कैसा होगा आपका आगे का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ ?
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Rajeev ChoudharyDate
06-Sep-2018Category
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HindiTotal Views
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06-Sep-2018Download PDF
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जरा कà¥à¤› पल सोचकर देखिये कि आज से कà¥à¤› समय बाद आप तो होंगे, आपके आस-पास à¤à¥€à¥œ à¤à¥€ होगी लेकिन इस à¤à¥€à¥œ में अपनेपन और सà¥à¤¨à¥‡à¤¹à¤à¤¾à¤µ का कोई à¤à¤• सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¶ नहीं होगा यानि आपको कोई अपना कहने वाला नहीं होगा, अब कोई कहे à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤› नहीं होगा! ये सिरà¥à¤« à¤à¤• खोखला à¤à¤¯ है तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आज चीन के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ां से यह सब सीख लेना चाहिà¤à¥¤ असल में चीन ने 1979 से à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की नीति को लागू किये रखा, जिससे उनकी औरतों में à¤à¤• तरह की नकारातà¥à¤®à¤• à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ ने जनà¥à¤® लिया और औरतों में पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨ शकà¥à¤¤à¤¿ दर तेजी से गिरती चली गयी। इसी कारण आज चीन में इस à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की बालनीति से वहां बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— अकेले और बेसहारा दिखाई देते हैं। उनके पास अनà¥à¤à¤µ à¤à¥€ हैं और पैसा à¤à¥€ लेकिन रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ नातों से खोखले होकर नितांत अà¤à¤§à¥‡à¤°à¥‡ में हैं जहाठअपनेपन की उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‹à¤‚ की किरण दिखाई नहीं देती।
अब चीन इस सबसे सबक लेकर अपने नागरिकों के à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के लिठà¤à¤• योजना बना रहा है जिसके तहत जो परिवार जितने बचà¥à¤šà¥‡ पैदा करना चाहते हैं वह कर सकते हैं और इसके लिठकोई सीमित संखà¥à¤¯à¤¾ तय नहीं की जाà¤à¤—ी। चीन के इस हाल को देखते हà¥à¤ अगले कà¥à¤› वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज में à¤à¥€ यही हाल होने जा रहा है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि अà¤à¥€ तक à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज की पहचान और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤µà¤¾à¤¯à¥ रहे संयà¥à¤•à¥à¤¤ परिवार आज सिमट रहे हैं। शायद धीरे-धीरे लà¥à¤ªà¥à¤¤ हो जायेंगे। यदि गांवों को अलग रखे तो देश के बड़े शहरों में परिवार और समाज विघटन की कगार पर हैं। असà¥à¤¸à¥€ नबà¥à¤¬à¥‡ के दशक में टà¥à¤°à¤•à¥‹à¤‚ आदि के पीछे लिखे गये सà¥à¤²à¥‹à¤—न ‘‘छोटा-परिवार सà¥à¤–ी परिवार’’ आज दà¥à¤–ी परिवार नजर आ रहा है। देश में बà¥à¤¤à¥‡ वृ( आशà¥à¤°à¤® इस बात का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ हैं जैसे माता-पिता या बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— हमारी जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ नहीं बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• बोठबनते जा रहे हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण है à¤à¤• ही बचà¥à¤šà¤¾ पैदा करने का रिवाज, जो आज बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों को घर से घसीटकर बाहर वृदà¥à¤§ आशà¥à¤°à¤® जैसी जगहों पर ले गया। आज हर कोई à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ को ही अपने जीवन में परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ समà¤à¤¤à¤¾ है तो कोई दो बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ से अपने परिवार को पूरा करना सही समà¤à¤¤à¤¾ है। हालांकि ये सबके विचार और परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर निरà¥à¤à¤° करता है। कारण अधिकांश जगह आजकल दोनों पति-पतà¥à¤¨à¥€ कामकाजी होते हैं, इसलिठवो à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ पैदा करना ही ठीक समà¤à¤¤à¥‡ हैं तथा दूसरों को à¤à¥€ à¤à¤• ही बचà¥à¤šà¤¾ पैदा करने की सलाह देते हैं। बात सलाह तक तो सही है किनà¥à¤¤à¥ सलाह के बाद सवाल ये है कि à¤à¤• ही बचà¥à¤šà¥‡ की नीति से उसे समाज में कहाठसे बà¥à¤†, कहाठसे मामा, चाचा, बहन, à¤à¤¾à¤ˆ दिठजायेंगे? जब वह अकेला बड़ा होगा तो उसके लिठमाठबाप à¤à¥€ कोई मायने नहीं रख पाà¤à¤‚गे।
इसे कà¥à¤› à¤à¤¸à¥‡ समà¤à¤¿à¤¯à¥‡ कि मान लिया आपने à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ पैदा कर लिया आपके यहाठबेटा हà¥à¤† तथा अनà¥à¤¯ किसी दूसरे के यहाठबेटी हà¥à¤ˆà¥¤ दोनों को अचà¥à¤›à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ दे दी गयी, वह à¤à¥€ कामकाजी हो गये। अब दोनों की शादी हो गयी। उनके यहाठà¤à¥€ à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ हो गया, कà¥à¤¯à¤¾ आपको नहीं लगता आगे चलकर उकà¥à¤¤ दमà¥à¤ªà¤¤à¤¿ के ऊपर दो लड़की के तथा दो लड़के के माता-पिता मिलाकर अब चार बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ो की देखà¤à¤¾à¤² की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ हो गयी? कà¥à¤¯à¤¾ वह इन रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ ईमानदारी और सà¥à¤¨à¥‡à¤¹ के साथ निबाह पाà¤à¤‚गे? दिल पर हाथ रखकर कितने लोग जवाब दे सकते हैं कि उस समय उन चार बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ो की जगह घर में होगी या बाहर किसी संसà¥à¤¥à¤¾ में?
