शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी की कारà¥à¤¯-कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾
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Naveen AryaDate
25-Aug-2018Category
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RajeevUpload Date
25-Aug-2018Download PDF
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शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी के जीवन का यदि हम अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हैं तो हम पाते हैं कि उनको अनेक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था । किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ को जब वो करते थे तो बड़ी ही कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• करते थे । उनका सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ à¤à¥€ यह है कि "योगः करà¥à¤®à¤¸à¥ कौशलमà¥" उनके समसà¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ होने के कारण ही यह सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¤¿à¤¤ है कि उनको योगीराज कहा जाता है । चाहे किसी à¤à¥€ सांसारिक समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥‹à¤‚ को निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हो चाहे किसी à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• नीतियों को अपने जीवन में अपनाने की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से हो, शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी सब में निपà¥à¤£à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• ही करते थे । इसीलिठउनको नीतिजà¥à¤ž à¤à¥€ कहा जाता है ।
शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी के जीवन से हमें यह à¤à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिलती है कि वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ को छोटा या बड़ा नहीं मानना चाहिठ। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• कारà¥à¤¯ अपने आप में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ होता है । उस कारà¥à¤¯ को करनेवाला कैसा है और वह à¤à¥€ किस शैली से करता है, कितनी उतà¥à¤¤à¤®à¤¤à¤¾ से करता है, उस कारà¥à¤¯ को किस परिणाम तक पहà¥à¤‚चाता है, इन सब के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ ही उस कारà¥à¤¯ की विशेषता पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¿à¤¤ होती है । शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी चाहे किसी à¤à¥€ कारà¥à¤¯ को करते थे तो उसको पूरà¥à¤£ ईमानदारी से, पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ पूरà¥à¤µà¤• तनà¥à¤®à¤¯à¤¤à¤¾ से ही करते थे और उसको उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते थे ।
à¤à¤• राजा होने के नाते अपनी पà¥à¤°à¤œà¤¾ का पà¥à¤¤à¥à¤° के समान यथावतॠनà¥à¤¯à¤¾à¤¯-पूरà¥à¤µà¤• ही पालन किया करते थे । यह à¤à¥€ किसी से छिपा हà¥à¤† नहीं है कि शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी ने अपने मितà¥à¤° सà¥à¤¦à¤¾à¤®à¤¾ जी के साथ कैसी मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ निà¤à¤¾à¤ˆ थी । इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° चाहे अपने à¤à¤¾à¤ˆ के साथ हो, चाहे अपनी बहन के साथ हो, अपने वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥‹ को बनाये रखने में कहीं चà¥à¤•à¤¤à¥‡ नहीं थे ।
इन सब कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण है गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥‹à¤‚ में यह सब विदà¥à¤¯à¤¾ सिखाई जाती थी और शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी ने शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में गà¥à¤°à¥ जी सानिधà¥à¤¯ में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते हà¥à¤ इन समसà¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सिखा था तà¤à¥€ जाकर जब वो समाज में अपने कारà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में उतरे तो अपनी गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥€à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾, शिकà¥à¤·à¤¾ और अपने माता-पिता तथा गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ का मान बà¥à¤¾à¤¯à¤¾ । अपने आपको à¤à¤• आदरà¥à¤¶ के रूप में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करके समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ में पूजनीय बन गठ।
जब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ यà¥à¤¦à¥à¤§ में à¤à¤• सारथी का कारà¥à¤¯ किया तो बताया जाता है कि यà¥à¤¦à¥à¤§ में शसà¥à¤¤à¥à¤° न उठाने का उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤£ किया हà¥à¤† था फिर à¤à¥€ बिना शसà¥à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किये à¤à¤• सारथी का कारà¥à¤¯ दायितà¥à¤µ उतà¥à¤¤à¤®à¤¤à¤¾ से समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया । कà¤à¥€ यह विचार नहीं किया कि मैं à¤à¤• राजा होकर के कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤• सारथी का कारà¥à¤¯ करूठ?
ठीक इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जब यà¥à¤¦à¥à¤§ होने की समà¥à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ दिखाई दी । शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी को लगा कि यà¥à¤¦à¥à¤§ होने से बहà¥à¤¤ बड़ी हानि होगी, पूरे विशà¥à¤µ की महती अपूरणीय कà¥à¤·à¤¤à¤¿ होगी, इस यà¥à¤¦à¥à¤§ में असीम रकà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होगा, अतः à¤à¤• बार इन सबको समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठअनà¥à¤¤à¤¿à¤® पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करके देखना चाहिà¤, आखिर ये अपने ही हैं, जिससे यह महानॠयà¥à¤¦à¥à¤§ टल जाये । फिर वो à¤à¤• दूत का कारà¥à¤¯ करने के लिठà¤à¥€ तैयार हो गठऔर पाणà¥à¤¡à¤µà¥‹à¤‚ की तरफ से कौरवों को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठशानà¥à¤¤à¤¿à¤¦à¥‚त बन के गठथे । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इस कारà¥à¤¯ को à¤à¥€ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• किया था । इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनेक कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में निपà¥à¤£ थे, समसà¥à¤¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को दकà¥à¤·à¤¤à¤¾ पूरà¥à¤µà¤• किया करते थे । इनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जान कर उन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को हमें अपने जीवन में à¤à¥€ अपनाते हà¥à¤ उन जैसा बनने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना चाहिठ।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
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