कà¥à¤¯à¤¾ ये देश के समाजिक पतन का संकेत नहीं?
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Rajeev ChoudharyDate
03-Aug-2018Category
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03-Aug-2018Download PDF
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बिहार के मà¥à¤œà¤«à¥à¤«à¤°à¤ªà¥à¤° शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• बालिका गृह में काफी समय से मासूम बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपना मानकर जिनके बीच अपना बचपन जीती रही उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ अपनों की बà¥à¤°à¥€ हरकतों से बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का बचपन सहम गया है। इन बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को शारीरिक व मानसिक रूप से तोड़ने वाला कोई और नहीं बलà¥à¤•à¤¿ वह है जिनके साथ वे खà¥à¤¦ को सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ समà¤à¤¤à¥€ थीं। सामाजिक सेवा के नाम पर चल रहे बिहार के मà¥à¤œà¤«à¥à¤«à¤°à¤ªà¥à¤° शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤• बालिका गृह में रह रहीं 42 लड़कियों में से 34 के साथ बलातà¥à¤•à¤¾à¤° होने की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ हो चà¥à¤•à¥€ है। इससे पहले यहां रह रहीं 29 लड़कियों से बलातà¥à¤•à¤¾à¤° की पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ हà¥à¤ˆ थी। दिन पर दिन आगे बढी़ जाà¤à¤š और उनसे उठरहे सवालों को देखकर लगता है कि इस इमारत की दीवार पर बालिका गृह, देख-रेख à¤à¤µà¤‚ संरकà¥à¤·à¤£ की जगह यदि कोई बालिका यातना गृह लिख दे तो शायद कà¥à¤› गलत नहीं होगा।
पिछले à¤à¤• जून को इस पूरे मामले के खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¾ तब हà¥à¤† था, जब समाज कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ विà¤à¤¾à¤— के आदेश पर बालिका गृह चलाने वाले à¤à¤¨à¤œà¥€à¤“ सेवा संकलà¥à¤ª à¤à¤µà¤‚ विकास समिति के संचालकों पर पॉसà¥à¤•à¥‹ और यौन उतà¥à¤ªà¥€à¥œà¤¨ की धाराओं में केस दरà¥à¤œ कराया गया था। इस मामले में सेवा संकलà¥à¤ª à¤à¤µà¤‚ विकास समिति के संचालक बà¥à¤°à¤œà¥‡à¤¶ ठाकà¥à¤° समेत 10 आरोपी जेल में हैं, जबकि à¤à¤• फरार है। इनमें आठमहिलाà¤à¤‚ à¤à¥€ हैं। बालिका गृह यौन शोषण मामले में कई बड़े सफेदपोश और रसूखदार पà¥à¤²à¤¿à¤¸ की रडार पर हैं। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि बà¥à¤°à¤œà¥‡à¤¶ ठाकà¥à¤° बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ न केवल मारपीट करता था, बलà¥à¤•à¤¿ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ à¤à¤¦à¥à¤¦à¥€-à¤à¤¦à¥à¤¦à¥€ गालियां à¤à¥€ देता था। मालूम हो कि टीआईà¤à¤¸à¤à¤¸ ने 7 महीनों तक 38 जिलों के 110 संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ किया। इस सरà¥à¤µà¥‡à¤•à¥à¤·à¤£ में बिहार के बालिका गृह को लेकर खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¥‡ हà¥à¤ थे।
रिपोरà¥à¤Ÿ में बताया जा रहा है कि रेप से पहले बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को मिरà¥à¤—ी का इंजेकà¥à¤¶à¤¨ देकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बेहोश किया जाता था। पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने यहां छापा मारकर 63 तरह की दवाà¤à¤‚ à¤à¥€ जबà¥à¤¤ की हैं। शोषण की शिकार हà¥à¤ˆ सà¤à¥€ बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ 18 साल से कम उमà¥à¤° की हैं। इनमें à¤à¥€ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¤à¤° की उमà¥à¤° 13 से 14 साल के बीच है। बालिका गृह के कमरों में लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ और दà¥à¤°à¥à¤—ा के कैंलेंडर टंगे हैं किनà¥à¤¤à¥ बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¥œà¤¨à¤¾ के जो किसà¥à¤¸à¥‡ बता रही हैं उसे सà¥à¤¨à¤•à¤° खून ठंडा पड़ जाठया खून खौलने लगे, इसे तय नहीं किया जा सकता है। इसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ शरà¥à¤® का विषय कहें या सामाजिक शरà¥à¤® का पर राजनितिक शरà¥à¤® तो इस मामले में कहीं दिखाई दे नहीं रही है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि विधानसà¤à¤¾ में रेप अà¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ के साथ सतà¥à¤¤à¤¾à¤§à¤¾à¤°à¥€ पारà¥à¤Ÿà¥€ के नेताओं की तसà¥à¤µà¥€à¤°à¥‡à¤‚ लहराई जा रही हैं।