हो सकता है कà¥à¤› लोग इस पारिवारिक सामाजिक, समीकरण से इतà¥à¤¤à¥‡à¤«à¤¾à¤• न रखे और कहें कि महंगाई बहà¥à¤¤ है à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡à¤‚ की परवरिश बड़ी मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² होती है। यदि आप à¤à¤¸à¥‡ सोचते है और अपने इस जवाब पर कायम हैं तथा à¤à¤• बचà¥à¤šà¥‡ की परवरिश को बड़ी बात समठरहे हैं तो आखिर वह à¤à¤• बचà¥à¤šà¤¾ दो बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤—ों की जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ कैसे उठाà¤à¤—ा?
à¤à¤• समय था कà¤à¥€ घर और मन इतने विशाल थे कि चाचा, ताऊ ही नहीं, बलà¥à¤•à¤¿ दूर के रिशà¥à¤¤à¥‡ के à¤à¤¾à¤ˆ, बंधॠऔर उनके परिवार à¤à¥€ इसमें समा जाते थे लेकिन आज परिवार तो दिखाई ही नहीं देते साथ में घर के बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— à¤à¥€ वृदà¥à¤§ आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में पटक दिठजाते हैं। अब सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ इतने संकà¥à¤šà¤¿à¤¤ हो चले हैं कि अपने माता-पिता के लिठगà¥à¤‚जाईश निकालना इनको मà¥à¤¶à¥à¤•à¤¿à¤² हो रहा है। आज इस पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ नहीं दिया गया तो बिखरते हà¥à¤ समाज में जो रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚ का खालीपन होगा, उसे à¤à¤° पाना फिर असंà¤à¤µ हो जायेगा आपके आस-पास à¤à¥€à¥œ होगी लेकिन रिशà¥à¤¤à¥‡-नाते नहीं होंगे।
à¤à¤• समय था जब वृदà¥à¤§ आशà¥à¤°à¤® जैसी संसà¥à¤¥à¤¾à¤à¤‚ हमारी परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं से परे थीं लेकिन आज शहर दर शहर खà¥à¤²à¤¤à¥‡ जा रहे हैं वृदà¥à¤§ आशà¥à¤°à¤® जिनमें बà¥à¤œà¥à¤°à¥à¤— सà¥à¤µà¥‡à¤šà¥à¤›à¤¾ या मजबूरियों में पहà¥à¤‚चाठजा रहे हैं। आदर, पà¥à¤¯à¤¾à¤° और कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾ के धागे से बंधे रिशà¥à¤¤à¥‡ हमारी विशेषता थी, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि हमारे समाज के मूल आधार हमारे मधà¥à¤° रिशà¥à¤¤à¥‡ रहे हैं, लेकिन आज की तेज à¤à¤¾à¤—ती जिंदगी में अपने आप ही ये रिशà¥à¤¤à¥‡ पीछे छूटते चले गठहैं।
माना आजकल महंगाई बà¥à¤¤à¥€ जा रही है, à¤à¤¸à¥‡ में डिलिवरी, दवाई के खरà¥à¤šà¥‡ और पà¥à¤¾à¤ˆ-लिखाई के खरà¥à¤š लोगों कà¥à¤› हद तक à¤à¤¾à¤°à¥€ पड़ सकते हैं। किनà¥à¤¤à¥ जो आरà¥à¤¥à¤¿à¤• रूप से संपनà¥à¤¨ है इन जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बखूबी निà¤à¤¾ सकते हैं वह à¤à¥€ इसी à¤à¥‡à¥œ-चाल में फंसकर रह गये हैं और à¤à¤• ही बचà¥à¤šà¥‡ का राग आलाप रहे है जबकि दूसरा बचà¥à¤šà¤¾ आ जाने से पहला बचà¥à¤šà¤¾ खà¥à¤¦ को अकेला नहीं समà¤à¤¤à¤¾ है। पहले बचà¥à¤šà¥‡ को à¤à¤• साथी मिल जाता है जिसके साथ वह घर में खेलकूद सकता है। उसे दूसरे किसी दोसà¥à¤¤ की जरूरत नहीं पड़ती है। दूसरा बचà¥à¤šà¤¾ आ जाने से आपको अपने लिठथोड़ा समय मिल जाता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह दोनों à¤à¤• दूसरे में वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¤ रहते हैं। उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ रिशà¥à¤¤à¥‡ मिल जाते हैं जो आगे चलकर à¤à¤• परिवार का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करते हैं। उस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में माता-पिता के पास बà¥à¥à¤¾à¤ªà¥‡ में विकलà¥à¤ª होते है à¤à¤²à¥‡ ही à¤à¤• पल उनकी जेब में पैसा न हो पर सामाजिक रूप से तो रिशà¥à¤¤à¥‹à¤‚-नातों से à¤à¥‹à¤²à¥€ à¤à¤°à¥€ रहती है किनà¥à¤¤à¥ दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ à¤à¤• ही बचà¥à¤šà¥‡ के गीत से आज वह à¤à¥‹à¤²à¥€ खाली दिखाई दे रही है।
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