à¥€ अपराध के लिठदेश में नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ है, संविधान है, सजा का पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ है किनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¯ मामलों में दखल की तरह आप धारà¥à¤®à¤¿à¤• तौर पर à¤à¤¸à¥‡ अपराधियों के खिलाफ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ कर ही सकते हैं।
किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› देखने को नहीं मिलता, उलà¥à¤Ÿà¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संविधान से अपने लिठनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ मांगने गयी केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ मंतà¥à¤°à¥€ मà¥à¤–à¥à¤¤à¤¾à¤° अबà¥à¤¬à¤¾à¤¸ नकवी की बहन फरहत नकवी और दूसरी आला हजरत खानदान की बहू निदा खान को शहर इमाम मà¥à¤«à¥à¤¤à¥€ खà¥à¤°à¥à¤¶à¥€à¤¦ आलम ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मजहब ;इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¦à¥à¤§ से बाहर का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखा दिया है। निदा और फरहत दोनों ही तलाक पीड़ित हैं और दोनों ही अलग अलग संसà¥à¤¥à¤¾ चलाती हैं। जिसमें वे मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ती हैं। इस वजह से मजहब के ठेकेदार अब इन दोनों महिलाओं की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं यानि इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• कानून के माधà¥à¤¯à¤® से बेआवाजों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।
जैसे मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² में जिसका मà¥à¤‚ह उठता था वही मजहब की, अपनी जाति की, कबीले आदि की ठेकेदारी लेकर अपने विरोधियों पर हमला करने चल देता था। इसी तरह पिछले चंद सालों से à¤à¤¾à¤°à¤¤ में मà¥à¤«à¥à¤¤à¥€, काजी और इमामों का हाल हो गया है। जिसका मूड होता है, वही दस बीस फतवे किसी à¤à¥€ महिला के खिलाफ जारी कर बैठता है, कà¤à¥€ मजहब का नाम लेकर, कà¤à¥€ खà¥à¤¦à¤¾ का वासà¥à¤¤à¤¾ देकर, इनका सबसे आसान शिकार महिलाà¤à¤‚ ही बनती दिख रही हैं।
किनà¥à¤¤à¥ तलाक पीड़ित निदा कह रही है कि वह à¤à¤¸à¥‡ जाहिलों से वो डरने वाली नहीं है। मैं à¤à¤• लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• देश की नागरिक हूं। आम नागरिक की तरह संविधान ने मà¥à¤à¥‡ सारे हक दिठहैं। यह फतवा मेरे संवैधानिक, मानवाधिकारों का हनन है और शरीयत का हवाला देकर समाज को मेरे खिलाफ à¤à¥œà¤•à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश है।
कà¤à¥€ यूनानी दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• डायोजनीज ने कहा था धरà¥à¤® का अरà¥à¤¥ है अपने आपमें रहना। आतà¥à¤®à¤šà¤¿à¤‚तन करना, अपने आपको पहचानना। वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• धरà¥à¤® हमारे अंदर ही छà¥à¤ªà¤¾ हà¥à¤† है। जिस दिन हमने इस बात को समठलिया धरà¥à¤® का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• रूप हम समठजायेंगे। लेकिन आज के धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¥ à¤à¤¸à¥‡ नहीं हैं वह अपने मजहब पर दरवाजे लगाकर बैठे हैं किसे अनà¥à¤¦à¤° लेना है, किसे बाहर का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाना खà¥à¤¦ तय कर रहे हैं।
दो साल पहले रमजान का माह था अचानक तसलीमा के टà¥à¤µà¥€à¤Ÿ से इसी मजहबी दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में à¤à¥‚चाल ला दिया था तसलीमा ने लिखा था कि ऊपर वाला महिलाओं से नफरत करता है, इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में महिलाओं से सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नफरत करने वाली जाति अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ की है। उसने लिखा था कि अचà¥à¤›à¤¾ होगा कि हम महिलाओं से नफरत करने वाले धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ को à¤à¤• साथ छोड़ दें, अगर à¤à¤¸à¤¾ नहीं कर सकते तो कम से कम हमें à¤à¤¸à¥‡ धरà¥à¤®à¥‹à¤‚ के इन नियमों को तो छोड़ ही देना चाहिठजो महिलाओं के खिलाफ हो।