आज देश मौन है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मौन है? ये पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ अपना वजूद खोता जा रहा है। आखिर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ 15 मारà¥à¤š को सौंपी गई ये रिपोरà¥à¤Ÿ दो महीने तक समाज कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ विà¤à¤¾à¤— में धूल खाती रही। यदि उकà¥à¤¤ विà¤à¤¾à¤— संवेदनशील होकर मामले पर तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¹à¥€ कर देता तो शायद ये बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ और दो महीने पहले इस यातना गृह से मà¥à¤•à¥à¤¤ करायी जा सकती थी। पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आपदा में अपने परिवार खो चà¥à¤•à¥€, बेसहारा होकर यहाठपहà¥à¤‚ची ये बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ नहीं जानती होंगी कि यहाठआकर अपना सब कà¥à¤› गà¤à¤µà¤¾ देगी।
जà¥à¤žà¤¾à¤¤ हो इसी तरह का मामला पिछले वरà¥à¤· उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की राजधानी लखनऊ में उजागर हà¥à¤† था जब पà¥à¤²à¤¿à¤¸ ने à¤à¤• मदरसे से 51 लड़कियों को छà¥à¥œà¤¾à¤¯à¤¾ था। मामला उस समय संजà¥à¤žà¤¾à¤¨ में आया था जब मदरसे की छत पर चà¥à¤•à¤° छातà¥à¤°à¤¾à¤“ं ने परà¥à¤šà¥€ फेंककर लोगों से मदद की गà¥à¤¹à¤¾à¤° लगाई थी। वहीं à¤à¤• पीड़िता ने मदरसा संचालक मो. तैयब जिया पर लड़कियों का यौन शोषण और लड़कियां सपà¥à¤²à¤¾à¤ˆ करने का à¤à¥€ आरोप लगाया था। इससे पहले à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ ही रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला साल 2013 में छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ॠके कांकेड़ à¤à¤²à¤¿à¤¯à¤¾à¤®à¤¾à¤°à¥€ में à¤à¤• आदिवासी गरà¥à¤²à¥à¤¸ हॉसà¥à¤Ÿà¤² में से आया था जहाठसाल 2011 से हॉसà¥à¤Ÿà¤² चौकीदार और à¤à¤• करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ 11 लड़कियों के साथ कà¥à¤•à¤°à¥à¤® करते रहे और बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ सब कà¥à¤› à¤à¥à¤—तने को मजबूर रहीं।
घिनौनी वारदात की लिसà¥à¤Ÿ लमà¥à¤¬à¥€ है जो सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ बाल मन को हमेशा के लिठकà¥à¤·à¤¤à¤¿à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ कर दे रही है। कहा जाता है कि हम जो कà¥à¤› à¤à¥€ अपने बचपन में देखते हैं, सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं, सीखते हैं या फिर सहते हैं वह जिनà¥à¤¦à¤—ी à¤à¤° हमारे साथ रहता है। चाहें इसमें अचà¥à¤›à¥‡ अनà¥à¤à¤µ हो या बà¥à¤°à¥‡ शायद अब ये लड़कियां à¤à¥€ जीवन à¤à¤° इस मानसिंक तà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¦à¥€ से जूà¤à¤¤à¥€ रहेंगी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि महिला या बचà¥à¤šà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ होने वाली यौन हिंसा के बारे में लोगों का रवैया उदासीन है। किसी समाज की संवेदनशीलता का सà¥à¤¤à¤° उसके अपने बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ के साथ किये गठवà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° से परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ होता है। यदि इस देश के आंकड़े देखें तो शायद जरा à¤à¥€ गरà¥à¤µ की अनà¥à¤à¥‚ति अनà¥à¤¦à¤° शेष न बचे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ अपराध रिकॉरà¥à¤¡ बà¥à¤¯à¥‚रो के आंकड़ों के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• देश में बाल यौन उतà¥à¤ªà¥€à¥œà¤¨ के मामले तीन सौ छतà¥à¤¤à¥€à¤¸ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ बॠगठहैं। साल 2001-2011 के बीच कà¥à¤² 48,338 बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से यौन हिंसा के मामले दरà¥à¤œ किये गà¤, साल 2001 में जहाठइनकी संखà¥à¤¯à¤¾ 2,113 थी वहीं 2011 में बà¥à¤•à¤° 7,112 हो गई। ये सब उस देश की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है जहाठयौन हिंसा किसी à¤à¥€ सामाजिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ नहीं है और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¤—वान का रूप बताया जाता है।
मीडिया आज à¤à¥€ बाल यौन-शोषण जैसे मामलों को गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से नहीं कवर करता है। हमारे समाज का à¤à¤• रूप इतना दकियानूसी है कि इस गंà¤à¥€à¤° अपराध को हमेशा छिपाकर रखने की कोशिश करता है। हम हतà¥à¤¯à¤¾, चोरी, à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾à¤šà¤¾à¤° के अपराध को समाजिक पतन से जोड़कर देखते हैं लेकिन कà¥à¤¯à¤¾ बाल यौन-शोषण जैसे मà¥à¤¦à¥à¤¦à¥‡ को अनदेखा कर दिया जाना सही है? कà¥à¤¯à¤¾ ये देश के समाजिक पतन का संकेत नहीं?
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