कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ थे महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£
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Rajeev ChoudharyDate
29-Aug-2018Category
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29-Aug-2018Download PDF
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à¤à¤¾à¤¦à¥à¤°à¤ªà¤¦ कृषà¥à¤£ अषà¥à¤Ÿà¤®à¥€ तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को मथà¥à¤°à¤¾ के कारागार में वसà¥à¤¦à¥‡à¤µ की पतà¥à¤¨à¥€ देवकी के गरà¥à¤ से शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ ने जनà¥à¤® लिया था। यह तिथि उसी शà¥à¤ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। हर वरà¥à¤· की à¤à¤¾à¤‚ति à¤à¤• बार फिर शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ का उतà¥à¤¸à¤µ निकट आ रहा है। à¤à¤• बार फिर वही होगा जो होता आया है। जगह-जगह दही-हांड़ी के आयोजन होंगे। à¤à¤¾à¤—वत गीता के पाठहोंगे, कहीं कथावाचक योगी राज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ को माखन चोर बताकर गोपियों से उनकी रासलीला का वरà¥à¤£à¤¨ करते दिखेंगे तो कोई गोपियों के कपड़े चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ का वरà¥à¤£à¤¨ करेंगें सजे पंडाल और मंदिरों में जमा लोग चटकारे ले-लेकर कर अपने घरों की ओर लौट जायेंगे। जब यह सब कà¥à¤› होगा लोग सोचेंगे कि कृषà¥à¤£ का जनà¥à¤® होगा लेकिन असल मायने में ये कृषà¥à¤£ का जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ गीता में कहे गये उनके विचारों की हतà¥à¤¯à¤¾ होगी।
कथा वाचकों ने मनà¥à¤¤à¥à¤° घड़ दिया कि जब-जब धरà¥à¤® की हानि होगी मैं वापस आऊंगा, यानि मेरा जनà¥à¤® होगा। ये लोग खà¥à¤¦ तो कायर थे ही वीर लोगों को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥à¤·à¤¾ में बैठा दिया कि कà¥à¤› मत करो धरà¥à¤® की हानि होने पर पà¥à¤°à¤à¥ खà¥à¤¦ आ जायेंगे। कहा जाता कि चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होकर उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ धरà¥à¤® के विनाश का कारण बनती है लेकिन जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने गीता के सचà¥à¤šà¥‡ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जाना है, जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने योगिराज शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के विचारों को आतà¥à¤®à¤¸à¤¾à¤¤ किया, वह इस चकà¥à¤•à¤° में फंस ही नहीं सकते। उनके पास जरूर सवाल होंगे कि जो शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ नगà¥à¤¨ दà¥à¤°à¥‹à¤ªà¤¦à¥€ को à¥à¤• सकते हैं कà¥à¤¯à¤¾ वे शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ गोपियों को नगà¥à¤¨ देखना पसंद करते होंगे? कितनी विरोधà¤à¤¾à¤·à¥€ बात है à¤à¤• ही चरितà¥à¤° से लोगों ने दो अलग-अलग कारà¥à¤¯ करा दिà¤à¥¤ इसीलिठमहापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की जिंदगी कà¤à¥€ à¤à¥€ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• नहीं हो पाती सदा धारà¥à¤®à¤¿à¤• हो जाती है जब हम पीछे लौट कर देखते हैं तो हर चीज पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हो जाती है दूसरे अरà¥à¤¥ ले लेती है जो अरà¥à¤¥ कà¤à¥€ नहीं रहे होंगे वह à¤à¥€ जनà¥à¤® लेते हैं।
इसी कारण शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जैसे महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की जिंदगी à¤à¤• बार नहीं लिखी जाती शायद सदी में बार-बार लिखी जाती है। हजारों लोग लिखते हैं हजारों वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ होती चली जाती हैं फिर धीरे-धीरे शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ की जिंदगी किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की जिंदगी नहीं रह जाती शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ à¤à¤• संसà¥à¤¥à¤¾ हो जाते हैं। फिर वह अंधशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के सबूत हो जाते हैं। जब à¤à¤¸à¤¾ होता है तो शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ मंदिरों के पà¥à¤œà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° हो जाते हैं। संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं की दान पेटियों के कानà¥à¤¹à¤¾ बन जाते हैं वे राधा के पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ हो जाते हैं, वह रासलीला के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ बन जाते हैं। वे गोपियों के कानà¥à¤¹à¤¾ हो जाते हैं फिर वे गीता के वो शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ कहाठरह जाते हैं जो मानवता को करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤— का रासà¥à¤¤à¤¾ दिखाते है।
धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से पà¥à¥‡ तो à¤à¤¾à¤—वत के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ में और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ में तालमेल समà¤à¤¨à¤¾ कोई बड़ी बात नहीं। दोनों में बड़ा अंतर दिखेगा। गीता के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ बड़े गंà¤à¥€à¤° हैं, धरà¥à¤®, आतà¥à¤®à¤¾, परमातà¥à¤®à¤¾, योग और मोकà¥à¤· की बात करते हैं। कहते हैं- ‘जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ आसकà¥à¤¤à¤¿à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ होकर करà¥à¤® करता है, तो उसका जीवन यजà¥à¤ž हो जाता है किनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤—वत के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ à¤à¤•à¤¦à¤® गैर गंà¤à¥€à¤° वे माखन चà¥à¤°à¤¾ रहे हैं, नहाती हà¥à¤ˆ लड़कियों के कपड़े चà¥à¤°à¤¾ रहे हैं। कितना विरोध है दोनों में à¤à¤• तरफ परम आतà¥à¤®à¤¾ है जो परम को जानती है जो रण में निराश अरà¥à¤œà¥à¤¨ को आरमà¥à¤ और अंत की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ सहज à¤à¤¾à¤µ से गमà¥à¤à¥€à¤° मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¹à¤Ÿ के साथ समà¤à¤¾ रही है कि अरà¥à¤œà¥à¤¨ तू रà¥à¤•à¤à¤¾à¤— मत! कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जो à¤à¤¾à¤— गया, सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से, वह कà¤à¥€ à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के ऊपर नहीं उठपाता, जो परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से पीठकर गया, वह हार गया। दूसरी ओर à¤à¤¾à¤—वत में à¤à¤• सà¥à¤µà¤°à¤šà¤¿à¤¤ पातà¥à¤° है जो चोरी कर रहा है और माठसे à¤à¥‚ठबोल रहा है। कà¥à¤¯à¤¾ दोनों à¤à¤• हो सकते हैं?
कà¥à¤› लोग कह सकते हैं नहीं यही शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ का बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² था और बचपने में बचà¥à¤šà¥‡ à¤à¤¸à¤¾ ही करते हैं तब à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ को समà¤à¤¨à¤¾ बहà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• है। शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• पातà¥à¤° हैं जिनका वरà¥à¤£à¤¨ सबने अपने-अपने तरीके से किया सबने शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के जीवन को खंडो में बाà¤à¤Ÿ लिया, सूरदास ने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बचपन से बाहर नहीं आने दिया, सूरदास के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ कà¤à¥€ बचà¥à¤šà¥‡ से बड़े नहीं हो पाते। बड़े शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के साथ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पता नहीं कà¥à¤¯à¤¾ खतरा था? इसलिठअपनी सारी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ उनके बचपन पर ही थोफ दीं। रहीम और रसखान ने उनके साथ गोपियाठजोड़ दीं, इन लोगों ने वह शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ मिटा दिया जो वेद और धरà¥à¤® की बात कहता है और मीरा के à¤à¤œà¤¨ में दà¥à¤ƒà¤– खड़े हो गये, इसà¥à¤•à¥‰à¤¨ वालों ने अलग से शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ खड़ा कर लिया, शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ का जो असली चरितà¥à¤° करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤— का था, जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का था, जो नीति का था, जिसमें धरà¥à¤® का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था, जिसमें यà¥à¤¦à¥à¤§ की कला थी वह सब हटा दिया नकली खड़ा कर दिया।
धरà¥à¤® और इतिहास में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ अकेले à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हैं, जो धरà¥à¤® की परम गहराइयों और ऊंचाइयों पर होकर à¤à¥€ अहंकार से परे थे। शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ समसà¥à¤¤ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर रहे हैं, कृशà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ दà¥à¤– को à¤à¥€ नहीं पकड़ रहे हैं, सà¥à¤– को à¤à¥€ नहीं पकड़ रहे हैं। गीता के शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ अरà¥à¤œà¥à¤¨ से कहते हैं कि शरीर मूल ततà¥à¤µ नहीं है, मूल ततà¥à¤µ आतà¥à¤®à¤¾ है, जनà¥à¤® आरमà¥à¤ नहीं है और मृतà¥à¤¯à¥ अंत नहीं है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि आतà¥à¤®à¤¾ की यातà¥à¤°à¤¾ अनंत है अतः शरीर की यातà¥à¤°à¤¾ यानि जनà¥à¤® मरण पर कैसी खà¥à¤¶à¥€, कैसा उतà¥à¤¸à¤µ! और कैसा शोक?
bahot achchha aur sachcha bhi.