असल में इसà¥à¤²à¤¾à¤® के नाम पर महिलाओं के शोषण और दमन की बात उठनी चाहिठइसकी जरूरत à¤à¥€ थी। अकà¥à¤¸à¤° पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों में à¤à¤¸à¥‡ बहà¥à¤¤ सारे कथित विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेखक हैं जो अब तक यही कहते आये हैं कि मà¥à¤¸à¤²à¤¿à¤® देशों में औरतों का शोषण होता ही नहीं-अगर होता à¤à¥€ हो तो उसमें धरà¥à¤® का हाथ नहीं होता। जबकि साल 2012 में जब सऊदी अरब ने पहली बार ओलंपिक खेलों में महिला à¤à¤¥à¤²à¥€à¤Ÿà¥‹à¤‚ को लंदन à¤à¥‡à¤œà¤¾ था। तब कटà¥à¤Ÿà¤°à¤ªà¤‚थी मौलवियों ने इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वैशà¥à¤¯à¤¾ कहा था। इसके अलावा सऊदी में कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚, बैंकों और विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯à¥‹à¤‚ सहित अधिकांश सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ के अलग-अलग लिंगों ;पà¥à¤°à¥à¤· व महिलादà¥à¤§ के लिठअलग-अलग पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ है। अगर कोई महिला किसी अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¥à¤· से बातचीत करती है तो महिला को गंà¤à¥€à¤° सजा मिलती है। यही नहीं शॉपिंग मॉल में महिलाओं को पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के साथ कपड़ों की खरीददारी करने पर कई पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚ध लगे हà¥à¤ हैं। इसके अलावा महिलाà¤à¤‚ फैशन पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ को à¤à¥€ नहीं पॠसकती हैं। इसके अतिरिकà¥à¤¤ à¤à¥€ हर घर में औरतों के दमन के असंखà¥à¤¯ उदाहरण मिलेंगे। कई देशों में कानून à¤à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के बीच बराबरी का वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° नहीं करता। वहाठकिसी पà¥à¤°à¥à¤· की गवाही औरत की गवाही से जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ समà¤à¥€ जाती है। मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® देशों में नौकरियों में à¤à¥€ औरतों को कई पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के शोषण का शिकार होना पड़ता है।
मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® विमेंस फोरम की संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤•à¤¾, सैयà¥à¤¯à¤¦à¤¾ हमीद ने सनॠ2000 में बेआवाजों की आवाज नाम की रिपोरà¥à¤Ÿ लिखी थी। देशà¤à¤° के 18 राजà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करके मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं की आवाज सà¥à¤¨à¤•à¤° ये रिपोरà¥à¤Ÿ 17 साल पहले तैयार की थी। इस रिपोरà¥à¤Ÿ में मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिलाओं की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¾ किया गया था। महिला आयोग ने ये पाया था कि अनà¥à¤¯ महिलाओं की तरह मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® महिला की à¤à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ अशिकà¥à¤·à¤¾ और बेरोजगारी है। उसके साथ उसके अपने निजी कानून उसकी जिंदगी की मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤²à¥‹à¤‚ को और बà¥à¤¾ देते हैं। तीन तलाक बहà¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤¹-चार शादियां उस पर नंगी तलवार की तरह लटकती रहती है। इसलिठसैयà¥à¤¯à¤¦à¤¾ हमीद का सà¥à¤à¤¾à¤µ था कि मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ और उसके रहनà¥à¤®à¤¾ का करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है कि वे निजी कानूनों में निजी सà¥à¤§à¤¾à¤° लेकर आà¤à¤‚। तब सैयà¥à¤¯à¤¦à¤¾ हमीद ने मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® समाज को ये चेतावनी दी थी कि अगर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने घर को अपने आप नहीं संवारा तो उनके निजी कानून में सरकार का दखल जरूरी हो जाà¤à¤—ी और 17 साल बाद यही हà¥à¤†à¥¤ 22 अगसà¥à¤¤ 2017 को मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के निजी कानून में कोरà¥à¤Ÿ ने अपना à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• फैसला तीन तलाक पर सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ था और हमेशा के लिठइस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को रदà¥à¤¦ कर दिया था और अब सरकार पर ये जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ डाल दी कि संसद में कानून बनाकर इस पà¥à¤°à¤¥à¤¾ को समापà¥à¤¤ कर दे जिसका अब इंतजार हैं आखिर इन बेआवाजों की आवाज à¤à¥€ तो किसी को सà¥à¤¨à¤¨à¥€ चाहिà¤à¥¤
-राजीव चौधरी
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