शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ के à¤à¤•à¥à¤¤ कहलाने वाले शिशà¥à¤ªà¤¾à¤²
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Naveen AryaDate
04-Sep-2018Category
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HindiTotal Views
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RajeevUpload Date
04-Sep-2018Download PDF
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आज न केवल देश à¤à¤° में किनà¥à¤¤à¥ समगà¥à¤° विशà¥à¤µ में शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी का जनà¥à¤® दिवस मनाया जा रहा है । यह à¤à¤• हमारे लिठहरà¥à¤·, उलà¥à¤²à¤¾à¤¸ और गरà¥à¤µ का विषय है । परनà¥à¤¤à¥ जब किसी परिवार में किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की मृतà¥à¤¯à¥ हो जाये और उसी परिवार में ही किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का विवाह à¤à¥€ हो तो à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में यह समठमें नहीं आता कि मृतà¥à¤¯à¥ का शोक मनाà¤à¤‚ या फिर विवाह की खà¥à¤¶à¥€ या जशà¥à¤¨ । वासà¥à¤¤à¤µ में देश à¤à¤° में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी के à¤à¤•à¥à¤¤ कहलाने वाले सारे लोग आà¤à¤– के अंधे हैं, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वे अपने ही à¤à¤—वान के सही सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª को न जानते हैं और न समà¤à¤¤à¥‡ हैं और कोई वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª के विषय में बताना चाहे तो उसको सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ ही नहीं चाहते, मानने की तो बात ही दूर है । जितने à¤à¥€ कथावाचक पंडित हैं वे सब के सब à¤à¤¸à¥‡ हैं जैसे अंधों के पीछे अंधे चलते हैं । कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¤µà¤•à¥à¤¤à¤¾ न कृषà¥à¤£ जी के इस वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ को सà¥à¤¨à¤¨à¤¾ चाहते और न ही सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¤¾ चाहते । केवल उनके यथारà¥à¤¥ जीवन चरितà¥à¤° का कथन करने की बजाय उनकी निंदा करके उनकी जीवनी को नषà¥à¤Ÿ कर रहे हैं, उनके चरितà¥à¤° को मार रहे हैं ।
इसीलिठसांखà¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¤¾à¤° ने कहा था कि जब सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ और सà¥à¤¨à¤¾à¤¨à¥‡ वाले पà¥à¤¨à¥‡ और पà¥à¤¾à¤¨à¥‡ वाले दोनों ही मूरà¥à¤– होते हैं तो अनà¥à¤§-परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ चल पड़ती है और आज यही हो रहा है कि हमारे इतिहास के यशसà¥à¤µà¥€, अनेक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के धनी, महान पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ à¤à¤• अनà¥à¤§-धारà¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ के साथ जोड़कर उनके महानॠयश-गाथा को नषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ कर दिया है । इसके विपरीत उनकी जीवनी को à¤à¤¸à¥‡ पेश किया जाता है जैसे कि वे सब महानॠविà¤à¥‚ति नहीं किनà¥à¤¤à¥ अवगà¥à¤£à¥‹à¤‚ के, दोषों के, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, अधरà¥à¤®, पापों के पिटारा थे । मानो कि इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ही दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की सब गलतियों को करने का ठेका ले रखा हो, à¤à¤¸à¥€ कोई गलती नहीं जो इनकी जीवनी के माधà¥à¤¯à¤® से न कराये गठहों । ये सब उनके ऊपर दोषारोपण करनेवाले कोई उनके शतà¥à¤°à¥ या दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ नहीं हैं, न कोई विरोधी हैं और न ही कोई पापी-अधरà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ कहलाने वाले हैं परनà¥à¤¤à¥ यही धारà¥à¤®à¤¿à¤• कहलाने वाले इनके ही à¤à¤•à¥à¤¤, इनके ही शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥, इनके ही वंशज, इनके ही अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€, इनके ही नाम से अपना पेट पालने वाले, इनके ही सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨ हैं । जब हम यह सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ हैं तो बड़ा ही दà¥à¤ƒà¤– का अनà¥à¤à¤µ होता है कि आजतक किसी à¤à¥€ समाज या जाति की à¤à¤¸à¥€ दà¥à¤°à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ नहीं हà¥à¤ˆ होगी जहाठअपने ही लोग, अपनी ही संतान, अपने ही वंशज, अपने महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ को बदनाम करने में लगे हà¥à¤ हैं, उनकी निनà¥à¤¦à¤¾ करने से चà¥à¤•à¤¤à¥‡ नहीं हैं ।
पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हम यह देखते हैं कि यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हमारे माता-पिता, दादा, या परदादा या फिर अपने à¤à¤¾à¤ˆ-बहन को गाली-गलोज करता है, उनके विरà¥à¤¦à¥à¤§ में अनाप-शनाप बकता है, तो उसको हम कà¤à¥€ à¤à¥€ सहन नहीं करते बलà¥à¤•à¤¿ उसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥à¤¤à¥à¤¤à¤° अवशà¥à¤¯ देते हैं, यहाठतक कि उस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के साथ हम लढाई कर लेते हैं । परनà¥à¤¤à¥ इससे बड़ा दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ की बात और कà¥à¤¯à¤¾ हो सकती है जब यही संतान अपने पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के मान-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ की रकà¥à¤·à¤¾ करने के बजाय उनके ऊपर ही संसार à¤à¤° के दोष लगाये फिर रहे हों, और बड़ी ही पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ के साथ यही गाते-फिरते हों कि हमारे पूरà¥à¤µà¤œ, हमारे ही दादा-परदादा महापà¥à¤°à¥à¤· नहीं किनà¥à¤¤à¥ चोर थे, à¤à¥‚ठे थे, निकमà¥à¤®à¥‡ थे, पराई नारी को गलत दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखते थे, लमà¥à¤ªà¤Ÿ थे, वà¥à¤¯à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤°à¥€ थे, यà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¥‚मि में पराकà¥à¤°à¤® दिखानेवाले नहीं किनà¥à¤¤à¥ यà¥à¤¦à¥à¤§ से पीठदिखाकर डरपोक की तरह à¤à¤¾à¤—नेवाले थे ।
यह तो समठमें आता है कि जब किसी के पिता या दादा जी आदि कोई उतà¥à¤¤à¤® कारà¥à¤¯ करते हैं, लोकोपकार के कारà¥à¤¯ करते हैं, तो उनकी संतान बड़े ही गरà¥à¤µ के साथ कहती हैं कि मेरे पिता जी या दादा जी ने ये काम किया है, वो काम किया है, इतने बड़े-बड़े लोककलà¥à¤¯à¤¾à¤£ के कारà¥à¤¯ किये हैं अतः मà¥à¤à¥‡ उन पर गरà¥à¤µ है । परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¸à¥€ कौन सी संतान होगी जो गरà¥à¤µ महसूस कर सकती है यह कह कर कि मेरे पूरà¥à¤µà¤œ या मेरे पिता-दादा जी चोर थे, लमà¥à¤ªà¤Ÿ थे, वà¥à¤¯à¤à¤¿à¤šà¤¾à¤°à¥€ थे आदि आदि । आज हमारे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के साथ यही हो रहा है, अपने ही महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करने, उनका समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करने, उनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का गान करने या उनका अनà¥à¤¸à¤°à¤£ करने को छोड़कर केवल उनकी चितà¥à¤° मातà¥à¤° की पूजा करके उनकी à¤à¤°à¤ªà¥‡à¤Ÿ निंदा करने में लगे रहते हैं ।
हमने महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¨à¤¾ था कि शà¥à¤°à¥€ कृषà¥à¤£ जी ने अपनी बà¥à¤† को बचन दिया था कि यह शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² जब तक सौ गलतियाठपूरी नहीं कर लेता तब तक शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² को शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी दणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ नहीं करेंगे । यदि सौ गलतियाठपूरी हो जाà¤à¤à¤—ी और उससे आगे à¤à¤• à¤à¥€ गलती करेगा तो उसे तब कोई रकà¥à¤·à¤¾ करने वाला नहीं होगा । शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² के साथ यही हà¥à¤† कि जब राजसूय यजà¥à¤ž चल रहा था और सबसे पूजà¥à¤¯, समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤¿à¤¤, योगà¥à¤¯, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम, उतà¥à¤¤à¤® चरितà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की पूजा की जा रही थी । तब पितामह à¤à¥€à¤·à¥à¤® ने à¤à¥€ यह कह दिया कि हम सब के बीच में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी जैसे योगà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ मिलना कठिन है । जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से लेकर अब तक कोई दोष नहीं किया, उनका चरितà¥à¤° बहà¥à¤¤ ही उतà¥à¤¤à¤® है, अतः इनकी ही पूजा करनी चाहिये ।
