जीवन और मृतà¥à¤¯à¥ का अनà¥à¤à¤µ
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Naveen AryaDate
28-Jul-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
28-Jul-2018Download PDF
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जीवित हà¥à¤ अथवा मृतà¥à¤¯à¥ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤“ं को हम कैसे पहचान सकते हैं ? सामानà¥à¤¯ रूप से जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤£ धारण किया हà¥à¤† है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जब तक शà¥à¤µà¤¾à¤¸-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ है तब तक उसे हम यह कह देते हैं कि यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवित है। ठीक इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जब शà¥à¤µà¤¾à¤¸-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ की गति रà¥à¤• जाती है, पà¥à¤°à¤¾à¤£ छूट जाते हैं, तब हम यह कह देते हैं कि यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मृत हो गया । यह à¤à¤• अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विचारणीय बिंदॠहै । यदि हम जीवित रहना चाहते हैं तो इसके ऊपर अवशà¥à¤¯ चिनà¥à¤¤à¤¨ करना चाहिये ।
किसी नीतिकार ने कहा है कि - "स जीवति गà¥à¤£à¤¾ यसà¥à¤¯ धरà¥à¤®à¥‹ यसà¥à¤¯ स जीवति। गà¥à¤£à¤§à¤°à¥à¤®à¤µà¤¿à¤¹à¥€à¤¨à¥‹ यो निषà¥à¤«à¤²à¤‚ तसà¥à¤¯ जीवितमà¥" । जिसके पास सदà¥à¤—à¥à¤£ हैं, तथा जिसके पास धरà¥à¤® है, वही वासà¥à¤¤à¤µ में जीवित है। गà¥à¤£ और धरà¥à¤®- दोनों जिसके पास नहीं है, उसका जीवन निररà¥à¤¥à¤• है, वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ मरा हà¥à¤† है । हमें सà¥à¤µà¤¯à¤‚ निरीकà¥à¤·à¤£ करके देखना चाहिठकि कà¥à¤¯à¤¾ मैं अचà¥à¤›à¥‡ अचà¥à¤›à¥‡ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ हूठअथवा अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° में धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤°à¤£ करता हूठया नहीं ? यदि मेरे अनà¥à¤¦à¤° धैरà¥à¤¯, कà¥à¤·à¤®à¤¾, आदि धरà¥à¤® के दस लकà¥à¤·à¤£ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ नहीं हैं, और यदि मैंने अचà¥à¤›à¥‡ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ नहीं किया तो फिर मेरा जीवन वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ ही है । जब हम इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤µà¤²à¥‹à¤•à¤¨ करने लग जायेंगे तो निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से हमें विदित हो जायेगा कि हम जीवित हैं अथवा मरे हà¥à¤ हैं ।
और à¤à¥€ कहा गया है कि - "आतà¥à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤‚ जीवलोकेSसà¥à¤®à¤¿à¤¨à¥à¤•à¥‹ न जीवति मानवः | परं परोपकारारà¥à¤¥à¤‚ यो जीवति सः जीवति |" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ इस संसार में अपने सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ के लिठअपना ही कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करने के लिठकौन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ नहीं होता ? अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने ही पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨ सिदà¥à¤§ करने हेतॠजीवित रहते हैं, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के जीवन का कोई महतà¥à¤µ नहीं है, उसको जीवित रहना नहीं कहा जा सकता, परनà¥à¤¤à¥ जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपना सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ छोड़कर दूसरे के कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ हेतà¥, परोपकार के लिà¤, पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨à¤¶à¥€à¤² रहता है वासà¥à¤¤à¤µ में उसी का जीवन ही सारà¥à¤¥à¤• है उसी को कहा जा सकता है कि यह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवित है । जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ न अपने समाज के लिठऔर न ही राषà¥à¤Ÿà¥à¤° की उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ के लिठअपना तन-मन-धन समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करता है, à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को कà¤à¥€ à¤à¥€ जीवित नहीं कहा जा सकता ।