उस समय शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² आ पहà¥à¤‚चा और उनका विरोध करते हà¥à¤ बोला कि इतने सारे राजा-महाराजाओं के रहते इस मà¥à¤°à¥à¤– गà¥à¤µà¤¾à¤²à¥‡ को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ इतना समà¥à¤®à¤¾à¤¨ दिया जा रहा है । तब उस सà¤à¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ लोगों ने शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² का विरोध किया कि शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² अपनी वाणी पर नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ रखो नहीं तो तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥€ जिहà¥à¤µà¤¾ काट ली जाà¤à¤—ी । फिर à¤à¥€ शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² माननेवाला कहाठथा, वो रà¥à¤•à¤¾ ही नहीं और शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी को अपशबà¥à¤¦ के ऊपर अपशबà¥à¤¦ कहने लगा । अब शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी ने अपनी बà¥à¤† जी को जो वचन दिया था वो पूरा हो गया था । शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² पूरी तरह उसका अतिकà¥à¤°à¤®à¤£ कर चूका था और अपने आप को दणà¥à¤¡ का अधिकारी बना लिया था । शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी की सहनशकà¥à¤¤à¤¿ की सीमा समापà¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ थी । अनà¥à¤¤à¤¿à¤® में शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी ने अपने सà¥à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨ चकà¥à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² का वध कर दिया ।
हम कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करके देख सकते हैं, यदि आज à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी हमारे बीच उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होते तो कà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ होती ? कà¥à¤¯à¤¾ कोई à¤à¥€ मà¥à¤°à¥à¤– वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी के सामने उनको माखन-चोर, लमà¥à¤ªà¤Ÿ, à¤à¥‚ठा, गोपिओं के वसà¥à¤¤à¥à¤°-चोर, रासलीला करनेवाला, 16 हजार पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚वाला, रणछोड़ आदि आदि अनेक अपशबà¥à¤¦ कहने का दà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¸ करता ? कदापि नहीं । यदि à¤à¥‚ल से à¤à¥€ कोई इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का दà¥à¤¸à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¸ कर à¤à¥€ लेता तो उसको शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ जी अवशà¥à¤¯ यथोचित दणà¥à¤¡ देते । à¤à¤• राज होने के नाते या तो उस दमà¥à¤à¥€, पाखंडी को जेल (कारागार) में डाल देते या फिर शिशà¥à¤ªà¤¾à¤² जैसे उसके गरà¥à¤¦à¤¨ को खंडित कर देते किनà¥à¤¤à¥ दिन-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ उनकी निंदा करनेवाले, उनके ऊपर दोषारोपण करनेवाले इन à¤à¤•à¥à¤¤ कहलाने वाले महा-मूरà¥à¤–ों को कà¥à¤·à¤®à¤¾ कà¤à¥€ à¤à¥€ नहीं करते ।
à¤à¤¾à¤ˆà¤¯à¥‹à¤‚-बहनों जरा सोचो जिसका चरितà¥à¤° इतना पवितà¥à¤° था, जो इतना पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥€, पराकà¥à¤°à¤®à¥€, तेजसà¥à¤µà¥€, यशसà¥à¤µà¥€ था, जो इतना बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, नीतिवान, था, जिसके नाम सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही उनके शतà¥à¤°à¥ à¤à¤¾à¤— खड़े हो जाते थे à¤à¤¸à¥‡ अननà¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤°-à¤à¤•à¥à¤¤, देश-पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€, उतà¥à¤¤à¤® राजा, पिता, मितà¥à¤°, सखा, à¤à¤¾à¤ˆ, और न जाने किन-किन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के खान थे à¤à¤¸à¥‡ महान विà¤à¥‚ति को हमने कà¥à¤¯à¤¾ से कà¥à¤¯à¤¾ बना दिया । उनकी हम पूजा कर रहे हैं या सच में उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ दà¥à¤°à¥‹à¤¹ कर रहे हैं ? आइये हम उनके यथारà¥à¤¥ सà¥à¤µà¤°à¥‚प को समà¤à¥‡à¤‚ और सचà¥à¤šà¥‡ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में उनका जनà¥à¤®à¤¦à¤¿à¤µà¤¸ आदि पालन करें, उनके गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को अपने जीवन में धारण करें, उनको à¤à¥€ à¤à¤• आदरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¥à¤· के रूप में समाज में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित करके रखें और उनके जैसा हम à¤à¥€ आदरà¥à¤¶ पà¥à¤°à¥à¤· बनने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करें ।।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
namaste ji,