अब आइये देखते हैं कि वेद कà¥à¤¯à¤¾ कहता है इस विषय में - "यसà¥à¤¯ छायामृतं यसà¥à¤¯ मृतà¥à¤¯à¥: कसà¥à¤®à¥ˆ देवाय हविषा विधेम" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो ईशà¥à¤µà¤° हमें आतà¥à¤®à¤¬à¤² का देने वाला है, समसà¥à¤¤ संसार जिसकी उपासना करता है, और विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ लोग जिसके अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨ का पालन करते हैं, जिसने समगà¥à¤° सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना की, पालन कर रहा और समयानà¥à¤¸à¤¾à¤° विनाश à¤à¥€ करता है, उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ करना, उसी ईशà¥à¤µà¤° के सानà¥à¤¨à¤¿à¤§à¥à¤¯ में रहना, शरण में जाना ही अमृततà¥à¤µ है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ सदा ईशà¥à¤µà¤° के सानिधà¥à¤¯ में रहता, उसी का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ उपासना करता, उसी की छाया में उसके आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का पालन करता, वासà¥à¤¤à¤µ में वही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवित है और जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इसके विपरीत ईशà¥à¤µà¤° की छाया में नहीं रहता, उसके आजà¥à¤žà¤¾à¤“ं का परिपालन नहीं करता, ईशà¥à¤µà¤° की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ या उपासना नहीं करता, ईशà¥à¤µà¤° का यह निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ है कि - वासà¥à¤¤à¤µ में वह वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जीवित है ही नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वह मरा हà¥à¤† है, उसकी मृतà¥à¤¯à¥ हो गयी है, à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिठ।
हम पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•à¤¾à¤² उठते हैं और सबसे पहले यह अनà¥à¤à¤µ करते हैं कि मैं जीवित हूठकà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं देख पा रहा हूà¤, सà¥à¤¨ रहा हूà¤, बोल पा रहा हूà¤, खाना खा रहा हूà¤, पानी पी रहा हूà¤, समसà¥à¤¤ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं को करने में समरà¥à¤¥ हो पा रहा हूठऔर मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ मैं शà¥à¤µà¤¾à¤¸-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ ले रहा हूठऔर छोड़ रहा हूà¤, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤§à¤¾à¤°à¤£ किया हà¥à¤† हूà¤, अतः जीवित हूठ। परनà¥à¤¤à¥ यह à¤à¥‚ल जाते हैं कि मैं वासà¥à¤¤à¤µ में जीवित हूठया मरा हà¥à¤† हूठ। केवल खाते-पीते रहने मातà¥à¤° से, पà¥à¤°à¤¾à¤£-धारण किये हà¥à¤ होने मातà¥à¤° से ही यह सिदà¥à¤§ नहीं होता कि मैं सही अरà¥à¤¥ में जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहा हूठ।
मेरे जीवन में यदि पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सतà¥à¤¯, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯, परोपकार, सरलता, विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾, दया, आदि कà¥à¤› उतà¥à¤¤à¤® गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का संगà¥à¤°à¤¹ कर पा रहा हूठऔर à¤à¥‚ठ, छल-कपट, इरà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾, दà¥à¤µà¥‡à¤·, कà¥à¤°à¥‹à¤§, आदि कà¥à¤› दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ का या दोषों का परितà¥à¤¯à¤¾à¤— à¤à¥€ कर पा रहा हूठतो मैं वासà¥à¤¤à¤µ में जीवित हूठ। इसके विपरीत यदि मैं दोषों को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता जाता हूठकिनà¥à¤¤à¥ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को अपनाने में समरà¥à¤¥ नहीं हो पाता हूठतो मैं जीवित नहीं हूà¤, मरा हà¥à¤† हूठ। इस जीवन का मà¥à¤–à¥à¤¯ लकà¥à¤·à¥à¤¯ है जीवन में जà¥à¤žà¤¾à¤¨, वैरागà¥à¤¯ तथा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ हो और उससे फिर सà¥à¤–-शानà¥à¤¤à¤¿, आननà¥à¤¦, उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹, दया, परोपकार आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का विकास हो। समाधि की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो, आतà¥à¤®à¤¾-परमातà¥à¤®à¤¾ का साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤•à¤¾à¤° हो, सà¤à¥€ कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ का विनाश हो और हम मोकà¥à¤· के अधिकारी बन जायें । यदि हमारी पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ हमारे जीवन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ में सहायक नहीं हो रही है और हम अपने लकà¥à¤·à¥à¤¯ की और आगे नहीं बॠरहे हैं, तो हमारा जीवन वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ ही है, हमारा जीना जीना नहीं किनà¥à¤¤à¥ मृतà¥à¤¯à¥ के समान ही है । इस विषय में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ निरà¥à¤£à¤¯ कर सकते हैं कि हमारी कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है ?
Thanks for good knowledgfull information. God keep you happy.